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तिब्बती चिकित्सा और औषधि संस्कृति का संरक्षण किया जाए
2013-10-16 16:30:31

पश्चिमी चीन के छिंगहाई तिब्बत पठार में तिब्बती जाति ने प्राचीन और रंगबिरंगी संस्कृति और सभ्यता रची। तिब्बती चिकित्सा और औषधि तिब्बती संस्कृति का महत्वपूर्ण भाग है।

लम्बे समय में तिब्बती जाति ने अपने स्थानीय चिकित्सा शास्त्र के आधार पर प्राचीन भारत के चिकित्सा शास्त्र, परम्परागत पश्चिमी चिकित्सा शास्त्र और परम्परागत चीनी हान जातीय चिकित्सा शास्त्र की विशेषताओं को शामिल कर अपनी विशेष तिब्बती चिकित्सा और औषधि संस्कृति विकसित की है, इस संस्कृति का इतिहास 4 हज़ार वर्ष पुराना है।

लेकिन प्राचीन ग्रंथ और लिखित सामग्रियां लुप्त होने के कारण वर्तमान में तिब्बती चिकित्सा और औषधि शास्त्र को कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। प्राचीन ग्रंथों के संरक्षण के लिए छिंगहाई प्रांत के तिब्बती चिकित्सा और औषधि अनुंसधान केंद्र ने《तिब्बती चिकित्सा और औषधि कोष》प्रकाशित किया गया, जिसे आज तक चीन में तिब्बती चिकित्सा और औषधि के संदर्भ में सबसे बड़े पैमाने वाला ज्ञान कोष माना जाता है। इस कोष का प्रकाशन वर्ष 2012 के दिसम्बर में हुआ, जिसके विषयों में तिब्बती चिकित्सा और औषधि शास्त्र, संबंधित दलील और वास्तविक उपचार के अनुभव सभी कुछ शामिल हैं। 《तिब्बती चिकित्सा और औषधि कोष》के संग्रहण और प्रकाशन कार्य में भाग लेने वाले जिम्मेदार व्यक्ति छिंगहाई प्रांत के तिब्बती चिकित्सा अस्पताल के उप-प्रधान आंगछिंग छाईतान ने जानकारी देते हुए कहा:

"ईस्वी बाद 8वीं शताब्दी में तिब्बती चिकित्सा और औषधि विश्व भर में एक परिपक्व चिकित्सीय प्रणाली बन चुकी थी। बाद में विभिन्न कारणों से इसका विकास कमज़ोर हुआ। लेकिन आज हम इसे विरासत में लेते हुए विकास कर रहे हैं। इसी दौरान तिब्बती चिकित्सा और औषधि से जुड़े प्राचीन ग्रंथों और लीखित सामग्रियों की खोज प्रमुख कार्य हुए।"

बताया जाता है कि《तिब्बती चिकित्सा और औषधि कोष》के विषयों की खोज और संग्रहण से प्रकाशन तक 20 से अधिक वर्षों का समय लगा। करीब एक हज़ार विशेषज्ञों और विद्वानों ने इस महान और कठोर कार्य में भाग लिया। इस कोष की संपादन और प्रकाशन समिति ने क्रमशः तिब्बत स्वायत्त प्रदेश, छिंगहाई, कानसू और स्छ्वान प्रांतों और ब्रिटेन, इटली, भारत, भूटान और नेपाल समेत दस से अधिक देशों का दौरा किया। कठिनाईयों से पार पाते हुए तिब्बती चिकित्सा और औषधि से जुड़ी 1150 से अधिक प्राचीन ग्रंथों और लीखित सामग्रियों को इक्ट्ठा किया गया। यह कोष तिब्बती चिकित्सा और औषधि शास्त्र के इताहिस में सराहनीय उपलब्धि है, जिसमें आम तौर पर तिब्बती चिकित्सा और औषधि संस्कृति पूर्ण रूप से दिखाई जाती है।

प्राचीन ग्रंथों के बचाव और संरक्षण के अलावा छिंगहाई प्रांत नागरिकों को तिब्बती चिकित्सा और औषधि से संबंधित संस्कृति के प्रसार में भी संलग्न है। राजधानी शी निंग शहर के उत्तरी भाग में स्थिति तिब्बती चिकित्सा और औषधि संस्कृति संग्रहालय इसका एक उल्लेखनीय उदाहरण है। अब ज्यादा से ज्यादा लोग इस संग्रहालय के माध्यम से तिब्बती चिकित्सा और औषधि की ज्ञान और संस्कृति प्राप्त कर लेते हैं। बताया जाता है कि वर्ष 2012 में कुल 1 लाख 30 हज़ार पर्यटकों ने इस संग्रहालय का दौरा किया। छिंगहाई तिब्बती चिकिस्ता और औषधि संस्कृति संग्रहलाय के उप-निदेशक छाई कोंगथाई ने जानकारी देते हुए कहा:

"अब बहुत ज्यादा लोगों ने हमारे संग्रहालय का दौरा करके तिब्बती संस्कृति से संबंधित जानकारी प्राप्त की है। उदाहरण के लिए हमारे संग्रहालय में रंगीन थांगखा चित्रकला हॉल में थांगखा चित्र और रीति रिवाज़ हॉल में तिब्बती रीति रिवाज़ आदि प्रदर्शित किए जाते हैं। इसे देखने के बाद लोग तिब्बती संस्कृति का ज्ञान प्राप्त करते हैं और उन्हें तिब्बती संस्कृति के प्रति आश्चर्य भी होता है। मुझे लगता है कि वर्तमान में तिब्बती संस्कृति को जानने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है, वे तिब्बती चिकित्सा के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी भी प्राप्त करते हैं। इस तरह हमारे संग्रहालय ने वैज्ञानिक प्रसारण के क्षेत्र में योगदान किया है।"

हाल के वर्षों में छिंगहाई प्रांत ने देश भर में तिब्बती चिकित्सा और औषधि शास्त्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण केन्द्र स्थापित करने की योजना बनाई है, जिससे नागरिकों की दिन प्रति दिन बढ़ रही तिब्बती चिकित्सा सेवा की मांग को पूरा किया जा सके। तिब्बती चिकित्सीय क्षेत्र में ज्यादा सुयोग्य व्यक्तियों के प्रशिक्षण के लिए छिंगहाई प्रांत के तिब्बती चिकित्सा अस्पताल और छिंगहाई विश्वविद्यालय के अधीन तिब्बती चिकित्सा कॉलेज ने सहयोग किया और विद्यार्थियों के लिए अभ्यास-केन्द्र स्थापित किया। साथ ही दोनों संस्थाएं छिंगहाई प्रांत के अधीन विभिन्न तिब्बती प्रिफेक्चरों और कांउटियों के अस्पतालों को सहायता देते हुए नियमित रूप से मार्गदर्शन भी करती हैं। इसकी चर्चा में छिंगहाई प्रांत के तिब्बती चिकित्सा अस्पताल के उप-प्रधान आंगछिंग छाईतान ने कहा:

"हमारे अस्पताल छिंगहाई विश्वविद्यालय के अधीन तिब्बती चिकित्सा कॉलेज के बीच घनिष्ठ संबंध हैं। हमारे यहां विद्यार्थियों का अभ्यास अस्पताल भी है। हम विद्यार्थियों के प्रशिक्षण पर बहुत ध्यान देते हैं। हमारा अस्पताल और छिंगहाई तिब्बती चिकित्सा कॉलेज एक साथ विद्यार्थियों को प्रशिक्षित देते हैं। वर्तमान में छिंगहाई के छह तिब्बती स्वायत्त प्रिफेक्चरों में कई तिब्बती चिकित्सा अस्पताल हैं। हम इन अस्पतालों के मार्गदर्शन के लिए कभी कभार विशेषज्ञ डॉक्टर भी भेजते हैं। यहीं नहीं, हम अक्सर नागरिकों के लिए मुफ्त स्वास्थ्य सेवा भी मुहैया कराते हैं।"

छिंगहाई प्रांत की जाईतो काउंटी के अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर सोनान नानलोंग को इस प्रकार वाली सहयोग-प्रणाली से लाभ मिला है। वह छिंगहाई तिब्बती चिकित्सा अस्पताल से औषधीय स्नान वाले इलाज की पद्धति सीख रहा है। अगले वर्ष मार्च में जाईतो कांउटी अस्पताल में औषधीय स्नान विभाग खोला जाएगा, जिससे कांउटी में रोगियों को ज्यादा सुविधा मिलेगी। सोनान नानलोंग ने कहा:

"हमारे कांउटी स्तरीय अस्पताल में औषधीय स्नान की सुविधा नहीं मिल सकती। वहां मैं इस प्रकार का इलाज-तकनीक नहीं सीख पाता, यहां आकर मैं औषधीय स्नान संबंधी ज्ञान प्राप्त कर रहा हूं।"

मित्रों, औषधीय स्नान तिब्बती चिकित्सा का श्रेष्ठ भाग ही नहीं, तिब्बती चिकित्सा में अच्छे परिणाम वाले परम्परागत इलाज तरीकों में से एक है, जो गठिया और जोड़ों में दर्द जैसी बीमारियों के इलाज में विशेष लाभ पहुंचाता है। चीन के विभिन्न स्थलों और ब्रिटेन, रूस और अमेरिका जैसे देशों के रोगी इलाज के लिए छिंगहाई आते हैं। छिंगहाई तिब्बती चिकित्सा अस्पताल के उप-प्रधान आंगछिंग छाईतान ने जानकारी देते हुए कहा कि हर दिन पांच सौ रोगी इलाज के लिए अस्पताल आते हैं, जिनमें आधे से ज्यादा लोगों का औषधीय स्नान से उपचार किया जाता है।

75 वर्षीय तिब्बती वृद्ध रअबूचे उत्तर पश्चिम चीन के कानसू प्रांत के निवासी हैं, जो कई वर्षों तक गठिया से ग्रस्त रहे। उसे पता लगा कि आसपास के कई पड़ोसी छिंगहाई तिब्बती चिकित्सा अस्पताल में औषधीय स्नान से इलाज कराने के बाद ठीक हो गये। इस तरह रअबूचे 450 किलोमूटर दूर कानसू प्रांत से अपना इलाज कराने छिंगहाई आए हैं। इलाज में 7 दिन का समय और कुल खर्च तीन चार हज़ार युवान आएगा, लेकिन इसके परिणाम अच्छे मिल रहे हैं। अपने इलाज की चर्चा में रअबूचे ने कहा:

"हमारे स्थल पर बहुत ज्यादा रोगी इलाज के लिए यहां आते हैं। मैंने सुना है कि कई लोग इस अस्पताल में उपचार किए जाने के बाद ठीक हो गए। लम्बे समय मैं गठिया से ग्रस्त हूं। इस अस्पताल में इजाल कराने के बाद मेरी स्थिति पहले से ठीक हो गई है।"

आधुनिक समाज में चिकित्सीय स्थिति के अनुसार परम्परागत चिकित्सीय संस्कृति का संरक्षण करने और रोगियों की मांग को पूरा करने के लिए छिंगहाई तिब्बती चिकित्सा अस्पताल इलाज का नया रास्ता खोज रहा है। इसकी चर्चा में अस्पताल के उप-प्रधान आंगछिंग छाईतान ने कहा:

"इस वर्ष हमारे अस्पताल में तिब्बती चिकित्सीय स्वास्थ्य वर्धन विभाग की स्थापना हुई। वर्तमान में लोग सेमी-हेल्थ और रोग विरोध पर ज्यादा ध्यान देते हैं। हल्की स्थिति वाले रोगियों के इलाज में हम उनकी स्वास्थ्य बहाली के लिए मानसिक परामर्श जैसे उपायों का ज्यादा प्रयोग करते हैं। इसके बाद खानपान के माध्यम से। मुझे लगता है कि कुछ रोगों के उपचार में औषधियों की आवश्यकता नहीं पड़ती। हम खाने पीने की वस्तुओं से इलाज कर सकते हैं।"

विश्वास है कि ज्यादा से ज्यादा पक्षों के समान प्रयास से लम्बे इतिहास वाले तिब्बती चिकित्सा और औषधि संस्कृति का लगातार प्रसार होगा। अधिक से अधिक लोग इस प्रकार की संस्कृति समझ कर इसपर ज्यादा विश्वास करेंगे। ऐसा विश्वास है कि अधिक से अधिक रोगियों को तिब्बती चिकित्सा और औषधि से लाभ मिलेगा।

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