दक्षिणी ध्रुव पर, दोनों दंपतियों ने वहां की सुंदरता का आनंद उठाया। वहां पर उन्होंने न केवल पेंग्विन देखा, बल्कि कई तरह के विचित्र जीव-जंतु भी नजदीक से देखे। इस तरह के परिदृश्य ने इन दोनों बुजुर्गों को रोमांच से भर दिया था। लेकिन उन्हें क्या पता था कि इससे भी ज्यादा रोमांच उनका इंतजार कर रहा था।
जब हमलोग बर्फीली ढ़लान पर चढ़ाई कर रहे थे तो वह न केवल एक सीधी चढ़ाई थी बल्कि बहुत लम्बी और गहरी भी थी। मेरे पति को पता है कि मैं बहुत डरपोक किस्म की हूं, इसलिए वह मेरे आगे-आगे चल रहे थे और मैं उनके निर्देशानुसार चल रही थी। किन्तु एक समय ऐसा आया जब मेरा पैर फिसल गया और मैं बिल्कुल उलट कर बर्फ से जा टकराई।
बड़ा जोखिम से भरा दृश्य था ,दोनों लोगों को आज भी जब इस घटना की याद आती है तो उनके रोंगटे खड़े हो जाते हैं। दक्षिणी ध्रुव छोड़ने के बाद, पति पत्नी ने दक्षिणी अमरिका की यात्रा शुरू की। उन्होंने अर्जेंटिना के प्रसिद्ध चर्च, संग्रहालय के साथ-साथ अर्जेंटिना और ब्राजील की सीमा पर स्थित इक्वात्सु जल प्रपात देखने का भी आनंद उठाया।
वह दृश्य सचमुच बहुत शानदार था। जलप्रपात बहुत चौड़ा था। अर्जेंटिना और ब्राजील दोनों देशों से इसे देखा जा सकता है। इक्वात्सु जलप्रपात से जब पानी नीचे गिरता है तो वह बहुत सारी सीढिनुमा चट्टानों से होते हुए नीचे उफनती जाती है। यह दृश्य सचमुच बहुत अद्भुत लगता है।
इक्वात्सु जलप्रपात के सामने ली गई तस्वीरों में दोनों के चेहरे पर मुस्कान से एक संतोष झलकता है। यहां के बाद, ब्राजील की अमेजन नदी में नाव से सैर करने के दौरान यहां के स्थानीय लोगों के बीच यह दंपति चर्चा का विषय बन गया। पत्नी वांग चुंग चिन का कहना हैः
हम सभी लोग एक बड़े जहाज पर थे। सभी लोग उसी जहाज पर झूलते पलंगों पर सोते थे। जहाज पर लगभग एक सौ लोग थे, सभी एक-दूसरे को देख सकते थे। वह जहाज हमारे देश की बस एक जैसा ही है। ववां के लोग लंबी दूरी तय करने के लिए जहाज का इस्तेमाल करते हैं। जहाज पर सभी स्थानीय लोग सवार थे। कुछ लोग छोटा मोटा व्यापार करने जा रहे थे, तो कुछ लोग अपने सगे-संबंधियों से मिलने जा रहे थे। लेकिन वे लोग हम दोनों को देखकर बहुत आश्चर्यचकित थे।
वांग और उनके पति, यही दो शख्स उस जहाज पर एशियाई चेहरे थे, इसलिए सभी लोग उन्हें घूर-घूर कर देख रहे थे। लेकिन उन्हें यात्रा के आनंद में मग्न होकर कोई परेशानी महसूस नहीं हुई। वे जहाज पर छः दिन और छः रात बिताने के बाद पेरू पहुंचे। वहां उनका अगला पड़ाव प्रसिद्ध माचु-पिचू शहर था। कई शहरों से गुजर होने के बाद माचू-पिचू से कुछ दूरी पर वांग चुंग चिन बिमार पड़ गयी।
उस स्थल का नाम पुनो है जो समुद्रतल से लगभग 3800 मीटर की उंचाई पर स्थित है। वहां पर पठारी वातावरण के कारण लोगों को उच्च रक्त चाप की संभावना बहुत ज्यादा है। सबसे ज्यादा डरने की बात यह थी कि कहीं जुकाम न हो जाए। लेकिन उस स्थल पर जब मैं बाहर निकली तो लापरवाही के चलते दस मिनट के बाद ही मुझे जुकाम हो गया। तब मैने दवा लेना शुरू कर दिया। जब हमलोग खुकस शहर पहुंचे तो मुझे बुखार लग गया और उस दिन मेरा तापमान करीब 40 डिग्री ऊंचा था, वहां के लोगों ने मुझे इमरजेंसी सेंटर में भर्ती करवाया।
इस बार बीमार पड़ने के बाद वांग चुंग चिन अस्पताल में तीन दिन रहे। अगले 15 दिनों तक उन्हें बहुत कमजोरी महसूस होती रही, फिर भी दोनों ने माचू-पिचू की यात्रा रद्द नहीं की और उन के कदम कभी नहीं रूके।
हमलोगों ने निश्चय किया था कि माचू-पिचू शहर जरूर देखेंगे, इसलिए नहीं जाने पर जरूर पछतावा होता। अंततः हम लोग वहां गये ही। इस तस्वीर में हमलोग माचू-पिचू से वापस आ रहे दिखाई देते थे हम बहुत थके और कमजोर दिखते हैं। क्योंकि हम उस समय तक पूरी तरह स्वस्थ नहीं हुए थे।
इस अनुभव के बारे में वांग चुंग चिन ने अपने ब्लॉग में लिखा है कि, प्रतिदिन मेरे पति मेरा सामान ढ़ोते थे। होटल में पहुंचने पर मेरे लिए खाना बनाते थे और मेरी देखभाल करते थे। वह चैन की नींद भी नहीं सो सकते थे। मैं दिल से उसे धन्यवाद देती हूं। अगर वह नहीं होते तो भगवान ही जानते कि मेरा क्या हो सकता। हम दोनों लगभग 40 सालों से एक-दूसरे के साथ हैं और जीवन के कठिन दौर में भी हम साथसाथ हैं और दूसरे देश में भी एक-दूसरे के संग थे। पति पत्नी का साथ साथ होने से हर यात्रा रोमांचकारी होने के साथ-साथ सुकुन भी थी।
हमलोगों ने आस्ट्रेलिया के सरकारी बेवसाईट पर एक पर्यटन संबंधित समाचार देखा। समुद्र के किनारे एक मछुवाओं का एक छोटा सा गांव है जो बहुत सुंदर है। लेकिन वहां जाने पर पता चला कि यह खबर बिल्कुल अलग थी। हमलोग बहुत दूर से आए थे, लेकिन रास्ते में कोई आदमी भी नहीं मिला, सिर्फ एक छोटा सा मकान मिला, हमलोग वहीं रूक गये। वहां सिर्फ हम दोनों थे। हमलोगों ने आग जलायी, आलू पकाया, फिर वहीं पर खुले आकाश में तारों के नीचे पुरानी यादें करते हुए बातें करने लगे। सबकुछ बहुत रोमांटिक लग रहा था, हमलोग अपनी जवानी के दिनों की याद में खो गये।
6 महिनों की यात्रा के बाद दोनों पति-पत्नी वापस पेइचिंग लौटे। जिसने भी उनकी यात्रा की कहानी सुनी, उन सभी लोगों ने इसकी खूब प्रशंसा की। सच ही है, दोनों पति-पत्नी को विदेशी भाषा का ज्ञान नहीं है, न ज्यादा पैसे भी हैं, लेकिन उन्होंने दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित 14 देशों की यात्रा की। वे लोग कभी एयरपोर्ट पर रात बिताते थे, तो कभी 22 लोगों वाले कमरे में भी रात बिताया है। इसके अलावा भी उन्होंने कई मुश्किलों का सामना किया । लेकिन विश्व भ्रमण का उनका सपना हकीकत बन गया।
हमलोग अपनी यात्रा जारी रखेंगे, क्योंकि यह दुनिया बहुत बड़ी है। अभी भी बहुत देशों की यात्रा बाकी है, हमलोगों के पास जितना पैसा था हमने खर्च कर दिया। अब हमारे पास कुछ भी नहीं है, लेकिन, हमारे दिल में बेशकिमती आध्यात्मिक धन मौजूद है। यह न केवल हमारे पास सुरक्षित है बल्कि इसे हम अपने बेटा-बेटी को भी दे सकते हैं। वापस आने के बाद, हमने उन्हें विश्व की विभिन्न विचित्र घटनाओं के बारे में बताया, दूसरे देशों के लोगों के विचारों के बारे में बताया।
यात्रा के दौरान विश्व के विभिन्न पहलुओं ने उनलोगों को भी बदल दिया है। हाल ही में, दोनों बुजुर्गों ने एक आलेख में लिखा है कि, हमें दौलत का गुलाम नहीं बनना चाहिए। अगर विश्व भ्रमण और मकान खरीदने में एक विकल्प को चुनना होगा तो हम विश्व भ्रमण को चुनेंगे। हाल में उनके बहुत सारे प्रशंसक बन गये हैं। लोगों ने उनके जीवन को बालकथा का नाम दिया है। आज की वास्तविकता भरी दुनिया में इनकी कहानी ने बहुत सारे लोगों के विचारों को बदला है। वे मानते हैं कि जितने लम्बे रास्ते तय होते हैं, उतनी दिल में जवानी बढ़ती है।
श्रोता दोस्तो, चीनी समाज का वृद्ध समाज में परिवर्तन हो रहा है। वृद्ध लोगों की संख्या दिन पर दिन बढ़ रही है। ऐसी परिस्थिति में, चीन के बुजुर्गों के लिए अब खाली समय में दुनिया की सैर करना लोकप्रिय होता जा रहा है। इसी के साथ हमारा कार्यक्रम समाप्त होता है। धन्यवाद।