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फूलों की भीनी भीनी खुशबू पठार पर फैली रहती है
2012-12-08 18:50:10

समुद्र की सतह से कोई चार पांच हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित छिंगहाई तिब्बत पठार का तापमान बदलता रहता है, दिन और रात के तापमान में बड़ा अंतर होता है, यूवी बहुत तेज है, मौसम खुश्क है और वर्षा बहुत कम है, इस से यहां की प्राकृतिक स्थिति विविधतापूर्ण मैदानी वनस्पति उगाने के लिये अनुकूल नहीं है। इसलिये पठार पर बसने वाले निवासी फूलों को दूर्लभ धरोहर की तरह मूल्यवान समझते आये हैं। कहा जा सकता है कि यहां के किसी भी निवासी में फूल बोध है। इसलिये जब आप ल्हासा शहर की किसी भी पुरानी सड़क, गली या नव स्थापित आवासीय क्षेत्र में घूमने जाते हैं, तो आप को हरेक मकान की खिड़की या बालकनी पर विविधतापूर्ण फूल गमलों में उगे हुए दिखाई देते हैं।

यदि आप ल्हासा शहर के छंग क्वान डिस्ट्रिक्ट क्षेत्र में बसी निवासी सांगचन के घर में पांव रखते हैं, तो आप को अवश्य ही यह आभास होता है मानो एक सुंदर छोटे बगीचे में पहुंच गये हो । छोटे आंगन में तिब्बती गुलाब, सूरजफूल और अंगूर जैसी नाना प्रकार वाली वनस्पति फलती फूलती नजर आती है। उन्होंने संवाददाता से कहा कि सेवा से निवृत होने के बाद उन की और पति की सब से बड़ी रुचि इसी बगीचे में है। सांगचन ने कहा:"अब हम बहुत सुखद हैं, मैंने अपने इस छोटे आंगन में कुछ फूल पौधे उगा दिये हैं, खाली समय में हम दोनों यहां पर बैठकर अखबार पढ़ते हैं, चाय पीते हैं या गपशप मारते हैं, बड़ा मजा आता है । देखिये, मेरे बगीचे में अनार, अंगूर आदि फल पेड़ उगे हुए हैं, जी हां गुलाब भी है। इसी किस्म वाला गुलाब बहुत आसानी से उगाया जाता है। आज के जमाने में वैज्ञानिक विकास हुआ है, खाद और मिट्टी बहुत उपजाऊ है, आप जरा उधर देखिये, वह खिले हुए गुलाव कितना सुंदर है।"

गत सदी के 80 वाले दशक में तिब्बत में सब्जी की उगाई बहुत मुश्किल थी, स्थानीय वासियों के आंगनों में बहुत कम किस्मों वाले फूल पौधे उगाये जाते थे, जैसे गुलाब और ट्युलिप आदि दुर्लभ फूल पौधों की उगाई और दूर की बात थी, फूलों की दुकानें भी इनी गिनी थीं। इधर दसियों वर्षों में तिब्बत के आर्थिक व सामाजिक विकास के साथ साथ फूलों की दुकानें भी क्रमशः बढ़ती गयी हैं, गुलाब और ट्युलिप आदि दुर्लभ फूल भी स्थानीय वासियों के जीवन में प्रविष्ट हो गये हैं।

सछ्वान प्रांत के छंग तू शहर रहने वाली सुश्री वांग ल्हासा शहर में एक फूल दुकान चलाती है। उस ने अपनी दुकान का परिचय देते हुए कहा कि दुकान में मुख्य रुप से विभिन्न प्रकार वाले दुर्लभ ताजे फूल बेचे जाते हैं, व्यापार ठीक से चलता है। बातचीत के दौरान उन्होंने यह संकेत दिया है कि दुकान में बिकने वाले गुलाब और ट्युलिप आदि दुर्लभ किस्मों वाले फूलों की उगाई तिब्बत में की जाती है, इस से परिवहन की लागत पहले से बहुत ज्यादा कम हो गयी है, गुलाब फूल का दाम भी पहले के 80 य्वान से घटकर दस य्वान तक हो गया है, यह ही दुर्लभ किस्मों वाले फूल साधारण स्थानीय वासियों के घर में प्रविष्ट होने का मुख्य कारण भी है। तिब्बत में गुलाब व ट्युलिप जैसे दुर्लभ फूलों की सफल उगाई से दुकानदार वांग बहुत चमत्कृत हो गयी है। उन्होंने कहा:"यहां आने से पहले मुझे यहां बंजर भूमि लगी , नंगे पर्वतों पर न कोई पेड़ था और न कोई फूल, इतनी ज्यादा किस्मों वाली साग सब्जियां और फूल पौधे देखना बिलकुल असम्भव था, मैंने कभी नहीं सोचा था कि यहां पर गुलाब की उगाई सफल हो गयी है।"

संवाददाता को पता चला है कि ल्हासा शहर के फूल बाजार में 80 प्रतिशत गुलाब फूल ल्हासा शहर की नजदीक उपनगरीय त्वीलुंगत्हछिंग कांऊटी में पैदा होते हैं। त्वीलुंगत्हछिंग कांऊटी तिब्बत में साग सब्जियां उगाने के लिये बहुत प्रसिद्ध है, इधर सालों में बाजार की मांग के मद्देनजर इस कांऊटी ने 2007 वर्ष से देश के भीतरी इलाकों से फूल पौध उगाने वाले सुयोग्य व्यक्तियों और तकनीक का आयात किया, साथ ही स्थानीय सरकार के नीतिगत समर्थन में ग्रीन हाऊस में साग सब्जी उगाने के आधार पर गुलाब की उगाई में सफल किया, जिस से साग सब्जी बाजार का गेट ही नहीं, ल्हासा शहर के फूल बाजार का गेट भी खोला गया है।

त्वीलुंगत्हछिन कांऊटी के सदाबहार बगीचे के मैनेजर लाई पिंग शू प्रथम खेप के आयातित सुयोग्य व्यक्तियों में से एक हैं। आम लोगों की नजर में तिब्बत का जलवायु फूल पौधे उगाये जाने के लिये अनुकूल नहीं है, पर लाई पिंग शू इसे मानने को तैयार नहीं हैं और इस क्षेत्र को खजाने का रुपधारण कर चुके हैं। उन का कहना है:"उल्लेखनीय बात यह है कि यहां पर धूप पर्याप्त मात्रा में प्राप्त है, तिब्बत में धूप का समय सारी दुनिया में सब से ज्यादा मिलता है, प्रकाश संसाधन वनस्पति की उगाई के लिये अत्यावश्यक है, इसे ध्यान में रखकर हम ने सोचा कि यदि तिब्बत में फूल पौधे उगाये जाएंगे, तो फूलों का रंग भीतरी इलाकों से चमकदार ही नहीं, ताजा अवधि भी काफी ज्यादा समय तक संरक्षित हो सकती है।"

पिछले कई सालों के विकास के चलते वर्तमान में लाइ पिंग शू ने 70 बड़े ग्रीन हाउस स्थापित कर दिये हैं, जिन में गुलाब, अफ्रीकी गुलदाउदी, कारनेशन, लिली आदि फूल पौधे उगे हुए हैं, अब यहां के फूल पौधे ल्हासा शहर के अधिकतर फूल दुकानों में बेचे जाते हैं । इतना ही नहीं, यहां के कारनेशन फूल नेपाल में भी खूब बिकते हैं, यह सचमुच कमाल की बात है कि तिब्बत के स्थानीय फूल की बिक्री प्रथम बार किसी विदेश में होती है, जिस से तिब्बत के फूल पौधे धंधे ने एक बड़ी छलांग लगायी है। चालू वर्ष के फूल पौधे धंधे के विकास पर लाइ पिंग शू अत्यंत आश्वस्त हैं। उन्होंने इस की चर्चा करते हुए कहा: "इस फूल पौधे धंधे को सफल बनाने के लिये यह जरुरी है कि सर्वप्रथम फूल मार्केटिंग की जांच पड़ताल की जाये , जांच पड़ताल से फूल पौधों की खूब बिक्री का पता चलेगा , तो इस धंधे का आर्थिक मूल्य उपलब्ध होगा । फिर स्थानीय भौगोलिक स्थिति और जलवायु संसाधन की जांच पड़ताल की जाये । परिणामस्वरुप हमें मालूम हुआ है कि यहां पर उच्च गुणवान फूल पौधे लगाये जा सकते हैं ।"

पठार पर गुलाब और ट्यूलिप जैसे मैदानी फूल पौधों की सफल उगाई वाकई एक चुनौती ही है। लाइ पिंग शू ने अपने कठोर प्रयास के जरिये फूल पौधों की उगाई में उल्लेखनीय उपलब्धियां प्राप्त कर ली हैं, साथ ही त्वीलुंगत्हछिंग कांऊटी के किसानों को आर्थिक विकास दिशा बदलकर ज्यादा धन कमाने में मदद दे दी है। त्वीलुंगत्हछिंग कांऊटी के कांगत्हलिन साग सब्जी उगाई ग्रामीण सहकारी समिति के अध्यक्ष अवांगत्सेरिंग ने कहा:"जब एक हैक्टर जमीन पर कृषि फसलों की उगाई की जाती है, तो केवल 800 य्वान का लाभ मिलता है, पर जब इतनी विशाल जमीन पर साग सब्जियों की उगाई की जाती है, तो एक लाख सात हजार पांच सौ य्वान का मुनाफा होता है। यदि इस क्षेत्रफल वाली जमीन पर फूल पौधों की उगाई की जाती है, तो जो लाभ होता है, वह साग सब्जियों की उगाई से एक गुना अधिक भी है। जाहिर है कि फूल पौधों की उगाई से ज्यादा आर्थिक लाम हुआ है। अब स्थानीय किसानों को फूल पौधों से 18 हजार य्वान का लाभ हुआ है।"

अवांगत्सेरिंग के अनुसार वर्तमान कांगत्हलिन साग सब्जी ग्रामीण उगाई सहकारी समिति ल्हासा क्षेत्र में सब से बड़ा साग सब्जी व फूल पौधे उत्पादन अड्डा बन गयी है, इस सहकारी समिति के पास कुल 150 हैक्टर जमीन है और 920 ग्रीन हाउस भी है, जिन में 100 ग्रीनहाउसों में फूल पौधों की उगाई की जाती है, ल्हासा शहर के ताजा फूल बाजारों में बिकने वाले फूल मूल रुप से यहां से आते हैं ।

तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के गुलाब किस्म वाली वनस्पति अनुसंधानकर्ता डाक्टर और चीनी विज्ञान अकादमी के छिंगहाई तिब्बत अनुसंधान प्रतिष्ठान के क्वान फ़ा छुन ने कहा कि तिब्बत में अलग ढंग का विशेष जलवायु फूल पौधों की उगाई के लिये बेहद अनुकूल है। इसी प्रकार वाले पठारीय विशेषता वाले फूल पौधे देश के भीतरी इलाकों में प्रविष्ट करने वाली सब से बड़ी श्रेष्ठता है। क्वान फ़ा छुन का कहना है:"मसलन यहां पर धूप प्रचुर मात्रा में मिलती है, आंथसायानिंग की मात्रा भी बहुत अधिक है, इसी प्रकार फूलों का रंग भीतरी इलाकों से कहीं अधित चमकदार है। एक ही किस्म वाले फूल में निहित आंथसायानिंग की मात्रा भीतरी इलाकों से एक से दो गुना अधिक है, यह हमारे यहां की विशेष पहचान है। दूसरी तरफ यहां पर दिन और रात के तापमान में बड़ा अंतर मौजूद है, जिस से फूल पौधों के बढने की गति काफी मंद है और खिले हुए फूल काफी लम्बे समय तक ताजा बरकरार रखे जा सकते हैं। तिब्बत में हमारे ताजा फूल आधे माह तक संरक्षित होते हैं, जबकि भीतरी इलाकों में ज्यादा से ज्यादा एक हफ्ते तक।"

क्वान फ़ा छुन ने इस का परिचय देते हुए कहा कि गुलाब की सफल उगाई से पठार पर गुलाब प्रजनन की गति को बढावा मिलेगा। उनका कहना है:"हमें उम्मीद है कि तिब्बत के आदिम गुलाब के बीज को भीतरी इलाकों के गुलाब के बीज के साथ जोड़कर संकर गुलाब तैयार करने में सफल होगा। यह संकर गुलाब पठारीय विशेषता बनाये रखने के साथ साथ उच्च उंचाई का जलवायु सहने और कीड़ों मकोड़ों से बचने में समर्थ भी होगा। मतलब है कि इसी नयी किस्म वाले संकर गुलाब का रंग चमकदार ही नहीं, फूल अवधि भी लम्बे समय तक संरक्षित भी होगी। बेशक, यह नया संकर गुलाब अवश्य ही समूचे चीन में सब से उच्च स्तरीय फूलों की निनती में आयेगा।"

डाक्टर क्वान इसी नयी किस्म वाले गुलाब तैयार करने पर अत्यंत आश्वस्त हैं। उनका मानना है कि सामग्री, अनुभव और तकनीक की दृष्टि से देखा जाये , इसी नयी किस्म वाले गुलाब तैयार करने की पूरी संभावना मौजूद है। साथ ही इस किस्म वाले गुलाब चीन के उच्च ऊंचाई पर स्थित कुछ क्षेत्रों पर भी उगाये जाने लायक भी हैं।

तिब्बत समुद्र सतह से कोई चार पांच हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, यहां के दिन व रात के तापमान में बड़ा अंतर मौजूद है, पेड़ों की हरियाली भी बहुत कम है, पर कई पीढियों की साग सब्जियों व फूल पौधों को उगाने की अथक कोशिश के जरिये अब तिब्बत में दैनिक जीवन की मांग पूरी की जाती ही नहीं, और खुशहाल जीवन की ओर बढने की गति भी तेज हो गयी है। गुलाब और ट्यूलिप जैसे दुर्लभ फूल अब धीरे धीरे साधारण स्थानीय वासियों के घरों में देखने को मिलता है, जिस से न सिर्फ साधारण वासियों के जीवन में रंग भर गया है, बल्कि तिब्बती विकास की ऐतिहासिक प्रक्रिया भी अभिव्यक्त हो गयी है।

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