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चाय के व्यवसाय से तिब्बती किसानों व चरवाहों के जीवन में सुधार
2012-07-08 19:14:51

दक्षिण पश्चिमी चीन के स्छ्वान प्रांत के कानची तिब्बती प्रिफैक्चर की होलु कांउटी में पठारीय विशेषता वाले चाय व्यवसाय का स्थानीय तिब्बती उद्यमियों व सरकार के समर्थन से जोरदार विकास हुआ है, अब वह स्थानीय अर्थव्यवस्था का स्तंभ बन चुका है, जिससे यहां रहने वाले तिब्बती बहुल क्षेत्र के किसानों व चरवाहों के जीवन में सुधार आया है।

होलु नागरिकों को लाभ पहुंचाने वाले चाय का तिब्बती नाम है अर्से, जो जंगली अर्से पेड़ की पत्तियों से तैयार की जाती है। यह पौधा समुद्र तल से 3000 से 3500 हज़ार मीटर के पठारीय क्षेत्र में उगाया जाता है। अर्से चाय रक्तचाप, शुगर व लिपित्स की कमी आदि के लिए फायदेमंद मानी जाती है, इस तरह वह ग्राहकों की पसंदीदा चाय में से एक है।

अर्से चाय बनाने के क्षेत्र में तिब्बती उद्यमी थूबू उल्लेखनीय है। 50 साल से अधिक उम्र के थूबू का जन्म स्छ्वान प्रांत के कानची तिब्बती प्रिफैक्चर की होलु कांउटी के एक चरवाहे परिवार में हुआ। उन्होंने अर्से चाय की इस प्रकार की विशेषता का अनुसंधान कर उसे बाज़ार में पेश किया। होलु बर्फीली अर्से कंपनी के बोर्ड अध्यक्ष के रूप में थूबू का मानना है कि इस प्रकार की चाय का विकास करना उनके लिए एक परीक्षण भी है। उन्होंने कहा :

"अर्से चाय के आविष्कार मैंने नहीं किया, बल्कि हजार साल पहले चाय घोड़ा प्राचीन मार्ग के दौरान इस प्रकार की चाय मौजूद थी। तिब्बती बहुल क्षेत्र में अर्से चाय बनाने की परंपरा रही है। मैंने परीक्षण के लिए इसे बनाया।"

वर्ष 2004 में थूबू ने अर्से चाय के विकास का प्रयास शुरू किया। उन्हें पता चला कि अर्से पेड़ की पत्तियों व कलियों का स्वाद अच्छा होता है और मांस व दूध वाले खाद्य पदार्थ ज्यादा खाने वाले तिब्बती किसानों व चरवाहों के स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा है। इस तरह वे अर्से की पत्तियों व कलियों के अनुसंधान के लिए स्छ्वान की राजधानी छंगतु लाकर संबंधित वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र गए। फलस्वरूप इस प्रकार की पत्तियां व कलियां पीने से रक्तचाप, शुगर, लिपित्स से ग्रस्त रोगियों व मोटापे से परेशान लोगों के लिए मददगार रही। इस तरह थूबू ने अर्से चाय का विकास व प्रसार करना शुरू किया।

धीरे-धीरे अर्से चाय का व्यवसाय लगातार बढ़ने लगा, जो अब होलू काउंटी का प्रमुख व्यवसाय बन चुका है। कई तिब्बती किसानों व चरवाहों ने थूबू की बर्फीली अर्से कंपनी को चाय के कच्चे माल देने के लिए अर्से पेड़ उगाना शुरू किया। स्थानीय संबंधित विभाग ने बैंक से ऋण लेने, कारखाना स्थापित करने आदि क्षेत्रों में इस कंपनी के लिए उदार नीतियां बनायी। होलु कांउटी के सरकारी अधिकारी लू ने कहा कि अर्से चाय ने स्थानीय तिब्बती नागरिकों की आय में बढ़ोत्तरी में सकारात्मक भूमिका निभाई। उन्होंने कहा :

"इस परियोजना का मुख्य लक्ष्य स्थानीय नागरिकों की आय बढ़ोत्तरी है। वर्तमान में हमारे पास प्राप्त आंकड़ों के अनुसार पूरी कांउटी का प्रत्येक व्यक्ति इस कंपनी से 500 युआन से ज्यादा अतिरिक्त आय प्राप्त करता है।"

वर्तमान में होलु कांउटी के 16 कस्बे बर्फीली अर्से चाय कंपनी के साथ कंपनी प्लस किसान वाले नमूने से सहयोग करते हैं। काउंटी के 3 हजार से अधिक परिवार के करीब बीस हज़ार व्यक्तियों को कंपनी द्वारा प्राप्त मुनाफ़े से लाभ मिलता है। वर्ष 2011 में अर्से चाय उगाने से इस कांउटी के गावों में 35 लाख युआन की सालाना आय बढ़ी, प्रति व्यक्ति के पास पांच सौ युआन का इज़ाफ़ा हुआ।

बताया जाता है कि वर्तमान में बर्फिली अर्से चाय कंपनी में 70 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं, 60 से अधिक चाय बनाने वाली मशीनें और दो उत्पादन लाइनें भी हैं। कंपनी ने अर्से हरी चाय, होर्कू तिब्बती चाय समेत 13 प्रकार के उत्पादों का अनुसंधान किया। कंपनी की वार्षिक उत्पादन क्षमता 50 टन है। वहीं अब, होलु कांउटी से लगी ताओफ़ू व कानची कांउटी के तिब्बती किसानों व चरवाहों ने भी अर्से पेड़ उगाने शुरू किए हैं, और बर्फीली अर्से कंपनी को कच्चे माल प्रदान करते हैं। वहीं कंपनी व स्थानीय सरकार पेड़ उगाने वाले किसानों व चरवाहों को तकनीकी मार्गदर्शन भी करती है, ताकि पेड़ उगाने वाले अड्डे के निर्माण की गति तेज़ कर स्थानीय किसानों व चरवाहों में अतिरिक्त श्रमिकों के रोज़गार सवाल का समाधान किया जा सके। दो साल पहले इस कंपनी में काम करने आए विश्विद्यालय स्नातक ले मिन ने कहा:

"अब बर्फीली अर्से चाय व्यवसाय समूचे कानची तिब्बती प्रिफैक्चर का अहम व्यवसाय बन चुका है, उसका भविष्य बहुत उज्ज्वल है। स्थानीय किसान व चरवाहे कंपनी को 95 प्रतिशत से ज्यादा कच्चे माल देते हैं।"

तिब्बती किसानों व चरवाहों की आय बढ़ने के अलावा अर्से के पेड़ उगाने से पारिस्थितिकी संरक्षण व मिट्टी के कटाव को भी रोका जाता है, इस तरह इसके विकास में स्थानीय सरकार का समर्थन मिलता है।

अर्से कंपनी के बोर्ड अध्यक्ष थूबू ने कहा कि वे चरवाहे परिवार से हैं और वे चाहते हैं कि कंपनी का अच्छी तरह प्रचलन कर स्थानीय किसानों व चरवाहों को लाभ दिलाएंगे। भविष्य के पांच सालों में अर्से चाय व्यवसाय का पैमाना और विस्तृत होगा, पेड़ उगाने वाले अड्डे के निर्माण को मज़बूत किया जाएगा और साथ ही कंपनी दवा बनाने व स्वास्थ्य संरक्षण वस्तुओं के निर्माण के क्षेत्र तक विस्तार करेगी। इसकी जानकारी देते हुए थूबू ने कहा:

"बारहवीं पंचवर्षीय योजना(यानी वर्ष 2011 से 2015 तक) के दौरान हमारी एक बड़ी परियोजना है कि समूचे कानची तिब्बती प्रिफैक्चर के उत्तरी सात कांउटियों में बीस हज़ार हैक्टेयर क्षेत्रफल को चाय पेड़ उगाने वाला अड्डा बनाएगा, जिसमें कुल सत्तर करोड़ से अधिक पूंजी लगाई जाएगी।"

बताया जाता है कि वर्तमान में अर्से कंपनी के उत्पाद भीतरी इलाके के शांगहाई व क्वांगतोंग आदि शहरों व प्रांतों में बेचे जाते हैं। कंपनी ने संबंधित वैज्ञानिक अनुसंधान संस्था के साथ सहयोग कर स्वास्थ्य संरक्षण वाले ब्लड शुगर घटाने वाले कैप्सूल का विकास किया, जिसका परिक्षण गत वर्ष पूरा हुआ और संबंधित विभागों की पुष्टि के बाद उत्पादन किया जाएगा। कानची बर्फीली चाय कंपनी के बोर्ड अध्यक्ष थूबू ने कहा कि अर्से पेड़ से संबंधित व्यवसाय के औद्योगिक चेन का विकास करना भविष्य में कंपनी का प्रमुख कार्य होगा। अब कंपनी स्छ्वान प्रांत की राजधानी छंगतु के चीनी चिकित्सा विश्वविद्यालय समेत कई वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थाओं के साथ सहयोग कर संबंधित दवाइयों का विकास कर रही है। उन्हें अम्मीद है कि निकट भविष्य में बर्फीली चाय कंपनी एक बड़ी कंपनी बनेगी, स्थानीय तिब्बती किसानों व चरवाहों के उत्पादन व जीवन स्तर की लगातार उन्नति में भी सहायता दे सकेगी।

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