जोखांग मठ में बुद्ध की मूर्ति के अलावा जोखांग मठ तथा पोताला महल के निर्माणकर्ता राजा सांगत्सेन गांपो की भी मूर्ति है। गाइड ली श्याओह्वा ने परिचय देते हुए कहा:
"बीच में स्थापित मूर्ति तिब्बत के 33वें राजा जिन्हें हम सांगत्सेन गांपो कहते हैं, की है। इस राजा ने पूरे तिब्बत का एकीकरण किया तथा सन् 633 में तिब्बत की राजधानी युङपुलाखांग से स्थानांतरित कर ल्हासा में लायी गयी और राजमहल के रूप में पोताला महल बनाया गया। राजा सांगत्सेन गांपो ने अपने एक मंत्री को भारत में संस्कृत भाषा के अध्ययन के लिए भी भेजा, जिन्होंने बाद में तिब्बती भाषा के 30 अक्षरों की रचना की। इसी राजा के शासनकाल में तिब्बती भाषा में लिपि की शुरूआत हुई तथा अनेकों बौद्ध सूत्रों का तिब्बती भाषा में अनुवाद किया गया।"
समूचे तिब्बत का एकीकरण करने वाले राजा सांगत्सने गांपो का तिब्बती लोगों के दिल में बहुत उँचा स्थान है। तिब्बती लोग उन्हें पहला महान राजा मानते हैं। तिब्बती लोगों का मानना है कि उनकी दो पत्नियाँ भी देवियों की अवतार थीं जो तिब्बती लोगों के दुखों को दूर करने के लिए अवतरित हुई थीं। जोखांग में राजा सांगत्सेन गांपो और वन छङ के ढेर सारे चिन्ह अभी भी देखने को मिलते हैं। हमारी गाइड ली श्याओह्वा ने परिचय देते हुए कहा:
"पहली मंजिल और दूसरी मंजिल तथा उसकी छत पर खोदी गयी बुद्ध की सभी मूर्तियाँ 7वीं शताब्दी की लकड़ी की मूर्तियाँ हैं। इनमें से कुछ मूर्तियाँ राजा सांगत्सने गांपो के खुद हाथों खोदी गयी थी। इसी के पास एक पत्थर की बनी महारानी वनछङ की मूर्ति भी है जिसे भक्त यात्री छूकर कर-प्रणाम करते हैं। इसलिए इस पर मोटी परत में घी का तेल लगा हुआ है।"
जोखांग मठ के प्रबंधक का मानना है कि जोखांग मठ का महत्व सिर्फ बुद्ध की प्रतिमा के कारण ही नहीं है बल्कि यहाँ पर दो संस्कृतियों का संगम स्थल होने के कारण भी इसका बहुत ज्यादा महत्व है। प्रसिद्ध बौद्ध भिक्षु निमा त्सेरन ने कहा:
"जोखांग मठ की जो दो सबसे महत्वपूर्ण चीजे हैं, उनमें पहली यहाँ पर स्थापित बुद्ध की 12 वर्ष की उम्र वाली प्रतिमा जो कि पूरे विश्व में असली बुद्ध की तरह मानी जाती है। दूसरी इस मठ की दीवारों और छतों पर उत्तेरी कलाकृति की शैली भी अद्भुत है। ऐसा लगता है कि विश्व की सारी कला शैलियाँ यहीं आकर मिलती हैं। हमलोग अक्सर कहते हैं कि यहाँ की दीवारें किसी विश्वकोष से कम नहीं है। यहाँ पर न केवल चीनी संस्कृति प्रदर्शित होती है बल्कि भारत और नेपाल की संस्कृति का भी समागम है।"
तिब्बती जोखांग मठ का इतिहास लगभग 1350 साल पुराना है। यह ल्हासा के सबसे प्राचीन मठों में से एक है। जोखांग मठ और पोताला महल दोनों एक साथ ही विश्व विरासत धरोहर की सूची में शामिल हुए थे। इस महल में सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व वाली चीजें देखने को मिलता है।