हम लोग सुबह 8 बजे होटल से निकलकर टैकसी से चीनी परिवार के घर पर पहुंचे। वहां परिवार के मुखिया ने बड़े उत्साह के साथ हमारा सवागत किया। यह परिवार तीन मंजिली इमारत के एक फ्लेट में रहता है , फ्लेट में तीन सोने वाले कमरे,एक बड़ा सा डाईंग रूम,एक किचन,एक बाथरुम और एक बड़ा गेस्ट रुम है , साथ ही सभी प्रकार वाली आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित भी हैं । वस्तव में चीनी लोग काफी बड़ा आरामदेह जीवन व्यतीत करते हैं।
वैसे भारत में घर की दीवार पर कोई कैलेंडर एवं पोस्ट नहीं लगाया जाता है। पर इस घर के डाईंग रुम की एक दीवार पर एक चित्र लगा हुआ है ।मैंने सी आर आई के पत्रकार लीलीजी से उस चित्र के बारे में पूछा,तो उन्होंने बताया कि यह चित्र चीन के हान राजवंश में एक मंत्री की कहानी से जुड़ा हुआ है । सुना जाता है कि वह मंत्री किसी कारण से पद से हटाया गया, फिर वह अपने गांव लौटकर सीधा सादा जीवन बिताने लगा , पर मन में हमेशा चीनी जनता के सुखमय जीवन और सारी दुनिया की चिर स्थायी शांति की शुभकामनाएं संजोये हुए हैं । इसीलिये चीनी लोग आज तक भी उस का सम्मान करते आये हैं । डाईंग रुम की दुसरी दीवार पर चीनी भाषण में लिखित एक सुंदर कविता लगी हुई है । वास्तव में इस परिवार की कई संतान पढ़ने में बहुत तेज हैं और परीक्षा में उत्तीण होकर अच्छे स्कूलों में प्रविष्ट हुई हैं । उन की प्रशंसा में एक प्रसिद्ध स्थानीय लिपिकार ने यह कविता लिखी । दिलचस्प बात यह है कि इस कविता की हर लाइन का प्रथम शब्द इस परिवार की हर संतान के नाम का प्रथम शब्द ही है ,चीनी भाषा में इसी प्रकार वाली कविता को सिर छुपाने वाली कविता कहलायी जाती है।
लेकिन आज के जमाने में साधारण चीनी छोटे परिवार में मां बाप व एक बच्चे को मिलाकर कुल तीन सदस्य हैं।
मैं और सी आर आई की अंजली जी ,मीनू जी ,लीली जी ने इस परिवार के लोगों से वार्तालाप किया और उनके किचन में मैं ने चीनी व्यंजन बनाने की कला सिखी ।फिर हम लोग भोजन के बाद पुनः टैकसी से शी आन शहर की ओर चल पड़े। रास्ते में विशाल कृषि खेतों पर हरे भरे मक्का लहलहाते हुए दिखाई देते हैं । खेतों के किनारे किनारे अनार के पेड़ देखने में काफी सुंदर लग रहे है । शिआन शहर की सड़को पर यातायात व्यवस्था काफी सुव्यवस्थित है । परंतु यह देख कर काफी आश्चर्य हुआ कि सभी गाड़ियां रास्ते की दायं तरफ चल रही हैं । पर भारत में बिलकुल इस के विपरीत है।