तिब्बत पहुंचने के तुरंत बाद वह अपने सहायता कामकाजी में जुट गये, विशेषकर तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति की 60वीं वर्षगांठ मनाने के विविधतापूर्ण आयोजनों के लिये दौड़धूप करते नजर आये। वे अपनी व्यस्तता पर बेहद खुश हैं। उन का मानना है कि तिब्बत में काम करने में प्राप्त अनुभव अपनी जिंदगी की बेमूल्य निधि ही हैं। साथ ही तिब्बत की शातिपूर्ण मुक्ति की 60वीं वर्षगांठ की खुशियां मनाने के आयोजनों में हिस्सेदारी और बड़े सम्मान की बात ही है।
हालांकि हमारे संवाददाता शनिवार को ताइ वई के साथ साक्षात्कार कर रहे थे, पर टेलिफोन की घंटी बार बार बजने से साक्षात्कार फिर भी लगातार कट गया। 35 वर्षीय ताइ वई तिब्बत को सहायता देने के लिये छठी खेप में तिब्बत गये भीतरी क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं में से हैं। तिब्बत जाने से पहले वे चीनी राष्ट्रीय कंप्यूटर नेटवर्क आपात तकनीक समन्वय केंद्र में कार्यरत थे। तिब्बत पहुंचने के बाद उन्होंने तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के उद्योग व सूचनाकरण ब्यूरो के सूचनाकरण बढावा विभाग के उप प्रधान का पद संभाल लिया, वे मुख्य तौर पर तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की सूचनाकरण तंत्र की स्थापना व संबंधित परियोजनाओं को मूर्त रुप देने का जिम्मा निभाते हैं। काम के लिये तिब्बत
आने के विकल्प के बारे में ताइ वई ने कहा:"12 मई 2010 को जब पता चला कि काम करने के लिये तिब्बत जाने का मौका है, तो मैंने तुरंत ही तिब्बत जाने का मन बना लिया । क्योंकि उस समय एक तरफ मैं तिब्बत के बारे में जानने का जिज्ञासू था, दूसरी तरफ यदि अपने युवा काल में तिब्बत जैसे क्षेत्र में काम करने का मौका मिला, तो व्यक्तिगत विकास के लिये बहुत मददगार सिद्ध भी होगा, इसलिये मैंने काम करने के लिये तिब्बत आने का फैसला कर लिया है।"
तिब्बत की राजधानी ल्हासा शहर समुद्र की सतह से तीन हजार सात सौ मीटर की ऊंचाई पर अवस्थित है, वायु में आक्सिजन की मात्रा कम है, चीन के भीतरी क्षेत्र के मैदानी इलाके में पले बढ़े ताइ वई के लिय ऊंचाई बीमारी को शीघ्र ही काबू में पाना निहायत जरूरी है। इसकी चर्चा में ताई वई ने कहा: "ल्हासा पहुंचने के प्रथम दिन की गहरी रात मेरे सिर में इतना जबरदस्त दर्द हुआ कि मानो मेरा सिर फटने ही वाला था और सांस लेना भी बेहद कठिन था, पूरी रात सो नहीं सकता, ज्यादा बोलने या चलने से दिल की धड़कन एकदम तेज होने लगी और सांस लेने में भी बड़ी दिक्कत हुई। वास्तव में मेरी यह प्रतिक्रिया ज्यादा गम्भीर नहीं थी, मेरे साथ आये दूसरे लोगों को मुझ से बहुत ज्यादा तकलीफें झेलनी पड़ीं, उन में कुछ लोगों को फेफड़े सूजन जैसी ऊंचाई बीमारी लगी , पठारीय क्षेत्र में फेफड़े सूजन एक जानलेवा बीमारी है, यदि ठीक समय पर इस बीमारी का इलाज नहीं किया जाता, तो वह जान को खतरे में डाल सकता है।"
लगभग एक हफ्ते के बाद ताइ वई धीरे धीर पठारीय वातावरण के अनुकूल हो कर ठोस काम में जुट गये हैं ।
विभिन्न कारणों की वजह से तिब्बत का आर्थिक व सामाजिक विकास भीतरी इलाकों से अपेक्षाकृत पिछड़ा है। केंद्रीय सरकार ने तिब्बत के विकास को बढ़ावा देने के लिये 1995 से तिब्बत को सहायता देने का अभियान चलाया और विविध नीतियां व कदम भी उठा दिये। उन में से एक है कि भीतरी इलाकों से श्रेष्ठ जवान सरकारी कार्यकर्ताओं को चुनकर तिब्बत में भेजा जायेगा, वे वहां पर कई साल काम करने के बाद फिर भीतरी इलाकों में वापस लौट जाएंगे। तब से लेकर अब तक कुल 6 खेपों के चार हजार सात सौ से ज्यादा सरकारी कार्यकर्ता काम करने तिब्बत गये हैं। उन्होंने अपनी बुद्धि व क्षमता से तिब्बत के विभिन्न निर्माण कार्यों में अहम भूमिका निभायी हैं, ताइवई उन में से एक भी हैं।
संक्षेप में कहा जाये, ताइ वई तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में मुख्य तौर पर ई शासन और ई काँमर्स और नये आकार वाले ग्रामीण बहुदेशीय सूचना सेवा केंद्रों की स्थापना समेत इन तीनों कामों का दायित्व संभालते हैं। जिन में नये आकार वाले ग्रामीण बहुदेशीय सूचना सेवा केंद्रों की स्थापना का उद्देश्य विशाल तिब्बती किसानों व चरवाहों को नेटवर्क सेवा उपलब्ध कराना है, ताकि वे दैनिक जीवन व उत्पादन में नेटवर्क की सुविधाएं प्राप्त कर सके। ताइवई ने कहा कि गत वर्ष में उन्होंने ल्हासा शहर के आसपास 50 प्रशासनिक गांवों को चुनकर बहुदेशीय सूचना सेवा केंद्र स्थापित किये हैं, साथ ही हरेक केंद्र को कंम्युटर जैसे साज सामान बांट दिये हैं और इन सूचना केंद्रों के प्रबंध के लिये स्थानीय गाववासियों को प्रशिक्षण भी दिया है। ताई वई ने कहा:"हरेक गांव में ग्रामीण सूचना सेवक का बंदोबस्त कर दिया गया है, वे इंटरनेट पर स्थानीय किसानों व चरवाहों के लिये जरूरी उत्पादन व पशु पालन से जुड़ने वाले ज्ञान विज्ञानों का तिब्बत भाषा में अनुवाद करते हैं, फिर इन अनूदित सूचनाएं टाइप कर अलग अलग तौर पर स्थानीय किसानों व चरवाहों को बांट देते हैं और उन्हें अधिक से अधिक संबंधित सूचनाएं जानने में मदद देते हैं।"
ताइ वई के विचार में अपने व्यावसायिक ज्ञान के जरिये तिब्बत के साधारण किसानों व चरवाहों को और अधिक सूचनाएं उपलब्ध कराकर उत्पादन व जीवन में मौजूद असली मामलों का समाधान किया गया है, यह अपने प्रयासों की सब से बड़ी पुष्टि ही है।
उन्होंने हमारे संबाददाता से कहा कि दैनिक कामकाजी में तिब्बती साथियों के साथ उन का संबंध बहुत मधुर है, काम भी सुचारु रुप से किया जाता है। ताइ वई ने कहा:"उदाहरण के लिये भीतरी इलाकों व तिब्बत के बीच कार्य समय का बड़ा अंतर है, तिब्बत में ड्यूटी पर जाने का समय भीतरी इलाकों से देर है, लेकिन कुछ समय भीतरी इलाकों से आने वाले आपातकालीन दस्तावेजों का निपटारा शीघ्र ही करना अत्यावश्यक है, तो ऐसे समय पर तिब्बती साथियों के साथ सम्पर्क करना है कि कृया वे शीघ्र ही दफ्तर आकर अपने विश्राम के समय में आपातकालीन दस्तावेज का निपटारा करें।"
वर्तमान में ताइ वई जैसे तिब्बत की सहायता में आये भीतरी सरकारी कार्यकर्ता बुनियादी तौर पर तिब्बत के विभिन्न व्यवसायों के अग्रिम मोर्चे पर तिब्बत के विकास के लिये भरसक प्रयास करते हैं। ताइवई का मानना है कि तिब्बत में काम करने का अनुभव अपनी जिंदगी में एक बेमूल्य निधि ही है। उन का कहना है:"तिब्बत में आये हुए एक साल हो गया है, ठोस कार्य व्यवहार के माध्यम से जातीय एकता की नीति पर कामय रहकर तिब्बती साथियों व भीतरी इलाकों से आये साथियों के साथ तिब्बत के निर्माण में अपनी शक्तियां अर्पित करने को संकल्पबद्ध हूं। तिब्बत में काम करने का मेरा यह इतिहास अपने भावई काम के लिये एक मूल्यवान निधि ही है, यहां के ठोस व्यवहार में संचित अनुभव आइंदे समूचे देश में सूचनाकरण को लोकप्रिय बनाने और काम तौर तरीकों व धारणाओं को बदलने के लिये बड़ा मददगार सिद्ध होगा।"