चीन को जानें तो पहले चिंग द शहर को जानें
कल आपको मैने पूरी कहानी नहीं बताया था। कल जब हमलोग होटल में पहुँचे थे तो हमारे स्वागत में एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया था। सबसे आश्चर्यजनक बात थी कि मुझे उस कार्यक्रम का उदघोषक बना दिया गया था। सबसे पहले मैं तो उनलोगों का आभारी हूँ जिन्होनें मुझे इस लायक समझा। उसके बाद मैं उन सभी लोगों का आभारी हूँ जिन्होनें इस कार्यक्रम में भाग लेकर मुझे उत्साहित किया। तो आपको बता दें कि हमलोग याओ ली नामक जगह पर थे। रात का खाना लगभग 8 बजे समाप्त करने के बाद हमलोगों का रंगारंग कार्यक्रम शुरू हुआ जिसमे हमारे रेडियो स्टेशन के प्रबंधक और स्थानीय पर्यटन विभाग के निदेशक ने भी बढ़चढ कर हिस्सा लिया। जैसा कि मैं पहले ही बता चुका हूँ इस कार्यक्रम का शुरूआत मैं और मेरे एक स्थानीय चीनी सहकर्मी के द्वारा किया गया। हमलोगों का कार्यक्रम बहुत मनोरंजक रहा, जिसमें वहाँ के स्थानीय लोग भी हिस्सा लिए। मैनें इस कार्यक्रम में एक चीनी और एक हिन्दी गीत गाकर लोगों का मन बहलाया।
दूसरे दिन सुबह हमलोग वांग हू प्राकृतिक संरक्षण जंगल की तरफ रवाना हुए। वहाँ पर चारों तरफ हरियाली ही हरियाली थी। विशाल पेड़ और चिड़ियों की चहचहाहट से पूरा वातावरण में उल्लास छा गया था। हमारे एक मित्र ने परिचय देते हुए बताया कि इस जंगल के कई पेड़ लगभग 600 साल पुराने हैं। यह क्षेत्र अपने चाय के लिए भी मशहूर है और यहाँ पर चीनी जन राजनीतिक सभा के सम्मेलन के दौरान उपयोग की जाने वाली चाय का उत्पादन किया जाता है। इसी बात से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यहाँ का चाय कितना मशहूर है। वहां के बाद हमलोगों ने कई ऐसे पेड़ भी देखे जो सूख चुके थे। जानकारी से पता चला कि वन के असली रूप को संरक्षित करने के लिए उसे उसी रूप में छोड़ दिया जाता है। जिससे पता चलता है कि यहाँ के लोगों में पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर कितनी जागरूकता है। उस जंगल में हमने झरना भी देखा या कहें तो जलप्रपात का दूसरा रूप देखा। मैनें इस तरह का दृश्य पहले कभी नहीं देखा था। चारों तरफ हरियाली का वातावरण मौजूद था जिससे मन बहुत शांत था। दिल को बहुत सुकुन महसूस हो रहा था।
इस जंगल के भ्रमण के बाद हमलोग चीनी मिट्टी के बर्तन बनाने वाले संग्रहालय में पहुँचे। इस जगह का नाम चिंद द काउंटी है। इसका इतिहास लगभग चीन के सुंग राजवंश के समय का है। यह जगह अपने चीनी मिट्टी के बर्तन के लिए न केवल चीन में मशहूर है बल्कि विश्व के विभिन्न कोनों तक इसकी ख्याति फैली हुई है। यहाँ पर हमने इस बर्तन और विभिन्न वस्तुओं के बनाने के प्राचीन तरिकों के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त किया।
यहाँ से हमलोग चियाँग शी प्रांत की राजधानी नान छांग के लिए रवाना हुए। यहाँ पर हमारी मुलाकात चियांग शी प्रांत के उपमुख्यमंत्री से मुलाकात हुई। वहाँ पर हमलोगों का आधिकारिक तौर पर भव्य स्वागत हुआ। मुख्यमंत्री जी ने अपने भाषण में चियांग शी प्रांत के सुंदरता का वर्णन किया वहीं हमारे रेडियो स्टेशन के प्रबंधन ने भी उनका आभार प्रकट किया। उसके बाद मुख्यमंत्री जी ने सभी विदेशी विशेषज्ञों का चियांग शी के बारे में राय जाना। मैने भी अपना राय प्रकट किया, सुनकर वे बहुत खुश हुए। साथ हि उन्होनें कहा कि भारत और श्रीलंका से आए कई पर्यटकों ने फोन के द्वारा जानकारी चियांग शी में पर्यटन स्थलों के बारे में जानकारी प्राप्त किया। मुझे यह सुनकर बड़ी प्रसन्नता हुई। मैने मन ही मन उनको धन्यवाद भी दिया। उसके बाद हमलोग खाना खाने मे व्यस्त हो गए।
खाना खाने के बाद मैं एक अपने दोस्त के साथ बाहर घुमने गया। उसने मुझे नान छांग शहर के बारे में सामान्य परिचय दिया। हमलोग एक अगस्त प्रांगण भी गए। इस जगह के बारे में कहा जाता है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने पहली बार इसी जगह पर अपने सेना का संगठन किया था। अब यहाँ पर एक भव्य चौराहा है जहाँ पर सभी आयु के लोग मौज मस्ती करने आते हैं। हमने भी वहाँ पर कुछ देर के लिए मौज किया। आज के लिए इतना ही कल आपको फिर अगले कार्यक्रम के बारे में जानकारी देंगे।