छिंगहाई प्रांतीय तिब्बती सांस्कृतिक केंद्र छिंगहाई प्रांत के प्रसिद्ध ताल यानी कुमबुम मठ से मात्र एक किलोमीटर दूर है। शायद आप को मालूम हुआ होगा कि आज का ताल यानी कुमबुम मठ छिंगहाई प्रांत के पर्यटन कार्य का कार्ड बन गयी है और वह बड़ी तादाद में देशी विदेशी पर्यटकों को अपनी ओर खिंच लेता है। लेकिन मजे की बात यह है कि इस मठ के बगल में खड़ा छिंगहाई प्रांतीय तिब्बती सांस्कृतिक केंद्र हरेक पर्यटक का आकर्षण केंद्र जरूर ही बन जाता है।
छिंगहाई प्रांतीय तिब्बती सांस्कृतिक केंद्र में आप को आश्चर्यजनक प्राचीन व रहस्यमय तिब्बती जातीय संस्कृतियों को देखने को मिलती ही नहीं , बल्कि बौद्ध धार्मिक संस्कृति और आधुनिक ध्वनि और वीडियो प्रौद्योगिकी के सुंदर मिश्रण की झलक भी नजर आती है । छिंगहाई प्रांतीय सांस्कृतिक केंद्र के जनरल डिजाइर व प्रधान ई ची कांग ने इस केंद्र का परिचय देते हुए कहा:
"छिंगहाई प्रांतीय तिब्बती सांस्कृतिक केंद्र नम्बर एक भवन और नम्बर दो भवन में बटा हुआ है। नम्बर एक भवन दो मंजिलों का है, प्रथम मंजिल पर तिब्बती जाति की ऐतिहासिक प्रकिया से अवगत कराया जाता है, जबकि दूसरी मंजिल पर बुद्ध व भगवान, मुखौटा, थांगका, लिपि व महाकाव्य , त्रेस व नृत्य नाट्य, कुमबुम मठ के तीनों कलात्मक खजाने और तिब्बती औपेरा जैसे विविधतापूर्ण सांस्कृतिक व कलात्मक रुप दर्शाये जाते हैं। जबकि नम्बर दो भवन में तिब्बती लामा बौद्ध धर्म के विशेष ब्रह्माड दृष्टिकोण और जीवन व मृत्यु दृष्टिकोण को केंद्रित रुप से प्रदर्शित किया जाता है। समूचे भवन के विषयों और रुप आकारों में नया निखार आया है। विषय वस्तुएं अकादमिक व भावनात्मक और वैज्ञानिक व सांस्कृतिक निचोड़ हैं। और एक महत्वपूर्ण बात यह है कि एक सांस्कृतिक केंद्र को अपनी आत्म से जुड़ना चाहिये।"
छिंगहाई प्रांतीय तिब्बती सांस्कृतिक केंद्र की वास्तु शैली अपने ढंग की है, पूरे केंद्र का आकार प्रकार सीधा सादा होने पर भी अत्यंत भव्यदार दिखाई देता है, वह तिब्बती परम्परागत सांस्कृतिक निर्माण वास्तु शैली से युक्त ही नहीं, बल्कि जातीय रहन सहन को आधुनिक तत्वों के साथ उचित रुप से भी जोड़ दिया गया है , इसलिये यह केंद्र बगल में खड़ी बौद्ध धार्मिक तीर्थ स्थल कुमबुम मठ के साथ बड़े सजीव रुप से एक दूसरे को शोभा देता है।
यांग च्यन रुई और ई ची कांग छिंगहाई प्रांतीय तिब्बती सांस्कृतिक केंद्र की दो आध्यात्मिक हस्तियां ही हैं। वे दोनों संयोग से एक दूसरे से मिले हैं और पिछले दस साल में बौद्ध धार्मिक रिश्ते से एक सूत्र में बंधे हुए हैं। छिंगहाई प्रांतीय तिब्बती सांस्कृतिक केंद्र की पूरी डिजाइन में सांस्कृतिक विद्वान की हैसियत से ई ची कांग का सब से सीधा सादा प्राण दृष्टिकोण , नैतिक मूल्य और दार्शनिक रवैया संजोये हुए है। छिंगहाई प्रांतीय तिब्बती सांस्कृतिक केंद्र के जनरल डिजाइनर और प्रधान ई ची कांग ने इसका उल्लेख करते हुए कहा:
"हमारे इस केंद्र के निर्माण में गैर सरकारी पूंजी लगायी गयी है , हमारा मूल सांस्कृतिक रुख यह है कि किसी निश्चित रुख के बजाये एक अपेक्षाकृत विस्तृत दृष्टियों से मानव जाति की संस्कृति , विशेषकर हमारे चीनी राष्ट्र की विविधतापूर्ण संस्कृतियों में से एक तिब्बती संस्कृति के इतिहास , धर्मों , कलाओं और रहन सहन का परिचय कराया जाये । आधुनिक वैज्ञानिक व तकनीकी माध्यमों से लैस यह बहुदेशीय संस्कृति आधुनिक लोगों को स्वीकार करने में कोई दिक्कत नहीं है।"
यांग च्यन रुंग छिंगहाई प्रांतीय तिब्बती सांस्कृतिक केंद्र के निर्माण का निवेशक हैं। उनका कहना है:
"मुझे छिंगहाई प्रांत और छिंगहाई तिब्बत पठार की संस्कृतियों से बड़ा लगाव है, मैं ने सांस्कृतिक कार्य से प्यार करने वाले बहुत ज्यादा नेतृत्वकारी व्यक्तियों और मित्रों के प्रोत्साहन व समर्थन तले इस सांस्कृतिक केंद्र के निर्माण में पूंजी लगाने का संकल्प कर लिया है, मुझे उम्मीद है कि इस सांस्कृतिक केंद्र को हमारे छिंगहाई तिब्बत पठार के इतिहास व संस्कृतियों को पूर्ण रुप से प्रतिबिंब करने के एक आकर्षित केंद्र का रुप दिया जायेगा। इस केंद्र के खुलने से लेकर अब तक विभिन्न विभागों ने बड़ा ख्याल व समर्थन दिया है और बहुत उदार सहायता नीतियां भी निर्धारित की हैं, अतः इसी संदर्भ में भावी पूंजी लगाने का मेरा विश्वास और पक्का हो गया है। अब नम्बर एक व नम्बर दो भवनों का निर्माण पूरा हो चुका है, आइंदे नम्बर तीन भवन के निर्माण में पूंजी निवेश लगाने का मेरा इरादा है, इतना ही नहीं, यहां पर जातीय विशेषताओं वाले आहार विहार सुविधाओं व सत्कार सुविधाओं समेत सहायक संस्थापनों का निर्माण किया जायेगा, साथ ही जातीय सांस्कृतिक उत्पादनों की खदाई व विकास किया जायेता, ताकि यह परियोजना एक संपूर्ण विविधतापूर्ण सांस्कृतिक उद्योग श्रृंखला का रुप धारण ले सके।"
आज इस तिब्बती सांस्कृतिक केंद्र में करीब हर कदम में एक भू-दृश्य और कमल फूल देखने को मिलते हैं । जबकि हरेक भू दृश्य पर सुखद आश्चर्य और आशाएं तत्पर हैं । छिंगहाई प्रांतीय तिब्बती सांस्कृतिक केंद्र प्राण की व्याख्या से प्रस्थान कर दर्शकों को हमारी इस पृथ्वी के सब से आश्चर्यजनक बर्फीले पठार पर जन्म अनंत विरासत के रुप में ग्रहण लेने वाली तिब्बती जातीय संस्कृति का विवरण कर देता है । छिंगहाई प्रांतीय तिब्बती सांस्कृतिक केंद्र के जनरल डिजाइनर व प्रधान ई ची कांग ने कहा:
"पूरे प्रदर्शनी भवन के निर्माण में हम ने गूंजाइश की समग्र भावना और एकीकृत वास्तु शैली पर जोर देने के साथ साथ हरेक कड़ी पर अपनी विशेषता को भी बड़ा महत्व दिया है, इसी दृष्टि से यह केंद्र अब देश ही नहीं, सारी दुनिया में बेमिसाल ही माना जाता है। ग्राफिक डिजाइन की दृष्टि से देखा जाये, हम ने शुरु से कोई मानक पैनल तैयार नहीं किया, सभी उपयोगी पैनल अपने अंतरिक्ष मांडलिंग के आधार पर समग्र भाव और सह समन्वय को ध्यान में रखकर बनाये गये हैं, इस निर्माण की आत्मा प्राण ही है।"
आश्चर्यजनक और प्रभावित ये दोनों शब्द हरेक दर्शक की जुबान पर हैं। छिंगहाई प्रांतीय तिब्बती सांस्कृतिक केंद्र ने सजीब रुप से छिंगहाई तिब्बत पठार के दलदल बने रहने के इतिहास को फिर एक बार दिखा दिया है, फिर तिब्बती जाति की या लुंग नदी घाटी में जन्म से लेकर बर्फीले क्षेत्रीय संभ्यता की पूरी प्रक्रिया का विवरण दे दिया है, वह सचमुच तिब्बती संस्कृति का विश्वकोष कहलाया जाता है।
यदि छिंगहाई प्रांतीय तिब्बती सांस्कृतिक केंद्र का मुख्य प्रभाव प्राण और आत्मा कहा जाता है, तो उस की सब से बड़ी विशेषता हाई टेक व मल्टी मीडिया का शानदार पैकेजिंग ही है। यह तिब्बती सांस्कृतिक केंद्र रिंग स्क्रीन प्रक्षेपण, जल पर्दा प्रक्षेपण, प्रेत इमेजिंग और जमीन फोलोग्राफी इमेजिंग जैसे आधुनिक ज्ञान विज्ञान का प्रयोग करने में सकुशल है, यह समूचे चीन में अभूतपूर्व है। बहुत ज्यादा दर्शकों व सांस्कृतिक हस्तियों ने छिंगहाई प्रांतीय तिब्बती सांस्कृतिक केंद्र की खूब प्रशंसा की है। क्वांगचओ शहर के सांस्कृतिक ईजात उद्योग संघ के महा सचिव छन छाओ फूंग ने विशेष तौर पर लेख भी लिखा, शीर्षक है छिंगहाई प्रांतीय तिब्बती सांस्कृतिक केंद्र—सृजनात्मक डिजाइन और आविष्कृत संचालन का रहस्योद्घाटन। छन छाओ फूंग का कहना है:
"अत्याधिक लोगों के विचार में तिब्बत तिब्बती संस्कृति का प्रतिनिधित्व कर लेता है, पर देश के भीतर प्रथम तिब्बती सांस्कृतिक केंद्र तो छिंगहाई प्रांत में अचानक खड़ा कर दिया गया है, यह सचमुच लोगों की उम्मीद से परे है। छिंगहाई प्रांतीय तिब्बती सांस्कृतिक केंद्र ने एकदम तिब्बती लामा बौद्ध धर्म के तीर्थ स्थल कुमबुम मठ के आधार पर सिलसिलेवार सांस्कृतिक खुदाई व विस्तार किया है और जातीय सांस्कृतिक विकास पर आधारित पर्यटन व सांस्कृतिक उद्योगीकरण का नया आयाम अंजाम दिया है।"
कठोर परिश्रम के जरिये एक शानदार तिब्बती सांस्कृतिक केंद्र कमल झील के तट पर स्थापित हो गया है । समय बीतने के साथ साथ और अधिक लोग देखने यहां आते रहते हैं, अंगिनत दर्शक और पर्यटन उद्योग के जाने माने व्यक्ति, विद्वान और विशेषज्ञ इस सांस्कृतिक केंद्र के बड़े प्रशंसक हैं, उन के विचार में छिंगहाई प्रांतीय तिब्बती सांस्कृतिक केंद्र वर्तमान समूचे देश में आधुनिक प्रदर्शनी धारणा को सुंदर ढंग से अभिव्यक्त करने वाले सांस्कृतिक पर्यटन स्थलों का नमूना है।
जब अवसर और सपने ने एक कमल फूल का रुप धारण लिया है, तो दिल का मंडल उठ रहा है। चाहे विचारक का पड़ाव हो या व्यवसायी की ऊंचाई क्यों न हो, पठार के प्रति अपार प्रेम भावना से यांग च्यन रुंग और ई ची कांग इस स्थल को छोड़ना भूल जाते हैं । उन्हें पक्का विश्वास है कि छिंगहाई प्रांतीय तिब्बती सांस्कृतिक केंद्र अवश्य ही एक स्मारक बनेगा, जबकि इस स्मारक को प्रदीप्त करने वाले बुद्ध का स्वच्छ दयालु दिल ही है। हमें पक्का विश्वास भी है कि छिंगहाई प्रांतीय तिब्बती सांस्कृतिक केंद्र अवश्य ही खुले द्वार की तरह लोगों को रहस्यमय और काल्पनिक तिब्बती जातीय संस्कृति प्रदर्शित कर देगा।