तिब्बत के अली प्रिफैक्चर की फूलान कांउटी के पागा जिले स्थित कांगसा गांव चीन, भारत और नेपाल के सीमांत क्षेत्र में बसा हुआ है, जो पवित्र कांगरिनबॉचे पर्वत यानी कैलाश और पवित्र झील माफांग योंत्सो यानी मानसरोवर झील के पास स्थित है। पहले यह एक बहुत गरीब सीमावर्ती गांव था, लेकिन हाल के वर्षों में यह अपनी विशेष भौगोलिक स्थिति पर निर्भर रहकर पर्यटन उद्योग का जोरदार विकास कर रहा है, फलस्वरूप गांववासी दिन ब दिन समृद्धि के रास्ते पर चलने लगे हैं।
कांगरिनबॉचे पर्वत यानी कैलाश की तलहटी पर पवित्र झील माफांग योंगत्सो यानी मानसरोवर के पास बसा हुआ कांगसा गांव इधर के सालों में देशी विदेशी पर्यटकों व बौद्ध धर्म के अनुयायियों का तीर्थ स्थल बन गया है। हर साल करीब दस हज़ार से ज्यादा बौद्ध धार्मिक अनुयायी व पर्यटक यहां आते हैं। समुद्र तल से करीब 5 हज़ार मीटर की ऊंचाई पर कैलाश व मानसरोवर का दौरा करना अनुयायियों व पर्यटकों के लिए मुश्किल होता है। उनके साज सामान को व्यक्तियों व जानवरों के जरिए ढोना पड़ता है। इस तरह पागा जिले की स्थानीय सरकार ने यह वाणिज्यिक मौका देखकर वर्ष 1996 में कांगसा गांव में याक परिवहन सेवा दल की स्थापना की। स्थानीय चरवाहे विशेष पर्यटन संसाधन पर निर्भर होकर अपने याकों व घोड़ों के जरिए यहां आने वाले बौद्ध धर्म के अनुयायियों व पर्यटकों की सेवा करने लगे, जिससे उनकी आय बढ़ गई है।
वर्ष 2011 में याक परिवहन सेवा दल औपचारिक तौर पर याक परिवहन पर्यटन सेवा व सहयोग आर्थिक संगठन के रूप में बदल गया, तभी से संगठनात्मक व प्रबंधात्मक सेवा प्रदान की जाने लगी। हर वर्ष अप्रैल से अक्टूबर तक कैलाश व माफांग योंगत्सो झील का पर्यटन मौसम होता है। संगठन के सदस्य विश्व के विभिन्न स्थलों से आए अनुयायियों व पर्यटकों को खाने, पीने, रहने और खेलने से संबंधित सेवा देते हैं, जिससे उनकी अच्छी कमाई होती है। वर्तमान में कांगसा गांववासियों की सालाना आय में हर वर्ष इजाफा हो रहा है, पहले का छोटा गरीब गांव अब अली प्रिफैक्चर में सबसे समृद्ध गांवों में से एक बन गया है।
वास्तव में सुधार व खुलेपन के पूर्व कांगसा गांव अली प्रिफैक्चर के 23 गरीब गांवों में से एक था। सभी गांव वाले मुख्य तौर पर घूमंतू जीवन बिताते थे, जो कि बहुत मुश्किल भरा होता था। इधर के सालों में तिब्बत में खुले द्वार की नीति लगातार मज़बूत हुई है और साथ ही अली प्रिफैक्चर में यातायात के बुनियादी संस्थापनों का निरंतर सुधर हुआ है। ज्यादा से ज्यादा देशी विदेशी पर्यटक इसी प्रिफैक्चर में आते हैं। पवित्र पर्वत और झील के नाम से मशहूर कांगरिनबॉचे पर्वत और माफांग योंगत्सो झील तमाम पर्यटकों को आकर्षित करता है। पागा जिले के शीर्ष नेता फ़ान वूथाओ ने कहा:
"हर वर्ष लगभग 24 हज़ार पर्यटक और बौद्ध धर्म के अनुयायी हमारे यहां आते हैं। घोड़ा वर्ष यानी हॉर्स ईयर में यह संख्या सबसे अधिक, 50 हज़ार तक पहुंच जाती है। ये पर्यटक व अनुयायी मुख्य तौर पर सिंगापुर, जापान, भारत और नेपाल से आते हैं, जिनमें तीन चौथाई लोग भारत के होते हैं।"
फ़ान वूथाओ के अनुसार ये अनुयायी व पर्यटक आम तौर पर समूहों में यहां आते हैं, उन्हें स्थानीय याक सेवा दल की ज़रूरत होती है।
कांगरिनबॉचे पर्वत की तलहटी पर हमारे संवाददाता को कई भारतीय पर्यटक मिले। वे पवित्र पर्वत की तीर्थ यात्रा करने की तैयारी कर रहे हैं। याक परिवहन दल की मदद में वे खाद्य पदार्थ, गैस की टंकी, रज़ाई आदि साज सामान याक की पीठ पर बांधने में व्यस्त हैं। मध्य प्रदेश से आए अनुयायी राव ने हमारे संवाददाता से कहा:
"हमारी यात्रा बहुत सुखद है। यह एक पवित्र व सुन्दर स्थल है, यहां की तमाम चीज़ें अच्छी हैं। तिब्बती खाना स्वादिष्ट है, लेकिन हमें इसकी आदत नहीं है, वैसे यहां सांस लेना मुश्किल है।"
कांगसा गांव के याक परिवहन सेवा दल की सहायता से राव और उनके साथी बेफिक्र हो जाते हैं। परिवहन दल पर्यटकों के लिए साज सामान लादने के साथ-साथ कमज़ोर व्यक्तियों की सेवा भी करता है। इस दल की स्थापना के शुरू में हर वर्ष सिर्फ़ कुछ पर्यटक ही उनकी मदद लेते थे, लेकिन आज हर साल वह करीब 20 हज़ार लोग उनकी सेवा लेते हैं। ऐसे में याक परिवहन दल स्थानीय पर्यटन सेवा का मशहूर ब्रांड बन चुका है।
वर्तमान में कांगसा गांव के याक परिवहन सेवा दल के सदस्यों में 250 परिवारों के 985 लोग शामिल हैं, जिनके पास 4500 से अधिक याक, 400 से अधिक घोड़े हैं। हर दिन एक घोड़े पर एक व्यक्ति को ले जाने से 200 युआन की कमाई होती है, जबकि एक याक साम ढोने में करीब 150 युआन, कुली के रूप में 120 युआन मिलते हैं। हर बार पवित्र कैलाश पर्वत का दौरा करने में तीन दिन लगते हैं। इस तरह एक बार की सेवा से गांव वासी करीब एक हज़ार युआन कमा सकता है। गांव वासी को परिवहन दल को 2 प्रतिशत की प्रबंध फ़ीस और हर याक के लिए 5 युआन की घास-मैदान मुआवज़ा फ़ीस देनी होती है।
पहले की व्यक्तिगत सेवा की तुलना में याक परिवहन दल की सेवा ज्यादा सुनिश्चित हो गई और उसकी प्रतिस्पर्द्धा शक्ति भी बढ़ी है। इसकी चर्चा में कांगसा गांव के प्रधान निमा यीशी डोर्चे ने कहा:
"हमारी सेवा की गुणवत्ता ज्यादा बेहतर हो रही है। पहले व्यक्तिगत सेवा प्रदान की जाती थी, कोई समस्या सामने आने पर, जिम्मेदार प्रबंधक नहीं मिलता था। उस समय पर्यटक सामान लादने वाले व्यक्ति व याक मुश्किल से मिलते थे। याक परिवहन सेवा दल की स्थापना के बाद हम पूरे गांव के संसाधन का अच्छी तरह बंदोबस्त कर हर व्यक्ति को मौका देते हैं, जिससे पूरे गांव की औसत आय बढ़ती है और उनका जीवन स्तर उन्नत हो रहा है और हमारे गांव में सामूहिक तौर पर समृद्धि साकार हो रही है।"
निमा यीशी डोर्चे के अनुसार यहां आने के बाद बौद्घ धर्म के अनुयायी और पर्यटकों को गांव में पंजीकरण करना पड़ता है, फिर गांव वासियों से गठित विभिन्न टीम उन्हें संबंधित सेवाएं प्रदान करती हैं। परिवहन दल के निदेशक विभिन्न परिवारों की जनसंख्या के मुताबिक सेवा कार्य का बंदोबस्त करते हैं। हर परिवार अपनी बारी में व्यक्ति, याक और घोड़े की सेवा देता है। पूरे गांव के विभिन्न टीमों के प्रधान व गांव के नेता याक परिवहन सेवा दल में प्रबंधन की ज़िम्मेदारी संभालते हैं।
पर्यटकों की सुरक्षा की गारंटी और सेवा की गुणवत्ता के लिए कांगसा गांव का याक परिवहन सेवा दल पर्यटकों की अच्छी सेवा के लिए कड़े मापदंड अपनाता है। हर बार जाने से पहले परिवहन दल के सदस्य को"पवित्र पर्वत परिवहन सेवा दल"नामक कार्ड दिया जाता है, जिस पर सेवा करने वाले व्यक्ति का नम्बर दर्ज होता है। अगर पर्यटक किसी व्यक्ति की सेवा से असंतुष्ट होता है, तो वह गांव की प्रबंधन समिति से शिकायत कर सकता है। इसकी चर्चा में निमा यीशी डोर्चे ने कहा:
"पर्यटक हमारी प्रबंधन समिति को पैसे देते हैं। अगर किसी व्यक्ति की सेवा अच्छी नहीं होती है, तो पर्यटक व अनुयायी सीधे तौर पर हमारे यहां शिकायत दर्ज करा सकते हैं। हम उन्हें पैसे वापस दे देते हैं। अगर कोई मारपीट की घटना हुई और हम इससे न निपट सके तो इसके समाधान के लिए संबंधित विदेशी विभाग जाते हैं। संतोषजनक बात यह है कि आज तक कांगसा गांव में ऐसी कोई भी घटना नहीं हुई।"
कांगसा गांव में आए बदलाव की चर्चा में निमा यीशी डोर्चे ने बहुत गर्व के साथ कहा कि पहले अधिकांश गांववासी शिविर में रहते थे, बेहतर आर्थिक स्थिति वाले लोग मिट्टी से बने मकान में रह सकते थे। लेकिन आज सभी गांववासी बड़े व अच्छे मकानों में रहते हैं। उन्होंने कहा:
"पहले की तुलना में हमारे गांववासियों का आज का जीवन बहुत सुखमय है। हर परिवार के पास दो मोटर गाड़ियां हैं और कई के पास कारें भी हैं। घर में इलेकट्रॉनिक उपकरण उपलब्ध हैं और जीवन स्तर पहले से कहीं बेहतर हो गया है।"
तिब्बती युवक जाशी इस गांव का रहने वाला है, याक परिवहन सेवा दल में शामिल होने के बाद उसके जीवन बड़ा बदलाव आ गया है। जाशी ने हमारे संवाददाता को बताया:
"इस वर्ष सिर्फ मई से जुलाई के मध्य तक डेढ़ महीने में याक परिवहन सेवा दल में काम कर मैंने पांच या छह हज़ार युआन कमाए हैं।"
कांगसा गांव के पर्यटन विकास से स्थानीय खानपान और आवास से संबंधित सेवा व्यवसायों के विकास को भी लाभ मिला है। वास्तव में गांववासियों के निवास मकान का क्षेत्रफल आम तौर पर 80 से 120 वर्गमीटर है, अपने रहने के अलावा ज्यादा खाली जगह होती है। इस तरह कई गांव वाले सड़कों के किनारे दुकान खोलते हैं और कुछ लोगों ने घर के बाकी कमरों से पारिवारिक होटल बनाया है।
तिब्बती महिला छ्युचङ ने गांव के प्रवेश करने के रास्ते पर एक छोटा सा बाज़ार खोला है, जिस में कार्पेट, टॉर्च, पॉट आदि के अलावा खाद्य पदार्थ और सॉफ्ट ड्रिंक आदि उपयोगी चीज़ें मिलती हैं। बाज़ार के पीछे कई नए मकान हैं। छ्युचङ ने बताया कि उसने घर के बाकी कमरे को होटल के रूप में बनाया, विशेषतौर पर देशी विदेशी पर्यटकों और तीर्य यात्रा करने आए बौद्ध धर्म के देशी विदेशी अनुयायियों के लिए रहने की सेवा करती है। छ्युचङ ने कहा:
"हमारे यहां कुल 55 पलंग हैं। एक व्यक्ति से एक रात ठहरने के 15 से 20 युआन किराया लेती हूँ। तीर्थ यात्रा करने आए अनुयायी यहां खुद खाना पका सकते हैं, हम उन्हें गैस और गर्म पानी देते हैं।"
छ्युचङ के पारिवारिक होटल में हमारे संवाददाता की मुलाकात तिब्बत के नाछ्यु प्रिफैक्चर से आए चरवाहे गागा से हुई। 62 वर्षीय गागा परिजनों के साथ पवित्र पर्वत कांगरिनबॉचे और पवित्र झील मांफांग योंगत्सो की तीर्थ यात्रा के लिए यहां आए हैं। छ्युचङ के पारिवारिक होटल से खुश हैं। तिब्बती चरवाहे गागा ने कहा:
"यहां रहना मुझे अच्छा लगता है, संबंधित सेवा उपकरण सुविधाजनक हैं।"
तिब्बती महिला छ्युचङ ने हमारे संवाददाता को बताया कि वर्तमान में उसके पारिवारिक होटल का व्यापार अच्छा है। हर दिन 55 पलंग की मांग पूरी होती है। पिछले 20 दिनों में होटल से 15 हज़ार युआन कमाई हुई। इसके साथ ही छोटे बाज़ार से हम एक साल में 20 हज़ार युआन कमा लेते हैं।
तिब्बत के अली प्रिफैक्चर के खुनशा हवाई अड्डे का नेविगेशन और नम्बर 219 राज मार्ग के यातायात शुरू होने से अली प्रिफैक्चर के पर्यटन का तेज़ विकास हो रहा है। पवित्र पर्वत कांगरिनबॉचे और पवित्र झील माफांग योंगत्सो की तीर्थ यात्रा तिब्बत के पर्यटन की नई लाइन बन गई है, इससे कांगसा गांव एक अंतरराष्ट्रीय यातायात केंद्र बन रहा है। आज कांगसा गांव से अली प्रिफैक्चर की राजधानी शी छ्वानहे कस्बे तक और आसपास की फूलान कांउटी तक दो बस लाइन खुल गई हैं, इसके साथ ही गांव में डाकघर, दूर संचार, मोबाइल, इंटरनेट और चिकित्सा केंद्र आदि खुल चुके हैं। गत वर्ष कांगसा गांव की पर्यटन आय 47 लाख युआन पहुंची, गांववासियों की औसतन आय 6 हज़ार युआन से अधिक रही। इस वर्ष स्थानीय किसानों व चरवाहों की औसत आय 7 हज़ार युआन से ज्यादा होने की संभावना है। पवित्र पर्वत कांगरिनबॉचे और पवित्र झील माफांग योंत्सो के आपसास रहते हुए कांगसांग वासियों का जीवन दिन ब दिन अच्छा हो रहा है और वे समृद्धि के रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं।