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आत्मदाह करने वाले व्यक्ति निराश क्यों
2012-04-16 16:28:46

चीनी तिब्बती विद्या अनुसंधान केंद्र के डाक्टर ल्येन श्यांग मिन लम्बे अर्से से तिब्बती विद्या पर अनुसंधान करने में संलग्न हैं। इस थु च्चा जाति के विद्वान ने हाल में उत्पन्न सिलसिलेवार आत्मदाह दुर्घनाओं की चर्चा में बड़ा खेद व हमदर्दी प्रकट की। पता चला है कि अधिकतर आत्मदाह करने वाले भिक्षु बहुत जवान हैं, सब से छोटे भिक्षु की उम्र केवल 18 साल की है। इसकी चर्चा में ल्येन श्यांगमिन ने खेद व्यक्त करते हुए कहा:

"जैसा कि मुझे मालूम है कि आत्मदाह करने वाले व्यक्ति बहुत जवान हैं , अत्मदाह के शिकारों के प्रति हमें बड़ा खेद है , जबकि हम ने आत्मदाह से बचने वाले व्यक्तियों के भावी जीवन के प्रति सहानुभूति भी व्यक्त की है।"

ल्येन श्यांग मिन ने कहा कि तिब्बती लामा बौद्ध धर्म दूसरे धर्मों की ही तरह लोगों को नेक काम करने और प्राणों को मूल्यवान समझने का उपदेश देता है। उनका कहना है:

"तिब्बती लामा बौद्ध धर्म एक काफी नम्र धर्म ही है, चरम पर नहीं जाता है । तिब्बती लामा बौद्ध धर्म अन्य दूसरे धर्मों की ही तरह लोगों को नेक काम करने और प्राण को मूल्यवान समझने का उपदेश देता है, वह अपने अनुयाइयों व व्यापक वफादारों से प्राण को मूल्यवान समझने और लोगों के साथ दोस्ती बनाने और सब लोगों की समानता पर जोर देने का आहवान करता है। लेकिन आत्मदाह स्पष्टतः एक उग्र कार्यवाही है, इसलिये इस से लोगों को याद दिलाया गया है कि आत्मदाह कुछ पंथों में भी हुआ है ।"

जब बहुत ज्यादा लोगों ने आत्मदाह करने वाले व्यक्तियों की जान गंवाने के प्रति खेद प्रकट किया है, तो कुछ बाहरी शक्तियों ने आत्मदाह के शिकारों के समर्थन व हिमायत करने की जी तोड़कर कोशिश की, यहांतक कि उन्हें हीरो व योद्धा भी कह दिया, जिस से जाहिर है कि वे प्राणों का सम्मान नहीं करते। ल्येन श्यांग मिन ने उदाहरण देते हुए कहा:

"मेरी निगा देश के अंदर व बाहर पर बराबर टिकी हुई हैं, मसलन बाहर में एक तिब्बत का दोस्त नामक संगठन है, उस ने थाईवान के दलाई लामा तिब्बती धार्मिक कोष के प्रथम बौद्ध शिक्षक छांगपागाचोम से इंटरव्यू लिया। छांगपागाचोम का विचार है कि आत्मदाह धार्मिक और बौद्ध धार्मिक सिद्धांतों के उल्लंघन नहीं है। उस ने कहा कि तिब्बती क्षेत्रों में जो भिक्षु आत्मदाह का शिकार बने हैं, वे अपने कोई स्वार्थ के लिये नहीं हैं। उन्होंने बौद्ध धार्मिक सिद्धांतों और तिब्बती जातीय स्वतंत्र अधिकारों व हितों के लिये स्वेच्छा से अपना प्राण का बलिदान कर दिया है। इसलिये यह हरकत धार्मिक और बौद्ध धार्मिक सिद्धांतों के खिलाफ नहीं है, साथ ही उस ने अपने दृष्टिकोण को साबित कर दिखाने के लिये विशेष तौर पर 60 वाले दशक में दलाई लामा के कुछ शब्दों का उद्धरण भी कर लिया।"

ल्येन श्यांग मिन का विचार है कि छांगपागाचोम की उक्त बातें आत्मदाह वारदात पर तेल डालने के लिये हैं, यह स्वयं ही तिब्बती लामा बौद्ध धर्म के मूल सिद्धांतों से विरोधाभास है।

इस के अलावा बाहर में कुछ विद्वानों का यह मानना भी है कि चीन सरकार विरोधी घटना तिब्बत के केंद्रीय क्षेत्र से सीमांत क्षेत्रों तक विस्तृत हुई है। ल्येन श्यांग मिन ने कहा कि वास्तव में तिब्बत में आत्मदाह की कोई दुर्घटना नहीं हुई ।

उन्होंने आकंडे बताते हुए कहा कि तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में कुल 1700 मठों में कोई 46 हजार भिक्षु और भिक्षुणियां रहती हैं, लेकिन इतने ज्यादा धार्मिक व्यक्तियों में कोई आत्मदाह घटना नहीं हुई। साथ ही सछ्वान प्रांत व छिंगहाई प्रांत में कम से कम हजार मठ हैं और वहां पर हजारों भिक्षु व भिक्षुणियां भी रहती हैं। लेकिन केवल इनी गिनी मठों में आत्मदाह दुर्घटनाएं हुईं , और तो और उक्त मठ गेतुपा शाखा की हैं । तिब्बती लामा बौद्ध धर्म की दूसरी शाखाओं में आत्मदाह की घटना भी नहीं हुई। इस से जाहिर है कि आत्मदाह करने वाली मठ और भिक्षु व भिक्षुणियां मुट्ठी भर की हैं, ऐसी घटना की कोई व्यापकता नहीं है।

विद्वानों का मानना है कि एक तरफ युवा भिक्षुओं ने बाहरी शक्तियों के उकसावे में आत्मदाह कार्यवाही की है, दूसरी तरफ आत्मदाह से यह भी साबित हुआ है कि ये भिक्षु मनोगत तौर पर निराश हुए हैं, पर उन्हें किस लिये निराशी हुई है। ल्येन श्यांग मिन ने इस का उल्लेख करते हुए कहा:

"क्योंकि उन्हें यह महसूस हुआ है कि सर्वशक्तिमान दलाई लामा अपने आप की रक्षा करने में भी असमर्थ हैं, इसलिये यह देखकर वे बहुत हताश हो गये हैं।"

ल्येन श्यांग मिन ने संवाददाता के साथ बातचीत में कहा कि आत्मदाह घटना से स्थानीय लोगों के जीवन पर कुप्रभाव पड़ा है। उनका कहना है:

"आत्मदाह दुर्घना ने स्थानीय जनता के सामान्य जीवन और कामों पर कुप्रभाव डाल दिया है । आम जनता इसी हरकत का डटकर विरोध करती है। खासकर आत्मदाह रचने और उकसावा देने वाले व्यक्तियों के प्रति कड़ा आक्रोश और निन्दा व्यक्त की है। मेरे ख्याल से हरेक शरीफ व्यक्ति को आत्मदाह दुर्घटना को रचने व प्रत्साहित करने वाले व्यक्तियों के प्रति रोष और निन्दा प्रकट करना चाहिये।"

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