पिछले माह की शुरुआत में पांचवीं अंतरराष्ट्रीय तिब्बत शास्त्र संगोष्ठी पेइचिंग में आयोजित हुई। जिसमें कई भारतीय विद्वानों ने भी हिस्सा लिया। इस मौके पर मेरी मुलाकात प्रोफेसर विनोद नौटियाल से हुई, जो उत्तराखंड के गढ़वाल विश्वविद्यालय के इतिहास व पुरातत्व विभाग में कार्यरत हैं। वर्ष 2011 में उन्होंने भारतीय पुरातत्व दल का नेतृत्व कर पहली बार हिमाचल प्रदेश के उत्तर पूर्वी स्थित किन्नौर क्षेत्र के कनाम और लिपा दो इलाकों का पुरातात्त्विक सर्वेक्षण किया, वहां से प्राप्त ऐतिहासिक वस्तुओं से जाहिर होता है कि प्राचीन काल से ही भारत और तिब्बत के बीच सांस्कृतिक आदान प्रदान कायम था।