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18 मई: पेइचिंग से नानछांग तक
2011-05-19 20:40:46

प्रातः चीनी समयानुसार करीब छह बजे सोकर उठा, नहाया, चाय बनाया, पीकर थोड़ी देर तक टी.वी. देखा। करीब सात बजे होटल के कर्मचारी मेरे उठने की पुष्टी की। मैं उन के फ़ोन का उत्तर दिया। उन्हें मालूम हुआ मैं जगा हूं। चीनी समयानुसार करीब 8 बजे प्रातः में नाश्ता के लिये आठ मंजिल से दूसरी मंजिल पर आया। वहां गेट पर रूम की चाबी दिखाई और नाश्ता के लिये प्रवेश दे दिया गया। नाश्ते में देखा तो खाने पीने का अनेक प्रकार का सामान सजाकर रखा हुआ है। पहले मैं सेब का जूस लिया। उस के बाद अंगूर के जूस लिया कुछ शाकाहारी आइटम्स खाया। काफ़ी दूध के साथ नाश्ता को बन्द किया। बैठा ही था कि मुझे एक इन्डीयन जैसी सुरत का व्यक्ति दिखायी दिया। मैं उन के पास गया, उन से हिन्दी में बात की। वह मेरी बात नहीं समझे, लेकिन वह अंग्रेजी में मुझे बताया कि मैं श्रीलंकाई हूं। और सी.आर.आई, के निमंत्रण पर यहां आया हूं। यह मेरी कुल मिलाकर पांचवीं बार चीन की यात्रा हो रही है। मैं भी अपना परिचय उन्हें अंग्रेजी में दिया। उसने बहुत प्रशंसा जताया। मुझे मुबारकबाद दिया। मैं ने भी उन्हें मुबारकबाद दिया। नाश्ते में फिर से एक बार जान आ गयी। श्रीलंका के महोदय और मैं ने साथ बैठकर कुछ फल फ्रूट खाये। समय देखा, तो 8 बजकर 25 मिनट हो गया। अब हम लोगों को जल्दी होने लगी। क्योंकि 8 बजकर 40 मिनट से पहले रूम से चेकऑट कराना था। 8 बजकर 30 मिनट पर रूम में पहुंचा और अपना सभी सामान एक जगह समेटा और लिफ्ट से पहली मंजिल पर आया। और देखा तो सी.आर.आई. के स्टाफ और वो नौ देशों के श्रोता जो सी.आर.आई. के निमंत्रण पर आये हुए हैं, सब लोग एक जगह होकर बातें कर रहे हैं। उन लोगों के बीच मैं भी गया। और आपस में एक दूसरे का परिचय हुआ। बहुत अच्छा लगा। रूम का चेकआट 8 बजकर 40 मिनट पर हुआ। और पार्किंग में सी.आर.आई. की बस खड़ी थी। मैं और चंद्रिमा और सभी लोग बस पर सवार हो गये। करीब एक घंटे तक बस पर सवार रहने के बाद पेइचिंग अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा आया। वहां हम सब लोग थोड़ी देर तक आराम कराये गये। और साथ ही पेइचिंग से नानछांग तक हवाई जहाज के टिकट लिया गया। कई फोटो भी खींचा गया। सामानों की जांच के बाद हवाई अड्डे के गेट पर आना शुरू हुआ। गेट पर आते ही गेट खुल गया। और विमान में प्रवेश हो गये। करीब चीनी समयानुसार 12 बजे पेइचिंग से नानछांग तक की उड़ान हो गयी। इस प्रकार नानछांग चीनी समयानुसार दोपहर 2 बजे पहुंचे। एयर पोर्ट से बाहर निकले तो वहां च्यांगशी प्रांत के पर्यटन ब्यूरो की तरफ से बस खड़ी थी। बस पर सी.आर.आई. के स्टाफ व समस्त च्यांगशी प्रतियोगिता के विजेता सवार हुए। बस तुरन्त चली गयी। और अच्छी रफ्तार में च्यांगशी की खूबसूरत जगह लूशान पहाड़ की तरफ बढ़ने लगी। इस दौरान च्यांगशी के खूबसूरत दृश्यों व स्थानों का परिचय बस में दिया गया। लगभग तीन घंटे में लुशान पहाड़ पर बस चलती रही। लूशान पहाड़ पर बनायी गयी ऐसी सड़क देखी, जिस को कोई दूसरा नहीं यकीन कर सकता। चीनी ड्राईवर की मैं भूरि भूरि प्रशंसा करता हूं, जो एक हजार फुट ऊंचाई पर सिंगल रोड पर गाड़ी यानी बस की गति बहुत तेज थी। मैं अक्सर डर जाता था मुझे याद था भारत में ड्राइवर बाईं तरफ़ चलते हैं, लेकिन चीन में ऐसा नहीं है। चीन में दाहिनी तरफ गाड़ी चलाते हैं। जिस की वजह से मुझे देखने में लग रहा था कि आने जाने वाली बसों में टक्कर हो जाएगी। भगवान बसों के टक्कर से लूशान पर्वत पर बचाये क्योंकि लूशान पर्वत की जो उंचाई है उसी उंचाई पर हवाई जहाज उड़ते हैं। इस तरह यदि बस जमीन पर गिर जाए, तो मनुष्य जीवित क्या, बस भी नहीं मिलेगी। इस तरह लूशान की होटल तक पहुंचे। और होटल में रूम बुक हुआ। और रूम में अपने आप को ताज़गी मिली। करीब शाम 6 बजे डिनर के लिये कमरे से बाहर गये। जहां खाने पीने की ऐसी व्यवस्था थी, जिस को मैं जीवन भर नहीं भूल सकता हूं। होटल में खाने पीने की व्यवस्था देखकर चंद्रिमा जी ने होटल के कर्मचारियों से पहले ही मुझे मुस्लिम होने का परिचय दिया। उसी के अनुसार खाने की व्यवस्था हुई। जिसमें चिकन मटन, बिफ, बत्तख, बत्तख के अंडे, शाकाहारी भोजन शामिल था। भोजन करने के बाद टहलना जरुरी होता है। पूरी टीम रात में टहलने निकली, अनेक प्रकार के दृश्य दिखाये दिये। और जगह जगह फोटो खींचे गये। फोटो खींचते खींचते पैदल लगभग 2 किलोमिटर गये। वहां एक सिनेमा घर भी देखा। थोड़ी दूर जाने के बाद लूशान के अगल बगल एक बाजार देखा। जहां अनेक सुन्दर सुन्दर वस्त्र व चीनी मिट्टी के बर्तन विकते हुए दिखाये दिए। लेकिन भारत की अपेक्षा वहां मूल्य बहुत अधिक थे। जिस रफ्तार से भोजन करने के बाद घूमने गये। उसी रफ्तार से वापसी हुई। रात का लगभग नौ बज गया। उसी दौरान होटल के निचले हिस्से पर पूरी टीम उपस्थित हुई। और कई कार्डों पर हस्ताक्षर किया गया। और सभी च्यांशी के विजेता आपस में पता सहित एक दूसरे को परिचय दिया। फिर सब लोग अपने अपने कमरे में गये। आज का भ्रमण मेरे लिये बहुत ही महत्वपूर्ण रहा है।

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