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बीजिंगः शहरीकरण के बीच परम्पराएं कायम
2011-09-19 19:24:39

अरूण आनंद

बीजिंग ,15 सितम्बर। चीन की राजधानी तो है ही। यह इस बात का भी द्योतक है कि किस प्रकार चीन ने पिछले कुछ सालों में शहरी विकास की प्रक्रिया को नए आयाम दिए हैं।बीजिंग का हवाई अड्डा अपने आप में इतना विषालकाय है कि अपेक्षाकृत छोटे देशों के रहने वालों के लिए इस बात की परिकल्पना करना भी आसान नहीं होगा कि कोई हवाई अड्डा इतना बड़ा हो सकता है।

हवाई अड्डे पर मेरी चाईना एयर की उड़ान चीनी समय के अनुसार लगभग दोपहर 12 बजे उतरी। आव्रजन की प्रक्रिया सुगम थी। आव्रजन काउंटर के बाद आपको एक छोटी रेल उस जगह ले जाती है जहां आप अपना सामान ले सकते हैं।

इस प्रक्रिया में लगभग एक घंटे का समय लगता है।

बड़ी संख्या में भारतीय इस हवाई अड्डे पर नजर आते हैं। हर आयु वर्ग के भारतीय चीन में बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। व्यवसाय ही नहीं शिक्षा के नजरिए से भी चीन भारतीयों के लिए एक बड़े आकर्षक केंद्र के रूप में उभर रहा है। कभी सोवियत संघ के मेडिकल और इंजीनयरिंग कॉलेज उन भारतीय छा़त्रों के लिए आकर्षण का केंद्र थे जिन्हें कड़ी प्रतियोगिता के कारण भारत में ऐसे संस्थानों में प्रवेश नहीं मिल पाता था। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में चीन के विभिन्न प्रांतों में ऐसे उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश लेकर भारतीय छा़त्र आ रहे हैं।

इसका एक कारण शायद यह भी है कि न केवल ये पाठ्यक्रम आम भारतीयों की पहुंच में हैं बल्कि सांस्कृतिक नजरिए से भी उनके लिए यहां ज्यादा आरामदेह माहौल है। यह इस बात का महत्वपूर्ण संकेत भी है कि दुनिया की दो प्राचीनतम सभ्यताओं-भारत और चीन- में सांस्कृतिक एकता के सूत्र गुंथे हुए हैं।

हवाई अड्डे पर विदेशी मुद्रा-विनिमय के काउंटर पर बैठे युवाओं का व्यवहार आपको प्रभावित करता है। मसलन एक युवती ने मुझे बताया कि अगर आप सौ डॉलर को चीनी मुद्रा युआन में परिवर्तित करवाना चाहते हैं तो भी आपको 50 युआन का शुल्क देना होगा और अगर आप 200 डॉलर के बदले युआन चाहते हैं तो भी कुल 50 युआन ही लगेंगे इसलिए बेहतर है कि आप फायदा उठाएं और 200 डॉलर को ही युआन में पविर्तित करवा लें।इसके बाद बिना कोई फार्म भरे कुछ ही मिनटों में युआन आपके हाथ में आ जाएंगे और बस आपको एक कंप्यूटरीकृत रसीद की प्रति पर हस्ताक्षर कर उसे वापिस काउंटर पर बैठे युवाओं को देना होगा।

विदेशियों की मदद करने की यह इच्छा और प्रयास आपको हर जगह विदित होगा। इसका एक कारण शायद यह भी है कि बीजिंग सही मायने में एक अंतर्राष्ट्रीय शहर बन चुका है। बड़ी संख्या में गैर चीनी आपको चारों ओर नजर आएंगे।

हवाई अड्डे से बाहर निकलते ही देव ने मेरा स्वागत किया। हिंदी प्रेमी देव युवा हैं और चाइना रेडियो इंटरनेषनल की हिंदी सेवा में संवाददाता के रूप में कार्यरत हैं।कार में उन्होंने न केवल मुझे होटल छोड़ा बल्कि पूरे रास्ते मुझे बताते रहे कि आने वाले लगभग 10 दिन तक हमारा कैसा कार्यक्रम रहेगा। एक आदर्श मेजबान की तरह उन्होंने मुझसे कहा कि अगर मैं कुछ खाना चाहूं तो हम कहीं भी बैठकर भोजन कर सकते हैं। उन्होंने होटल में मेरे कमरे तक मुझे छोड़कर सहृदयता से कहा कि मैं थक गया होउंगा इसलिए बेहतर होगा कि मैं कुछ आराम कर लूं और हम शाम को भोजन पर मिलेंगे।

भारत में जहां भोजन रात आठ बजे के बाद ही होता है, खासकर शहरों में,वहीं चीन में शाम छः बजे के आस-पास सभी रात का भोजन कर लेते हैं। दोपहर का भोजन भी दोपहर 12 बजे तक हो जाता है। सोने के बहुत पहले ही भोजन कर लेना स्वास्थ्य के लिए बेहतर है , यह भारतीय परम्परा का भी लम्बे समय तक हिस्सा रहा है।लेकिन अब शहरों की भागदौड़ में भारतीयों ने इस परम्परा को भुला दिया है।पर चीन में अभी भी यही परम्परा कायम है। इस मामले में हम भारतीय चीन से सीख सकते हैं।

-लेखक भारत की प्रमुख समाचार एजेंसी आईएएनएस की हिंदी सेवा के कार्यकारी सम्पादक हैं और 15 से 26 सितम्बर तक चीन की यात्रा पर हैं।-

समाप्त।

पेइचिंग हवाई अड्डे पर आनंद जी

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