Web  hindi.cri.cn
रअकुंग कला के विकास में संलग्न थांगका शिल्पकार न्यांगपन की कहानी
2013-09-03 09:31:35

न्यांगपन के शिष्य थांगखा चित्र बनाते हुए

थांगखा चित्र बनाने के रंगद्रव्य

थांगखा चित्र की सबसे बड़ी विशेषता इसके मूल्यवान रंगद्रव्य और विशेष तकनीक को जाती है। थांगखा चित्र बनाने के सभी रंगद्रव्य प्राकृतिक खनिज सामग्री हैं। स्वर्ण रेखा और स्वर्ण पाउडर सब शुद्ध सोने से बने हुए हैं, जो कभी नहीं मुरझाता है। शिल्पकार न्यांगपन ने कहा कि थांगखा चित्र बनाने के लिए चित्रकारों को बहुत शांत होना चाहिए, उनमें पूजा करने की भावना के साथ इसे बनाने की आवश्यकता है। प्रतिभाशाली व्यक्ति पांच वर्ष तक सीखने के बाद स्वयं थांगखा बना सकते हैं, जबकि साधारण स्थिति में शिष्यों को सात या आठ वर्षों का समय चाहिए, यहां तक कि दस वर्ष का समय भी चाहिए। इसकी चर्चा में तिब्बती थांगखा शिल्पकार न्यांगपन ने कहा:

"शिष्यों को शुरू में तिब्बती बौद्ध धर्म की बुद्ध मुर्ति बनाने के मापदंड और स्केल को सीखना चाहिए। बुद्ध मुर्ति का सिर कितना बड़ा होना चाहिए ?कानों का आकार कितना बड़ा होना चाहिए ?इत्यादि...... इन सभी को चित्रित करने के लिए स्केल चाहिए। मापदंड और स्केल सीखने के लिए एक साल लगता है। इसके बाद शिष्य एक साल के समय से रंग लगाना सीखते हैं और फिर चित्र में साधारण रेखा और स्वर्ण रेखा चित्रित करना सीखते हैं। थांगखा चित्र सीखने के प्रारंभिक तीन वर्ष शिष्यों के लिए सबसे कठोर होते हैं, क्योंकि बुद्ध मुर्तियों के मापदंड और स्केल चित्रित करना, रंग लगाना सबसे मुश्किल है। शिष्य नौ चरणों के बाद एक थांगखा चित्रित बनाने में सक्षम होगा। सबसे प्रतिभाशाली व्यक्ति को पांच वर्ष का समय भी लग सकता है। आम तौर पर सात या आठ वर्ष का समय चाहिए।"

रअकुंग चित्र कला अकादमी के आंगन में तीन मंजिला तिब्बती शैली का भवन खड़ा है। इसमें एक बड़े कमरे में न्यांगपन और उनके शिष्यों द्वारा चित्रित दर्जनों श्रेष्ठ थांगखा चित्र सुरक्षित हैं, जिन्हें दूसरे स्थलों से आए थांगखा प्रेमियों, दर्शकों और पर्यटकों के लिए प्रदर्शित किया जाता है। ये थांगखा चित्र या तो बड़े हों, या छोटे, सभी रंगबिरंगे हैं और देखने में बहुत सुन्दर लगते हैं।

अपनी रचना का परिचय देते हुए न्यांगपन ने कहा कि इस कमरे में प्रदर्शित एक थांगखा चित्र बनाने के लिए उन्हें दो वर्ष सात महीने लगे। चीनी राष्ट्रीय संग्रहालय ने इसे सुरक्षित करने के लिए 20 लाख युआन न्यांपन से मांगा। लेकिन न्यांगपन ने इन्कार कर दिया। उनका कहना है कि वे अपनी अकादमी के प्रदर्शन हॉल में कुछ श्रेष्ठ थांगखा चित्र सुरक्षित रखना चाहते हैं, ताकि यहां आने वाले लोगों को रअकुंग थांगखा कला की श्रेष्ठता का आभास हो सके। उन्होंने कहा:

"पहले थांगखा का प्रयोग मठों में किया जाता था। लेकिन आज वह समाज में प्रवेश हो गया है और लोग उसे कलात्मक वस्तु मानते हैं। आजकल थांगका को सुरक्षित करने वालों की संख्या दिन ब दिन बढ़ रही है। वर्तमान में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में थांगखा होते है, स्छ्वान, युन्नान और छिंगहाई आदि प्रांतों में भी होते हैं। लेकिन हमारे रअकुंग क्षेत्र थांगखा चित्रकारों की संख्या अधिक है। लोग थांगखा कहते हैं, तो रअकुंग शब्द अचानक उनके मस्तिष्क में आ जाता है। रअकुंग के थांगखा बहुत श्रेष्ठ हैं। क्योंकि रअकुंग के थांगखा अत्यंत सुन्दर हैं, जिन्हें लोगों की मान्यता मिली हुई है। मेरे इस हॉल में प्रदर्शित थांगखा को लोग मुफ्त में देखने आ सकते हैं। मेरा विचार है कि अधिक से अधिक लोग थांगखा की जानकारी प्राप्त करेंगे और रअकुंग कला के स्तर को समझेंगे।"

1 2 3
संदर्भ आलेख
आप की राय लिखें
सूचनापट्ट
• वेबसाइट का नया संस्करण आएगा
• ऑनलाइन खेल :रेलगाड़ी से ल्हासा तक यात्रा
• दस सर्वश्रेष्ठ श्रोता क्लबों का चयन
विस्तृत>>
श्रोता क्लब
• विशेष पुरस्कार विजेता की चीन यात्रा (दूसरा भाग)
विस्तृत>>
मत सर्वेक्षण
निम्न लिखित भारतीय नृत्यों में से आप को कौन कौन सा पसंद है?
कत्थक
मणिपुरी
भरत नाट्यम
ओड़िसी
लोक नृत्य
बॉलिवूड डांस


  
Stop Play
© China Radio International.CRI. All Rights Reserved.
16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040