Web  hindi.cri.cn
भारत और नेपाल के संवाददाताओं की तिब्बत यात्रा
2013-07-08 12:51:56

कुछ समय पूर्व भारत और नेपाल के संयुक्त मीडिया प्रतिनिधि-मंडल ने पेइचिंग और तिब्बत की यात्रा की। तिब्बत में उन्होंने ल्हासा और शिगाज़े जैसे क्षेत्रों में पोताला महल, जोखान मठ, जाशीलुनबू मठ, तिब्बती संग्रहालय, तिब्बती दवा निर्माता कारखाने और विशेष तिब्बती खाद्यान्न—जौ से बियर बनाने वाली फैक्ट्री का दौरा किया, आम तिब्बती लोगों के घर जाकर उनके जीवन और नौकरी के बारे में जानकारी प्राप्त की और तिब्बत विश्वविद्यालय एवं एक मीडिल स्कूल के छात्रों के साथ विचार विमर्श किया। प्रतिनिधि मंडल के सभी सदस्यों ने समान विचार व्यक्त किये कि तिब्बत की यात्रा से उन्हें तिब्बत में हुए विकास और प्रगति का सही मायने में पता चला है।

प्रतिनिधि मंडल के सदस्यों में भारतीय समाचार पत्र"नवभारत टाइम्स", "पीटीआई","द वीक"और नेपाली समाचार पत्र"द काठमांडू पोस्ट"और"नागरिक दैनिक"के संवाददाता शामिल हैं। "नवभारत टाइम्स"के संवाददाता रंजीत कुमार पहले भी कई बार चीन आ चुके हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा तिब्बत यात्रा से उन्हें तिब्बत में आए भारी परिवर्तन की जानकारी मिली है। उनका कहना है:

"तिब्बत के तेज़ विकास से तिब्बती लोगों को बहुत ज्यादा वास्तविक लाभ मिला है। आधुनिक हवाई अड्डा, लंबे चौड़े राजमार्ग, ऊंची-ऊंची इमारतें और बड़े आकार वाले शॉपिंग मॉल आदि। तिब्बत में आधुनिकता का वातावरण कई जगहों पर नज़र आता है। उन्हें लगता है कि अब तिब्बत में जीवन बिताना बहुत सुविधापूर्ण है।"

रंजीत कुमार ने बताया कि वर्ष 2008 में उन्होंने तिब्बत की यात्रा की थी। उस समय की तुलना में आज के तिब्बत में बड़ी प्रगति हुई है। प्रतिनिधि मंडल के सदस्यों ने ल्हासा और शिकाज़े का दौरा किया और तिब्बत में आधुनिक विकास का अनुभव भी प्राप्त किया। रंजीत कुमार ने कहा:

"मैंने वर्ष 2008 में तिब्बत की यात्रा की थी। पांच वर्षों बाद एक बार फिर मैं चीन की यात्रा पर हूं। यहां आने के बाद मैंने देखा कि तिब्बत में भारी परिवर्तन हुआ है और आर्थिक विकास बहुत तेज़ है। स्वायत्त प्रदेश में बहुत ज्यादा नए कारखानों की स्थापना हुई है और ज्यादा पूंजी निवेश आकर्षण किया गया है।"

वहीं दूसरी तरफ नेपाली समाचार पत्र"द काठमांडू पोस्ट"के संवाददाता मोहन गुरागाइ के लिए मौजूदा तिब्बत यात्रा एकदम नया अनुभव है। यात्रा के दौरान वो तिब्बती आम नागरिकों के घर गए और स्थानीय लोगों से बीतचीत की। लगता है कि वर्तमान में तिब्बती जनता का जीवन बहुत सुखमय हुआ है। मोहन गुरागाइ ने कहा:

"पिछले दर्जनों वर्षों में तिब्बती लोगों के जीवन में भारी परिवर्तन आया है। स्वास्थ्य, शिक्षा, यातायात और पानी बिजली जैसे क्षेत्रों में पर्याप्त विकास हुआ है। यह नेपाली लोगों के लिए अकल्पनीय है। उन्हें आशा है कि नेपाल में भी चीन के तिब्बत की तर्ज पर तेज़ विकास साकार हो सकेगा।"

मौजूदा तिब्बत यात्रा के दौरान भारतीय और नेपाली संवाददाताओं ने पोटाला महल, जाशिलुनबू मठ, जोखान मठ समेत तिब्बती बौद्ध धर्म के मठों का भी दौरा किया और तिब्बती बौद्ध भिक्षुओं से बातचीत की। नेपाली संवाददाता मोहन का मानना है कि वर्तमान में तिब्बत में सांस्कृतिक संरक्षण मज़बूत किया जा रहा है। मठों में सुरक्षित मूर्तियां और रंगबिरंगे थांगखा चित्र और भीत्ति चित्र इस पहलू में एक वास्तविक मिसाल है। तिब्बती संस्कृति के संरक्षण के बारे में"द काठमांडू पोस्ट"के संवाददाता मोहन गुरागाइन ने कहा:

"हमने पोटाला महल समेत कई तिब्बती बौद्ध मठों का दौरा किया। वहां हमने तिब्बती बौद्ध धर्म के बहुत ज्यादा अच्छी तरह सुरक्षित सूत्रों को देखा। चीन की केंद्र सरकार ने तिब्बत में कई विश्वविद्यालयों का निर्माण किया। हमें मालूल है कि बहुत ज्यादा मठों के भिक्षु अन्य विद्यार्थियों की तरह कैंपस में पढ़ते हैं। वे आधुनिक तरीके से ज्ञान अर्जित करते हैं। हमें बहुत अच्छा लग रहा है।"

तिब्बत की यात्रा के बाद भारत और नेपाल के संयुक्त मीडिया प्रतिनिधि मंडल पेइचिंग वापस लौटा। उन्होंने पेइचिंग स्थित चीनी तिब्बत-विद्या अनुसंधान केंद्र का दौरा किया और तिब्बत-विद्या पर चीनी विद्वानों के साथ विचार-विमर्श किया। इस केंद्र के तिब्बत-विद्या संबंधी विशेषज्ञ ल्यान श्यांग-मिंग ने भारतीय और नेपाली संवाददाताओं को इस केंद्र के विकास, अनुसंधान की दिशा और अनुसंधान में प्राप्त उपलब्धियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी।

"नवभारत टाइम्स"के संवाददाता रंजीत कुमार ने चीनी तिब्बती-विद्या के विशेषज्ञों से तिब्बती बौद्ध धर्म और तिब्बती जन जीवन के बारे में अपनी रुचि वाले प्रश्न किये और कहा कि चीनी विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श से उन्हें तिब्बत औऱ तिब्बत-विद्या के बारे में नया ज्ञान प्राप्त हुआ है। उन्हें उम्मीद है कि भविष्य में तिब्बत-विद्या के क्षेत्र में भारत और चीन के बीच विचार-विनिमय और सहयोग और बढेगा। रंजीत कुमार ने कहा:

"हमने चीनी तिब्बत-विद्या के विशेषज्ञों के साथ संगोष्ठी आयोजित की और उनसे विचारों का आदान-प्रदान किया। मुझे तिब्बत और तिब्बत-विद्या के बारे में नया ज्ञान प्राप्त हुआ है। उनके साथ हुई बातचीत से मुझे मालूम हुआ है कि चीनी तिब्बत विद्या के विशेषज्ञ कभी कभार अन्य देशों के विद्वानों के साथ आदान-प्रदान करते हैं। उन्होंने भारत और नेपाल की भी यात्रा की। हमने तिब्बती बौद्ध धर्म की नई स्थिति, तिब्बती परंपरा को लेकर विचारों का विचार विमर्श किया। मुझे बहुत अच्छा लगा।"

"द काठमांडू पोस्ट"के संवाददाता मोहन गुरागाइन ने कहा कि चीनी विद्वानों और विशेषज्ञों के साथ हुई बैठक में उन्हें बौद्ध धर्म के चीन में विकास खासकर तिब्बती बौद्धधर्म के तिब्बत में विकास और तिब्बत में धार्मिक विश्वास की समृद्ध जानकारी मिली है। उन्होंने आशा जताई कि नेपाल और चीन के बीच बौद्धधर्म के क्षेत्र में अधिक आवाजाही की जाएगी।

चीनी तिब्बत-विद्या अनुसंधान केद्र के अनुसंधानकर्ता, तिब्बत विद्या के विशेषज्ञ ल्यान श्यांगमिन ने संगोष्ठी के बाद मेरे साथ हुए साक्षात्कार में कहा कि इस प्रकार की कार्रवाई बहुत सार्थक है, जिससे भारत और नेपाल के लोग तिब्बत के बारे में ज्यादा जानकारी ले सकें। उन्होंने कहा:

"चीनी तिब्बत-विद्या के विशेषज्ञों ने भारत और नेपाली संवाददाताओं के साथ सीधे तौर पर बातचीत की, जिससे चीन में तिब्बत-विद्या के अनुसंधान के बारे में उनकी समझ बढ़ी। मुझे लगता है कि इस प्रकार की गतिविधियों से चीन, भारत और नेपाल के बीच सांस्कृतिक आदान प्रदान बहुत मज़बूत होगा।"

संदर्भ आलेख
आप की राय लिखें
सूचनापट्ट
• वेबसाइट का नया संस्करण आएगा
• ऑनलाइन खेल :रेलगाड़ी से ल्हासा तक यात्रा
• दस सर्वश्रेष्ठ श्रोता क्लबों का चयन
विस्तृत>>
श्रोता क्लब
• विशेष पुरस्कार विजेता की चीन यात्रा (दूसरा भाग)
विस्तृत>>
मत सर्वेक्षण
निम्न लिखित भारतीय नृत्यों में से आप को कौन कौन सा पसंद है?
कत्थक
मणिपुरी
भरत नाट्यम
ओड़िसी
लोक नृत्य
बॉलिवूड डांस


  
Stop Play
© China Radio International.CRI. All Rights Reserved.
16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040