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तिब्बत जाति की चाय परम्परा
2011-05-18 14:15:31

श्रोता दोस्तो, चाय मानव जाति का पसंदीदा जल-पान होती है । कहा जाता है कि विश्व के चालीस से ज्यादा देशों में चाय की खेती की जाती है, जबकि चाय पीने वाले देशों की संख्या को कहीं ज्यादा है । चीन चाय उगाने वाला प्रथम देश ही नहीं, विश्व में चीन का चाय पीने का इतिहास भी सब से लम्बा पुराना है । चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के ऊंचे पठार में रहने वाले तिब्बती लोगों के लिए चाय दैनिक जीवन की अपरिहार्य मुल्यवान चीज है । हर रोज़ चाय पीना तिब्बती लोगों की एक परम्परा रही है । इस कार्यक्रम में हम आप को अवगत कराएंगे तिब्बत जाति की चाय परम्परा ।

तिब्बत पठार आकर आप ठहरे चाहे शहर में हो या गांव में , पहाड़ों की घाटी में हो या चरागाह में, जहां भी मानव रहता हो , वहां आप को तिब्बती दुग्ध चाय का सुगंध लेने को मिलता है ।

तिब्बती गांवों और चरागाहों में हर दिन सुर्योद्य से पूर्व ही परिवार की मालिकन तिब्बती दुग्ध चाय बनाने के लिए उठती है । जब परिवार के अन्य सदस्य निद्रा से अभी भी नहीं जागे , तो गर्म गर्म व सुगंधित दुग्ध चाय उन के पलंग के पास पहुंचायी जाती है । इसी वक्त वे कपड़े पहनकर तिब्बती दुग्ध चाय पीकर आराम से उठ जाते हैं ।

चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में ऐसी रीति रिवाज़ चल रही है कि दूर से आने वाले मेहमान हो या अकसर घर आने वाले दोस्त जब मेजबान के घर पहुंचे , तो उन्हें तुरंत गर्म गर्म तिब्बती दुग्ध चाय पिलाता है । मेज़बान और मेहमान दोनों घुल मिल कर दुग्ध चाय पीते हुए बातचीत में लग जाते हैं ।

इस तरह तिब्बती दुग्ध चाय पीना तिब्बती लोगों के जीवन का अभिन्न अंग बन जाता है । विश्व की छत कहलाने वाले तिब्बत पठार पर अगर आप को भूख और थकान लगा, तो तिब्बती दुग्ध चाय पीने पर आप एकदम तरोताजा हो जाएंगे । सर्दियों के दिनों में अगर आप को ठंड लगती , तो तिब्बती दुग्ध चाय पीने पर एकदम गर्म महसूस हो जाता है । तिब्बती लोगों का यह भी कहना है कि बीमार पड़ने के वक्त गाढ़ी तिब्बती चाय पीने से आप स्वस्थ हो जाएंगे । एक तिब्बती कहावत है कि चाय का कचरा तेल के तूल्य है, उसे बच्चों को खिलाओ । तिब्बती लोगों के दिल में चाय का कचरा भी इतना कीमती है ,तो ताजा चाय और दुग्ध चाय को तो क्या कहना ।

चीन के भीतरी इलाके में चाय पीने का इतिहास कोई चार हज़ार से ज्यादा वर्ष पुराना है । जबकि तिब्बत में चाय पीने का इतिहास है एक हज़ार पांच सौ से ज्यादा वर्ष । तिब्बती चाय के बारे में ऐतिहासिक उल्लेख भी उपलब्ध है । कहा जाता है कि ईस्वी तीन सौ से चार सौ वर्ष के दौरान तत्कालीन तिब्बती वासी यानी थू पो राजवंश के नागरिक चाय नहीं पीते थे । वे किसी एक किस्म के पेड़ की छिलकों को पानी में उबाल कर तैयार किया गया रस पीते थे। थू पो राज्य के शक्तिशाली होने के बाद वह अकसर आसपास के राज्यों पर आक्रमण करता था । थू पो राज्य की सेना भीतरी इलाके के थांग राजवंश की सीमा तक भी पहुंची और वहां हान जाति की चाय आदि वस्तुओं को छीन लेकर वापस लौटी । उसी समय थू पो वासियों को चाय का नाम भी नहीं पता था । सातवीं शताब्दी में थांग राजवंश की राजकुमारी वन छङ और आठवीं शताब्दी में राजकुमारी चिन छङ की शादी क्रमशः थू पो राजाओं के साथ हुई । ये दोनों राजकुमारी चीन में तिब्बती जाति और हान जाति की मैत्री की दूत मानी जाती हैं । दोनों राजकुमारियों के साथ भीतरी इलाके की राजधानी छांग आन शहर से कोई सौ किस्मों की वस्तुएं तिब्बत पठार लायी गईं । इन सौ किस्मों की चीज़ों में चाय भी शामिल थी । वन छङ और चिन छङ राजकुमारियों ने तिब्बत में भीतरी इलाके का चाय पीने का तरीका प्रसारित किया । तभी से चाय पीना तिब्बती लोगों के जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया ।

कहा जाता है कि चाय पीना मांस व दुध के पाचन के लिए लाभदायक होता है । इस तरह थू पो के जमाने में चाय पीना सारे तिब्बत पठार में बहुत लोकप्रिय हो गया । इसी दौरान चीन के भीतरी इलाके से चाय लगातार छिंग हाई तिब्बत पठार में पहुंचायी जा रही । हान जाति के लोग तिब्बती क्षेत्र को सप्लाई की जाने वाली चाय को तिब्बती चाय कहते थे । इस प्रकार की प्रथा आज तक भी वहां जारी रही है ।

दोस्तो ,इस कहानी को सुनकर शायद आप को ऐसा महसूस हुआ होगा कि तिब्बत में चाय के पेड़ नहीं उग सकते । असल में बात ऐसी नहीं है । तिब्बत पठार की विशाल भूमि में ऐसे कुछ स्थान भी उपलब्ध है, जहां जल वायु सुहावना है और साल में पर्याप्त वर्षा उपलब्ध होती है । जैसाकि तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के लिन ची प्रिफैक्चर की भूमि बहुत ऊपजाउ है , जहां चाय वृक्ष उगाने की अनुकूल स्थिति है । तिब्बत स्वायत्त प्रदेश को चाय आपूर्ति के लिए ची प्रिफैक्चर की छा यू, यी कांग और मा थ्वो कांउटियों में चाय का उत्पादन प्रचूर होता है । चाय के पत्ते तोड़ने के समय चाय के खेतों में रंगबिरंगे कपड़े पहनने वाली तिब्बती महिलाएं व लड़कियां अपने कुशल हाथों से चाय तोड़ती नजर आती हैं , जबकि तिब्बती युवक बड़े बड़े कड़ाहों में चाय पक्काने में मसरूफ रहते हैं । इस दौरान हर तरफ ताजा ताजा चाय की खुशबू फैल रही है और तिब्बती लोग अच्छी फसल की खुशी में बराबर मस्त रहते हैं ।

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