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ल्हासा वासी का नया जीवन
2012-04-06 19:01:46

सुश्री निमा का जन्म वर्ष 1974 के एक जुलाई को ल्हासा में हुआ था। उन्होनें स्कूली शिक्षा प्राप्त नहीं की है। अब वह छंगतु शहर में जीवन-यापन कर रही हैं। उनके तीन बच्चे हैं, तीनों बच्चे प्राइमरी स्कूल में पढ़ रहे हैं। नीमा का पति स्छवान प्रांत के द क काउंटी का रहने वाला है। वह चीनी औषधी का व्यापार करता है। निमा ने कहा कि अब वह छंगतु शहर के जीवन का एक भाग बन चुकी है यानी कि यहां के वातावरण में पूरी तरह घुलमिल गयी है।

निमा ने कहा कि छंगतु में मकान का किराया प्रतिमाह 1500 युवान है। हर महिने बच्चों के उपर लगभग सात आठ सौ युवान खर्च हो जाता है साथ में पानी, बिजली खर्च कुल मिलाकर महिने का सात आठ हजार युवान खर्च हो जाता है। मेरी तबियत भी काफी ठीक नहीं रहती है इसलिए हमेशा दवा में भी पैसे खर्च होते हैं।

निमा ने कहा कि छंग तु में रहते हुए कई वर्ष हो चुके हैं। अब उसे छंगतु बहुत पसंद है। अब ल्हासा और अपने पति के स्थानीय घर बहुत कम जाती है। कुछ दिनों पहले निमा अपने मायके वापस गयी थी लेकिन उसका कहना है कि अब वहां का वातावरण उसे अनुकुल नहीं लगता है। कुछ दिनों पहले निमा के पति ने उसे घुमाने पेइचिंग ले गया था। निमा ने कहा कि पेइचिंग में हवा बहुत तेज है, उसे पेइचिंग बिल्कुल पसंद नहीं है।

निमा ने कहा कि अब वह इस कम्युनिटी से बिल्कुल मेल खाती है। इस कम्युनिटी में तिब्बती जाति और हान जाती की बहुत सहेलियां हैं। एक बार निमा का पति काम के सिलसिले में कहीं बाहर चला गया था और वह उस समय बिमार पड़ गयी थी। उस स्थिति में इसी कम्युनिटी के एक हान जाती की सहेली ने उसकी काफी मदद की थी।

निमा के तीनों बच्चों को तिब्बती और हान भाषा भी आती है,निमा को आशा है कि उस के तीनों बच्चे अधिक ज्ञान सीखें।

निमा ने कहा कि उसे दोस्त बनाना पसंद है, स्छ्वान प्रांत में रहने वालों के अलावा पेइचिंग, शांहाई, च च्यांग,क्वांग चो,शन चेन, हांगकांग और विदेश तक में उस के दोस्त हैं। निमा के बड़े भाई एक जीवित बुद्ध हैं, और तिब्बत जाने से पहले भाई के बहुत दोस्त अकसर स्छ्वान में आते हैं, निमा इन लोगों को कुछ मदद देती है उदाहरण के लिए हॉटल बुक करती है, इसलिए उस के पास बहुत दोस्त है। निमा ने कहा कि संपर्क रखने के बाद उसे लगता है कि हान जातिय लोग बहुत अच्छा है, दयालु है। उस ने कहा कि हालांकि जातिय लोगों के पास धार्मिक विश्वास है, लेकिन छंगतु आकर बच्चों की देखभाल करने के कारण से धार्मिक जीवन सरल बन गया है, मठ जाने की कमी है, लेकिन वह अपने घर में कुछ धार्मिक कार्यवाही करती है।(होवेइ)

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