छिंगहाई तिब्बत पठार पर स्थित छिंगहाई प्रांत तिब्बती बहुल प्रांत है। हाल के वर्षों में इस प्रांत और नेपाल के बीच आर्थिक और व्यापारिक आवाजाही लगातार बढ़ती जा रही है।
"चीन में मेरा घर है। यहां मेरे चीनी माता-पिता और भाई-बहन होते हैं। मैं बहुत सौभाग्य और प्रसन्नता महसूस करता हूँ।"
मित्रो, यह आवाज़ नेपाली व्यापारी सरोज दंगोल की है, जो छिंगहाई प्रांत में व्यापार कर रहे हैं। वह नेपाली निजी उद्यम त्रि-शक्ति आयात निर्यात लिमिटेड कंपनी के मैनेजर हैं। वर्ष 2011 में वह चीन आए और छिंगहाई प्रांत के निजी उद्यमी चांग चिनश्यांग के साथ सहयोग कर चीन और नेपाल के बीच आयात-निर्यात का व्यापार करने लगे। वर्ष 2013 में दोनों देशों के इन निजी उद्यमियों ने एक साथ मिलकर छिंगहाई प्रांत की राजधानी शीनिंग शहर के ह्वांगयुआन कांउटी में चोंगखापा सांस्कृतिक उद्यान स्थापित किया। ह्वांगयुआन कांउटी तिब्बती बौद्ध धर्म की गेलुक संप्रदाय यानी पीली संप्रदाय के संस्थापक गुरू चोंगखापा का जन्मस्थान है।
वास्तव में सरोज और चांग चिनश्यांग के प्रतिनिधित्व वाले चीनी और नेपाली निजी कारोबारों के बीच सहयोग से दोनों देशों के गैर-सरकारी आर्थिक और व्यापारिक सहयोग लगातार बढ़ता जा रहा है। वर्ष 2011 में छिंगहाई प्रांत और नेपाल के बीच व्यापारिक रकम 4 लाख 30 हज़ार डॉलर थी। इसके बाद से लेकर अब तक द्विपक्षीय व्यापार लगातार बढ़ता जा रहा है और आर्थिक व व्यापारिक सहयोग के दायरे में भी निरंतर विस्तार हो रहा है। वास्तव में दोनों देशों के निजी कारोबारों के बीच इस प्रकार के सहयोग से दोनों सरकारों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध को आगे बढ़ाया जाता है। 11 जून को छिंगहाई प्रांत की राजधानी शीनिंग शहर और नेपाल के ललितपुर शहर के बीच अंतरराष्ट्रीय मित्रवत संबंध स्थापित हुआ। इसके लिए आयोजित हस्ताक्षर रस्म में उपस्थित ललितपुर शहर के मेयर मोहन नाथ मास्कया ने कहा:
"हमारे बीच मित्रवत शहर वाला संबंध कायम हुआ, जिससे दोनों शहरों के बीच पारस्परिक समझ, पर्यटन जैसे क्षेत्रों में आदान-प्रदान और सहयोग के पुल बनाये गये। भविष्य में द्विपक्षीय सहयोग को भारी लाभ मिलेगा।"
प्रारंभिक आंकड़ों से पता चला है कि वर्ष 2013 में छिंगहाई प्रांत और नेपाल के बीच पूंजी निवेश की रकम 32 लाख डॉलर से अधिक होगी। वास्तव में नेपाल के साथ गैर-सरकारी आवाजाही करने वाले क्षेत्रों में छिंगहाई प्रांत के अलावा तिब्बत स्वायत्त प्रदेश और युन्नान प्रांत जैसे क्षेत्र भी शामिल हैं। दोनों देशों के बीच मैत्रीपूर्ण आवाजाही और सहयोग लगातार बढता जा रहा है। नेपाली उद्योग और वाणिज्यिक विभाग की जानकारी के अनुसार 2012 से 2013 के वित्तीय वर्ष में नेपाल ने 565 चीनी उद्योगों के 1 अरब 12 करोड़ युआन की पूंजी आकर्षित की, जो इतिहास में एक रिकोर्ड बन गया है।
चीन और नेपाल के बीच गैर-सरकारी आवाजाही से दोनों देशों के बीच सरकारी सहयोग भी मज़बूत होता है। इसके विपरित सरकारी सहयोग से गैर-सरकारी आवाजाही को भी समर्थन मिला है। इस प्रकार का नमूना दोनों देशों के बीच हज़ार से ज्यादा वर्षों के मैत्रीपूर्ण आदान प्रादन में साधारण बात है। सन् 265 से 420 तक के चिन राजवंश में महाचार्य फ़ाश्यान, सन् 616से 907 तक के थांग राजवंश में महाचार्य ह्वेत्सांग ने दक्षिण नेपाल स्थित लुम्बिनी पहुंचे थे। थांग राजवंश में नेपाली राजकुमारी भृकुटी और तत्कालीन तिब्बत यानी थूपो के राजा सोंगचान कानपू के साथ शादी भी हुई। सन् 1271 से 1368 तक युआन राजवंश में मशहूर नेपाली कलाकार अनिगो पेइचिंग में सफेद पगोडा के निर्माण में मदद देने के लिए पेइचिंग आए थे।
1 अगस्त को चीन और नेपाल के बीच कूटनीतिक संबंध की स्थापना की 58वीं वर्षगांठ है। वर्ष 1955 से अब तक दोनों देश आर्थिक, व्यापारिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक जैसे क्षेत्रों में आवाजाही तेज़ गति से आगे बढ़ रही है। गत जुलाई में दोनों देशों के मैत्रीपूर्ण संगठनों ने नेपाल की राजधानी काठमांडू में चीन-नेपाल मैत्रीपूर्ण संगठनों का महासंघ स्थापित किया। महासंघ के महासचिव प्रकाश बाबू पौदल को दोनों देशों के बीच गैर-सरकारी सहयोग आवाजाही पर आशाप्रद हैं। उन्होंने कहा:
"यह महासंघ पेइचिंग और क्वांगचो जैसे बड़े शहरों और नेपाल के बीच द्विपक्षीय आर्थिक और व्यापारिक सहयोग से शुरु होकर विस्तार करेगा। हमें आशा है कि चीन और नेपाल में विभिन्न मैत्रीपूर्ण संगठनों के बीच सहयोग करेंगे। गैर-सरकारी शक्तियों से दोनों देशों के युवाओं के बीच आदान प्रदान और पूंजी निवेश के सहयोग को मज़बूत किया जाएगा। अंत में दोनों देशों के मैत्रीपूर्ण संबंध को लगातार आगे बढ़ाया जा सकेगा।"