तिब्बती ऑपेरा तिब्बती जातियों के नाटकों का कुल नाम है, जो करीब छह सौ वर्ष पूर्व पैदा हुआ, इसे तिब्बती संस्कृति का जीवित जीवाश्म भी कहा जाता है।
छिंगहाई तिब्बत पठार के विभिन्न स्थानों की प्राकृतिक स्थिति असमान होने के कारण, जीवन शैली, रीति रिवाज़, सांस्कृतिक परम्परा और भाषाएं भी अलग हैं। इस तरह तिब्बती ऑपेरा की तमाम कलात्मक किस्में व शाखाएं उपलब्ध हैं। पिनतुन गांव वासियों द्वारा अभ्यास किए जाने वाला तिब्बती ओपेरा सफेद मुखौटा तिब्बती ओपरा है, जो तिब्बती ओपरा की एक शाखा है।
तिब्बत के लोका प्रिफैक्चर की छोंगच्ये कांउटी स्थित पिनतुन गांव की तिब्बती ओपरा मंडली तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में स्थापित पहली तिब्बती ओपरा मंडली है। 1980 के दशक में पैसे की कमी के कारण मंडली को भंग कर दिया गया। वर्ष 2006 तक तिब्बती ओपरा को चीनी राष्ट्र स्तरीय गैर भौतिक सांस्कृतिक अवशेष की सूची में शामिल किया गया। इसके बाद पिनतुन गांव की तिब्बती ऑपरा मंडली का पुनःगठन किया गया।
सफेद मुखौटा तिब्बती ऑपेरा के उत्तराधिकारी, पिनतुन गांववासी पाचू ने हमारे संवाददाता को बताया कि उस समय से ही तिब्बती ओपेरा मंडली को समर्थन राशि मिली, जो देश द्वारा विशेष तौर पर गैर भौतिक सांस्कृतिक अवशेष के संरक्षण के लिए दी जाती है। पाचू ने कहा:"इस विशेष राशि से हमारे क्षेत्र व कांउटी को भत्ता मिला। इसका इस्तेमाल कर हमने अभ्यास के लिए बिल्डिंग का निर्माण करवाया और संबंधित चीजें व ओपरा के लिए ड्रेस आदि खरीदी। इसके साथ ही अभ्यास करने वालों को कार्य भत्ता भी दिया जाता है। अगले दिन होने वाले अभिनय की तैयारी इससे एक दिन पहले ही समाप्त कर ली जाती है।"
पाचू के मुताबिक ओपरा मंडली की स्थापना की शुरुआत में महज 12 एक्टर थे। लेकिन अब मंडली के सदस्यों की संख्या 28 तक पहुंच गई है, जिनमें आधे से अधिक 20 की उम्र के युवा हैं। वर्तमान में हर वर्ष पिनतुन तिब्बती ओपरा मंडली पांच या छह ओपरा प्रदर्शनी आयोजित करती है। इसके साथ ही मंडली के सदस्य कभी कभार तिब्बत द्वारा आयोजित बड़ी सांस्कृतिक गतिविधियों में भी भाग लेते हैं।