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तिब्बत में रेल यातायात से हरित विकास बढ़ेगा
2011-09-26 15:58:52

यह चाइना रेडियो इंटरनेशनल है, श्रोता दोस्तो, श्याओ थांग की नमस्ते। सीआरआई देशी विदेशी पत्रकारों की तिब्बत-यात्रा वृत्तांत के संदर्भ में एक रिपोर्ट सुनने के लिए आप का स्वागत। आज के इस कार्यक्रम में आप सुनिए《तिब्बत में रेल यातायात से हरित विकास बढ़ेगा》शीर्षक रिपोर्ट।

ल्हासा से शिनिन जाने वाली रेल गाड़ी नाछ्यु स्टेशन से छूटने जा रही है, लाउडस्पीकर से मधुर धुन सुनाई दे रही है। रेलवे प्लेटफार्म पर स्टेशन मास्टर तन से खड़े हुए दूर जाने वाली गाड़ी को निहार रहे हैं। छिंगहाई-तिब्बत रेल लाइन पर नाछ्यु स्टेशन के वर्तमान मास्टर ली डो ह्वांग है, वे कांसू प्रांत के निवासी है, और 2009 की फरवरी में ल्हासा में काम करने आए, इस साल की पहली अगस्त को वे नाछ्यु रेलवे स्टेशन के मास्टर नियुक्त हुए और जो आम लोगों की नजर में काफी बेहतर कार्यपद है। लेकिन ली डो ह्वांग के विचार में पहले नाछ्यु में काम करना बहुत मुश्किल था, यह क्षेत्र समुद्र सतह से अत्यन्त ऊंचा है, प्राकृतिक स्थिति खराब थी और यातायात दुभर थी, किसी भी काम के लिए ज्यादा कठिनाइयां और खर्चा होती थी। उन्होंने कहा:

"पहले, यहां चीजें खरीदना या काम करना बहुत कठिन थे। पहली अगस्त 2009 को नाछ्यु स्टेशन का उद्घाटन हुआ, उद्घाटन रस्म के लिए पोस्टर, फूल और रंगमंच की जरूरत थी, लेकिन यहां ऐसी कोई चीजें नहीं मिलती थीं, सभी ल्हासा से मांग कर लानी पड़ती थी। ल्हासा से नाछ्यु में ट्रकों से माल लाने के लिए बहुत अधिक पैसे खर्च करने पड़ते थे। अब हालत बिलकुल बदली है, रेल गाड़ी से यहां सब कुछ मिल सकती है।"

नाछ्यु जिला उत्तरी तिब्बत के मध्य भाग में स्थित है, जो थांगकुला और न्यानछिंग थांकुला पर्वतों के बीच पड़ा है, यह समुद्र सतह से 4500 मीटर ऊंचा इलाका है, मौसम खराब होता है और यातायात दुभर है, इसलिए यहां हर चीज का दाम ऊंचा है।

लेकिन स्टेशन मास्टर ली के लिए सब से कठिन काम पारिस्थितिकी का संरक्षण करना है। इस के लिए छिंगहाई-तिब्बत रेल मार्ग को एक हरित मार्ग का रूप देना है। इस क्षेत्र में की गयी कोशिशों की चर्चा में श्री ली ने नानडो रेलवे स्टेशन के निर्माण की याद की:

"नानडो रेलवे स्टेशन के निर्माण के दौरान शुरू शुरू में स्टेशन के पास एक पहाड़ी ढलान सीमेंट से बनायी गयी थी, लेकिन बाद में ढलान के बीच वाले भाग से सीमेंट हटाकर वहां मिट्टी डाल कर पेड़ पौधे लगाये गए, इस तरह रेलवे स्टेशन पर पारिस्थितिकी का संरक्षण किया गया। अब ये पेड़ पौधे बहुत अच्छे उगे बढ़े हैं और इस के साथ हरित पर्यावरण की अवधारणा भी लोगों के दिल में घर कर गयी है।"

पहली जुलाई 2006 को छिंगहाई तिब्बत रेल मार्ग पर यातायात शुरू हुई, रेल मार्ग की कुल लम्बाई 1956 किलोमीटर है जो दुनिया में समुद्र सतह पर सब से ऊंची व लम्बी रेल लाइन है, जितना भाग समुद्र-सतह से 4000 मीटर ऊंचाई पर गुजरता है, वह 960 किलोमीटर है। यह रेल मार्ग दुनिया की छत पर दौड़ता इस्पाती मार्ग के नाम से मशहूर है।

नाछ्यु लोजिस्टिक्स केन्द्र की उप निदेशक सुश्री मिंग जङ वर्ष 1982 में तिब्बत के नाछ्यु में आयी है, उन्होंने कहा कि इन सालों में तिब्बत में भारी परिवर्तन आया है, खासकर रेल मार्ग के खुलने के बाद स्थानीय लोगों का जीवन काफी बदला है। उन्होंने कहा:

"मेरी जन्मभूमि सछ्वान प्रांत में है, जब 1982 में यहां आयी, सर्दियों में खाने के लिए ताजा सब्जी बिलकुल नहीं मिल सकती थी, केवल आलू, मूली और गोभी मिल सकते थे। अब तो तिब्बत के सभी जिलों में ताजा सब्जियां उपलब्ध होती हैं। रेल मार्ग के सहारे तिब्बत में लोजिस्टिक्स उद्योग का बड़ा विकास हुआ, हर प्रकार की चीजें यहां मिल सकती हैं। जैसे मेरी दफ्तर में लगाया यह ताजा फूल पहले जितने भी ज्यादा पैसे से भी नहीं खरीदा जा सकता था।"

आंकड़ों के मुताबिक रेल मार्ग के खुलने के बाद पांच सालों में कुलमिलाकर 18 करोड़ टन चीजों की ढुलाई हुई और तिब्बत में अधिक मात्रा में माल पहुंचने के कारण चीजों के दामों में भी भारी गिरावट आयी । सुश्री ली डो ह्वांग ने निर्माण सामग्री का उदाहरण देते हुए कहा:

"मकान बनाने के लिए निर्माण सामग्री के दाम अब बहुत घट गए है। पहले केवल ट्रकों से माल लाए जाते थे, इसलिए उस समय निर्माण सामग्री के दाम बहुत ऊंचे थे। रेल मार्ग खुलने के बाद बड़ी मात्रा में सामग्री तिब्बत में पहुंचती है। पहले जो एक टन की सीमेंट 1500 य्वान में थी, अब 700 य्वान में ही मिलती है। निर्माण सामग्री सस्ती होने के बाद स्थानीय निवासियों में मकान बनाने का उत्साह भी बढा।"

ली डो ह्वांग ने कहा कि अब तिब्बत में जगह जगह आवासी इमारतें खड़ी की गयी हैं, तिब्बती लोग अब नए नए मकान में रहने लगे और शहर व गांव की सूरत भी अधिक सुन्दर हो गयी है। इस के अलावा रेल गाड़ी से स्थानीय लोगों को आवाजाही की बड़ी सुविधा मिली है। आंकड़ों के अनुसार अब तक 4 करोड़ 10 लाख यात्रियों ने रेल गाड़ी की सुविधा ले ली है। सुश्री मिंग का कहना है:

"पहले अनेक स्थानीय निवासियों ने मुझ से कहा था कि वे रेल गाड़ी देखने तक नहीं पाते है और रेल गाड़ी पर बैठना तो दूर की बात है। लेकिन अब रोज ल्हासा जाने वाली रेल गाड़ियों में भीड़ लगती है, नाछ्यु रेल स्टेशन में रोज अनेकों तिब्बती लोग आते है और वे ल्हासा जाना चाहते हैं और रेल गाड़ी में बैठने का अनुभव लेना चाहते हैं।"

मिंगजङ के बहुत से दोस्त ल्हासा में काम करते हैं और उन के बच्चे भी वहां पढ़ते हैं। अब नाछ्यु से ल्हासा जाने में केवल तीन घंटे का सफर है, बहुत सुविधापूर्ण है। मिंगजङ के दोस्तों व उन के बच्चों को भी आने जाने में बड़ी सुविधा मिली है। इस पर उन्होंने कहा:

"नाछ्यु के बहुत से लोग ल्हासा में काम करते हैं। उन के बच्चे भी वहां पढ़ते हैं। रेल गाड़ी से वे हर सप्ताहांत में लौटते हैं। पहले बस से इस सफर का समय पांच घंटे का था, अब रेल गाड़ी से केवल तीन घंटा रह गया।"

तिब्बती लोगों के बहुत से बच्चे देश के भीतरी इलाकों में पढ़ते हैं, वसंत त्यौहार और गर्मियों की छुट्टी में रेलवे स्टेशन बाहर पढ़ने वाले बच्चों को विशेष सुविधा प्रदान करते हैं और उन्हें सफर के समय का उचित प्रबंध करते हैं। सुश्री ली डो ह्लांग ने कहा:

"पहले छात्र बस से गोरमू पहुंचते थे और वहां रेल गाड़ी पकड़ते थे, इस में कई दिन के समय लगते थे। अब पेइचिंग या शांगहाई में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या कई सौ हो गयी है, देश के अन्य शहरों में भी सौ सौ बच्चे पढ़ने जाते हैं। कुछ बच्चों की उम्र छोटी होने के कारण उन के अभिभावक भी साथ जाते हैं। इसलिए तिब्बती शिक्षा ब्यूरो और रेलवे स्टेशन उन की यात्रा केलिए समय का योजनाबद्ध प्रबंध करते हैं। इसतरह तिब्बती बच्चों के लिए भीतरी इलाकों में पढ़ने जाने तथा छुट्टी मनाने के लिए घर लौटने की गारंटी हो जाती है।"

छिंगहाई तिब्बत रेल मार्ग जैसे इस हरित मार्ग ने स्थानीय निवासियों के जीवन को बहुत परिवर्तित कर दिया, साथ ही तिब्बत के आर्थिक विकास और तिब्बत के निरंतर विकास में भी जीवन शक्ति का संचार किया है। रेल मार्ग के चलते तिब्बत में हरित कृषि व पशुपालन, तिब्बती विशेष औषधि, जातीय कारगरी और पर्यटन उद्योग को बड़ा बढ़ावा मिला है और परिवहन की पूर्ण गारंटी प्राप्त हुई है, इस से संबद्ध उद्योगों का भी विकास हो गया है और रेल लाइन की दोनों ओर आधुनिक वाणिज्य़िक लोजिस्टिक्स केन्द्रों का भी विकास किया गया है।

नाछ्यु कस्बे में पिछली शताब्दी के 60 व 70 वाले दशकों में मकान की छतें सफेद लोह चादरों से बनीं थी, अब तो आधुनिक सामग्री और आधुनिक शैली में निर्मित इमारतें दिखाई देती हैं। वर्ष 2009 के अगस्त माह में एशिया का सब से बड़ा लोजिस्टिक्स केन्द्र यानी छिंगहाई तिब्बत रेलवे लाइन पर नाछ्यु लोजिस्टिक्स केन्द्र निर्मित हुआ, जो एक अरब 45 करोड़ य्वान की पूंजी में 535 से ज्यादा हैक्टर पर फैला है। रेल मार्ग के जरिए यह केन्द्र ल्हासा, शिकाजे, अली और छांगतू आदि तिब्बती प्रिफैक्चरों से जुड़ा है और जिस से परिवहन, भंडारण, उतार चढ़ाव, ढुलाई और पेकिंग, वितरण व सूचना के काम होते हैं। 2010-2011 तक नाछ्यु लोजिस्टिक्स केन्द्र ने 38 कारोबारों के साथ सहयोग समझौते संपन्न किए। तिब्बत के तांगश्योङ जिले के 5100 मिनेरल वाटर कारोबार ने नाछ्यु लोजिस्टिक्स केन्द्र में अपने उत्पादों का परिवहन काम शुरू किया। तिब्बती युवा पाईमा इस केन्द्र के गोदाम कर्मचारी है। उन्होंने कहा:

"हमारे भंडार में मिनेरल वाटर कारखाने के दसियों हजार डिब्बों के वाटर रखे जाते हैं, रोज तांगश्योङ से दर्जनों ट्रकों से 50 हजार डिब्बे आते हैं और नाछ्यु में रेल गाड़ी से देश के शांगहाई, चांगसी और जङचो आदि स्थानों को पहुंचाये जाते हैं।"

इस साल के पूर्वार्द्ध में नाछ्यु लोजिस्ट्क्स केन्द्र ने राजस्व के रूप में सरकार को 5 करोड़ य्वान दिया है । केन्द्र की उप निदेशक मिंगजङ ने कहा कि इस साल केन्द्र की देय राजस्व राशि 10 करोड़ य्वान होगी जो नाछ्यु की वार्षिक वित्तीय आय के 50 फीसदी से अधिक पहुंचेगी। उन्होंने कहा:

"हम ने इस साल के राजस्व के लिए दस करोड़ य्वान से अधिक देने का लक्ष्य रखा है, अगले साल 20 करोड़ य्वान का लक्ष्य है । इस साल में जो दस करोड़ य्वान की रकम दी जाएगी, वह नाछ्यु की कुल वित्तीय आय का आधा भाग बनेगी। नाछ्यु लोजिस्टिक्स केन्द्र के विकास से स्थानीय वित्तीय आय बढ़ती जाएगी और यहां निवेश करने वाले कारोबारों की संख्या भी बढ़ेगी और वह नाछ्यु का आर्थिक स्तंभ बन जाएगा।"

चीनी राष्ट्राध्यक्ष हु चिनथाओ ने तिब्बती प्रतिनिधि मंडल के साथ बातचीत में कहा था कि चीन सरकार छिंगहाई तिब्बत रेल मार्ग की निहित शक्ति का विकास करने की भरसक कोशिश करेगी और उस के कामों को हद तक विकसित करेगी। आज छिंगहाई तिब्बत रेल मार्ग तिब्बत में आर्थिक विकास और तिब्बती लोगों को खुशहाल जीवन दिलाने में बड़ा मददगार हो रहा है और वह हरित मार्ग के रूप में तिब्बती लोगों को कल्याण लाएगा।

अच्छा दोस्तो, अभी आपने सीआरआई के देशी विदेशी पत्रकारों की तिब्बत-यात्रा वृत्तांत पर एक रिपोर्ट सुनी, जिसका शीर्षक है《तिब्बत में रेल यातायात से हरित विकास बढ़ेगा》। अब श्याओ थांग को आज्ञा दें, नमस्कार।

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