यह चाइना रेडियो इन्टरनेशनल है। श्रोता दोस्तो, सी.आर.आई. की 70वीं जयंती पर ज्ञान प्रतियोगिता का विशेष कार्यक्रम सुनने के लिए आप का हार्दिक स्वागत। विश्व भर में जगह जगह आप जैसे बहुत से श्रोताओं को रोज रेडियो के पास चीन से आने वाली बेतार आवाज़ सुनते मिलते हैं। वे चीन से जुड़ी खबरों व चीन में आए परिवर्तनों पर बड़ा ध्यान देते हैं। वे हर उद्घोषक या उद्घोषिका की आवाज़ से सुपरिचित हैं, और हर कार्यक्रम के ज्ञाता रहते हैं। रोज सीआरआई के कार्यक्रम सुनना उन की एक आदत बन गयी। धीरे धीरे वे हमारे पुराने व सक्रिय श्रोता बन गये हैं।
तो आज के इस कार्यक्रम में भी हम श्रोताओं से दो सवाल पूछेंगे।
1. वर्तमान सीआरआई के कितने श्रोता क्लब हैं?
2. सीआरआई के प्रथम श्रोता क्लब का नाम क्या है?
आइये, अब हम आप को विश्व के कोने कोने में फैले सी.आर.आई के उन पुराने श्रोताओं तथा सी आर आई स्टाफ, जिन के बीच कभी मुलाकात तो नहीं हुई है, पर रेडियो तरंग से काफी गहरी दोस्ती कायम हो गयी है, से अवगत कराएंगे और उन में हुई मैत्रीपूर्ण कहानी सुनाएंगे।
बहुत सारे दक्षिण एशियाई श्रोता ज़रूर इस आवाज से सुपरिचित हुए होंगे। हां, वह है सी.आर.आई. की पुरानी हिन्दी उद्घोषिका सुश्री सुन क्वेइंग द्वारा पिछली शताब्दी के 70 वाले दशक में रिकॉर्ड की गयी की रेडियो कॉल है, जो आज तक भी प्रयोग में लायी जा रही है। पिछले 40 से अधिक वर्षों में सुश्री सुन क्वी इंग ने अपनी मधुरी और शुद्ध हिन्दी में श्रोताओं को चीन के बारे में ढेरसारी जानकारी दी है और चीन-भारत मित्रता को बढ़ाने के बहुत से काम किए, यद्यपि उन की अधिकांश श्रोताओं से मुलाकात नहीं हुई, तथापि रेडियो की तरंग से उन में अटूट दोस्ती कायम हुई है, सभी श्रोता उन्हें सुन इंग दीदी कह कर पुकारते हैं। हमारे पुराने श्रोताओं के दिल में आज तक सुन इंग दीदी की याद ताजा बनी रहती है।
हिन्दी विभाग की सुनइंग की भांति सीआरआई में हरेक विभाग में ऐसे उद्धोषक या उद्घोषिका की आवाज श्रोताओं में बेहद पसंद आयी है और उन्ही सुनने के लिए हर समय बेताब हैं। वही अफ़्रीका महाद्वीप में केन्या और तंजानिया आदि देशों के श्रोताओं में सीआरआई के स्वाहिली उद्घोषिका सुश्री छन ल्यान इंग की आवाज भी लोकप्रिय रही है। उन्होंने भी सुश्री छन ल्यान ईन को एक बहुत प्यारा नाम दे दिया, यानिकि मामा छन। इस के बारे में सुश्री छन ने एक छोटी सी कहानी सुनाकर बतायी।
एक बार जब मैं केन्या स्थित संयुक्त राष्ट्र संघ की एक संस्था का दौरा कर रही थी, मैंने देखा कि वहां के बहुत से अफ़्रीकी लोग स्वाहिली भाषा में बातचीत कर रहे थे। तो मैं उन से बातें करने के लिये पास गयी, लेकिन केवल एक वाक्य से ही उन्हों ने मेरी आवाज़ पहचानी, और मालूम हुआ कि मैं सीआरआई से हूं। वास्तव में यह कोई ताज्जुब की बात नहीं है, क्योंकि वहां बहुत से लोग मामा छन को जानते हैं।
सीआरआई भवन में सीआरआई इतिहास प्रदर्शनी हॉल में हर भाषा विभाग का अपना अपना शोकेस है। उस में विभिन्न देशों के श्रोताओं द्वारा भेजे गये उपहार, यादगार वस्तुएं व महत्वपूर्ण फ़ोटो आदि रखे हुए हैं। हर उपहार में श्रोताओं की शुभकामनाएं निहित हैं।
वियतनामी भाषा विभाग के शोकेस में एक लाल झंडा बहुत ध्यानाकर्षक है। वियतनामी भाषा विभाग की अध्यक्षा सुश्री वू चाओ ईन, यानि वियतनामी श्रोताओं की पसंदीदा उद्घोषिका येन ह्वा हैं, ने इस झंडे की कहानी बतायी।
वर्ष 1995 में वियतनामी भाषा विभाग की स्थापना की 45वीं वर्षगांठ थी। हो ची मिन्ह शहर की एक श्रोता फाम टी मिंह ट्रांग ने अपने हाथों से यह झंडा बुना, इस पर सीआरआई का रेडियो चिन्ह व अनेक शुभकामनाएं अंकित हैं। यह झंडा हमारे लिये एक बहुत मूल्यवान् चीज़ है, क्योंकि श्रोताओं का प्रोत्साहन कार्यक्रम बनाने में हमारी शक्ति का स्रोत है।
हर साल की सर्दियों के दिन, वियतनामी भाषा विभाग के बहुत से कर्मचारी फान टी नगोक का नाम लेते हैं। हालांकि उन्होंने फान टी नगोक नामक इस वियतनामी श्रोता का चेहरा कभी नहीं देखा, पर हर बार उन की चर्चा में सभी लोगों के मन में स्नेह और प्यार की भावना पैदा होती है। उन की कहानी वर्ष 2007 की सर्दियों में हुई थी ।
फान टी नगोक नामक यह श्रोता जानती हैं कि पेइचिंग का सर्दियों का मौसम बहुत ठंडा है, इसलिये उन्होंने अपने हाथों से दस उनी शाल व दस उनी स्विटर बुने और वियतनामी भाषा विभाग को भेंट दिये। अपने पत्र में उन्होंने लिखा है कि पेइचिंग में ठंड बहुत है, उद्घोषक व उद्घोषिका को गर्म गर्म कपड़े पहनने चाहिए, ताकि वे जुकाम से बच हों, और हमारे लिये ज्यादा से ज्यादा अच्छे कार्यक्रम बना सकें। उसी समय हम सचमुच बहुत प्रभावित हुए, आज तक जब इस बात की चर्चा चली, तो मन में एक प्रकार का स्नेह और उत्साह आएगा। इस कहानी से साबित हुआ है कि हमारे साथ श्रोताओं की हमेशा सद्भावना रहती है।
वर्ष 1961 में सीआरआई का पहला विदेशी श्रोता क्लब यानी जापान के रेडियो पेइचिंग श्रोता संघ की स्थापना हुई। आज तक विश्व में सीआरआई के श्रोता क्लबों की कुल संख्या 3165 तक पहुंची है। ये सभी क्लब श्रोताओं द्वारा अपनी इच्छा से स्थापित हुए हैं। उन का लक्ष्य है सीआरआई के कार्यक्रम सुनने से चीन के बारे में ज्यादा जानकारियां प्राप्त करना, और चीन के साथ मैत्रीपूर्ण गतिविधियों का आयोजन करना। क्लबों में शॉर्टवेव श्रोता क्लब, वेब श्रोता क्लब और एफ़एम श्रोता क्लब तीन किस्मों में बंटते हैं। क्लबों के पैमाने भी भिन्न भिन्न है, छोटे क्लब में केवल दसेक लोग हैं, और बड़े क्लब में हजारों सदस्य शामिल हैं। क्लबों के सभी सदस्य सीआरआई के सक्रिय श्रोता हैं, और चीनी जनता से गहरी मित्रता कायम है।
सीआरआई भवन के दक्षिण-पूर्वी कोने पर 200 वर्गमीटर वाले चेरी पेड़ों का एक छोटा सा बागीचा है। हर साल के अप्रैल माह में चेरी के फूल चटक से खिलते हैं। गुलाबी पंखड़ियां हवा में तैर रही हैं, और सुगंध भी चारों ओर महकती है। सीआरआई जापानी भाषा विभाग के अध्यक्ष फू ईन के परिचय के अनुसार ये चेरी के पेड़ जापान के नागानोकेन श्रोता संघ के श्रोताओं द्वारा वर्ष 1996 में सीआरआई को उपहार के रुप में दे दिये गए थे। उसी समय के छोटे छोटे पौधे अब बड़े वृक्ष के रूप में खिलते हैं।
नागानोकेन श्रोता संघ के पुराने श्रोताओं ने चेरी के 20 पौधों को जापान से चीन लाया। चेरी के पौधे बहुत नाजुक थे, पर सीआरआई में ये पेड़ बहुत अच्छे उगे बढे हैं, अब कुल 21 पेड़ हो गए हैं, जो चीन लाने के समय से भी एक ज्यादा हो गया। नागानोकेन श्रोता संघ के सदस्य हर साल उन पेड़ों को देखने के लिये चीन की यात्रा पर आते हैं। सीआरआई के एक नेता ने चीन के प्रसिद्ध साहित्यकार लाओ शे के हवाले से कहा कि खुशी के साथ दुख, हंसी के साथ आंसू, फूल के साथ फल, और रंग के साथ सुगंध, यह जो बागबानी का मज़ा है। सच, चीन व जापान दोनों देशों के बीच मित्रता के फूल की देखभाल करना भी इसी तरह से होना चाहिए।
सीआरआई के कार्यक्रम सुनने से श्रोतागण न सिर्फ़ चीन के परिवर्तन को जानते समझते हैं, बल्कि चीन के साथ अपनी मित्रता भी गहन बढ़ाते हैं। वर्ष 2001 के गर्मियों में जब पेइचिंग वर्ष 2008 के ऑलंपिक गेम्स का आवेदन करने में व्यस्त था, तो श्रीलंका के श्रोता संघ ने पेइचिंग का समर्थन देने के लिये 50 हजार से ज्यादा लोगों को संगठित करके हस्ताक्षर अभियान चलाया। और उन्होंने दो मोटी मोटी हस्ताक्षर पुस्तकों को अंतर्राष्ट्रीय ऑलंपिक कमेटी के मुख्यालय में भेज दिया। वर्ष 2008 में जब स्छ्वान प्रांत व वनछ्वान में भीषण भूकंप आया, तो भारत के तमिल भाषा के श्रोता संघ के सदस्यों ने अनेक सांत्वना पत्र भेजे और सैकड़ों श्रोताओं ने चंदा भी दिया।
इस के अलावा सीआरआई तरह तरह की ज्ञान प्रतियोगिता के आयोजन से श्रोताओं को चीन के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारियां देता रहता है। और बहुत से पुरस्कार विजेताओं को चीन की मुफ्त यात्रा करने का मौका भी मिला। इस पर सुश्री छन ल्यान ईन ने परिचय देते हुए कहाः
चीन-तंज़ानिया मैत्री की 45वीं वर्षगांठ की ज्ञान प्रतियोगिता समाप्त होने के बाद हमने पांच पुरस्कार विजेताओं को शांगहाई विश्व मेले का दौरा करने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने पेइचिंग में पांच दिवसीय यात्रा भी की। हमने उन पांच श्रोताओं की चीन यात्रा के बारे में विस्तार से रिपोर्ट दी है। स्थानीय श्रोताओं ने उन रिपोर्टों को सुनकर हमें भेजे पत्रों में कहा कि वे बहुत खुश हैं कि जैसे उन्होंने भी चीन की यात्रा की हो। बहुत श्रोताओं ने कहा कि हमारा रेडियो सुनने का उद्देश्य है सीआरआई व चीन से संपर्क रखना और मित्रता बनाना।
वर्ष 2005 के मई में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने विश्व फ़ासिस्ट विरोधी युद्ध की विजय की 60वीं वर्षगांठ मनायी। उसी समय रूसी विभाग के कर्मचारी थ्येन थ्येन को एक बहुत महत्वपूर्ण व मूल्यवान् पत्र प्राप्त हुआ, जो 70 वर्षीय एक रूसी पुराने श्रोता फ़्रादकिन जेवगेनिज ने भेजा है।
फ़्रादकिन जेवगेनिज के पिता जी द्वितीय विश्व युद्ध के गवाह थे। उन्होंने अपने पिता द्वारा युद्ध के मोर्चे पर लिखा पत्र और माता पिता, छोटी बहन व उन के साथ वर्ष 1943 में खिंचाया गया एक पारिवारिक फोटो आदि सामग्री की मूल प्रति हमें भेजी। उन की इस कार्रवाई ने बहुत से बूढ़े सैनिकों व रुसी श्रोताओं को प्रभावित किया है। रुसी भाषा विभाग में एक ऐसी परंपरा है कि हर नये साल या महत्वपूर्ण दिवस पर संबंधित कार्यक्रम बनाये जाते हैं, और बहुतसे श्रोता सक्रिय रूप से उसे संदर्भ सामग्री भेजते हैं, और अपने संबंधित अनुभवों का सिंहावलोकन करते हैं। यह हमारे व श्रोताओं के बीच घनिष्ठ आदान-प्रदान से अलग नहीं हो सकता।
अब सीआरआई 61 भाषाओं में विश्व को प्रसारण करता है। परंपरागत रेडियो के अलावा उसने विश्व में सब से बड़ी बहुभाषा वेबसाइट की स्थापना भी की, जो विश्व नेटीज़नों को प्रबल रूप से आकर्षित कर रही है। इंटरनेट पर सीआरआई का प्रभाव भी दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। और इस में भी कुछ दिलकश कहानियां सुनने को मिलती है। सीआरआई की वेबसाइट चीनी और विदेशी नेटीजनों के बीच मित्रता के पुल का काम आती है।
अच्छा, श्रोता दोस्तो, कार्यक्रम के अंत में हम आज के दो प्रश्नों को दोहराएंगे। वे इस ज्ञान प्रतियोगिता के अंतिम दो प्रश्न भी हैं।
1. वर्तमान सीआरआई के कितने श्रोता क्लब हैं?
2. सीआरआई के प्रथम श्रोता क्लब का नाम क्या है?
अच्छा, इसी के साथ साथ आज का यह कार्यक्रम समाप्त हुआ है। कार्यक्रम सुनने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद। अब चंद्रिमा को आज्ञा दें, नमस्कार। (चंद्रिमा)