चीनी तिब्बती विद्या अनुसंधान केंद्र के तत्वावधान द्वारा आयोजित पहला ह्वांगसी मठ मंच हाल ही में पेइचिंग के ह्वांगसी मठ में आयोजित हुआ, इसमें उपस्थित विशेषज्ञों, विद्वानों और धार्मिक क्षेत्र के व्यक्तियों ने"सम्राट् छ्यानलोंग और छठे पंचन लामा"शीर्षक वाली अकादमिक संगोष्ठी आयोजित की। विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रकार की संगोष्ठी के आयोजन से पेइचिंग समेत विभिन्न स्थलों में तिब्बत से संबंधित सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण और प्रबंधन के लिए लाभदायक हैं, साथ ही देश के एकीकरण और जातीय एकता के लिए भी इसका बहुत बड़ा महत्व है।
पहले ह्वांगसी मठ मंच में भाग ले रहे इतिहास, जातीय शास्त्र और तिब्बती विद्या से जुड़े चीनी विद्वानों ने 30 से अधिक शोधपत्र प्रस्तुत किए और सम्राट छ्यानलोंग और छठे पंचन लामा शीर्षक वाले विषय को लेकर अकादमिक संगोष्ठी आयोजित की।
गौरतलब है कि छिंग राजवंश के सम्राट खांगशी के शासन काल में (सन् 1661—1722) में सम्राट खांगशी ने पांचवें पंचन लामा नियुक्त किया। छठे पंचन लामा लोसांग पेइतान ईशी तिब्बत से राजधानी पेइचिंग आने वाले पहले पंचन लामा थे। सन् 1780 में छिंग राजवंश के छ्यानलोंग शासन काल में ब्रिटेन ने कई बार तिब्बत के मामलों में हस्तक्षेप करने की कोशिश की। छठे पंचन लामा तिब्बत से हज़ारों किलोमीटर दूर से यात्रा कर राजधानी पेइचिंग आए और उन्होंने तत्कालीन सम्राट छ्यानलोंग से भेंट की। उनके स्वागत के लिए सम्राट छ्यानलोंग ने उन्हें ह्वांगसी मठ में रहने और साथ ही हेपेई प्रांत के छङदेह शहर और पेइचिंग के शांगशान पर्वत समेत दो स्थलों में उनके लिए मठ स्थापित करने का आदेश दिया।
पेइचिंग में प्रवास दौरान छठे पंचन लामा ने क्रमशः युआनमिंगयुआन प्रासाद (महल), योंगहो प्रासाद (महल) और श्यांगशान पर्वत स्थित चाओम्याओ मठ जैसे बौद्धिक मठों में सूत्र पढ़ाया और अनुयायिओं को आशीर्वाद दिया। इसी दौरान इन स्थलों में मूल्यवान तिब्बत से संबंधित सांस्कृतिक वास्तु निर्माण निर्मित किए गए हैं। संगोष्ठी में उपस्थित विद्वानों और विशेषज्ञों ने इसी संदर्भ में बेशुमार अनुसंधान किया। श्यांगशान पर्वत स्थित च्याओम्याओ मठ में छठे पंचन लामा रह गए थे। अब यह मठ श्यांगशान पार्क का एक हिस्सा बन गया है। पार्क की प्रधान चांग यूली ने संगोष्ठी में परिचय देते हुए कहा कि वर्ष 2008 में च्याओम्याओ मठ के अवेशष की संरक्षण परियोजना शुरू हुई थी, लेकिन इस मठ के इतिहास, धार्मिक और सांस्कृतिक अनुसंधान करना अधिक महत्वपूर्ण है। उनका कहना है:
"अब तक श्यांगशान च्याओम्याओ की मरम्मत योजना शुरू हुई, संबंधित पूंजी लगाई गई है। लेकिन मेरा विचार है कि इस मठ को धार्मिक क्षेत्र में तत्कालीन राजनीति, अर्थतंत्र और संस्कृति वाली पृष्ठभूमि में शामिल कर अनुसंधान करना अधिक महत्वपूर्ण है, इससे व्यापक पर्यटकों को विस्तृत और सही पर्यटन मार्गदर्शन मिल सकेगा और च्याओम्याओ मठ के विकास के लिए अथक प्रेरणा शक्ति मिलेगी।"
संगोष्ठी में उपस्थित विभिन्न विशेषज्ञों का कहना है कि छठे पंचन लामा के पेइचिंग में आकर सम्राट छ्यानलोंग से मिलने से बड़े स्तर पर तिब्बती भिक्षुओं और नागरिकों के राष्ट्रीय एकीकरण और जातीय एकता को आगे बढ़ाने का संकल्प व्यक्त हुआ है। चीनी तिब्बती विद्या अनुसंधान केंद्र के महा-निदेशक ल्हाग्पा पुन्त्सोग्स ने कहा:
"छठे पंचन लामा के सम्राट से मिलने से तत्कालीन छिंग राजवंश में केंद्रीय सरकार के नेतृत्व स्थान और प्रतिष्ठा का पता चलता है, साथ ही केंद्र सरकार और तिब्बत की स्थानीय सरकार के बीच राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में संपर्क मज़बूत हुआ है। इस भेंट से चीनी राष्ट्र के बड़े जातीय परिवार में विशेष कर हान, तिब्बती, मान और मंगोल जैसी जातियों के बीच एकता मज़बूज हुई है।"