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चीनी-तिब्बती चिकित्सा, औषधि संस्कृति संग्राहलय का दौरा
2013-05-28 15:06:37

चीनी-तिब्बती चिकित्सा, औषधि संस्कृति संग्राहलय

छिंगहाई प्रांत पश्चिमी चीन के छिंगहाई तिब्बत पठार पर स्थित है। यहां पीली नदी, यांत्सी नदी और लानछांगच्यांग नदी का अद्गम स्थल है। इस प्रांत का प्राकृतिक दृश्य बहुत सुन्दर है और सुनहरी भूमि में हान, तिब्बती और मंगोल जातियां मेल-मिलापपूर्वक सह-अस्तित्व में रहती हैं। लम्बे समय से छिंगहाई प्रांत में रहने वाली तिब्बती जाति ने अपनी रंगबिरंगी संस्कृतियां रची हैं। तिब्बती परम्परागत चिकित्सा उनमें से एक है, जिसे चीनी संस्कृति में एक महत्वपूर्ण भाग भी माना जाता है।

चीनी तिब्बती चिकित्सा और औषधि संस्कृति संग्रहालय छिंगहाई प्रांत की राजधानी शी निंग शहर में स्थित है। चीनी और तिब्बती शैली में मिश्रित यह वास्तु निर्माण बहुत आलीशान लगता है। अब वह शी निंग शहर का प्रतीकात्मक वास्तु निर्माण भी बन गया है। संग्रहालय का क्षेत्रफल 12 हज़ार वर्गमीटर है और इसका निर्माण सितम्बर 2007 में औपचारिक तौर पर पूरा हुआ है। यह वर्तमान विश्व में तिब्बती चिकित्सा और औषधि की संस्कृति से जुड़ा एकमात्र पेशेवर संग्रहालय है।

छिंगहाई तिब्बती चिकित्सा और औषधि संस्कृति संग्रहालय के उप-निदेशक छाई कोंगथाई ने जानकारी देते हुए कहा कि तिब्बती जाति के चिकित्सा शास्त्र का इतिहास करीब 4 हज़ार वर्ष पुराना है। हाल के वर्षों में इसका द्रुत गति से विकास हो रहा है। तिब्बती औषधि के प्रति लोगों की बढ़ती मांग के अनुसार इस संग्रहालय का निर्माण किया गया है। उन्होंने कहा:

"वर्ष 2000 में तिब्बती चिकित्सा और औषधि अनुसंधान केंद्र में एक प्रदर्शनी आयोजित हुई, जिसमें तिब्बती चिकित्सा संबंधी विषय बनाए गए थांगखा चित्र शामिल किया गया था। उस समय बहुत ज्यादा लोगों ने इसके प्रति भारी रूचि दिखाई। क्योंकि उस समय अधिक चीनी हान जातीय लोग तिब्बती औषधि का प्रयोग करने लगे, जो बहुत कारगर है और इसका परिणाम बहुत अच्छा है। इस तरह ज्यादा से ज्यादा लोगों में तिब्बती चिकित्सा और औषधि की जानकारी लेने की जिज्ञासा है। बाद में इस संग्रहालय की स्थापना का विचार पैदा हुआ।"

हमारी संवाददाता छाई कोंगथाई के साथ साक्षात्कार करते हुए

विश्व में तिब्बती चिकित्सा और औषधि संस्कृति से जुड़े एक मात्र पेशेवर संग्रहालय के रूप में चीनी तिब्बती चिकित्सा और औषधि संग्रहालय में आठ प्रदर्शनी हॉल स्थापित किये गए, जिनमें तिब्बती चिकित्सा का इतिहास, चिकित्सीय उपकरण, प्राचीन ग्रंथ और लिखित सामग्रियां, तिब्बती औषधियों के नमूने, खगोल और गणित शास्त्र, रंगीन थांगखा चित्रकला, तिब्बती जातीय रीति रिवाज़, तिब्बती भाषा, ललितकला और लिपी कला भी शामिल है। संग्रहालय में 20 हज़ार से अधिक सांस्कृतिक अवशेष सुरक्षित रखे गए हैं।

दो वर्ष पूर्व संग्रहालय में विशेष तौर पर तिब्बती जातीय रीति रिवाज़ प्रदर्शनी हॉल खोला गया था, जिसमें दर्शक तिब्बती चिकित्सा और औषधि से जुड़ी संस्कृति की जानकारी ले सकते हैं। इसके साथ ही तिब्बती हस्त कलात्मक वस्तुएं, वस्त्र, लिपी कला और प्राचीन हथियार भी प्रदर्शित किये जाते हैं। चीनी तिब्बती चिकित्सा और औषधि संग्रहालय के उप-निदेशक छाई कोंगथाई ने परिचय देते हुए कहा:

"शुरू में हम इस संग्रहालय को तिब्बती चिकित्सा की संस्कृति से जुड़ा शुद्ध पेशेवर संग्रहालय बनाना चाहते थे। लेकिन बाद में यहां सुरक्षित सांस्कृतिक अवशेषों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। दर्शकों को तिब्बती संस्कृति से जुड़ी विभिन्न तरह की जानकारी हासिल करने में दिलचस्पी है। इस तरह हमने संग्रहालय में तिब्बती रीति रिवाज़ प्रदर्शनी हॉल भी खोला है।"

विशाल रंगीग थांगखा चित्र का एक भाग

रीति रिवाज़ हॉल के अलावा आठ प्रदर्शनी हॉलों में रंगीन थांगखा प्रदर्शनी हॉल सबसे उल्लेखनीय हैं, जिसमें तिब्बती संस्कृति और कला के विषय पर चित्रित 618 मीटर विशाल रंगीन थांगखा चित्र दर्शाया गया है, इसमें 700 छोटे और मझोले थांगखा चित्र शामिल हैं। इस विशाल थांगखा चित्र ने विश्व गिनीज़ रिकॉर्ड भी बनाया था, जिसके विषय में तिब्बती इतिहास, धर्म, चिकित्सा, संस्कृति और जीवन उत्पादन आदि शामिल हैं। इसे तिब्बती संस्कृति का ज्ञान कोष माना जाता है। डिज़ाइनर चोंगचे लाच्ये ने कई वर्षों के बाद इसे बनाया है। इसका परिचय देते हुए संग्रहालय के उप निदेशक छाई कोंगथाई ने कहा:

"उन्हें इसे बनाने में 27 वर्ष लगे हैं। इसे बनाने के दौरान 400 से अधिक शिल्पकारों और तिब्बती बौद्ध धर्माचार्यों ने भाग लिया। यह बहुत मूल्यवान रचना है। पिछली शताब्दी के 80 के दशक में उन्होंने इसका डिज़ाइन बनाना शुरू किया था और वर्ष 1999 में इसे पूरा किया गया। उन्होंने कहा कि इससे उनके जीवन का स्वप्न पूरा हो गया है।"

संग्रहालय में प्रदर्शित तिब्बती वस्त्र

चीनी तिब्बती चिकित्सा और औषधि संस्कृति संग्रहालय के उप-निदेशक छाई कोंगथाई ने इस विशाल रंगीन थांगखा चित्र की जानकारी देते हुए कहा कि शिल्पकारों ने तिब्बती परम्परागत चित्र तकनीक का प्रयोग कर प्राकृतिक सामग्रियों से इस थांगखा चित्र में रंग भरे हैं, जो देखने में बहुत सुन्दर और रंगबिरंगा लगता है। उन्होंने कहा:

"इस विशाल थांगखा चित्र की एक बड़ी विशेषता है कि उसे परम्परागत प्राकृतिक सामग्रियों यानी वनस्पतियों, खनिज वस्तुओं और धातुओं जैसे रंगद्रव्य से चित्रित किया गया है। इस प्रकार के रंगद्रव्य से बनाए गए चित्र लम्बे समय तक सुरक्षित रखे जा सकते हैं और देखने में बहुत रंग बिरंगे लगते हैं।"

विश्व में सबसे लम्बे थांगखा चित्र देखने के लिए संग्रहालय का दौरा करने आए दर्शक जरूर इस हॉल में आते हैं। वे देर तक इस विशाल रंगीन थांगखा चित्र के सामने खड़े होकर देखते हैं, इसका आनंद लेते हैं और इसपर अनुसंधान भी करते हैं। कभी कभार देश के दूसरे स्थलों में रहने वाले तिब्बती लोग विशेष तौर पर इस रंगीन थांगका चित्र को देखने संग्रहालय में आते हैं। एक पर्यटक ने हमारे संवाददाता से कहा:

"इसे देखने के बाद मुझे ये बहुत पसंद आया। लगता है कि पहले लिखित भाषा से रिकॉर्ड की गई प्राचीन तिब्बती संस्कृति को चित्र के रूप में दिखाया जा रहा है। जैसा कि छिंगहाई तिब्बत पठार बने हैं, हर वंश के तिब्बती राजा के चित्र आदि। यह बहुत दिलचस्प है।"

छिंगहाई तिब्बती चिकित्सा और औषधि संस्कृति संग्रहालय में बहुत ज्यादा तिब्बती सांस्कृतिक मूल्यवान चीज़ें प्रदर्शित की जाती हैं। इस कारण से अधिक से अधिक दर्शक यहां आते हैं। संग्रहालय के उप-निदेशक छाई कोंगथाई ने जानकारी देते हुए कहा कि अब यहां आने वाले दर्शकों की संख्या दिन ब दिन बढ़ रही है। सर्दियों में देश भर के तिब्बती बहुल क्षेत्रों में रहने वाले कई तिब्बती लोग पूजा के लिए तिब्बत स्वायत्त प्रदेश जाते हैं। कभी कभार वे शी निंग की सैर करने भी आते हैं। शी निंग आने के बाद वे इस संग्रहालय का दौरा जरूर करते हैं। छाई कोंगथाई ने कहा:

"वर्ष 2010 में हमारे संग्रहालय का दौरा करने आए पर्यटकों की संख्या सिर्फ़ 80 हज़ार थी, वर्ष 2011 में ये संख्या बढ़कर 1 लाख 30 हज़ार हो गई, वर्ष 2012 में इस संख्या में और भी इज़ाफा हुआ और ये बढ़कर 1 लाख 50 हज़ार तक जा पहुंची। इससे पता चलता है कि यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ रही है।"

प्रदर्शन हॉल का एक भाग

तिब्बती चिकित्सा और औषधि संस्कृति संग्रहालय के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा लोग तिब्बती जाति की चिकित्सा और औषधि संस्कृति की जानकारी प्राप्त करते हैं। नागरिकों को वैज्ञानिक जानकारी देने के साथ-साथ संग्रहालय देशभक्ति शैक्षिक केन्द्र और छिंगहाई विश्वविद्यालय के मास्टर डिग्री पढ़ने वाले विद्यार्थियों का प्रशिक्षण केन्द्र भी है। संग्रहालय ने तिब्बती चिकित्सा और औषधि के विकास के लिए अधिक सुयोग्य व्यक्तियों को प्रशिक्षण दिया। उप-निदेशक छाई कोंगथाई के अनुसार वर्तमान में संग्रहालय के दूसरे चरण की परियोजना का निर्माण जोरों पर है। वर्ष 2015 में निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा, तब तिब्बती चिकित्सा और औषधि संस्कृति संग्रहालय दर्शकों को तिब्बती संस्कृति से जुड़े अधिक से अधिक जानकारी दे पाएगा।

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