और पहली बार मुझे बीजिंग की सामुदायिक बस्तियों में शहरी जीवन के बारे में पता चलना शुरु हुआ।कैसी हैं यह सामुदायिक बस्तियां...कैसा जीवन है लोगों का यहां...सबसे पहली बात तो यह है कि सारा शहर जिलों में,और जिले सामुदायिक बस्तियों में बंटे हुए हैं। हर बस्ती अपने आप में एक सम्पूर्ण रिहायशी इलाका है जहां जीवनयापन की हर सुविधा उपलब्ध है,स्वास्थ्य केंद्र,बाजार,दुकानें,बैंक, पोस्ट ऑफिस और शहर के केंद्र से जोड़ने वाली सड़कें,यातायात की सुविधा,बसें और सबवे।और हर बस्ती में एक सामुदायिक होटल,पार्क और व्यायाम करने के लिए बाहरी जिम जहां सुबह शाम लोगों को व्यायाम करते हुए देखा जा सकता है।सामुदायिक होटल इसलिए कि घर उतने ही बड़ें हैं जिन में दो या तीन लोग रह सकें और इसलिए मिलने के लिए बाहर से यदि दोस्त,रिश्तेदार आएं तो वे सामुदायिक बस्ती में बने इन होटलों में रहते हैं ।इस के अलावा हर सामुदायिक बस्ती में पार्क में या पार्क के पास पक्का खुला चौक,जहां शाम को संगीत की धुन पर थिरकते हुए जोड़ों को देखा जा सकता है,विशेष कर गर्मियों में...।आरम्भ में तो मुझे ऐसा लगा जैसे वे लोग किसी कार्यक्रम में भाग लेने की तैयारी के लिए वहां अभ्यास कर रहे हैं,लेकिन धीरे-धीरे पता चला कि यह उन के जीवन का एक हिस्सा है,शारीरिक व्यायाम और पति-पत्नि का आपस में कुछ रोमाटिंक पल साथ बिताने का भी।
यह जो संगीत आप सुन रहे हैं,यह ऐसा ही एक संगीत है जिस पर आप शाम को नृत्य करते हुए लोगों को देख सकते हैं।
ये सामुदायिक बस्तियां आम तौर पर बहुमंजिला इमारतें हैं,जिन में दो कमरों के घर और पिछले कुछ सालों से तीन कमरों वाले घर भी बनने लगे हैं।पुरानी इमारतें आम तौर पर छह मंजिलां हैं,जिन में लिफ्ट की सुविधा नहीं है।छह मंजिल से अधिक बड़ी इमारत में लिफ्ट होना लाजिमी है।लिफ्ट को चलाने के लिए और इमारत की सुरक्षा के लिए आम तौर पर सुरक्षा कर्मी होते हैं जो शिफ्ट में काम करते हैं।सामुदायिक बस्तियों की दुकानें,बाजार और बाकी जगह शहर में भी सप्ताह में सारे दिन खुली रहती हैं।बस्तियों में सरकार की ओर से महीने में दो एक बार स्वास्थ्य कर्मी आते हैं और यहां रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य की जांच करते हैं।बस्तियों में एक रीक्रिएशन केंद्र भी है जहां समय समय पर लोग इक्कठा होते हैं और अपनी समस्याओं को सरकार के स्थानीय नेताओं को बताते हैं।और समय समय पर आने वाले त्योहारों के लिए कार्यक्रम तैयार करने की योजना को भी अंतिम रुप यहां दिया जाता है। बस्तियों में भित्ति पत्रिका भी है जहां अखबार,जरुरी सूचनाएं लगाई जाती हैं।इन सामुदायिक बस्तियों में जीवन सुबह जल्द ही शुरु हो जाता है,पार्क में लोगों को थाए ची छुआन करते हुए,कुत्ते को घुमाते हुए देखा जा सकता है,कुछ लोग व्यायाम करने में व्यस्त हैं,कुछ लोग एक साथ संगीत पर चीनी योग कर रहे दिखाई पड़ते हैं।हर बस्ती के पास एक किंडरगार्टन भी होता है जहां परिवार सुबह सुबह काम पर जाने से पहले अपने बच्चों को छोड़ देते हैं,यहां बच्चों को व्यायाम,संगीत नृत्य,एक साथ खेलने,कुछ सीखने का मौका मिलता है।
इन बस्तियों में यदि आप दिन में जाएं तो आम तौर पर जगहृ-जगह सेवा निवृत्त लोगों को बाजार में चहल कदमी करते हुए,सौदा सुळफ खरीदते हुए और समूहों में बैठ कर चीनी शतरंज खेलते हुए देखा जा सकता है..सर्दियों के दिनों में वे लोग रिक्रिएशन केंद्र में खेलने के लिए जमा होते हैं।रिक्रिएशन केंद्रों में अखबार मैगजीन आदि के साथ-साथ आजकल कंप्युटर और मुफ्त इंटरनेट की सुविधा भी है ,जहां लोग खाली समय में इंटरनेट का उपयोग करते हैं।
बिजली, पानी, फोन-बिल सब के लिए एक विंडो की सुविधा उपलब्ध है।बिजली और पानी खरीदने के लिए कार्ड है जिस पर आप बैंक में लगी मशीन से कभी भी बिजली पानी खरीद कर घर में बिजली पानी के मीटर को रिचार्ज कर सकते हैं।फोन का बिल पोस्ट ऑफिस या बैंक में या एटीएम मशीन में अदा कर सकते हैं।
मैंने अपनी बस्ती में रह रही एक बुजुर्ग महिला से बात कर के जानने का प्रयास किया कि वह यहां रहते हुए कैसा महसूस करती हैं और उन का जीवन कैसा है ।उन्होंने बताया कि उन का नाम सुश्री वन है और अब उन की उम्र 63 साल की है।वह अपने पति के साथ इस बस्ती में 20 से अधिक समय से रह रही हैं। वह एक कारखाने में मजदूर का काम करती रही हैं और 1998 में सेवानिवृत्त हुई हैं।।इस बस्ती में उन्हें यह मकान कारखाने की ओर से मिला था। उस समय कारखाने या विभाग की ओर से कर्मचारियों को मकान मिल जाया करते थे1उन्होंने बताया कि यहां का जीवन बहुत सुविधापूर्ण है। उन्हें नृत्य पंसद नहीं है लेकिन गाने में उन की रुचि है और दोस्तों के साथ पार्क में वह अक्सर गाना गाती हैं।उन्होंने बताया कि उन का एक बेटा है जो विदेशी कंपनी में काम करता है,उस का विवाह हो चुका है,लेकिन जीवन बहुत व्यस्त होने के कारण अभी वह बच्चा नहीं चाहते हैं। यह पूछने पर कि यहां रहते हुए जीवन में कौन सी ऐसी समस्या है जिस का समाधान वह देखना चाहती हैं,उन्होंने कहा कि पहले की तुलना में अब यहां का जीवन बहुत सुविधापूर्ण और आरामदायक है। बाजार पास है,बैंक पास है स्वास्थ्य केंद्र पास है और पार्क है..और उन जैसे अनेक लोग यहां रहते हैं और मिल जुल कर,खेल हंस कर समय कट जाता है।अस्पताल भी पास है,यदि बहुत जरुरी हो तो फोन करके ड़ाक्टर को घर पर बुलाया जा सकता है।
चीन के तेज विकास के साथ-साथ अब कई पीढ़ियां एक साथ कई जीवनानुभवों को समोए साथ-साथ रहती दिखाई पड़ती हैं।लगभग दस साल पहले चीन में लोगों के पास साईकल का होना ऐसा ही था जैसे अब लोगों के पास मोबाईल फोन है। तीस साल पहले लोगों की आमदन बहुत कम थी,सामान खरीदने के लिए सरकार की ओर से कूपन मिलते थे।विवाह करने के लिए जहां काम करते हैं वहां से अनुमति लेनी पड़ती थी।विदेश जाना कठिन था ।देखते ही देखते चीन में इतने अधिक परिवर्तन हुए हैं कि विश्वास करना कठिन होता है ..क्या इन परिवर्तनों को समाज अपने में समो पाया है या कि नहीं।....जीवन में इतनी तेजी ,से परिवर्तन होने पर भी,साईकलों की जगह बस्ती में लगी कारों की पंक्तियों के बावजूद लोगों के व्यवहार में,सामाजिक पारिवारिक मूल्यों में कोई परिवतन नहीं आया है। अभी भी लोग छुट्टियों में अपने मां बाप.नाना नानी,दादा-दादी को देखने ,मिलने जाते हैं,त्योहारों का उतनी ही बेसब्री से इंतजार करते हैं...जीवन स्तर बेहतर हुआ है लेकिन जीवन मूल्यों में कोई अंतर नहीं आया है। यदि कभी आप को चीन आने का मौका मिले तो घूमने वाली जगहों पर जाने के अलावा थोड़ा समय निकाल कर पास की किसी बस्ती में जरुर जाएं,जीवन का वास्तविक रंग वहां देखने को मिलेगा।