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तिब्बत की कोना कांऊटी का निरंतर विकास का रास्ता
2012-09-19 18:59:14

विश्व की छत के नाम से विख्यात छिंगहाई तिब्बत पठार के दक्षिण भाग में खूब सूरत कोना कांऊटी अवस्थित है। चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के दक्षिण भाग में स्थित इस कांऊटी में पर्यटन संसाधनों की खूब भरमार होती है, खासकर समुद्र की सतह से 2900 मीटर की ऊंचाई पर खडे लेग्पो का प्राकृतिक दृश्य अपनी विशेष पहचान बना लेता है। यहां पर सीधी खड़ी चट्टान, घने जंगल और दर्शनीय प्राकृतिक दृश्य अधिकाधिक पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र भी बनता जा रहा है।

हालांकि कोना कांऊटी चीन के दूरस्थ क्षेत्र में अवस्थित है, पर चीन के आर्थिक समाज के तेज विकास की पृष्ठभूमि तले इस कांऊटी को फिर भी विकास की प्रेरणा मिल गयी है। कोना कांऊटी की कम्युनिस्ट पार्टी की कमेटी के सचिव शू ह्वा भीतरी प्रांत आंह्वी से आये हैं, वे कोना काँऊटी के निवासियों की अपनी जन्मभूमि का विकास करने की अभिलाषा को अच्छी तरह जानते हैं। शू ह्वा ने कहा:"हमारी कांऊटी में पर्यटन संसाधन बहुत समृद्ध हैं, अलग ढंग का प्राकृतिक दृश्य ही नहीं, तिब्बत के आक्सिजन बार के नाम से प्रसिद्ध लेग्पो घाटी भी पाया जाता है। इतना ही नहीं, यहां छठें दलाई लामा की जन्मभूमि भी है, चीन की अति कम जनसंख्या वाली मनपा जाति केंद्रित रुप से बसी हुई है, मनपा जाति की संस्कृति और परम्परागत मनपा आँपेरा भी इस कांऊटी की विशेषताओं में से भी है। पर्यटन उद्योग के विकास के जरिये कृषि व पशुपालन उद्योग और जातीय दस्तकारी उद्योग के ढांचे के समायोजन को प्रोत्साहन किया जा सकता है, ताकि हमारी अर्थव्यवस्था एक नयी बुलंदी पर पहुंच सके।"

शू ह्वा ने कहा कि कोना कांऊटी का विकास एक अबाध्य धारा बन गया है। भीतरी क्षेत्रों के विकास अनुभवों को ध्यान में रखकर कांऊटी कमेटी ने गहरी जांच पड़ताल के जरिये पर्यटन उद्योग के विकास को केंद्र बनाने का विचार पेश किया। पर्यटन उद्योग को बढावा देने के लिये इस कांऊटी ने सहायक आधारभूत संस्थापनों की निर्माण प्रकिया को गति दी है। मसलन कांऊटी सरकार ने पर्यटकों को सुविधा उपलब्ध कराने के लिये प्रसिद्ध रमणीय लेग्पो को एक बुनियादी स्तरीय क्लिनीक के रुप में निर्मित करने का फैसला कर लिया है। आइंदे स्थानीय सरकार कांऊटी शहर से पर्यटन स्थल तक पहुंचने वाले पक्के राजमार्ग के निर्माण में 26 करोड़ य्वान जुटायेगी।

शू ह्वा ने कहा कि पर्यटन उद्योग के विकास के लिये कोना कांऊटी के पारिस्थितिकी वातावरण को अच्छी तरह संरक्षित बनाने के साथ साथ कोना कांऊटी की जातीय संस्कृति की रक्षा करना भी अत्यावश्यक है। वर्तमान में कोना कांऊटी स्थानीय जातीय संस्कृति को बचाने और संरक्षित करने में तेजी ला रहा है। उन्होंने कहा:"हमारी कोना कांऊटी की वर्तमान हालत की दृष्टि से देखा जाये, एक तरफ तिब्बती जातीय संस्कृति के संरक्षण को महत्व दिया जाता है, मिसाल के लिये हम छठें दलाई लामा के पुराने निवास स्थान के संरक्षण में उन के द्वारा छोड़ी गयी चीजों का संग्रह करने में जुटे हुए हैं। इस के अलावा उन का ग्रीष्मकालीन महल भी हमारी कांऊटी में है, हम इस ग्रीष्मकालीन महल की मरम्मत करन की योजना बना रहे हैं। दूसरी तरफ हम मनपा जातीय संस्कृति के संरक्षण में भी लगे हुए हैं। हम मनपा आंपेरा राष्ट्रीय अभौतिक सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल करने को कोशिश कर रहे हैं और उस के उत्तराधिरी को प्रशिक्षित करने में संलग्न हैं, ताकि इस जातीय संस्कृति को अच्छी तरह संरक्षित व प्रदर्शित किया जा सके।"

असल में कोना कांऊटी का विकास फारमूला समूचे तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के विकास फारमूले का एक नमूना ही है। दक्षिण पश्चिम चीन स्थित तिब्बत स्वायत्त प्रदेश अपनी विशेष पहचान और दर्शनीय प्राकृतिक दृश्य से विश्वविख्यात है। पर्यटन उद्योग ने तिब्बत के प्रमुख उद्योगों में से एक होने के नाते काफी बड़ा विकास किया है, इधर सालों में खासकर पहली जुलाई 2006 को छिंग हाई तिब्बत रेल लाइन के उद्घाटन के बाद तिब्बत के विकास में उल्लेखनीय प्रगति प्राप्त हुई है। 2010 में तिब्बत ने कुल 68 लाख 50 हजार देशी विदेशी पर्यटकों का सत्कार किया है और पर्यटन आय सात अरब 71 करोड़ य्वान भी प्राप्त किया है । पर्यटन उद्योग के विकास से तिब्बत के सेवा उद्योग को बढ़ावा भी मिला है। तिब्बती पर्यटन विभाग के आंकड़ों के अनुसार वर्तमान तिब्बत में 173 स्टार स्तरीय होटल निर्मित हुए हैं, तीन हजार से अधिक पर्यटन वाहन उपलब्ध भी हैं, जिन की कुल सीटें 70 हजार से ज्यादा हैं।

तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के पर्यटन उद्योग के विकास के चलते विविध तिब्बती जातीय संस्कृतियां भी अच्छी तरह संरक्षित व प्रदर्शित हुई हैं, विशेषकर सूक्ष्म जातीय दस्तकारी वस्तुएं पर्यटन उद्योग के विकास में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। मज़बूत तिब्बती विशेषताओं वाली जातीय शिल्प कलात्मक कृतियां, धार्मिक वस्तुएं, रोजमर्रे में आने वाली चीजें और परिधान पर्यटन यादगार चीजों के रुप में खूब बिकी जाती हैं। गत पांच वर्ष में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के जातीय दस्तकारी उत्पादनों में पर्यटन यादगार चीजों का अनुपात प्रति वर्ष तीन-चार प्रतिशत की दर से बढ़ गया है।

जातीय दस्तकारी उद्योग के विकास से बड़ी तादाद में स्थानीय किसानों व चरवाहों की रोजगार समस्याएं हल हुई ही नहीं, उन की आय में भी बड़ी वृद्धि हो गयी है। कोना कांऊटी के माग्मांग टाऊनशिप के एक मनपा जातीय शिल्पकार कामा त्सेरिंग को ही मिसाल ले लीजिये। काष्ठ कटोरा बनाने की कला सीखने से पहले उन्हें पैसे कमाने के लिये बाहर जाने के अलावा पर्वत पर जड़ी बूटियों को काटना, खेतीबाड़ी करना और पशुपालन करना भी पड़ता था, पर ऐसा होने पर भी उन की सालाना आय 8 हजार य्वान से कम मात्र है। लेकिन अब वे काष्ठ कटोरा बनाने के कौशल पर महारत हासिल कर चुके हैं, साल में काष्ठ कटोरे बेचने से 20 हजार य्वान से अधिक लाभ हुआ है, जो अपने पूरे परिवार की आय का 90 प्रतिशत के आसपास बनता है। कामा त्सेरिंग ने कहा:"पर्यटन के व्यस्त मौसम में जब पर्यटक ज्यादा आते हैं, तो मैं काष्ठ कटोरे बेचने से दिन में लगभग हजार य्वान कमा सकता हूं, जब पर्यटक कम आते हैं, तो मैं दिन में कई सौ य्वान भी कमा पाता हूं।"

तिब्बत के पारिस्थितिकी पर्यटन से सचमुच तिब्बती जनता को फायदा हुआ है, अब विभिन्न क्षेत्रों का पूरा ध्यान स्थानीय पारिस्थितिकी वातावरण के संरक्षण पर दिया जाता है। गत पांच वर्षों में तिब्बत ने पारिस्थितिकी संरक्षण व निर्माण में दस अरब य्वान से अधिक धन राशि लगायी है। वर्तमान में तिब्बत में 47 प्राकृतिक संरक्षित क्षेत्र स्थापित हुए हैं, जिन का क्षेत्रफल चार लाख दस हजार वर्ग किलोमीटर से बढ़ गया है और समूचे प्रदेश के कुल क्षेत्रफल का 34 प्रतिशत है।

अब आर्थिक विकास फारमूले के समायोजन के साथ साथ आर्थिक विकास व वातावरण संरक्षण को प्राथमिकता पर देना और कम कार्बन अर्थव्यवस्था का सकारात्मक रुप से विकास करना चीन सरकार की संचालित धारणा बन गया है। जबकि तिब्बत का विकास ठीक इस संचालित धारणा की ठोस मिसाल ही है। और तो और यह संचालित धारणा कोना कांऊटी में ही अच्छी तरह अभिव्यक्त हो गयी है। कोना कांऊटी की चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की कमेटी के सचिव शू ह्वा ने जोर देते हुए कहा कि कोना कांऊटी का विकास स्थानीय प्राकृतिक पारिस्थितिकी संसाधन की देन ही है। इसलिये कोना कांऊटी को किसी भी परियोजना के निर्माण से पहले पारिस्थितिकी संरक्षण को पूर्व शर्त बनानी ही होगी। शू ह्वा का कहना है:"हमें तथाकथित विकास को बढाने के लिये वातावरण संरक्षण और पारिस्थितिकी संरक्षण की कीमत नहीं चुकाना चाहिये। इसलिये तिब्बत की सहायता परियोजनाओं व हमारी कांऊटी के भीतर सभी निर्माण परियोजनाओं समेत तमाम परियोजनाओं के निर्माण में वातावरण संरक्षण को पूर्व शर्त बनाना अत्यावश्यक है। यह स्थानीय पर्यटन उद्योग के विकास की हमारी पूर्व शर्त भी है। क्योंकि पर्यटन उद्योग की सब से बड़ी जीवनी शक्ति अपना प्राकृतिक व पारिस्थितिकी स्वरुप ही है।"

पर्यटन के विकास और सांस्कृतिक व पारिस्थितिकी संरक्षण को साथ साथ महत्व देने के कोना कांऊटी के विकास रास्ते को स्थानीय वासियों की खूब दाद मिली है। लेग्पो के माग्मांग टाऊनशिप में रहने वाली मापा जाति की महिला त्सेरिंग यांगकी उन में से एक हैं। उनका कहना है:"समाज के विकास के चलते स्थानीय वासियों की आय भी बढाने की जरुरत भी है, अतः मैं यहां पर पर्यटन उद्योग का विकास करने का समर्थक हूं। मौके पर मैं मनपा जातीय विशेषताओं वाला होटल खोलना भी चाहती हूं। क्योंकि हमारे यहां मनपा जाति के लोग केंद्रित रुप बसे हुए हैं। यदि मनपा जातीय जीवन शैली से युक्त होटन खड़ा किया जायेगा, तो वह अवश्य ही तिब्बत के अन्य बहुत ज्यादा क्षेत्रों में अपना विशेष स्थान बना लेगा।"

त्सेरिंग यांगकी ने कहा कि आधारभूत सहायक संस्थापनों का निर्माण पूरा होने के साथ साथ लेग्पो का दौरा करने वाले पर्यटकों की संख्या भी अधिक होगी, वे यहां के पर्यटन उद्योग के विकास पर आश्वस्त है।

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