वर्ष 2004 के वसंत में छिंगहाई प्रांत के पूर्वी भाग में फिंगआन कांउटी के पाचांगगो जिले स्थित क्वोअर गांव में"आई साइमाई"नाम की एक जातीय नृत्य गान मंडली की स्थापना हुई, जिस में सभी सदस्य विभिन्न जातियों के ग्रामीण युवा हैं। अपनी स्थापना के बाद से आज तक इस नृत्य गान मंडली ने देश भर के विभिन्न छोटे बड़े शहरों का दौरा किया और लोगों को तिब्बती संस्कृति से परिचित करवाया। इस मंडली द्वारा प्रस्तुत अभिनय के विषय आम तौर पर तिब्बती, हान, मंगोल और थू जातियों के नाचगाने होते हैं, जिसे भीतरी इलाके के दर्शकों की उत्साहपूर्ण प्रशंसा मिली। छिंगहाई तिब्बती
पठार के पहाड़ी क्षेत्रों से आई इस नृत्य गान मंडली ने देश भर के 520 शहरों में 2400 से अधिक प्रदर्शन किया है, साथ ही 1200 से अधिक किसानों और चरवाहों को अभिनेता और अभिनेत्री के रुप में प्रशिक्षित किया, इनमें से 7 सौ से ज्यादा लोग दूसरे स्थल जाकर पेशेवर अभिनय का काम कर रहे हैं।
आई साइमाई जातीय नृत्य गान मंडली के अध्यक्ष वांग श्वानदे हैं, जो लम्बे समय से सांस्कृतिक प्रसारण कार्यों में संलग्न हैं। अपनी नृत्य गान मंडली के विकास की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा:
"वर्ष 2004 की वसंत में छिंगहाई प्रांत ने केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तुत'कृषि, गांव और किसान'कार्य को मज़बूत करने वाले दस्तावेज़ों के आधार पर स्थानीय किसानों और चरवाहों की आय बढ़ाने का रास्ता ढूंढ़ा। हमारी फिनआन कांउटी ने नृत्य गान मंडली की स्थापना की। आई साइमाई का मतलब'देवी'होता है। हमारे तिब्बती चरवाहे गाने और नाचने में निपुण हैं। लेकिन बाकी समय में वे खेती का काम और पुश पालन करते हैं। उन्हें गाने और नाचने का प्रशिक्षण किसी ने नहीं दिया है। लेकिन प्रशिक्षित किए जाने के बाद वे बहुत अच्छी प्रस्तुति कर सकते हैं। पहले चरण के किसानों और चरवाहे के प्रशिक्षण के बाद हम 60 किसानों और चरवाहों को कांउटी से प्रांत की राजधानी शिनिंग शहर ले गए। उस समय नृत्य गान मंडली के सदस्यों ने शिनिंग शहर के केंद्र मैदान और नानशान पार्क जैसे स्थलों में अपने अभिनय का प्रदर्शन किया, जिसे दर्शकों की ढेर सारी प्रशंसा मिली। इस प्रकार की प्रस्तुति से किसानों और चरवाहों का उत्साह बढ़ा और वे अब पेइचिंग, क्वांगचो जैसे बड़े शहरों में जाकर अभिनय करना चहते हैं। इस तरह प्रशिक्षण और अभिनय करते समय वे बहुत सक्रिय रहते हैं।"
अपनी स्थापना से लेकर अब तक नौ वर्ष बित चुके हैं। एक तिब्बती पहाड़ी गांव में स्थापित किसानों और चरवाहों से गठित इस जातीय नृत्य गान मंडली ने विभिन्न क्षेत्रों के समर्थन से लगातार विकास किया है। अब मंडली के सदस्य क्वोअर गांव के अलावा, छिंगहाई प्रांत के हाईतोंग प्रिफैक्चर की विभिन्न कांउटी, ह्वांगचोंग कांउटी, यूशु शहर, हाईनान तिब्बती स्वायत्त प्रिफैक्चर और ह्वांगनान तिब्बती प्रिफैक्चर के विभिन्न स्थलों से आते हैं। देश भर के विभिन्न स्थलों में अभिनय करने के दौरान आई साइमाई जातीय नृत्य गान मंडली के सभी सदस्य अपने आप को छिंगहाई प्रांत की संस्कृतिक का प्रसार करने वाला दूत मानते हैं, जिससे पूरे देश में छिंगहाई प्रांत का असर बढ़ गया है। समय के साथ ये मंडली"पठारीय संस्कृति का प्रसार, सुन्दर छिंगहाई की चाह"के नाम से मशहूर हो गई है।
आई साइमाई जातीय नृत्य गान मंडली की प्रस्तुति इतनी अच्छी है कि अभिनय का आनंद लेने के बाद दर्शक ये सोचने पर मज़बूत हो गए कि क्या वाकई ये किसान और चरवाहे हैं या फिर प्रशिक्षित अभिनेता?वे अपने अभिनय से उत्तर-पश्चिमी चीन में रहने वाले निवासियों की भावना, छिंगहाई प्रांत की सुन्दरता और महानता दिखाते हैं।
तिब्बती युवा डोर्चे छेख्वा आई साइमाई जातीय नृत्य गान मंडली के सदस्य हैं, वो बहुत आकर्षक और मेहनती हैं। इस मंडली में शामिल होने के बाद दो वर्षों के भीतर ही वह एक किसान से मंडली के प्रमुख अभिनेता बन गए।बाद में वह मंडली से रवाना होकर छिंगहाई प्रांत की राजधानी शिनिंग शहर के एक तिब्बती बार में अभिनय करने लगे हैं। उसके साथ मंडली के अन्य तीन प्रमुख सदस्य भी चले गए। गांव में खेती का काम करने वाले एक किसान से शहर में एक सांस्कृतिक अभिनय करने वाले अभिनेता तक, तिब्बती युवा डोर्चे छेख्वा ने अपने जीवन में ऐसे परिवर्तन के बारे में कभी नहीं सोचा था। पिछले 9 वर्षों में तिब्बती युवा डोर्चे छेख्वा की तरह आई साइमाई जातीय नृत्य गान मंडली में कई लोगों ने सफलता के बाद अपने जीवन में ऐसा परिवर्तन किया है। वे अपनी प्रस्तुतियों के माध्यम से पैसे कमाते हैं। तिब्बती बार में हमारे संवाददाता की भेंट डोर्चे छेख्वा से हुई, जिन्होंने अभी-अभी अपने साथी छाईरांग च्यानत्सो के साथ अभिनय किया है। किसान से अभिनेता तक के अपने परिवर्तन की चर्चा करते हुए तिब्बती युवा डोर्चे छेख्वा ने कहा: "मेरा जन्म स्थान हूचू पर्वत के उत्तरी भाग में स्थित है, पहले मैं गायों और बकरों का पालन करता था। बचपन से ही मुझे गीत गाना बहुत पसंद है। और बाद में सौभाग्य से मैं इस नृत्य गान मंडली का हिस्सा बना। मैं मुख्य तौर पर जातीय गीत गाता हूँ। हम युन्नान प्रांत, तिब्बत स्वायत्त प्रदेश और क्वेचो प्रांत जैसे स्थलों पर गए। हमारे अभिनय के प्रशंसकों की संख्या बहुत अधिक है, प्रस्तुति का वातावरण बहुत अच्छा है और हम इस से बहुत खुश हैं।"
पहाड़ी क्षेत्र से बाहर आने वाले तिब्बती युवा डोर्चे छेख्वा का अपना स्वप्न है। तिब्बती जातीय गीत गाने से उनके प्रशंसकों की संख्या में बहुत वृद्धि हुई है और इस कारण ये विख्यात हुए हैं, जिस पर उन्हें बहुत गर्व है।
तिब्बती युवा छाईरांग च्यानत्सो डोर्चे छेख्वा के साथ अभिनय करते हैं। आई साइमाई जातीय मंडली में तीन वर्षों तक उन्होंने गाने की पेशेवर तकनीक सीखी और अभिनय के लिए पेइचिंग, शीआन और शांगहाई जैसे शहरों में अपनी कला का प्रदर्शन किया। अपनी जातीय संस्कृति का प्रचार प्रसार करते समय छाईरांग च्यानत्सो को बहुत गर्व होता है। उसने कहा:"हमारे तिब्बती लोगों को जन्म के बाद अगर बोलना आता है, तो गाना गा सकते हैं। पैदल चलना आता है, तो वो नाच सकते हैं। तिब्बती बहुल क्षेत्रों के अलावा, दूसरे स्थलों में तिब्बतियों की संख्या कम है, और उनके पास तिब्बती संस्कृति के बारे में जानकारी भी ज्यादा नहीं है। इस तरह हमारे तिब्बती गायकों के गीतों को सुनने के बाद उन्हें बहुत आनंद मिलता है। हमारी नृत्य गान मंडली से मैंने बहुत कुछ सीखा है, मेरे लिए इस मंडली में बिताए गए चार वर्ष सबसे सुनहरे थे। मैं मंडली के अध्यक्ष वांग श्वानदे और दूसरे भाई-बहनों के समर्थन का आबारी हूँ।"
आई साइमाई जातीय नृत्य गान मंडली के अध्यक्ष वांग श्वानदे की उम्ह करीब 60 वर्ष हैं। वे मंडली के युवा अभिनेता और अभिनेत्रियों का नेतृत्व कर जगह-जगह सांस्कृतिक जातीय अभिनय करते हैं। मंडली की स्थापना के शुरुआती दिनों में स्थिति गंभीर थी, लेकिन 9 वर्षों के विकास के बाद अब हालात में सुधार हुआ है। उन्होंने मुश्किलें दूर कर मंडली का नेतृत्व कर सफलता प्राप्त की है। अध्यक्ष वांग श्वानदे का बेटा वांग योंगछांग ने पिता जी और मंडली के कठिन समय की याद करते हुए कहा:"मुझे याद है कि नृत्य गान मंडली की पहली बार की प्रस्तुति हमारी कांउटी से उत्तर पश्चिमी चीन के कानसू प्रांत की राजधानी लानचो में पेश की गई थी। उस समय स्थिति काफ़ी कठिन थी, मंडली के सदस्यों के लिए वहां जाने का यातायात खर्च भी पर्याप्त नहीं था। एक बार पेइचिंग में अभिनय करने के दौरान मैं वहां भी गया था और पिताजी तहखाने में रहते थे, इससे वो बीमार पड़ गए और वो दवाइयां से रहे थे। ऐसी स्थिति देखकर मुझे बहुत दुख हुआ था।"
वांग योंगछांग ने कहा कि इस जातीय मंडली में पिता जी और सदस्यों के बीच संबंध बहुत अच्छे हैं। पिताजी युवा अभिनेता और अभिनेत्रियों की सहायता करते हैं और मंडली के सदस्य पिता जी का बहुत आदर करते हैं। उन्होंने कहा:"अगर मेरे पिताजी बीमार हुए, तो मंडली के ये बच्चे पिताजी की देखभाल के लिए तत्पर थे। गांव से आए इन बच्चों के पास ज्यादा पैसे भी नहीं थे, वे टमाटर और किचन जैसी वस्तुएं लेकर पिताजी को देखने घर आते थे। पिताजी का स्थानीय लोग सम्मान करते हैं। कभी-कभी वे पांचांगगो जिले जाते हैं, स्थानीय गांववासी खुशी के साथ उनका हाथ पकड़ते हुए बातचीत करते हैं। बाद में मैंने पिताजी के इस कार्य को समझा। वे बहुत अच्छा काम करते हैं, उन्होंने दूसरों के लिए बलिदान दिया। इसलिए उन्हें बहुत सम्मान मिला और ये बहुत अच्छी बात है।"
"जीवन भर एक ही काम अच्छी तरह करना पर्याप्त है।"यह आई साइमाई जातीय नृत्य गान मंडली के अध्यक्ष वांग श्वानदे की बात है। उन्होंने कहा कि इस मंडली के सदस्यों के साथ मिलकर उन्होंने छिंगहाई प्रांत का परिचय दिया है, मंडली में भाग लेकर पहाड़ी क्षेत्र के गांवों से आए इन तिब्बती किसानों और चरवाहों के बच्चों की दृष्टि में विस्तार हुआ है। उन्होंने अपनी सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से पैसे कमाए और जीवन स्तर को उन्नत किया। ऐसा करना उन्हें अच्छा लगता है। वांग श्वानदे ने कहा:"मुझे लगता है कि महान कार्य करना आसान नहीं है और बेरोकटोक भी नहीं होता। हमें इसकी कीमत चुकानी पड़ती है। हमारी मंडली को समाज की मान्यता प्राप्त हुई है, इन बच्चों ने जगह-जगह जाकर अभिनय के दौरान मातृभूमि के विकास को महसूस किया है। उन्हें शिक्षा मिली और उनकी गुणवत्ता में भी बढ़ोतरी हुई। हमारी मंडली की प्रस्तुतियों से छिंगहाई प्रांत का प्रसार प्रचार किया गया और अधिक से अधिक लोग हमारे प्रांत की यात्रा करने आते हैं। मुझे इस प्रकार का कार्य करना बहुत अच्छा लगता है। जिन्दगी भर ऐसा करते रहने से मैं संतुष्ट हूँ।"