28 मार्च की सुबह दस बजे राष्ट्रीय गीत की धुन पर तिब्बत की विभिन्न स्तरीय सरकारी संस्थाओं व स्कूलों में राष्ट्रीय ध्वज फैलाया गया। वे समान रूप से 53 वर्ष पूर्व चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में तिब्बत में आयोजित लोकतांत्रिक सुधार गतिविधि को याद कर रहे थे। तिब्बत के जाइबांग मठ के भिक्षु आवां छ्युचङ ने कहा:
"दस लाख भूदास मुक्ति पाकर देश के मालिक बन चुके हैं, उन्होंने राजनीतिक अधिकार उपभोग कर मेहनत से अपना मूल्य दिखाया और सुखमय जीवन बिताया। इस पर मैं बहुत खुश हूँ।"
इसी दिन तिब्बत के विभिन्न जगतों के प्रतिनिधियों ने भूदास मुक्ति दिवस संबंधी संगोष्ठी ल्हासा में भी आयोजित की। इसमें भाग लेने वाले व्यक्तियों ने बीते समय की याद करते हुए नए जीवन का गुणगान किया। 74 वर्षीय सेवानिवृत पूजुर्क पाइमा डोर्चे ने कहा कि पुराने तिब्बत में अधिकांश उत्पादन संसाधन पांच प्रतिशत से कम जनसंख्या वाले कुलीन लोगों व भूदास मालिकों के हाथ में थे। लोकतांत्रिक सुधार से दस लाख भूदास देश के मालिक बन चुके हैं। पाइमा डोर् का कहना है:
"मेरे कई बेटे हैं, लेकिन उनके पास पुराने तिब्बत में भूदास संबंधी अनुभव नहीं हैं, लेकिन मुझे इस तरह का अनुभव है। इस तरह मैं कभी कभार उनसे पुराने इतिहास को न भूलने की बात कहता हूँ। पुराने दौर का मुश्किल जीवन उन्हें बताने से वे लोग आज के सुखमय जीवन को मूल्यवान समझ सकते हैं।"