लांगमू मठ का बाहरी दृश्य
लांगमू मठ सिर्फ एक मठ का नाम नहीं है। ये एक प्राचीन कस्बे का भी नाम है। लांगमू मठ कस्बा उत्तर-पश्चिमी चीन के कानसू प्रांत और दक्षिण पश्चिमी-चीन के स्छ्वान प्रांत की सीमा पर स्थित है, इस कस्बे का प्रबंधन कानसू प्रांत के कान्नान तिब्बती स्वायत्त प्रिफेक्चर की लूछ्यु कांउटी और स्छ्वान प्रांत के आबा तिब्बती और छ्यांग जातीय स्वशासन प्रिफेक्चर की रोर्काई कांउटी संयुक्त रूप से करती हैं। इस कस्बे में स्थित लांगमू मठ तो कानसू प्रांत अधिकृत है। एक प्रश्न मन में उठता है कि मठ का ये नाम कैसे आया ?इसकी जानकारी देते हुए लूछ्यु कांउटी के प्रसार विभाग के उप-प्रधान छन छांगयुन ने कहा:
"लांगमू मठ का नाम तिब्बती भाषा के उच्चारण से आता है। तिब्बती भाषा में इसका अर्थ दाछांग लांगमू यानी बाघ गुफ़ा देवी है। स्थानीय लोगों में इस मठ के बारे में एक प्रथा भी प्रचलित है। कहते हैं कि लम्बे समय पहले यहां एक काली बाघिन रहती थी, वह कभी कभार मानव जाति को क्षति पहुंचाती थी। बाद में एक देवी ने उसे अपने वश में कर लिया और वह यहां की मानव जाति के साथ शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के साथ रहने लगी। लांगमू मठ का नाम इस तरह आया है।"
लांगमू मठ का एक भाग
छन छांगयुन के अनुसार लांगमू मठ के बारे में एक और कथा भी लोकप्रिय है। कहा जाता है कि तिब्बती बौद्ध धर्म के तंत्र संप्रदाय के गुरु, भारतीय महागुरु पद्मसम्भव यहां आए थे। वे स्थानीय लोगों में बौद्ध धर्म के नियमों और विचारों का प्रसार करते थे। इसी स्थल पर उन्होंने बाघ गुफ़ा की बाघिन पर लगाम लगाया। बाद में यह बाघिन ने एक दयालु देवी का अवतार ले लिया और स्थानीय लोगों को लाभ पहुंचाने लगी। इस तरह स्छ्वान, कानसू और छिंगहाई आदि प्रांतों के बौद्ध धर्म अनुयायी लागमू मठ को पवित्र स्थल मानते हैं। वे दूर-दूर से यहां काली बाघ-देवी की पूजा करने आते हैं।