यह चाइना रेडियो इन्टरनेशनल है। श्रोता दोस्तो, 65 वर्षीय लोसांग कारांग दक्षिण पश्चिमी चीन के स्छ्वान प्रांत के कानची तिब्बती स्वायत्त प्रिफैक्चर में रहते हैं। तीन साल पहले सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने प्रांत की राजधानी छङ तू के तिब्बती आबादी बहुल क्षेत्र में एक मकान खरीदा और अपना पारिवारिक हॉटल खोलकर पर्यटकों का सत्कार करने लगे। सुनिए उनकी कहानी
वर्ष 2002 में लोसांग कारांग कानची तिब्बती स्वायत्त प्रिफैक्चर से राजधानी छङतु आकर आवासीय मकान खरीदा। इस की चर्चा में उन्होंने कहा कि हमारे जिले के कई लोगों ने छङतु में रहने का फैसला किया था और जन्मस्थल के जान पहचान वाले निवासियों के साथ रहना ज्यादा सहज और खुश महसूस होता है। मेरी माता जी की उम्र 80 से अधिक है, छङ तु की इस बस्ती में बहुत ज्यादा तिब्बती लोग रहते हैं, माता जी को पड़ोसियों के साथ बातचीत के लिए मौके मिल सकते हैं, इसतरह उन्हें अकेलापन नहीं लगती। वर्ष 2003 में लोसांग कारांग की बड़ी बेटी विश्वविद्यालय में दाखिल हुई और छोटे बेटा मिडिल स्कूल में पढ़ने वाला था। उनके विचार में राजधानी छङतु की शैक्षिक गुणवत्ता कानची प्रिफैक्चर से ज्यादा अच्छी है। इस तरह परिवार के सदस्यों ने विचार विमर्श करके कानची से छङतु आ बसने का फैसला कर लिया।
लोसांग कारांग के परिवार में पांच सदस्य हैं। नए मकान का फर्शी क्षेत्रफल 90 वर्ग मीटर है, इसमें दो बेडरूम, एक लीविंग रूम, एक रसोई घर और एक बेथरूम है। अपनी माता और बेटे बेटी की देखभाल करने के लिए लोसांग कारांग ने सेवानिवृत्ति कर ली। पत्नि जन्मस्थान में कार्यरत होने के कारण आम समय यहां नहीं आ सकती, सिर्फ़ त्योहारों व छुट्टियों के दिन घर वापस आती है। बेटी व बेटा स्कूल जाते हैं और सप्ताहांत व ग्रीष्मकालीन छुट्टियों के दिन घर आते हैं। इस तरह अधिकांश समय घर में मात्र लोसांग कारांग और माता दोनों रहते हैं। नए मकान में आने के शुरू शुरू में लोसांग कारांग को बड़े शहर में रहने की आदत नहीं थी और अपने जिले की याद अकसर सताता थी। लेकिन कानची के रिश्तेदार व दोस्त उन्हें देखने कभी कभार आते हैं, और तिब्बती खाद्यन्न घी, जानपा और दूध आदि लाते हैं।
लोसांग कारांग का घर छङतु की जातीय सड़क पर स्थित है, जहां विभिन्न जातियों के लोग रहते हैं। कानची तिब्बती स्वायत्त प्रिफैक्चर के निवासी कामकाज के लिए भी यहां आते जाते हैं, इस तरह रिश्तेदार व मित्र छङतु आने के बाद अकसर लोसांग कारांग के घर में रहते हैं। ज्यादातर कानची तिब्बतियों को चीनी हान भाषा अच्छी नहीं आती है, लोसांग कारांग कभी कभार उनके लिए दुभाषिया का काम भी करते हैं, जगह जगह जाकर जन्मस्थान से आने वाले तिब्बतियों की मदद करते हैं। इस प्रकार का काम करते-करते लोसांग कारांग राजधानी छङतु के विभिन्न स्थलों से बहुत परिचित हो गये हैं और उन्होंने परिवारजनों के साथ विचार विमर्श करके अपने मकान को किराए पर यहां आने वाले तिब्बतियों को देने तथा उन की सेवा करने का फैसला किया।
लोसांग कारांग ने कहा कि शुरू शुरू में अपने घर में रहने वालों से किराए लेने पर उन्हें संकुच लगता था। लेकिन छङतु में आ बसने के बाद उन के यहां कानची से आने वाले लोगों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ती जा रही है और उनके घर में अतिरिक्त खर्च भी लगातार बढ़ता गया है। ऐसी स्थिति में बाहर आने वाले लोगों की अच्छी सेवा करने के लिए उनसे किराया लेना जरूरी है। किराए से मिलने वाली धन राशि से लोसांग कारांग ने अपने मकान को सुसज्जित कर होटल का रूप दिया, दो बेडरूमों में कुल पांच पलंग लगाए गए, बैठक में भी आरामकु्रसी लगायी गयी। हर रात प्रति पलंग की फीस सिर्फ 16 युआन है, यह दाम छङतु में बहुत सस्ता है, इस प्रबंध से दूर कानची क्षेत्र से आने वाले तिब्बती बंधुओं को काफी सुविधा मिलती है। अगर ग्राहक ज्यादा हो, तो घर के लीविंगरूम के तिब्बती शैली की आराम कुर्सी पर भी लोग सो सकते हैं। लोसांग कारांग ने कहा कि अपने छोटे पारिवारिक हॉटल से उनकी आय बढ़ गयी है और अपनी जातीय बंधुओं की सेवा भी बेहतर कर सकते हैं। यह दोनों पक्षों के लिए समान लाभ वाला काम है।
सोने का स्थल प्रदान करने के साथ-साथ लोसांग कारांग अपने पारिवारिक हॉटल आने वाले तिब्बती ग्राहकों की हर संभव मदद भी करते हैं। स्छ्वान प्रांत की राजधानी छङतु की सड़कों, दुकानों व अस्पतालों की स्थिति से परिचित होने के बाद वे ग्राहकों को खरीदारी व अस्पताल जाने आदि काम में सहायता देते हैं। इस तरह उन के पारिवारिक होटल में रहने वालों को अपने काम में बड़ी सुविधा मिली है और वे यहां रहने आना पसंद भी करते हैं।
हमारे संवाददाता के साथ हुई बातचीत में लोसांग कारांग ने अपने पास सुरक्षित बहुतसे नेमकार्ड दिखाए, जिन में मोटर वाहन बिक्रेता व गाड़ी मरम्मत विभाग, घरेलू इलैक्ट्रोनिक उपकरण ब्रिकी विभाग, चीनी जड़ी बूटी खरीद कंपनी, वस्त्र बिक्री दुकान, चिकित्सा संस्था, हवाई व रेल गाड़ी टिकट बेचने वाले विभाग आदि के नेमकार्ड शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इन नेमकार्डों के जरिए वे अपने पारिवारिक हॉटल में रहने आए तिब्बती बंधुओं के लिए और ज्यादा बेहतर सेवा प्रदान कर सकते हैं।
अच्छा दोस्तो, अभी आपने सछ्वान प्रांत की राजधानी छङतु के तिब्बती आबादी बहुल क्षेत्र में रहने वाले तिब्बती बंधु लोसांग कारांग और उन के लघु पारिवारिक हॉटल के बारे में एक रिपोर्ट सुनी।