दक्षिण पूर्व तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में स्थित मोथो कांऊटी विशेष भौगोलिक स्थिति व जलवायु की वजह से सारे चीन में एक ऐसी कांऊटी मानी जाती है, जहां गत वर्ष के अंत तक कोई पक्का राजमार्ग उपलब्ध नहीं है। वास्तव में हिमालाया पर्वत से घिरी यह कांऊटी बाह्य दुनिया से कटी हुई है। विशेष भौगोलिक स्थिति और उष्णकटिबंधी मौसम के कारण यहां पर तपेदिक, हेपेटाइटिस, मलेरिया, जुकाम और खसरा आदि संक्रामक रोग खूब बोलबाल है, बाहर से कटे हुए वातावरण से दस हजारों मनपा और लोपा जातीय लोगों को रोगों का इलाज अत्यंत कठिन है। इस के मद्देनजर 1994 से लेकर आज तक तिब्बत के लिनची प्रिफेक्चर में एक अस्पताल दुनिया से कटी हुई इस कांऊटी में अपना चिकित्सक भेजता आया है। यह अस्पताल लिनची प्रिफेक्चर में तैनात मुक्ति सेना का नम्बर 115 अस्पताल ही है । मोथो कांऊटी के स्थानीय लोग बड़े प्यार से यहां आने वाले सैनिक डाक्टरों को मनपायाकू, यहां तक कि दवादारु पहुंचाने वाले अवलोकितेश्वरी कहकर पुकारते हैं, तिब्बती भाषा में मनपायाकू का अर्थ है अच्छा विश्वसनीय डाक्टर।
सब लोगों को मालूम है कि मोथो कांऊटी की स्थिति बहुत खराब है, पर लिनची तैनात प्रसिद्ध नम्बर 115 फौजी अस्पताल के डाक्टर मोथो कांऊटी क्यों जाते हैं। इस फौजी अस्पताल के प्रधान फुंग क्वो चुन ने याद करते हुए कहा कि मोथो कांऊटी के दीर्घकालिक पिछड़े चिकित्सा स्तर ने अपने अस्पताल के चिकित्सकों व नर्सों को झटका लगा दिया है। फुंग क्वो चुन का कहना है:"जब हमने यह सुना कि पहाड़ी रास्ता बंद अवधि में कुछ रोगियों को ठीक समय पर इलाज न मिल पाने पर अपनी जान हाथ से धोना पड़ा और अन्य कुछ रोगियों को अस्पताल जाते जाते अपना दम तोड़ना पड़ा, हमारे चिकित्सकों व नर्सों को बड़ी दुखी महसूस हुई, फिर हमने मन में यह संकल्प किया कि हम अवश्य ही अपनी ठोस कार्यवाही के जरिये मोथो कांऊटी की जनता को रोगों से छुटकारा दिला देंगे।"