यह चाइना रेडियो इंटरनेशनल है। श्रोता दोस्तो, न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम में मैं हेमा कृपलानी आप सब का हार्दिक स्वागत करती हूँ।यहाँ चीन में आजकल सब जगह लाल रंग ही नज़र आ रहा है। लाल लिफाफे जिन पर सुनहरे चीनी अक्षरों में कुछ लिखा हुआ है, लाल कागज़ के लैम्प, लाल बैनर्स-पट्टियाँ, लाल रंग के कपड़े। छोटे-छोटे लाल रंग के खरगोश। ऐसा लगता है मानो आप लाल रंग के समुद्र में तैर रहे हो। दुकानों, सुपरमार्केट में हज़ारों की तदाद में लोगों की भीड़ अपने-अपने सामान की ट्रालियों को खचा-खच चीनी भोजन, मिठाइयों और स्नैक्स से भरते हुए नज़र आते हैं। सच में, सुपरमार्केट में इस दृश्य से यह आभास होने लगता है कि चीनी नव वर्ष जल्द ही आने वाला है।यदि किसी को दुनिया में सबसे बड़े मानवीय माइग्रेशन यानि human migration में भाग लेने की इच्छा है तो चीन में यह सबसे बेहतर समय है। इस समय सब लोग अपने-अपने घरों की तरफ कूच करते हैं। ट्रेन स्टेशन से लेकर, बस और हवाईअड्डे पर आपको ज़मीन पर सिर्फ ही सिर्फ लोग रेंगते हुए दिखाई देंगे। चीन में रहकर आप चीनी नव वर्ष में भाग लिए बिना नहीं रह सकते। जाने-अनजाने हम सब इसमें किसी न किसी तरह भाग ज़रुर लेते हैं। मैंडरिन संतरे, सूरजमुखी के बीज और ज़िआओज़ी(चीनी डैम्पलिंग) का मज़ा हम सब भरपूर लेते हैं। जैसे-जैसे नववर्ष नजदीक आ रहा है लोगों की तैयारियाँ भी ज़ोरों पर हैं।हर जगह उल्लास, खुशी का माहौल व्याप्त है। पिछले कुछ दिनों से लोग अपने घरों की खिड़कियाँ साफ कर रहे हैं, परदे बदल रहे हैं, नया फर्नीचर ला रहे हैं, देर रात तक घरों में हलचल मची हुई रहती है, घरों एवं दुकानों के बाहर लाल रंग की लालटेनें एवं बड़े-बड़े त्रिकोणाकार लाल कागज़ लगा रहे हैं। छुट्टियों का माहौल बन रहा है। सड़कों के किनारों पर पटाखों की दुकानें भी सजी जाएंगी। जिसका मैं बेसब्री से इंतज़ार करती हूँ। दीवाली के समय जो पटाखे फोड़ने का अरमान अधूरा रह जाता है उसे पूरा करने का यह सबसे बढ़िया समय है। त्योहार का माहौल बन गया है। उमंग और उल्लास का दूसरा नाम त्योहार है। त्योहार किसी भी देश व संप्रदाय की प्राचीन कला, संस्कृति अथवा इतिहास का प्रतिबिंब होते हैं। अलग-अलग देशों की प्राचीन सभ्यता के अनुसार उनके त्योहार मनाए जाते हैं। इस आधुनिक जीवन में मानव की व्यस्तता इतनी बढ़ गई है कि यदि त्योहार न होते तो यह जीवन नीरस अथवा बदरंग हो जाता। निरंतर कार्य करते हुए शारीरिक व मानसिक थकान हो जाती है जिसको आराम करके मिटाया जा सकता है।लेकिन त्यौहार हमारे मन-मस्तिष्क की थकान को दूर करते हैं अथवा त्योहार हमारे जीवन में नई उमंग और ताज़गी के लिए एक स्रोत बनते हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि त्योहार हमारे जीवन का एक महत्त्वपूर्ण पल है। त्योहार विभिन्न संस्कृतियों और जातियों को आपस में मिलने की प्रेरणा देता है।और यहाँ चीन में यह मेरा दूसरा साल है जब मैं चीनी नववर्ष मनाऊँगी जिसने न केवल मुझे मीठी यादें दीं हैं बल्कि चीन को गहराई से समझने का सुनहरा मौका भी दिया है।यह साल चीनी कैलंडर के अनुसार खरगोश का साल है। इस समय सब लोग चीनी भाषा में एक दूसरे को कहते हैं "गोंग शी फ़ा चाय" जिसका अर्थ है, नववर्ष मुबारक हो और समृद्ध हो। तो आप सब को भी सी.आर.आई हिन्दी विभाग की ओर से "गोंग शी फ़ा चाय"नया साल मुबारक हो। चलिए, शुभकामनाओं के साथ अपना आज का कार्यक्रम शुरु करते हैं।
कुछ दिन पहले चीनी समाचार पत्र में एक अजीब-सी खबर पढ़ी। अब यह तो हो नहीं सकता कि मैं आपको यह खबर न बताऊँ। तो खबर कुछ इस तरह की थी – बीटींग ब्लूस – शहरी युवा उन चीज़ों की तरफ तेज़ी से खींचे चले जा रहे हैं, जो उन्हें तनाव से राहत दिलवाने में मदद कर रहे हैं। वो राहत चाहे चीज़ों को तोड़फोड़ करके मिले, छत से सिर टकराकर मिले या यहाँ तक की कब्रिस्तानों में जाकर टहलने पर मिले। तनाव से राहत मिल सकती है-बस मामूली-सी फीस चुकाने के बाद।
एक महिला ने बेसबॉल के बल्ले को घुमाकर टी.वी स्क्रीन पर दे मारा, जो चकनाचूर हो कर जमीन पर गिर पड़ा, दूसरी महिला ने दोनों हाथों से लकड़ी के हथौड़े को पकड़कर एयर-कंडीशनर को दे मारा। वहीं एक और महिला ने सेरेमिक प्लेटों को दीवार पर फ्रीसबी की तरह दे मारा और कुछ ही देर में पूरा का पूरा डिनरसेट चकनाचूर हो कर कोने में इकट्ठा हो गया।
"मुझे ऐसा कर सचमुच बहुत अच्छा लगा, मैं अपने घर में भी ऐसा ही करना चाहती हूँ। महिला जिसने प्लेटों को दीवार से दे मारा ने कहा।"
शनयांग प्रांत की राजधानी ल्याओनिंग के हैप्पी शॉपिंग मॉल में खासी महिलाओं के लिए रेज-केज नामक स्थान बनाया गया जहाँ महिलाएँ आकर अपना रोष, गुस्सा, क्रोध जला सके, उसे भस्म कर सकें। जहाँ वे कुछ फीस देकर बेसबॉल बल्ला लेकर घर जैसे बने एक कमरे में एक मिनट तक तोड़फोड़ कर अपने रोष, क्रोध को व्यक्त कर सकती हैं और तनाव से मुक्ति पा सकती हैं। अपने मन के विचारों को आच्छादित कर सकती हैं।
वहाँ की एक कर्मचारी ने बताया कि लगभग सभी महिलाओं को कुछ तोड़ने-फोड़ने के बाद और मैस करने के बाद सुकून का एहसास हुआ।
रेज-केज यानि जुनून पिंजरा नामक संस्था ने कुछ महीने पहले अपने दरवाजे बंद कर दिए, क्योंकि तनाव मुक्त कराने वाले उद्योग से जुड़ी सेवा संस्था का यह मौसमी प्रचार का एक हिस्सा था, शहरी समाज की चल रही भारी खोज के साथ उत्पन्न तनाव से लड़ रहे लोगों के लिए था।
कार्यालय के कर्मचारियों और विश्वविद्यालय के छात्रों ने इस काम पर रखे गए अजनबियों को फोन पर वह सब कह डाला जो वे उस व्यक्ति से कहना चाहते थे जिससे वे बेहद नाराज़ थे। बड़े पैमाने पर लोग तकिए से झगड़े, कब्रिस्तानों में घूमे और जानबूझकर बच्चों की तरह अभिनय किया- यह सब शुल्क देकर।इसमें कोई शक नहीं की आजकल लोग जबरदस्त दबाव का सामना कर रहे हैं और इससे छुटकारा पाने के तरीके खोजना चाहते हैं। तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि तनाव से राहत प्रदान करने वाले बाजार में तेज़ी देखी जा सकती है।एक विश्वविद्यालय की छात्रा ने बताया कि उसने ऐसी सेवा का उपयोग किया और ग्राहक बनकर फोन पर अजनबी से दुर्व्यवहार किया और बेहद घटिया भाषा का प्रयोग किया और उन्हें भला-बुरा कहा। छात्रा ने बताया कि मैं वास्तव में उन्हें गाली देना चाहती थी जिन्होंने मुझे नौकरी पर नहीं रखा और मेरी क्षमताओं, प्रतिभा को नज़रअंदाज़ किया। जो मैं उनसे यह सब कभी नहीं कह पाती। उन्हें कोसने के बाद मैंने राहत की सांस ली और काम की तलाश बेहतर तरीके से करती हूँ। ताज्जुब की बात है कि अब इस तरह की फोन सेवाओं के बारे में अधिक लोग पूछताछ करने लगे हैं। ग्राहकों को 10 मिनट की एक कॉल के करीब 1 युआन देने पड़ते हैं जिसके दौरान जो कुछ भी वे चाहते हैं कह सकते हैं, किसी भी तरह से कह सकते हैं। हर रोज़ 300 से ज्यादा ऐसे फोन आते हैं, हिनान प्रांत की एक कंपनी ने बताया। वे कहते हैं यह एक हॉट व्यापार है क्योंकि लोग अपने गुस्से को बाहर निकालना चाहते हैं। कॉल करने वालों में 20 से 30 साल के लोग ज्यादा हैं जो अपने बॉस, सहकर्मियों और करियर को लेकर परेशान रहते हैं। इसके अलावा विश्वविद्यालय के छात्र जिन्हें प्यार में धोखा मिला है या नौकरी ढूंढ़ने में मुश्किल हो रही है। ऐसे निराश छात्रों का दूसरा सबसे बड़ा समूह है। एक फोन के बारे में उन्होंने बताया कि वह अपनी सहकर्मी समझ मुझे गालियाँ दे रही थी जिसके बॉस के साथ अवैध संबंध थे तथा वह अपने सहकर्मियों की पीठ पर छुरा घोंपती थी। वहीं एक और आदमी ने मुझे से अपनी विदेशी कंपनी का बॉस समझ बात की जो उनसे बहुत काम करवाता था, छुट्टी के दिन भी आराम नहीं करने देता था। यह सब सुन आपको करीना कपूर की फिल्म जब वी मेट याद आ रही होगी। जहाँ वह अपने प्रेमी को फोन कर ढेरों गालियाँ देती हैं और फिर राहत महसूस करती हैं।अगर हम भी अपने दिल से पूछे तो कभी-कभी हमें भी गुस्सा आता है और उस व्यक्ति पर जाहिर न कर पाने के कारण मज़बूरन उसे पी जाना पड़ता है, पर गुस्सा रहता तो हमारे अंदर ही है। ऐसी फोन सुविधा के बारे में सुन बस एक ही बात दिमाग में आती है- घोर कलयुग है भइया घोर कलयुग है। और कुछ नहीं। पर इसका दूसरा पहलू यह भी है कि अगर आप इस तरह की भाषा का प्रयोग करेंगे तो यह कहीं आपकी आदत न बन जाएँ दूसरा, यह कि अगर आपके पास पैसे हैं तो आप कुछ भी कर सकते हैं। पर इसका मतलब यह कतई नहीं कि आप तनाव से छुटकारा नहीं पा सकते, आप हमेशा तनावग्रस्त ही रहेंगे। तनाव से छुटकारा पाने का सरल तरीका है व्यायाम, पार्क में टहलना, सैर करना, संगीत सुनना। घर के बड़े-बुजुर्गों से बात कर आप अपना दिल हल्का कर सकते हैं। कुछ और तरीके खोज निकालें पर ऐसी सुविधाओं का सहारा लेने से बचें।
श्रोताओं, आपको हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम का यह तैंतालीसवा क्रम कैसा लगा। हम आशा करते हैं कि आपको पसंद आया होगा। आप अपनी राय व सुझाव हमें ज़रूर लिख कर भेजें,या फोन पर बताएँ ताकि हमें इस कार्यक्रम को और भी बेहतर बनाने में मदद मिल सकें। क्योंकि हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम आप से है, आप के लिए है, आप पर है। रवींद्रनाथ टैगोर जी ने कहा था- प्रत्येक बालक यह संदेश लेकर संसार में आता है कि ईश्वर अभी मनुष्यों से निराश नहीं हुआ है। इसी विचार के साथ हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम यहीं समाप्त होता है। आप नोट करें हमारा ई-मेल पताः hindi@cri.com.cn । आप हमें इस पते पर पत्र भी लिख कर भेज सकते हैं। हमारा पता हैः हिन्दी विभाग, चाइना रेडियो इंटरनेशनल, पी .ओ. बॉक्स 4216, सी .आर .आई.—7, पेइचिंग, चीन , पिन कोड 100040 । हमारा नई दिल्ली का पता हैः सी .आर .आई ब्यूरो, फस्ट फ्लॉर, A—6/4 वसंत विहार, नई दिल्ली, 110057 । श्रोताओं, हमें ज़रूर लिखयेगा। अच्छा, इसी के साथ मैं हेमा कृपलानी आप से विदा लेती हूँ इस वादे के साथ कि अगले हफ्ते फिर मिलेंगे।
तब तक प्रसन्न रहें, स्वस्थ रहें। नमस्कार