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तिब्बी पंचांग का नया साल
2011-05-31 18:27:35
तिब्बती पंचांग का नया साल तिब्बती जाति का परम्परागत त्योहार है। नये साल के पहले दिन तिब्बती लोग एक दूसरे से जाशी देले कहते हैं, जिसका मतलब है शुभकामनाएं, और लोसार्सांग यानी नया साल मुबारक कहते हैं । नये साल में तिब्बती लोग पटाखे जलाते हैं और जौ की शराब और घी पीते हैं, तिब्बती ओपेरा और स्थानीय ओपेराओं की प्रस्तुतियां पेश की जाती हैं और तिब्बती चरवाहे आग जलाकर रातभर गाते नाचते हैं । इसी दौरान तिब्बती लोगों के बीच कई लोकप्रिय प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं । नए साल में तिब्बती लोग खूब मज़ा लेते हैं ।

तिब्बती पंचांग के नये साल को तिब्बती जाति का सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार माना जाता है । तिब्बती पंचाग के अनुसार, दिसम्बर के शुरू में तिब्बती लोग नए साल की खुशियां मनाने के लिए तैयारियां करते हैं । हर परिवार लेवर में जौ के पौधे उगाते हैं , जिन्हें तिब्बती पंचांग के नए साल में देवी-देवता का मुर्तियों के सामने रखा जाता है , इसका मतलब है कि वे देवी-देवता से अगले वर्ष में सफल फ़सल की प्रार्थना करते हैं । तिब्बती पंचांग के अनुसार, दिसंबर के मध्य से ही हर परिवार घी और आटे से रंगबिरंगे केक बनाते हैं, जिसे तिब्बत में"खा साइ"कहलाता है । कहा जाता है कि "खा साइ"तिब्बती महिलाओं के रसोई के कार्य की क्षमता दिखायी जाती है । घी और ओटे से बनाए गए तिब्बती केक"खा साइ"के विभिन्न आकार हैं । कान के आकार वाले"खा साइ"को"खु को"कहलाता है, चमचे आकार वाले"खा साइ"को"पिंग तो"और डिस्क आकार वाले को"बु लु"कहा जाता है, इत्यादि। नए साल के आगमन पर तिब्बती लोगों के हर परिवार में"जूसू छिमा"नामक टोकरा बनाया जाता है , जिस में तिब्बती जानबा, जौ और जिनसङ फल आदि खाद्य-पदार्थ को रखा जाता है । इस टोकरा को"लू को"नामक शीप्सहैड, जो घी के फूल से बनाया जाता है, के साथ घर में सुरक्षित रखा जाता । इसका द्योतक है कि पिछले वर्ष अच्छी फसल हुई और कामनाएं है कि अगले वर्ष और अधिक फसल उगेगी।

तिब्बती पंचांग के नए साल के पूर्व दो दिनों से ही हर परिवार में सफ़ाई का काम खूब किया जाता है । आटे से घर की दीवारों पर शुभकामना शब्द लिखे जाते हैं। नए साल की पूर्व रात को परिवार के सभी सदस्य एकत्र होकर रात्रि भोज करते हैं । इसके साथ ही हर परिवार में तिब्बती बौद्ध धर्म के बुद्ध-मूर्ति के सामने विभिन्न प्रकार के खाद्य-पदार्थ रखे जाते हैं। त्यौहार में नए वस्त्र तैयार किया जाता है । नए साल के पहले दिन तड़के, महिला जौ का गर्म मदिरा बनाकर परिवार के सदस्यों के पलंग के सामने लाती हैं, इसे पीकर तिब्बती लोग उठते हैं और नये साल की खुशियां मनाना शुरू करते हैं ।

तिब्बती परम्परा के अनुसार, नए साल के पहले दिन परिवार की महिला सबसे पहले उठती है, वह कुएं में पहले पीपे का पानी लाती हैं। पालतू पशुओं को खिलाने के बाद परिवार के अन्य सदस्यों को उठाती है । सब लोग नए साल के लिए खूबसूरत नए वस्त्र पहनते हैं । नाश्ते के वक्त परिवार के बूढ़े लोग"जूसू छिमा"टोकरे में से खाद्य-पदार्थ को आसमान में फेंकते हैं, जिसका उद्देश्य देवी-देवताओं का सम्मान करना है । इसके बाद वे"जूसू छिमा"टोकरे के खाद्य-पदार्थ खाते हैं । परिवार के बुढ़े लोग युवाओं से"जाशी देले"यानी नमस्कार कहते हैं, और युवा लोग उन्हें शुभकामनाएं देते हैं कि वे स्वस्थ रहे और सुखमय रहे, आशा करते हैं कि अगले नए साल में परिवार के सदस्य इसी तरह एक साथ भी खिशियां मनाएंगे । ऐसी रस्म के बाद परिवार के सदस्य एक दूसरे के सम्मान में जौ का मदिरा पीते हैं । तिब्बती परम्परा के अनुसार, नए साल के पहले दिन परिवार का समय है, जिसमें रेश्तेदारों व दोस्तों के बीच आवाजाही नहीं होती है । नए साल के दूसरे दिन से ही मित्रों व रिश्तेदारों एक दूसरे के घर आते जाते हैं, नए साल की शुभकामनाएं देते हैं , यह गतिविधि तीन या पांच दिन तक चलती है ।

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