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तिब्बत में निजी अर्थव्यवस्था का विकास
2014-01-10 09:36:19

वर्ष 1979 में चीन में सुधार और खुले द्वार की नीति लागू करने के बाद से अब तक तिब्बत में बाज़ार अर्थव्यवस्था का लगातार विकास हो रहा है। वर्तमान में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में तिब्बती जाति के व्यापारी व्यापारिक गतिविधियों में सक्रिय है, वो अपने परीश्रम और बुद्धिमत्ता से अपने जीवन की स्थिति बदलने के साथ साथ समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

दो वर्ष पूर्व तिब्बती युवा त्सेरन चाशी ने"कलाविन्का (kalavinka) संस्कृति प्रसारण कंपनी"की स्थापना की। कलाविन्का बौद्ध धर्म में एक पवित्र पक्षी का नाम है, जिसकी आवाज़ दूसरे पक्षियों से कहीं अधिक सुरीली है। अपनी कंपनी का परिचय देते हुए तिब्बती युवा त्सेरन चाशी ने कहा:

"वर्ष 2011 के अक्तुबर में मैंने इस कंपनी की स्थापना की। इसी दौरान बहुत ज्यादा कठिनाइयां सामने आईं। उदाहरण के तौर पर लाइसेंस की प्राप्ति, कम अनुभव, खराब रिकॉर्डिंग मशीन इत्यादि। मुश्किलें छोटी होने के बावजूद संख्या अधिक थी।"

लेकिन कुछ वर्षों के प्रयास के चलते त्सेरन चाशी ने छोटी कठिनाईयों को दूर कर अपनी कंपनी का अच्छी तरह प्रचालन कर रहे हैं। अब उनकी कंपनी में कई गायक गायिकाएं हैं।《जादुई तिब्बत》गीत गाने से ये सभी गायक गायिकाएं पूरे तिब्बत में मशहूर हो रहे हैं, इन्ही में त्सेरन सांगचू कलाविन्का कंपनी के एक गायक है। कंपनी की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा:"कलाविन्का कंपनी की स्थापना से लेकर अब तक हम यहां कार्यरत हैं और भविष्य में यहां से दूसरे स्थल नहीं जाएंगे। क्योंकि इस कंपनी की स्थापना मेरे सबसे अच्छे भाई चाशी ने खुद तैयार की है। यह कंपनी बहुत अच्छी है, अब कंपनी का विकास अच्छी तरह हो रहा है। आशा है कि हमारी कंपनी पवित्र पक्षी कलाविन्का की ही तरह ऊंचे से ऊंचा आकाश में उड़ सकेगी।"

वर्तमान में कलाविन्का कंपनी के पास कई युवा तिब्बती गायक और गायिकाएं हैं, जो तिब्बत की राजधानी ल्हासा के युवाओं में अधिक प्रसिद्ध हैं। गत वर्ष श्वेतुन त्योहार, जो तिब्बती लोगों के लिए सबसे शानदार त्योहार माना जाता है, के दौरान इस कंपनी द्वारा प्रसारित वाहन-प्रयोग संगीत सीडी बेची गई, एक ही सीडी का दाम 50 युआन था, जो किसी दूसरी सीडी की तुलना में थोड़ी ज्यादा है। लेकिन 5 हज़ार सीडी को श्वेतुन त्योहार के दौरान सबसे अधिक बेचा गया, जिससे कलाविन्का कंपनी के युवा गायकों और गायिकाओं की लोकप्रियता के बारे में पता चलता है। त्सेरन चाशी अपनी कंपनी का और विकास चाहते हैं। कंपनी के भविष्य की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा:"मुझे आशा है कि कलाविन्का कंपनी का ज्यादा विकास होगा। हम देश के भीतरी इलाके में दूसरे संगीत कंपनी से सीखेंगे, ताकि हमारी कंपनी के पास अधिक से अधिक पेशेवर और बेहतरीन गायक गायिकाएं आएं और कंपनी पवित्र पक्षी कलाविन्का की तरह उड़ सके।"

वर्तमान तिब्बत में त्सेरन चाशी की तरह ज्यादा से ज्यादा युवा लोग परम्परागत विचारधारा को बदलकर अपने आप पर निर्भर रहकर काम कर अपनी क्षमता दिखाते हैं। वे वस्त्रों की दुकान खोलने, मोटर वाहन, सौंदर्य प्रसाधन केंद्र स्थापित करने और सृजनात्मक डिज़ाइन कंपनी की स्थापना करने जैसे कार्य करने में सक्रिय हैं।

पिछले कुछ वर्षों में चीनी लोगों का जीवन स्तर उन्नत हुआ है, इसके साथ ही देश भर में मार्ग यातायात की स्थिति दिन प्रति दिन संपूर्ण हो रही है। वाहनों का प्रयोग करना चीनी नागरिकों के लिए आम बात है। इस तरह देश भर में ड्राइविंग स्कूल का व्यापार गर्मा रहा है। तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में भी स्थिति ऐसी ही है। राजधानी ल्हासा में"चोमा ड्राइविंग स्कूल"उन स्कूलों में से एक है। इस स्कूल का नाम यहां ड्राइविंग सीखने आए विद्यार्थियों द्वारा स्कूल प्रधान चोमा के नाम पर रखा गया है। तिब्बती भाषा में चोमा का अर्थ देवी है, तिब्बती स्त्री को आमतौर पर इस प्रकार का नाम दिया जाता है। चोमा स्कूल का वास्तविक नाम"य्वीछाई ड्राइविंग स्कूल"है, जिसका मतलत है सुयोग्य ड्राइवरों का प्रशिक्षण करने वाला स्कूल। विद्यार्थी आम तौर पर स्नेहपूर्ण रूप से इसे"चोमा ड्राइविंग स्कूल"कहते हैं।

इस स्कूल की प्रधान चोमा एक सीधी सादी और सौहार्दपूर्ण व्यक्ति हैं, जो तिब्बती और हान जाति के मिश्रित परिवार से हैं। चोमा ने कहा कि बचपन में घर की स्थिति अच्छी नहीं थी, फिर भी परिवार के पांचों लोग एक साथ सुखमय जीवन बिताते थे। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि 13 वर्ष की आयु में मां का निधन हो गया और पिता जी भी बीमार हुए। दो छोटे भाई स्कूल में पढ़ते थे। इस तरह लड़की चोमा परिवार का बोझ और जिम्मेदार उठाने लगी। इसी दौरान उसने कपड़े सिलने का काम किया, भवन निर्माण स्थल में भी काम किया, सेवा का काम किया और दुकानदार भी बनाई। उन्होंने दो बार अपना घर बसाया लेकिन वो बाकी स्त्रियों की तरह सौभाग्यशाली नहीं रहीं। इसी दौरान उनकी बेटी की भी मृत्यु हो गई। चोमा ने इन मुश्किलों को दूर कर जीत हासिल की। जीवन में इतने जटिल अनुभवों से वे फिर भी एक बहुत मज़बूत और भली व्यक्ति बनीं।

चोमा ने कहा कि ड्राइविंग स्कूल खोलना उनका पुराना स्वप्न है। अपने स्कूल की चर्चा करते हुए उन्होंने गर्व से कहा:"हमारे ड्राइविंग स्कूल में 85 प्रतिशत से अधिक विद्यार्थी स्थानीय किसान और चरवाहे हैं। उनमें 50 प्रतिशत लोग निरक्षर हैं। इस तरह दूसरे ड्राइविंग स्कूल से यहां पर फ़र्क ये है कि हमारे स्कूल में विद्यार्थी रोज़ तिब्बती भाषा की कक्षा लेते हैं। जो विद्यार्थी निरक्षर हैं, उन्हें रिकॉर्डिंग के अनुसार संबंधित जानकारी बताई जाती है। हमारे स्कूल में शत प्रतिशत तिब्बती भाषा का प्रयोग किया जाता है।"

आज स्कूल प्रधान चोमा को सफल व्यक्ति माना गया है। लेकिन वे हमेशा दूसरे लोगों पर ध्यान देती हैं और उनका समर्थन भी करती हैं। उन्होंने कहा कि उनकी बेटी की मृत्यु यूरीमिया रोग से हुई थी, इस तरह चोमा इस रोग से पीड़ित रोगियों का ज्यादा ख्याल रखती हैं।

एक बार, स्कूल प्रधान चोमा को मालूल हुआ कि यूरीमिया रोग से पीड़ित एक युवक को दूसरों की सहायता चाहिए। इसी खबर पाने के तुरंत बाद चोमा बहुत ज्यादा नकद लेते हुए इस युवा के अस्पताल में आईं। रोगी की गंभीर स्थिति देखकर उन्हें बहुत दुख हुआ और उन्हें अपनी बेटी की याद आ गई जिससे वो बहुत रोईं। चोमा की बेटी ने 18 वर्ष की उम्र में दुनिया से विदा ली। मां का दुख कितना बड़ा होता है ?पिछले कुछ वर्षों में चोमा अपनी समान स्थिति वाले परिवारों की सहायता करती हैं। पैसे देने के अलावा वे विभिन्न क्षेत्रों में रोगियों के परिवारों का समर्थन भी करती हैं। हालांकि चोमा की कोशिशों से यूरीमिया से पीड़ित कई रोगी ठीक नहीं हो पाए, लेकिन उनकी सहायता से गरीब परिवारों की वास्तविक मुश्किलों को दूर किया गया।

दयालु स्कूल प्रधान चोमा का विद्यार्थी बहुत सम्मान करते हैं। एक बार, स्कूल में एक शौचालय की स्थापना की जाएगी, कई विद्यार्थी ये खबर पाने के बाद चोमा के सामने आए, जिन्हें उनकी सहायता से लाभ मिला था। उन्होंने चोमा से शौचालय का निर्माण कार्य स्वयं करने की मांग की। इन विद्यार्थियों का कहना है:"हमने स्कूल प्रधान चोमा से इस शौचालय का निर्माण कार्य मांग लिया है। क्योंकि दूसरे क्षेत्र में हम प्रधान चोमा के लिए कुछ नहीं कर पाते। वह हमारी मदद करती हैं और हम उनके प्रति आभारी हैं।"

तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हासा में एक निजी अस्पताल है, जिसका नाम चोमा अस्पताल है। स्कूल की निदेशक का नाम भी चोमा है। पारिवारिक अस्पताल की विचारधारा के आधार पर निर्मित इस अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर और नर्स बहुत मेहनत और लगन से काम करते हैं।

अस्पताल में प्रवेश करने के तुरंत बाद लोगों के सामने एक छोटे आकार वाला पार्क नज़र आया, जिसमें डॉक्टर और रोगी मित्रवत रूप से बैठे चाय पीते हुए बातचीत करते हैं। लगता है कि वे लम्बे समय के दोस्त हैं। इस अस्पताल में कार्यरत एक डॉक्टर ने हमारे संवाददाता से कहा कि निदेशक चोमा गरीब तिब्बती किसानों और चरवाहों पर विशेष ध्यान देती हैं। उनके इलाज के खर्च को बहुत हद तक कम किया जाता है। इस प्रकार के मामले ज्यादा है, परिणामस्वरूप अस्पताल प्रधान चोमा को आर्थिक क्षति पहुंचाती है। लेकिन इस काम के लिये उन्हें कभी पछतावा नहीं हुआ। वे कभी कभार बल देते हुए कहती हैं कि अस्पताल रोगियों की सहायता और उनका समर्थन करने वाला स्थल है। अगर मात्र पैसे कमाता है और रोगियों का इलाज नहीं करता, तो हम क्यों अस्पताल खोलते हैं ?क्यों डॉक्टर बनते हैं ?चोमा अस्पताल के निदेशक चोमा ने कहा:

"मैं गरीब परिवार से हूँ। बचपन में एक डॉक्टर बनना मेरा सपना था। मेरा विचार है कि मैं डॉक्टर बनने के बाद दूसरे लोगों की सहायता कर सकती हूं और रोगियों का इलाज भी कर सकती हूं। मेडिकल स्कूल से स्नातक होने के बाद मैं एक डॉक्टर बन गई। मुझे आशा है कि मैं एक बहुत श्रेष्ठ डॉक्टर बन सकूंगी, ताकि ज्यादा से ज्यादा जान बच सकूं।"

अपने स्वप्न को बखूबी अंजाम देने के लिए डॉक्टर चोमा कदम ब कदम प्रयास करती हैं। देश में सुधार और खुले द्वार की नीति लागू की जाने के सुअवसर पर उन्होंने अपने अस्पताल की स्थापनी की।

डॉक्टर चोमा ने बताया कि अस्पताल खोलने के दौरान अस्पताल के पास पर्याप्त धनराशि नहीं थी। उस समय भवन निर्माण स्थल से एक मज़दूर को अस्पताल लाया गया, ऊंचाई से गिरने के कारण उसकी कमर की हड्डी टूट चुकी थी। यह मज़दूर भीतरी इलाके के दूसरी जगह से अभी-अभी तिब्बत आया था। उसने संबंधित श्रम अनुबंध पर भी हस्तक्षर नहीं किया था और उसके पास कोई पैसे भी नहीं थे। हमारे सामने समस्या गंभीर थी, अस्पताल में उसे भर्ती करवाए जाने के बाद निर्देशक चोमा ने इस मज़दूर के सारे खर्च खुद उठाने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि रोगियों का इलाज करना और लोगों की जान बचाना अस्पताल का सामाजिक उत्तरदायित्व है। इस रोगी के सारे खर्च माफ़ किए जाने के साथ-साथ इलाज किए जाने के बाद अस्पताल से रवाना होने के वक्त डॉक्टर चोमा ने चंदे से इकट्ठे किये गए कुछ युआन भी उसे दिये।

इस मज़दूर की तरह बहुत से रोगियों को अस्पताल की निदेशक डॉक्टर चोमा की सहायता से लाभ पहुंचा है। तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के नाछ्यु प्रिफेक्चर की निमा कांउटी के एक वृद्ध ने हमारे संवाददाता से कहा:"पहले मेरे सारे शरीर के विभिन्न अंगों में किसी न किसी प्रकार की बीमारी थी और मैं कई बार अस्पताल जाता था। कुछ अस्पतालों में उपचार का कोई असर नहीं होता था और कुछ अस्पतालों में इलाज का खर्च बहुत ज्यादा था। लेकिन चोमा अस्पताल उन अस्पतालों से बहुत अलग है, यहां डॉक्टरों का चिकित्सीय स्तर ऊंचा है। इसके साथ ही इलाज किए जाने का खर्च भी हमारे लिए बोझ नहीं है। अस्पताल की निदेशक डॉक्टर चोमा को मालूम हुआ कि मेरी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है, तो उन्होंने मेरे लिए इलाज का अधिकतर खर्च कम कर दिया। यहां तक कि वे कभी कभार अपनी कमाई से हमारी मदद करती हैं। डॉक्टर चोमा के प्रति हमारा आभार अपार है।"

डॉक्टर चोमा और उनका अस्पताल धीरे-धीरे तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के चिकित्सीय जगत में मशहूर होने लगा। स्वायत्त प्रदेश के कई'ए'स्तरीय अस्पतालों से सेवानिवृत्ति वाले श्रेष्ठ डॉक्टर और नर्स चोमा के अस्पताल आए। इसके साथ ही विश्वविद्यालय से स्नातक हुए अधिक से अधिक विद्यार्थी भी नौकरी पाने के लिए चोमा अस्पताल आए। वर्तमान में चोमा अस्पताल में 146 चिकित्सीय कर्मी हैं, जिनमें 20 से अधिक कर्मचारियों को अधिक श्रेष्ठ चिकित्सीय तकनीक सिखाने के लिए भीतरी इलाके के विकसित शहरों के अस्पतालों में प्रशिक्षण लेने भेजा गया है।

वर्ष 1951 में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की शांतिपूर्ण मुक्ति के बाद से लेकर अब तक पिछले साठ से अधिक वर्षों में, विशेष कर वर्ष 1979 में चीन में सुधार और खुले द्वार की नीति लागू किये जाने के बाद से लेकर अब तक तिब्बत का आर्थिक विकास तेज़ी से किया जा रहा है। तिब्बत के विभिन्न क्षेत्रों में बेशुमार श्रेष्ठ और सुयोग्य उद्यमी सामने आए हैं। विशेष कर तिब्बती उद्यमियों ने अपने जन्मस्थान के विकास के लिए शानदार योगदान दिया है।

हाल के वर्षों में चीन की केंद्रीय सरकार ने तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के आर्थिक विकास के लिए अधिक उदार नीतियां अपनाईं, इसके साथ ही तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में निजी अर्थव्यवस्था के विकास को भी प्रोत्साहन मिला है। निजी कारोबारियों के लिए कर वसूलने और संबंधित कार्यसूचि को सरल बनाने जैसे क्षेत्रों में अनुकूल स्थिति तैयार हुई है, जिससे निजी अर्थव्यवस्था के विकास को भारी समर्थन मिला है। अब तिब्बत ने एक नए और प्रकाशमय काल में प्रवेश किया है। हमें विश्वास है कि इस नए काल में तिब्बती जनता का जीवन और बेहतर होगा और तिब्बत का भविष्य और उज्ज्वल होगा।

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