हस्त शिल्पकार कर्मा त्सेरिंग से हमारी मुलाकात लेग्पो में तिब्बती युवती सोनाम चोज़ोम से इंटरव्यू लेने पर हुई । जब हम तिब्बती युवती सोनाम चोज़ोम के साथ बातचीत कर रहे थे , तो कर्मा त्सेरिंग युवती सोनाम चोजोम के पिता जी ताशी डावा से मिलने आये । ताशी डावा इस क्षेत्र में काष्ठ कटोरा बनाने वाले मशहूर हस्तशिल्पकार हैं , कर्मा त्सेरिंग उन का शिष्य हैं । कर्मा त्सेरिंग काष्ठ कटोरा बनाने में आयी कठिनता को दूर करने के लिये उस्ताद से पूछने आये ।
गेहुआं रंग का कर्मा त्सेरिंग इस वर्ष 29 साल के हैं, दोनों चमक दमक आंखें बेहद आकर्षित हैं , उन का चरित्र काफी शांत है , बातचीत करते समय चेहरे पर मुस्कान दिखाई देती है । जब उन्हें मालूम हुआ कि हम काष्ठ कटोरा बनाने की शिल्पकला में रुचि लेते हैं , तो उन्हों ने तुरंत हमें दूसरे दिन अपने निर्माण वर्गशाप देखने पर आमंत्रित किया ।
दूसरे दिन की सुबह हम ठीक समय पर कर्मा त्सेरिंग के काष्ठ कटोरा निर्माण वर्गशाप पहुंच गये । कोई दस वर्गमीटर से थोड़ा बहुत बड़े वर्गशाप में काष्ठ कटोरा बनाने वाले लक्कड़ , रंग और बने बनाये काष्ठ कटोरे रखे हुए हैं । फर्श पर मशीन से काटने वाली रद्दी लकड़ियों के टुकड़े पड़े हुए हैं । शिल्पकार कर्मा त्सेरिंग एक लम्बे काष्ठ बेंच पर बैठकर काम में व्यस्त हैं , सामने काष्ठ कटोरा बनाने वाली मशीन लगी हुई है । उन्होंने सब से पहले एक लक्कड़ को मशील के पहिये पर लगाया , फिर पहिया तेज गति से चलने लगा , इसी वक्त वे बड़ी चतुराई से चाकू के जरिये लक्कड़ पर नक्काशी करने लगे । कुछ समय बाद एक खूबसूरत काष्ठ कटोरा तैयार हो गया है ।
हमें देखकर कर्मा त्सेरिंग ने तुरंत ही अपना काम बंद कर दिया । हमारे अनुरोध के अनुसार उन्होंने कमरे के एक कोने में सुरक्षित काष्ठ कटोरों का तफसील से परिचय देते हुए कहा:
"यह कटोरा चिपचिपे चावल से तैयार पकवान रखने के लिये है, वह कटोरा सजावट का काम देता है, जबकि यह कटोरा बियर और शराब भरने के लिये विशेष तौर पर बनाया गया है, ये सब के सब नये आकार प्रकार के हैं। उधर देखिये, वह कटोरा नास रखने के लिये बना हुआ है। जी हां, यह कटोरा मसालेदार मिर्च आदि आचार सुरक्षित रखने का काम देता है। आम तौर पर चिपचिपे चावल से तैयार पकवान, मसालेदार मिर्च आदि आचार ढक्कन वाले कटोरे में रखे जाते हैं, क्योंकि ऐसे कटोरे में सुरक्षित चीजें आसानी से खराब नहीं हो सकतीं, जबकि बिना ढक्कन वाले कटोरे में अकसर मक्खन चाय ऱखी जाती है।"
लेग्पो क्षेत्र औसत समुद्र सतह से कोई चार हजार मीटर से अधिक ऊंचाई पर खड़े छिंगहाई तिब्बत पठार के दक्षिण भाग में अवस्थित है और वह चीन में सब से कम जनसंख्या वाली मनपा अल्पसंख्यक जाति बहुल क्षेत्रों में से एक है। क्योंकि इस क्षेत्र की ऊंचाई औसत समुद्र सतह से दो हजार 9 सौ मीटर है, इसलिये यहां का मौसम काफी नमी है और जगलों व लकड़ियों की बहुतायत है। मनपा जाति के लोग लकड़ियों से काष्ठ कटोरे, काष्ठ बाल्टियां, काष्ठ बर्तन, काष्ठ बाँक्स और काष्ठ अल्मारियां आदि विविधतापूर्ण रोजमर्रे में आने वाली वस्तुएं बनाने में कुशल हैं, जिन में माग्मांग टाऊनशिप में तैयार काष्ठ कटोरे सब से विख्यात माने जाते हैं। इसी प्रकार वाले कटोरे की मोटाई बराबर ही नहीं, उस की बाह्य दीवार पर नारंगी रंग चढाने पर भी लकड़ी की सुंदर प्राकृतिक रेखाएं साफ साफ दिखाई देती हैं ।
कर्मा त्सेरिंग ने कहा कि मनपा जाति के लोग काष्ठ कटोरे के प्रति विशेष भाव लिये हुए हैं, उन के बीच लम्बे अर्से से काष्ठ कटोरे का प्रयोग करने की परम्परा बनी रही है। लगभग हरेक व्यक्ति के पास अपना विशेष काष्ठ कटोरा है, आम दिनों में वे अवश्य ही अपना कटोरा लिये लकड़ी काटने या खेतीबाड़ी करने जाते हैं, क्योंकि वे अवकाश के समय पर अपने इसी काष्ठ कटोरे से मक्खन चाय, जौ मदिरा पीते हैं या चिपचिपे चावल से तैयार पकवान खाते हैं। इसी प्रकार वाले काष्ठ कटोरे में सुरक्षित जौ मदिरा या मक्खन चाय विशेष खूशबूदार होती है।
"मनपा जाति के लोगों को काष्ठ कटोरे से विशेष लगाव है, कारण यह है कि वे अपने बचपन से ही काष्ठ कटोरे का प्रयोग कर लेते हैं। दूसरी तरफ काष्ठ कटोरे टिकाऊ हैं और उस का लम्बे समय तक प्रयोग करने लायक भी है । मनपा जाति के कुछ लोग अपने पूरे जीवनकाल में मात्र एक ही काष्ठ कटोरे का प्रयोग करते हैं और वे अपने काष्ठ कटोरे को बेहद कीमती समझते हैं।"
इंटरव्यू के दौरान हमारे संवाददाताओं को पता चला है कि लेग्पो क्षेत्र में न सिर्फ मनपा जाति इसी प्रकार वाले काष्ठ कटोरे का प्रयोग करना पसंद करती है, बल्कि मनपा जाति के साथ रहने वाली तिब्बती जाति भी इसी प्रकार वाले काष्ठ कटोरे को पसंद भी करती है। कर्मा त्सेरिंग ने कहा कि मनपा जाति द्वारा तैयार काष्ठ कटोरे इसीलिये मजबूत हैं, क्योंकि अधिकतर काष्ठ कटोरे सख्त गांठदार लक्कड़ से बनाये जाते हैं।
"काष्ठ कटोरा बनाने का लक्कड़ मुख्यतः देवदार पेड़ व आज़ालेया पेड़ ही है, मसलन आजालेया पेड़ का गांठदार लक्कड़ सब से उच्च कोटि की लकड़ी माना जाता है। एक बड़े गांठदार लक्कड़ से कई काष्ठ कटोरे बनाये जाते हैं, जबकि सब से छोटे गांठदार लक्कड़ से मात्र एक ही काष्ठ कटारा बनाया जा सकता है। पर सख्त गांठदार लक्कड़ों की खोज स्वयं शिल्पकारों पर आश्रित है। आम तौर पर वे दिन में पर्वत पर ज्यादा से ज्यादा दसेक गांठदार लक्कडों की खोज कर सकते हैं, कम से कम चार पांच भी ढूंढ लेते हैं।"
लेग्पो क्षेत्र में हर वर्ष लकड़ी काटने के लिये दस दिन का नियमित समय निश्चित है , कर्मा त्सेरिंग इस पूरे निश्चित समय का फायदा उठाकर काष्ठ कटोरे बनाने लायक गांठदार लक्कड़ ढूंढने की हरचंद कोशिश करते हैं । उन्होंने कहा कि अब स्थानीय सरकार ने पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर प्रतिबंध लगा दिया है , उपयोगी लक्कड़ की खोज पहले जितनी आसान नहीं है । इसलिये वे पर्वत पर कुछ उपयोगी गांठदार लक्कड़ों की खोज करने के अतिरिक्त बाकी जरूरी लक्कड़ बाजार में भी खरीद लेते हैं ।