तिबब्त में जो पर्यटकों पर सब से गहरी छाप छोडता है,वह पठारीय दृश्य ही नहीं है,बल्कि धार्मिक विश्वास भी है।2010 के अंत तक तिब्बत में आबादी 29 लाख तक पहुंची,जिस का 90 प्रतिशत से अधिक भाग तिब्बती है।तिब्बत के विभिन्न क्षेत्रों में छोटे-बड़े मंदिरों और धार्मिक स्थलों की संख्या 1700 से अधिक है।
तिब्बत में आप कहीं भी कभी भी ऐसा दृश्य देख सकते हैं कि विभिन्न उम्र के बौद्ध भिक्षु या तो हाथों से प्रार्थनाचक्र चलाते हैं,या घी-बत्तियं जलाते है,या फिर दंडवत् करते हुए पूजा-पाठ करते हैं।इससे आप को तिब्बती जनता में धार्मिक विश्वास की प्रबलता महसूस हो सकती है।
तिब्बत में मंदिर धार्मिक स्थल होने के साथ-साथ तिब्बती संस्कृति का परिचयक भी माना जाता है।वहां आप मंदिरों का दौरा करने के समय किसी विशाल सांस्कृतिक संग्रहालय को देखने का अहसास हो सकता है।मंदिरों में समृ्द्ध बौद्ध ग्रंथ और भित्तचित्र तिब्बत के इतिहास व तिब्बती बौद्ध धर्म के विकासक्रम से जुड़ी कहानियां सुनाते हैं,खूबसूरत मूर्तियां और सजावट-वस्तुएं तिब्बती कला का उच्च स्तर दिखाती हैं।मंदिरों की शैली तिब्बती सौंदर्य-शास्त्र का बोध देता है।इसके अलावा मंदिरों में तिब्बत के साहित्य,इतिहास और भूगोल आदि शास्त्रों से जुड़ी बड़ी मात्रा में पुस्तकें भी सुरक्षित हैं,जिनमें तिब्बतियों की प्रतिभा और उपलब्धियां चमकती हैं।
चीन सरकार हमेशा से तिब्बत के मंदिरों व अन्य सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण को भारी महत्व देती रही है।गत फरवरी के अंत तक तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की सरकार जोखां मठ समेत 22 सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण व जीर्णोद्धार में 40 करोड़ य्वान से भी अधिक धनराशि का अनुदान कर चुकी है।