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सीआरआई की 70वीं जयंती पर ज्ञान प्रतियोगिता(3)
2011-06-28 15:56:40
हमारी मातृभाषा में आप की आवाज प्यारी है

यह चाइना रेडियो इन्टरनेशनल है। श्रोता दोस्तो, सीआरआई की 70वीं जयंती पर आयोजित सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए आप का हार्दिक स्वागत है। श्रोता दोस्तो, जब कभी आप अपने रेडियो को टर्न ऑन कर सुनने लगे, तो दूर दूर चीन से आप की मातृभाषा में आने वाली आवाज सुनने पर आप को कैसा लगा, जरूर बहुत बहुत प्यारी और स्नेह से भरी लगती है न ?! हां, सी आरआई वर्तमान में विश्व की 61 भाषाओं में बेतार रेडियो और वेब रेडियो से प्रसारण करते हैं, जिस से विभिन्न देशों के श्रोताओं को अपने पास और नजदीक लाए हैं और दोनों में और बड़ा स्नेह और प्यार कायम हुआ है। सीआर आई की 70वीं जयंती पर आयोजित ज्ञान प्रतियोगिता के तहत आज के इस कार्यक्रम में दो सवाल पूंछे जाएंगेः

1. अब सीआरआई कितनी भाषाओं में प्रसारण करता है?

2. सीआरआई ऑन लाइन बहुभाषी वेबसाइट की स्थापना कब हुई?

आप इस आलेख ध्यान से सुनिए, इस में आप सही उत्तर मिलेंगे।

विश्व में चाहे व्यापक तौर पर प्रयोग की जाने वाली अंग्रेज़ी, फ्रांसीसी, स्पेनिश, रूसी और अरबी आदि भाषाएं हो, या बंगाली, सिंहली और स्वाहिली जैसी भाषाएं, चाइना रेडियो इन्टरनेशनल में उन सभी भाषाओं के प्रसारण मिलते हैं। 70 साल तक विकसित होने के बाद सी आर आई अब विश्व की 61 भाषाओं में प्रसारण करने में सक्षम हो गया है। इन कामों में लगे सी आर आई के लोगों के दिल में विभिन्न भाषा बोलने वाले देशों और उन की संस्कृति के प्रति गहरी रूचि और असीम प्रेम संजोए हुए है।

29 अगस्त 1968 की रात को रोमानिया में पढ़ रहे चीनी छात्र लो तुंगछ्वान अपने सहपाठियों के साथ एक पुराने रेडियो सेट के सामने कार्यक्रम सुन रहे थे, उसी दिन सीआरआई रोमानियाई भाषा प्रसारण औपचारिक तौर पर शुरू हुआ. दूर अपने देश से रोमानियाई भाषा में प्रसारण सुनने पर वे खुशी से झूम उठे। इसकी चर्चा में श्री लो तुंगछ्वान ने कहा:

"उस समय, हम विदेश में पढ़ रहे थे और रोमानियाई भाषा में अपने देश का रेडियो प्रसारण सुनने पर हम बहुत खुश हुए थे। मुझे याद है कि 28 अगस्त की रात को रोमानिया में पढ़ रहे हम कई विद्यार्थी एकत्र होकर एक पुराने रेडियो सेट के सामने कार्यक्रम सुन रहे थे। रात को ठीक नौ बजे पर आवाज़ आ रही थी, जो रोमानियाई भाषा में है। हम बहुत उत्साहित और भावविभोर हुए थे। मैं सोच रहा था कि स्वदेश लौटकर जरूर सीआरआई में काम करने जाऊंगा, चीन के रोमानियाई भाषा प्रसारण के काम में भाग लेना बहुत गर्व की बात है।"

एक साल बाद, श्री लो तुंगछ्वान का सपना साकार हो गया। वह सीआरआई रोमानियाई भाषा विभाग का एक उद्घोषक बन गया। उन्होंने कहा कि रोमानियाई भाषा बहुत सुरीली है, सुनने में गायन की आवाज़ जैसी लगती है। जीवन भर में रोमानियाई भाषा विभाग में काम करते रहते हैं, रोमानिया उनका दूसरा जन्मस्थान बन गया है। इस की चर्चा में लो तुंगछ्वान ने कहा:

"17 और 18 की उम्र में मैंने रोमानियाई भाषा सीखना शुरू किया। जीवन भर में इस भाषा का अध्ययन करता हूँ और इस से काम करता हूं, इसलिए मैं रोमानिया को अपना दूसरा जन्मस्थान मानता हूँ। मैं कभी-कभी रोमानियाई दोस्तों से भी कहता हूँ कि मैं रोमानियाई रोटी खाते हुए बढ़ा हूँ। इस तरह ज्यादा रोमानियाई मित्रों व श्रोताओं के साथ मुझे बहुत स्नेह भरा लगता है। जब कभी मैं यात्रा पर रोमानिया गया, तो जरूर उनसे मिलने और खुलकर बातचीत करने की कोशिश करता हूँ। मैं रोमानियाई भाषा को बहुत प्यार करता हूँ।"

वास्तव में चाइना रेडियो इन्टरनेशनल में रोमानियाई भाषा विभाग में कार्यरत लो तुंगछ्वान की भांति बहुत ज्यादा ऐसे लोग हैं, वे जिन्दगी भर अपनी सीखी विदेशी भाषा को अपने करियर का एकमात्र साधन बना देते हैं और आजीवन विदेशी भाषा प्रसारण कार्य में लगे हुए हैं। उनके विचार में देश चाहे बड़ा या छोटा क्यों न हो, उन की संस्कृतियों की सीमा नहीं होती है। विदेशी भाषा का प्रयोग कर श्रोताओं के साथ विचारों का आदान प्रदान करना बहुत गौरव की बात है।

चाइना रेडियो इन्टरनेशनल के बंगाली विभाग का इतिहास चालीस वर्ष पुराना है। पिछले चालीस सालों में चीन से प्रसारित मैत्री की आवाज़ कभी नहीं टूटी। अनेक बंगलादेश श्रोता बचपन से सीआरआई की आवाज़ सुनते हुए अपनी युवावस्था, फिर प्रौढावस्था में पहुंचे हैं। बहुत से बंगलादेश श्रोताओं और सीआरआई के बंगाली उद्घोषकों व उद्घोषिकाओं में गहरी दोस्ती कायम हुई है। सीआरआई बंगाली विभाग में 40 साल तक कार्यरत प्रोफैसर शि चिंगवू ने कहा कि स्थानीय लोगों की नज़र में चीन बंगलादेश की राष्ट्रीय भाषा में रेडियो प्रसारण करता है जिस से जाहिर है कि चीन बंगाली राष्ट्र की संस्कृति का सबसे बड़ा सम्मान करता है। उन्होंने कहा:

"बंगलादेश की जनसंख्या ज्यादा होने पर भी एक छोटा देश है। बंगाल लोगों की नज़र में चीन एक बहुत बड़ा देश है। उन्हें मालूम है कि चीन दूसरे सभी देशों का सम्मान करता है। इसके साथ ही चीन उन देशों की राष्ट्रीय भाषा में अपना रेडियो प्रसारण का काम भी करता है, जिसने श्रोताओं को विशेष तौर पर प्रभावित किया है। बंगलादेश श्रोताओं ने अपने पत्रों में अकसर अपनी भावना प्रकट कर कहा कि चीन उनकी मातृभाषा से रेडियो प्रसारण करता है, यह उनके देश का सबसे बड़ा समादर है, और वे बहुत प्रभावित हुए हैं।"

बंगाली भाषा बंगलादेश की राष्ट्रीय भाषा और भारत की महत्वपूर्ण भाषाओं में से एक है। इसे बोलने वाले लोगों की संख्या बीस करोड़ से ज्यादा है। रविन्द्रनाथ टैगोर बंगाली भाषा बोलने वाले महान कवि थे। लेकिन कई कारणों से चीन में प्रचलित टैगोर की रचनाएं आम तौर पर अंग्रेज़ी व रूसी भाषा से चीनी में अनुवादित की गयी है। इस महान कवि की महान रचनाओं को और अच्छी तरह चीनी पाठकों को परिचित करने के लिए गत शताब्दी के 90 वाले देशक से ही प्रोफेसर शि चिंगवू ने टैगोर की कविताओं का अनुवाद करना शुरू किया। उन्होंने टैगोर के《शेशेर कविता》,《मालान्चो》और《बोस्टानी》आदि रचनाओं का अनुवाद किया। इस वर्ष रविन्द्रनाथ टैगोर के जन्म की 150वीं वर्षगांठ है। मौके पर बंगाली विभाग ने श्रृंखलाबद्ध विशेष कार्यक्रम बनाए। अन्य एक देश में अपने राष्ट्रीय वीर की स्मृति और अपनी राष्ट्रीय भाषा की मान्यता जानकर बंगलादेश श्रोताओं को गहरा महसूस हुआ है कि उनकी राष्ट्रीय संस्कृति का खास सम्मान किया जा रहा है। इसकी चर्चा में प्रोफेसर शि चिंगवू ने कहा:

"इस वर्ष रविन्द्रनाथ टैगोर के जन्म की 150वीं वर्षगांठ है। हमारे बंगाली विभाग ने तीन दिन तक विशेष कार्यक्रम प्रसारित किया। हम ने संबंधित विशेषज्ञों और विभिन्न जगतों के जाने माने व्यक्तियों के साथ साक्षात्कार किया। कार्यक्रम प्रसारित किये जाने के तुरंत बाद अनेक श्रोताओं ने हमें ईमेल भेजकर इस की प्रशंसा की और कहा कि चीन रविन्द्रनाथ टैगोर को बहुत महत्व देता है। इसपर उन्हें गर्व लगता है।"

आज नए युग की मांग और अंतरराष्ट्रीय स्थिति के परिवर्तन के चलते सीआरआई का विदेशी प्रसारण कार्य भी लगातार विकसित हो रहा है। दूर संचार व तकनीकों के विकास के आधार पर सीआरआई ने वेबसाइट निर्माण पर जोर दिया। वर्ष 1998 में चाइना रेडियो इन्टरनेशनल ने बहु भाषा वेबसाइट सीआरआई ऑन लाइन की स्थापना की, जिसके जरिए श्रोता अपनी मातृभाषा में रेडियो कार्यक्रम सुनने के साथ-साथ वेबसाइट का दौरा भी कर सकते हैं। वर्तमाम में सीआरआई ऑन लाइन 61 भाषा वाला नेटवर्क बन गया है और चाइना रेडियो इन्टरनेशनल विश्व में सबसे ज्यादा भाषा वाली अंतरराष्ट्रीय प्रसारण संस्था बन गया।

नई मिडिया संस्था ज्यादा से ज्यादा युवाओं को आकर्षित करती है। पश्तो भाषा विभाग के शीमङ उन में से एक है।

पश्तो भाषा अफ़गानिस्तान में सब से ज्यादा प्रचलित भाषाओं में से एक है, जिसका इतिहास तीन हज़ार से ज्यादा वर्ष पुराना है। सीआरआई का पश्तो शॉर्ट वेव प्रसारण 1973 में शुरू हुआ। वर्ष 2010 में पश्तो एफ़एम कार्यक्रम अफ़गान राजधानी काबुल और दूसरे बड़े शहर कंधार में एक साथ शुरू हुआ, जिससे अफ़गान नागरिकों के लिए चीन को जानने समझने के लिए एक नई खिड़की खुल गई। शीमङ का कहना है कि बीबीसी और वॉइस आफ अमेरिका आदि पश्चिमी रेडियो प्रसारणों से अलग है कि सीआरआई ऐसा एकमात्र रेडियो स्टेशन है, जिसमें एक दूसरे देश के लोग सीधे पश्तो भाषा में बोलते हैं और कार्यक्रम बनाते हैं और प्रसारण करते हैं। यह अफ़गान लोगों के लिए बहुत आश्चर्यचकित बात है, वे बहुत प्रभावित हुए हैं। पश्तो भाषा विभाग के युवा कर्मचारी शीमङ ने कहा:

"उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ है कि चीनी लोगों को पश्तो भाषा में बोलना आता है और इस का प्रयोग कर रेडियो प्रसारण करते है। सीआरआई के स्थानीय एफ़एम कार्यक्रम का इतिहास लम्बा नहीं होने के बावजूद वहां के सरकारी मिडिया संस्थाओं, सरकारी उच्च स्तरीय अधिकारियों तथा आम नागरिकों ने उसे बड़ा महत्व दिया। वहां की स्थिति बहुत कठोर होने पर भी श्रोता सीआरआई के शॉर्ट वेव रेडियो कार्यक्रम सुनते रहते हैं। आज वहां एफ़एम रेडियो कार्यक्रम सुनने के बाद वे ज्यादा खुश हैं।"

दोनों देशों के सांस्कृतिक आदान प्रदान को मज़बूत करने के लिए सीआरआई पश्तो विभाग ने चीन में प्रथम चीनी- पश्तो शब्दकोष संपादित प्रकाशित किया।

बाइबिल में एक कहानी है। कहा जाता है कि पहले, मानव जाति एक समान भाषा का प्रयोग करती थी। स्वर्ग लोक पहुंचने के लिए मानव ने संयुक्त रूप से एक ऊंचे मिनार का निर्माण करना शुरू किया था, लेकिन ईश्वर ने इसे रोकने के लिए एक उपाय सोच निकाला। ईश्वर ने मानव जातियों को अलग-अलग भाषा बोलने वाले वर्गों में बांट दिया, जिसके कारण विभिन्न जातियों के लोग आपस में संपर्क नहीं हो पाते। इस तरह ऊंचे मिनार बनाने की योजना विफल हो गई। इस के बाद मानव जातियां भी अलग-थलग हो गई। यह बाइबिल की कहानी है। लेकिन चाइना रेडियो इन्टरनेशनल में कार्यरत सभी कर्मचारी अपनी कोशिशों के जरिए विविध संस्कृतियों में एकता की खोज कर रहे हैं। वे अपनी व्यवहारिक कार्रवाइयों में सांस्कृतिक विविधता का सम्मान करते हैं, अपने कार्यक्रमों के जरिए दुनिया के विभिन्न स्थानों में रहने वाले श्रोताओं को बता रहे हैं कि मानव कभी नहीं अलग हो जाता है।

अच्छा दोस्तो, अभी आपने सीआरआई की 70वीं जयंती पर ज्ञान प्रतियोगिता के तहत एक आलेख सुना। इस लेख का पहला सवाल है कि अब सीआरआई कितनी भाषाओं में प्रसारण करता है?दूसरा सवाल है कि सीआरआई ऑन लाइन बहुभाषी वेबसाइट की स्थापना कब हुई?आशा है कि आप सक्रिय रूप से ज्ञान प्रतियोगिता में भाग लेंगे और पुरस्कार जीतने की कोशिश करेंगे। अच्छा अब आज्ञा दें, नमस्कार।

संदर्भ आलेख
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सूचनापट्ट
• वेबसाइट का नया संस्करण आएगा
• ऑनलाइन खेल :रेलगाड़ी से ल्हासा तक यात्रा
• दस सर्वश्रेष्ठ श्रोता क्लबों का चयन
विस्तृत>>
श्रोता क्लब
• विशेष पुरस्कार विजेता की चीन यात्रा (दूसरा भाग)
विस्तृत>>
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