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17 मईः पेइचिंग पहुंचा
2011-05-18 20:03:43

17 मई का वह समय जिस का मैं दो माह से प्रतीक्षा कर रहा था, यानि 3 बजकर 15 मिनट से 20 मिनट पहले गेट नम्बर 7 से एयर चाइना पर बैठने का सुअवसर प्राप्त हुआ, जैसे ही भारतीय समय 3.15 मिनट का हुआ। जहाज अपनी लाइन पर जाना शुरू करने लगा। मेरी खुशी बढ़ने लगी। थोड़ी ही देर बाद मैं हवाई जहाज की अपनी सीट पर सो गया, जब मेरी आंखें खुलीं, तो नाश्ता बंट रहा था। नाश्ता लेने के बाद पुनः मेरी आंखें नींद से बंद हो गयीं। क्योंकि देर रात जागा था, जब पुनः मेरी आंखें खुलीं तो पेइचिंग अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर था। पहली बार विदेशी यात्रा के कारण मुझे कुछ मालूम नहीं था। लेकिन मैं ने लोगों का सहारा लिया। जैसे जैसे लोग जहाज से बाहर निकल रहे थे, उसी प्रकार मैं भी एयर पोर्ट से बाहर आया। पुरी तरह बाहर आने से पहले इमीग्रेशन हुआ, उस के बाद सामानों की जांच हुई, वहां से जब पार हुआ, तो मेरे पास कुछ अमेरिकन डालर थे। उसे चीनी मुद्रा में एक्सजेंज कराया। वहां से उठने के बाद एक बैग मैं ने लगेज में दिया था। इस का पता लगाना मेरे लिये थोड़ा मुश्किल लगा। चार्टर न देखने के कारण मुझे कई बार चक्कर लगाना पड़ा। बाद में जब चार्टर देखा, तो वहां क्लीयर हुआ। सी.ए.35 पर मेरा बैग था, जिस को मैं ने लगेज में डाला था। अपना बैग कलेक्ट करने के बाद बाहर निकला। तो मेरे नाम का लिखा पोस्टर उठाए एक लड़की खड़ी है, जैसे उस की तरफ़ मेरी निगाह पड़ी, तो उस ने मुझे पहचान लिया। और नमस्त कहकर मेरा भव्य स्वागत किया। और एक चेयर पर मुझे बैठाया, और बताया, चंद्रिमा जी को बुलाकर लाती हूं। फ़ौरन चंद्रिमा जी मेरे पास आयीं, और उन्होंने मेरा हाल चाल पूछा। इस तरह सी.आर.आई. हिन्दी विभाग की चंद्रिमा और लीली के साथ मैं हो गया। और बहुत फोटो खींचे गये। फोटो खींचने के बाद व्यक्तिगत कार से मुझे पेइचिंग एयर पोर्ट से होटल तक पहुंचाया गया। होटल तक पहुंचने में तकरीबन 1 घंटे का समय लगा। रास्ते में बहुत अच्छे अच्छे ब्रिज व तिब्बती स्कूल व तिब्बती रिसर्च अनुसंधान केंद्र भी देखने को मिले, जिस के बारे में चंद्रिमा जी ने बताया, देखकर व चंद्रिमा जी से जानकर मैं बहुत प्रभावित हुआ। देखने से सच में एहसास हुआ कि चीनी भाइयों व बहनों व चीनी सरकार को तिब्बत से बहुत प्यार है, विकास की राह पर तिब्बत अग्रसर हैं। चंद्रिमा और लीली के साथ होटल में मेरे कई फोटो खींचे गये। होटल में फोटो खींचने में बहुत अच्छा लगा। साथ ही चीन का परंपरागत चावल व उस में मिठाई के साथ पैकिंग को हाथ में लेकर भी फोटो खिंचवाया। रीटरवाज के बारे में चंद्रिमा जी ने बताया। होटल के रूम नंबर 877 में पहुंचाया। रूम के अंदर प्रवेश के अतिरिक्त सारे तरीके बिल्कुल नये थे। चंद्रिमा जी ने रूम के सारे तरीकों को समझाया और रूम में भी बहुत तरह के फोटो खींच लिये। चंद्रिमा जी ने सफर की थकावट को देखकर मुझे आराम करने की अनुमति दी। क्योंकि नई दिल्ली से पेइचिंग तक पहुंचने में करीब छह घंटे का समय लगा। मैं थका हुआ ही था, लीली चंद्रिमा जी होटल से रवाना हो गयीं। लेकिन मुझे यह बताकर गयीं कि शाम पांच बजे चंद्रिमा जी विकास के साथ आयेंगी। चंद्रिमा और लीली होटल से जैसे ही गयी, मैं पुरी तरह नींद में सो गया, जब रूम में घंटी बजी, तो घड़ी की तरफ देखा, तो चीनी समयानुसार 5 बजकर 30 मिनट हो रहे थे। रूम खोला तो देखा सामने विकास भाई खड़े हुए हैं। साथ चंद्रिमा जी है। रूम के अंदर मैं और विकास और चंद्रिमा के बीच करीब 20 मिनट तक मेरी सफर और श्रोताओं से जुड़ी बातें हुई। दो भारतीय एक चीनी के बीच आपस में बातचीत करके बहुत ही अच्छा लगा। करीब शाम 6 बजे मई की 17 तरीख को ही चंद्रिमा ,विकास और मैं होटल के रूम से बाहर निकले, और थोड़ा सा पैदल चला गया। वहां एक सुन्दर जगह देखी, वहां खाने पीने का बहुत अच्छा साधन था। चंद्रिमा जी ने शाम का खाना उसी सुन्दर होटल में खिलाया, बफ सिस्टम था। खाने पीने के इतने अधिक आइटम थे कि सभी को खाया भी नहीं कि मेरा पेट इतना भर गया कि चलने में भारी होने लगी। चंद्रिमा और विकास खाने के लिये बार बार प्रेस डालते रहे। लेकिन मेरी जुबान बंद हो गयी। कुछ देर तक और बैठा गया, उसी के बाद वहां से रवाना हुए, और होटल पहुंचे। रूम नंबर 877 में और कुछ बातें हुई। पेइचिंग में आज मौसम सामान्य होने के कारण मैं टी. शर्ट में था। लेकिन सभी बसों में हिटर के साथ ए.सी. चलते हुए देखा। अगर ए.सी. न हो, तो शायद सफर करने में परेशानी हो सकती है।

चीन दुनिया का सब से बड़ा जनसंख्या वाला देश है, फिर भी रोड कहीं जाम नहीं हुआ। पेइचिंग अंतर्राट्रीय हवाई अड्डे से हाटल तक आने में काफ़ी समय लगा। लेकिन रोड कहीं जाम होते हुए नहीं देखा, उस का मुख्य कारण रोड चौड़ा है, और पेइचिंग बहुत सुन्दर है। होटल की 8 मंजिल की खिड़की से रात में पेइचिंग देखा, तो वातावरण शांत और जुगनू की तरह जग जुग जग जुगकर रहा था। सोने की तैयारी करने से पहले भम्रण की सूची देखी तो मालूम हुआ पेइचिंग के होटल इन पेइचिंग चांग एन पश्चिम के रूम नंबर 877। मई 18 2011 को चीनी समयानुसार 8 बजकर 40 मिनट से पहले, चेकआट करना है। और पेइचिंग से च्यांगशी के लिये रवाना होना है। और रात लूशान पहाड़ पर रात बिताना है।

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