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सामाजिक प्रतिभूति व्यवस्था से तिब्बती बौद्ध भिक्षुओं व भिक्षुणियों को लाभ
2012-04-02 16:52:39
वर्तमान में तिब्बत में तिब्बती भिक्षु व भिक्षुणिओं को सामाजिक पेंशन व बुनियादी चिकित्सा बीमा में शामिल किया गया है, जिससे उनकी न्यूनतम जीवन गारंटी की जा सकती है। इस कदम से भिक्षुओं व भिक्षुणियों के कई सवाल हल हुए हैं, उन्होंने इसका स्वागत किया है।

इस वर्ष के शुरू में जारी《 सामाजिक बीमा में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के मठों के भिक्षुओं व भिक्षुणियों की भागीदारी संबंधी अस्थाई राय》के अनुसार 18 वर्ष की उम्र में पहुंचने वाले भिक्षु व भिक्षुणी स्वेच्छा से मठ के स्थानीय शहरों व कस्बों में नागरिक सामाजिक पेंशन व बुनियादी चिकित्सा बीमा में भाग ले सकेंगे। 60 से कम उम्र वाले भिक्षु व भिक्षुणी, जो लगातार 15 सालों से बीमा फीस देते हैं, उन्हें 60 साल की उम्र के बाद पेंशन मिल सकेगी।

तिब्बत के बौद्ध धर्म कॉलेज के विद्यार्थी ल्हुनड्रप जिग्मे को अपने छात्रावास में अभी-अभी लगे टीवी के जरिए समाचार से यह खबर मिली, उसे बहुत खुशी हुई। उसने कहा:

"अब हमारे छात्रावास में केबल लाइन टेलीविजन लग गया है, जिससे हमें समय पर बाहरी सूचनी मिल सकती है। विशेषकर इधर के दिनों में तिब्बत के मठों में भिक्षुओं व भिक्षुणियों के लिए कार्यान्वित सामाजिक पेंशन व चिकित्सा बीमा व्यवस्था संबंधी खबर सुनने के बाद हम सब सभी उत्साहित हैं।"

मार्च के मध्य में तिब्बत की राजधानी ल्हासा स्थित सेरा मठ के 60 से अधिक उम्र वाले 37 भिक्षुओं ने पहली बार अपनी बुनियादी पेंशन राशि प्राप्त की, इसके बाद तिब्बत के दूसरे स्थलों के मठों में करीब 1897 भिक्षु व भिक्षुणी क्रमशः अपनी बुनियादी पेंशन हासिल करेंगे।

स्वायत्त प्रदेश के मानव संसाधन व सामाजिक प्रतिभूति विभाग के संबंधित अधिकारी का कहना है कि इस वर्ष से ही तिब्बत में साठ वर्ष की उम्र से अधिक के भिक्षु व भिक्षुणी प्रति व्यक्ति हर माह 120 युआन की बुनियादी पेंशन ले सकेंगे, यह राशि हर एक तिमाही में प्रदान की जाती है।

ल्हासा के आसपास छ्युश्वे काउंटी के न्येतांग स्थित जाशीकांग मठ की मरम्मत हाल में स्थानीय सरकार ने की है। इस मठ के भिक्षुओं को सामाजिक प्रतिभूति व्यवस्था में शामिल किया गया है। जाशीकांग मठ के भिक्षुनोर्बु ने हमारे संवाददाता से कहा:

"अब हमें पेंशन व चिकित्सा बीमा की सुविधा प्राप्त है, साथ ही बीमारी के इलाज के लिए सुविधापूर्ण ही नही सस्ता भी है। इसके अलावा मठ ने हमारे घर आकर वास्तविक परेशानियों की जानकारी ली। अब हमारी समस्या का शीघ्र ही समाधान हो जाता है, और हमें कोई चिंता नहीं होती।"

संबंधित बीमा राशि प्रदत्त मापदंड के मुताबिक वर्तमान में तिब्बती भिक्षु व भिक्षुणी को हर वर्ष 280 चिकित्सा बीमा राशि देती है, इसमें भिक्षु व भिक्षुणी को 60 युआन देना होता और शेष राशि स्थानीय सरकार देती है। संबंधित निर्णय के अनुसार भिक्षु व भिक्षुणी के अस्पताल में इलाज के खर्च का 65 से 85 प्रतिशत भाग सरकार ती है। गंभीर बीमारी की स्थिति में वाणिज्यिक परिपूर्ण बीमा के दायरे में इलाज राशि मिल सकेगी।

भिक्षुओं व भिक्षुणियों को सामाजिक प्रतिभूति व्यवस्था में शामिल करने के अलावा तिब्बत ने हाल में मठों में दवाईयां रखने की गतिविधि आयोजित की, जिसका स्वागत किया गया। ल्हासा स्थित जाइबुंग मठ के 80 वर्षीय भिक्षु लोसांग तानजङ का स्वास्थ्य अच्छा है। उसने खुशी के साथ चिकित्सकों की स्वास्थ्य जांच स्वीकार की और कहा:

"मैंने अभी-अभी एक पूर्ण शारीरिक स्वास्थ्य जांच करवाई। नतीजा अच्छा रहा और मैं स्वस्थ हूँ। इससे मैं बेहद खुश हूं। आशा है कि भविष्य में इस प्रकार की मुफ्त जांच आयोजित होती रहेंगी"

लोसांग तानजङ जैसे तिब्बती बौद्ध धर्म के भिक्षुओं व भिक्षुणियों की उम्मीद के जवाब में तिब्बत के जन अस्पताल के स्थाई मामले संबंधी उप प्रधान रिन चेन त्सेवांग ने कहा कि इस प्रकार की जांच हर वर्ष में एक बार की जाती है। उन्होंने कहा:

"आज कुल 25 चिकित्सक भिक्षुओं की मुफ्त शारीरिक जांच के लिए जाइबुंग मठ आए। जांच विषयों में यकृत, सामान्य स्थिति, कैंसर संबंधी मापदंड, अल्ट्रासाउंड, ईसीजी आदि शामिल हैं, जिनका मूल्य प्रति व्यक्ति कुल मिलाकर पांच सौ युआन है। इसके साथ ही हमारे अस्पताल ने मुफ्त रूप में तीन हज़ार युआन की दवाइयां भी मिलती हैं। इस बार हम भिक्षुओं की जांच के बाद एक दीर्घकालिक स्वास्थ्य फ़ाइल बनाएंगे, ताकि भविष्य में एक साल में एक बार जांच हो सके।"

संबंधित व्यक्तियों का कहना है कि भिक्षुओं व भिक्षुणियों के पेंशन, चिकित्सा बीमा तथा निम्नतम जीवन गारंटी व्यवस्था की स्थापना से भिक्षुओं व भिक्षुणियों की वास्तविक जीवन मुसीबतें दूर की जा सकेंगी। इसके साथ ही तिब्बत के विभिन्न मठों में सामाजिक सार्वजनिक सेवा व्यवस्था के प्रवेश से भिक्षु व भिक्षुणी सुधार व खुलेपन का लाभ उठा सकेंगे।

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