आज प्रातः 8 बजे का नाश्ता हुआ। करीब 9 बजे बस पर बैठा गया। और बस सान छिंगशान पहाड़ की तरफ़ चलना आरंभ हो गयी। करीब 15 मिनट वह स्टेशन आया, जिस पर बैठकर यानी कैबोखा पर बैठ कर दो किलोमिटर की दूरी का सफर करने के बाद सान छिंगशान का रास्ता आया, कुछ दूर तक देखा तो पत्थर की सीड़ी बनी हुई है। जिस पर हम पैदल चढ़कर गये। उस के बाद ब्रिज जो सानछिंगशान पहाड़ के अन्दर बनी हुई, जिस पर धीरे धीरे कभी नीचले सतह पर कभी उपरी सतह पर चलते गये। एक ऐसा मोड़ आया, जहां दो तरफ़ रास्ता बना है। वहां पूछा गया, कम दूरी वाले रास्ते से सफर करना चाहते हैं, या दूर वाले। मैं दूर वाला रास्ता पसंद किया। लगभग दो घंटे 50 मिनट तक ब्रिज पर चलते रहे। कहीं कहीं ऐसा प्रतीत हो रहा था। हम पूरी तरह बादल में घिरे हुए हैं। और हजारों फिट की ऊंचाई पर मैं अकेला हूं। पतली ब्रिज उस बीच में कहीं कहीं वृक्ष के पेड़ जिस की सुरक्षा के लिये वांस के फलठे लगाये गये हैं। गजब की सुन्दरता सामने आती रही। इतनी ऊंचाई का लम्बा रास्ता जिस पर जगह जगह जन सुविधाएं भी बनायी गयी है। यह सब बातें मैं और से देखकर सोचा, यह प्राकृतिक सौन्दर्यता पर बनाया गया। लम्बा पुल जिस का खर्च कम ही देश कर सकते हैं। लुशान पर्वत को जब मैं देखा, तो मैं यह सोचा, इस पहाड़ की सुन्दरता इतनी है कि विश्व में जो भी पहाड़ में उस की सुन्दरता इतनी नहीं होगी, लेकिन जब सान छिंगशान पहाड़ को देखा, तो मैं लुशान पहाड़ की सुन्दरता को भूल गया, और केवल सान छिंगशान की सुन्दरता मेरे दिमाग में है। सान छिंग शान पहाड़ की ऊंचाई इतनी अधिक है जहां खेबो वेई के अतिरिक्त पहाड़ में खुसना नामुम्किन है। उसी पहाड़ में ब्रिज बनाना एक महत्वपूर्ण कार्य है। जो नामुम्किन को मुम्किन बनाकर पुरे पहाड़ को देखने के लिये रास्ता बनाना एक सराहनीय बात है। ऐसा पहाड़ जिस पर हमेशा बादल छाया हुआ देखा। वर्षा होते हुए देखा, उस जगह किसी तरह का जहाज नहीं पहुंच सकता है। पहाड़ के अंदर की सुन्दरता को देखना पैदल ही सफर करना होगा। यह पहाड़ ऐसा पहाड़ है, जो विश्व भर में पुरी तरह प्रसिद्ध करने की आवश्यकता है। क्योंकि अधिकांश लोग चीनी ही थे, इससे मुझे लगा इस पहाड़ की सुन्दरता को जानते नहीं है। हमें इस पहाड़ के बारे में उन सभी लोगों से बताने की आवश्यकता है। जो लोग चीन में काम करते हैं, या चीन का भ्रमण करने वाले हों, ताकि सान छिंग शान की सुन्दरता से वंचित न हों। इस पहाड़ पर जगह जगह विजली के केबल बिछाया गया है। और मोबाइल का सिगनल भी काम करता है। यह प्रयास चीन सरकार का बहुत अच्छा है। क्योंकि सान छिंग शान पहाड़ एक खतरनाक पहाड़ है। अगर कोई खो जाये, तो मिलना बहुत मुश्किल होगा। वर्ष 2008 में सान छिंग शान यूनेस्को के सूची में शामिल हुआ। च्यांगशी प्रांत के शांगो शहर के उत्तर पूर्व में स्थित है। इस को यूनेस्को द्वारा और पहले अपनी सूची में शामिल करना चाहिए था। इस का कुल क्षेत्रफल 7 सौ 56 वर्ग किलोमिटर है, जो बहुत बड़ा है। और केंद्रीय इलाका 229.5 वर्ग किलोमिटर है। सान छिंग शान का करोड़ों वर्ष पुराना इतिहास है। और उस की चोटी इचिंग पोनग समुद्र तट से 1819 मीटर ऊंची है। मान स्व छू शान यानि अजगर की तरह फन फैलाये खड़ा पड़ा है। और दूसरा दृश्य जो देवी की तरह बना हुआ है। ये दोनों दृश्य बहुत आकर्षित होता है। सान छिंग शान पहाड़ की बहुत सी विशेषता प्रतीत होती है। पहाड़ के पक डनडी पर एक पुल है, जो डोर पर रुका हुआ है, उस को पार करने पर लोगों का कहना है देव के बराबर है। सान छिंग शान पहाड़ पर मेहमानों का स्वागत खूब होता है। जो हमेशा मेरे दिल में भाता रहेगा। होटल में भोजन के बाद सान छिंग शान पहाड़ की यात्रा समाप्त हुई। इस पहाड़ की जो विशेषता व सुन्दरता को मैं भारत में लोगों के बीच बताने का पुरा पुरा प्रयास करूंगा। इसी के साथ आज की यात्रा।