पिछले कुछ साल से चीन में हर साल भारत दिवस मनाया जाता है जिस में भारत के बारे में जानकारी का आपस में आदान-प्रदान किया जाता है। लेकिन इस साल 23 तारीख को जो भारत दिवस मनाया गया वह पिछले सभी सालों से भिन्न रहा है। एक तो यह कि इस बार भारत दिवस भारत का विकास,चीनी युवाओं के लिए संभावनाएं विषय पर आधारित था। ।चीन के पीकिंग विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग और भारत अध्ययन केंद्र ने चीन में भारतीय दूतावास और भारत में सांस्कृतिक परिषद की सहायता से इस का आयोजन किया और पहली बार सारे चीन में हिंदी के अध्ययन अध्यापन में रत विद्यार्थी और अध्यापकों को इस में आंमत्रित किया।चीन के नानचिंग से,शी आन से खुनमिंग से और बीजिंग के तीन विश्वविद्यालयों से लगभग सौ छात्रों और अध्यापकों ने और बीजिंग में भारतीय दूतावास और भारत सांस्कृतिक केंद्र में कार्यरत चीनी और भारतीय कलाकारों नें इस में भाग लिया।चीन में यह पहली बार है कि इतने बड़े पैमाने पर भारत दिवस का आयोजन किया गया। यह जानना रोचक होगा कि जहां कुछ साल पहले चीन में हिंदी की पढ़ाई केवल पीकिंग विश्वविद्यालय में ही होती थी, अब लगभग सात विश्वविद्यालयों में हिंदी की पढ़ाई हो रही है या शुरु होने वाली है।
कार्यक्रम की शुरुआत पीकिंग विश्वविद्यालय में भारतीय अध्ययन केंद्र के निदेशक वांग पांग वे ने की। उन्होंने पीकिंग विश्वविदयालय में भारतीय भाषाओं के अध्ययन अध्यापन की परंपरा को रेखांकित करते हुए कहा कि युवाओं को भारतीय भाषाओं का अध्ययन अध्यापन करते हुए भारत आधुनिक भारत और भारत की संस्कृति और विकास को समझना चाहिए और दोनों देशों के संबंधों को आगे बढ़ाने में अपना योगदान देना चाहिए। पीकिंग विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रोफेसर और भारतीय अध्ययन केंद के उप निदेशक च्यांग चिंग खुई ने भारत दिवस को हिंदी विभाग की ओर से आयोजित करने के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि चीन में भारत दिवस हिंदी दिवस ही है और हिंदी दिवस भारत दिवस ही है क्यों कि चीन में हिंदी केवल एक भाषा ही नहीं है बल्कि भारत को जानने,समझने की एक खिड़की और कुंजी है।हिंदी केवल एक माध्यम है जिस के द्वारा हम भारत को समझने की कोशिश कर रहे हैं।इस दृष्टि से हिंदी दिवस या भारत दिवस का हमारे लिए विशेष महत्व है।उऩ्होंने हिंदी की चर्चा करते हुए इस ओर भी इशारा किया कि यह दुख की बात है कि भारतीय दोस्त हिंदी में कम और अंग्रेजी में अधिक बात करते हैं।उन्होने यह भी कहा कि भारतीय दोस्त हमारे दोस्त नहीं हैं बल्कि रिश्तेदार हैं,दोस्ती टूट सकती है ,कभी खटाई में पड़ सकती है लेकिन रिश्ता कभी नहीं टूट सकता,रिश्ते में तो खून का संबंध होता है।
नानचिंग विश्वविद्यालय में हिंदी के प्रोफेसर क फू फिंग ने हिंदी में अपने मन के उदगार प्रकट करते हुए कहा कि वे मन से आज इतने खुश हैं जितने पहले कभी नहीं हुए। उन्होंने पीकिंग विश्वविद्यालय से ही हिंदी में डिग्री हासिल की थी और पिछले अनेक वर्षों ,से वे हिंदी का अध्ययन अध्यापन कर रहे हैं।उन्होंने भी यही कहा कि उन के लिए भारत दिवस का अर्थ हिंदी दिवस है और हिंदी दिवस का अर्थ भारत दिवस।
इन विद्वानों के विचारों से यह आसानी से अंदाज लगाया जा सकता था कि वास्तव में चीन में हिंदी का अध्ययन अध्यापन केवल एक भाषा के रुप में ही नहीं हो रहा है बल्कि इन के दिल में भारत के प्रति सच्चा प्यार और दोस्ती की एक ऐसी अटूट भावना है जिसे वे और मजबूत करना चाहते हैं।
भारत में एक साल हिंदी का अध्ययन कर लौटे विद्यार्थियों ने भारत के अपने अनुभवों को पावर प्वांएट के माध्यम से चित्रों,और रेखाचित्रों के माध्यम से व्यक्त किया और भारत में यात्रा के दौरान उन्हें लोगों से मिल कर कैसा लगा यह बताया।भारत की मिली जुली ,संस्कृति,धर्म,सर्वधर्मसमभाव की भावना ने उऩ्हें गहरे रुप से प्रभावित किया और अपनी बात को,अपनी भावना को और भारत की संस्कृति को एक शब्द में समोते हुए उन्होने कहा कि यदि भारत को एक शब्द में व्यक्त करना हो तो कहा जा सकता है कि भारत मसाला है जहां सभी जाति,धर्म,रंग,संस्कृतियों के लोग मसाले की तरह मिलजुल कर रहते हैं और वे सब एक मजेदार हॉटपाट की तरह लगते हैं।
पीकिंग विश्वविद्यालय के हिंदी के कुछ विद्यार्थियों ने इस अवसर पर भारत और चीनी विद्यार्थियों के बीच किए गए सर्वेक्षण की भी प्रस्तुति की,जिस में दोनों देशो के युवाओं से राजनीति,सेना,आर्थिक विकास,आपसी संबंध,प्रतिस्पर्धा,आदि मुद्दों पर सवाल पूछे गए थे।सर्वेक्षेण और सर्वेक्षण का परिणाम उतना महत्वपूर्ण नहीं है क्योंकि ऐसा सर्वेक्षण और इस के नतीजे काफी लचीले हो सकते हैं,महत्वपूर्ण यह कि दोनों देशों के युवा एक दूसरे देश में एक दूसरे की राय जानने के लिए उत्सुक हैं और एक दूसरे को समझना चाहते हैं।
भारत से लौटे चीनी विद्यार्थियों ने वहां खींचे चित्रों की प्रदर्शनी भी लगाई जिस में मसालेदार भारत अपने रंगबिरंगे रुपों में दिखाई पड़ रहा था।
अवसर के अनुरुप भारतीय दूतावास के श्री शुक्ला ने भारत में चीनी युवाओं के लिए क्या और कैसी संभावनाएं हैं इस पर रोशनी डालते हुए इस अवसर के लिए तैयार की गई एक वीडियो फिल्म दिखाई जिस में भारत के विकास को रेखांकित करते हुए दिखाया गया है कि किन-किन क्षेत्रों में चीनी युवा अपना योगदान दे सकते हैं और रोजगार भी खोज सकते हैं।
सारा दिन चलने वाले कार्यक्रम में दोपहर बाद चीनी विद्यार्थियों ने भारतीय फिल्मों के गीत गाए,भारतीय फिल्मों के चुनिंदा दृश्यों को अपनी आवाज में पार्श्व संवाद दे कर दर्शकों का मनोरंजन किया और ठुमरी पर नृत्य,दोगाना,भजन भी प्रस्तुत किया।बाद में चीनी कलाकारों ने भरतनाटयम नृत्य प्रस्तुत किया।
इस संदर्भ में यह जानना भी महत्वपूर्ण है कि पिछले ही सप्ताह यहीं बीजिंग में विश्वकवि रविंद्रनाथ टैगोर की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर चीनी विश्व मैत्री संघ ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया था जिस में चीनी मित्रों ने बढ चढ कर भाग लिया था।
इन कार्यक्रमों से जाहिर है कि चीन में भारत के प्रति कितनी रुचि है और चीनी युवा भारत को जानने के लिए कितने उत्सुक हैं।आपसी संबंधों को पुख्ता करने के लिए एक दूसरे को जानने की पहल करना इस दिशा में युवाओं के द्वारा उठाया गया पहला कदम है।इस अवसर पर दूतावास ने चीनी भाषा में रवींद्रनाथ ठाकुर के साहित्य पर केंद्रित पत्रिका का भी वितरण किया।