26 फरवरी को पश्चिमी चीन के छिंगहाई प्रांत के हाईपेइ तिब्बती स्वायत्त प्रिफेक्चर के घास-मैदान कला मंडली के युवा कलाकारों ने नाच गाने के माध्यम से स्विटजर्लैंड के जिनेवा शहर में शानदार सांस्कृतिक और कलात्मक अभिनय प्रस्तुत किया, पाकिस्तान, रूस, मलेशिया, गांको (ब्राज़िविल) आदि देशों के राजदूत दंपत्तियों और संयुक्तराष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के उच्च स्तरीय अधिकारियों समेत 50 से अधिक व्यक्तियों ने इसका आनंद उठाया।
जिनेवा स्थित चीनी स्थाई प्रतिनिधि मंडल ने मौजूदा तिब्बती संस्कृति की प्रस्तुति का आयोजन किया। जिनेवा स्थित चीनी स्थाई प्रतिनिधि, राजदूत ल्यू चङमिन ने प्रस्तुति के पूर्व भाषण देते हुए कहा कि चीन एक बहु जातीय देश है, तिब्बती जाति 56 जातियों में से एक महत्वपूर्ण सदस्य है। लम्बे समय में तिब्बती जाति दूसरी जातियों के लोगों के साथ मेल-मिलाप पूर्वक सह-अस्तित्व के साथ रहती आई है। इसा की सातवीं शताब्दी में चीन के थांग राजवंश में तत्कालीन तिब्बत यानी थूपो वंश के राजा सोंगचान कानपू और थांग राजकुमारी वनछङ की शादी हुई, नए चीन की स्थापना यानी वर्ष 1949 के बाद तिब्बती बहुल क्षेत्रों में जातीय स्वशासन वाली व्यवस्था लागू की गई। राजदूत ल्यु चङमिन ने सांस्कृतिक प्रस्तुति देखने आए अतिथियों से एक हज़ार से अधिक समय में तिब्बती जाति और चीनी राष्ट्र की दूसरी जातियों के बीच आवाजाही और समान विकास के बारे में विस्तृत जानकारी से अवगत कराया और कहा कि तिब्बती जनता ने पुराने इतिहास में रंगबिरंगी संस्कृति रची। तिब्बती संस्कृति चीनी राष्ट्र की संस्कृति का महत्वपूर्ण भाग है। चीन सरकार ने तिब्बती जातीय संस्कृति के संरक्षण के लिए अथक कोशिश की थी।