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वर्ष 2010 चीन भारत मित्रता का सिन्हावलोकन
2010-12-31 09:52:46

यह चाइना रेडियो इन्टरनेशनल है । श्रोता दोस्तो, वर्ष 2010 जल्दी से गुज़रने जा रहा है और वर्ष 2011 आने वाला है। इस सुअवसर पर मैं यहां आप को शुभकामनाएं देती हूँ कि आप सब लोग स्वस्थ रहें और दीर्घायु रहें। नए साल में सफल रहें और खुशहाल रहें।

दोस्तो, आप जानते हैं कि इस वर्ष चीन व भारत के बीच कूटनीतिक संबंध स्थापना की 60वीं वर्षगांठ है। इसे मनाने के लिए दोनों देशों की सरकारों व गैर सरकारी संगठनों ने रंगबिरंगी गतिविधियां चलायीं, जिनसे द्विपक्षीय संबंध मज़बूत हुए और चीन भारत मैत्री आगे बढ़ायी गयी है। आज के इस कार्यक्रम में मैं विशेष तौर पर वर्ष 2010 में चीन भारत मैत्री के बारे में आयोजित कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों का खुलासा पेश करूंगी । पुराने वर्ष के खत्म होने के इस वक्त पर हम एक साथ सिंहावलोकन करेंगे कि इस वर्ष चीन भारत के लिए कितना महत्वपूर्ण है।

दोस्तो, इस वर्ष के फरवरी से अप्रेल तक सी.आर.आई ने"चीन भारत के बीच कूटनीतिक संबंध की स्थापना की 60वीं वर्षगांठ"नामक ज्ञान प्रतियोगिता आयोजित की थी, जिस में बहुत ज्यादा श्रोताओं ने पत्रों व ई-मेल के जरिए भाग लिया और चीन भारत मैत्री के बारे में आलेख भी लिखे हैं। इस प्रतियोगिता सफलतापूर्वक समाप्त हुआ है। हमें करीब चालीस हज़ार जवाबी पत्र प्राप्त हुए और उन में से पंद्रह पहले पुरस्कार, बीस दूसरे पुरस्कार और पच्चीस तीसरे पुरस्कार के विजेता चुने गए हैं। इस प्रतियोगिता के जरिए हमारे भारतीय श्रोताओं ने चीन भारत मैत्री के बारे में ज्यादा जानकारी हासिल की है, हमारे दोनों देशों की जनता के बीच दोस्ती को आगे बढ़ाना हमारे सी.आर.आई का मकसद है और हम सभी कर्मचारी इस लक्ष्य को साकार करने की कोशिश करते रहेंगे।

दोस्तो, गत अप्रेल में भारतीय विदेश मंत्री कृष्ण ने चीन की मैत्रीपूर्ण यात्रा की थी। मौके पर उन के स्वागत के लिए चीनी जन वैदेशिक मैत्री संघ के तत्वावधान में एक भव्य सत्कार सम्मेलन आयोजित किया गया। इस तरह वर्ष 2010 के अप्रेल से चीन भारत सांस्कृतिक उत्सव औपचारिक तौर पर शुरू हुआ। अनेक भारतीय व चीनी कलाकारों ने रंगारंग अभिनय किया, जिस से दोनों देशों की जनता के बीच सांस्कृतिक आवाजाही और एक दूसरे की समझ बढ़ गई है। अब आप सुनिए भारतीय विदेश मंत्री कृष्ण की चीन यात्रा के उपलक्ष्य में आयोजित सत्कार समारोह में हमारी रिपोर्ट का एक मुख्य अंश

दोस्तो, गत 26 मई को भारतीय राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने चीन की औपचारिक यात्री की थी। उन्होंने पेइचिंग, लोयांग और शांगहाई का दौरा किया, चीनी नेताओं के साथ मैत्रीपूर्ण वार्ता की। विशेषकर हनान प्रांत के लोयांग शहर में उन्होंने वहां स्थित एक भारतीय शैली में पगोडे का निर्माण पूरा होने के बाद आयोजित समारोह में भाग लिया, यह चीन व भारत के बीच प्राचीन काल में सांस्कृतिक आवाजाही का द्योतक है। शांगहाई की यात्रा के दौरान उन्होंने विश्व मेले को देखा और भारतीय भवन का दौरा किया। भारतीय समाचार पत्र《हिंदुस्तान》का कहना है कि राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल की चीन यात्रा से सीमा मुठभेड़ के कारण एक समय में तनाव में पड़े चीन भारत संबंध में नई जीवन शक्ति का संचार हुआ है। सच है, बड़ी संख्या में मीडिया संस्थाओं के संवाददाताओं और सरकारी अधिकारियों ने राष्ट्रपित प्रतिभा पाटिल के साथ चीन की यात्रा करने आए, साथ ही साठ से अधिक भारतीय उद्यमी भी उन की यात्रा टीम में शामिल थे। राष्ट्रपति की चीन यात्रा से द्विपक्षीय संबंध और आगे बढ़ाया गया है।

दोस्तो, वर्ष 2010 के जून माह में चीन भारत संबंध की स्थापना की 60वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में सी.आर.आई ने एक संवाददाता दल भारत भेजा, उन्होंने नई दिल्ली, जयपुर, मुंबई आदि स्थलों का दौरा किया था और चीन भारत मैत्री के बारे में सिलसिलेवार रिपोर्टें दीं। भारत की यात्रा के दौरान चीनी संवाददाताओं को महसूस हूआ कि वर्तमान में दोनों देशों की जनता के बीच गलतफ़हमी को दूर करना अत्यंत जरूरी है। सुनिए हेमा की आवाज़ में इस संदर्भ में रिपोर्ट का एक अंश

दोस्तो, इस वर्ष शांगहाई विश्व मेला मई से अक्तुबर तक चीन के वाणिज्यिक केंद्र शांगहाई में धूमधाम से आयोजित हुआ था, जिसपर विश्व का ध्यान पूरी तरह केंद्रित हो गया। चीन व भारत के बीच कूटनीतिक संबंध स्थापना की 60वीं वर्षगांठ के सुअवसर पर भारतीय पैवेलिन पर ज्यादा दर्शकों का अधिक ध्यान गया है। जून की 17 से 26 तारीख तक भारतीय युवा प्रतिनिधि मंडल के सौ सदस्यों ने चीन की दस दिवसीय मैत्रीपूर्ण यात्रा की। भारतीय युवाओं की नज़र में शांगहाई विश्व मेला कैसा है?हमारे कार्यक्रम में संबंधित रिपोर्ट पेश की गयई थी, अब आप सुनिए इस रिपोर्ट का एक अंश

दोस्तो, क्या आपको डाक्टर कोटनिस के बारे में कोई जानकारी है?वह एक महान क्रांतिकारी योद्धा के रूप में चीनी लोगों के दिल में हमेशा जीवित रहते हैं। दस अक्तूबर 2010 को चीन भारत मैत्री के इस महान दूत के जन्म की सौवीं वर्षगांठ थी, इस मौके पर नई दिल्ली में उन की स्मृति के लिए एक सम्मेलन आयोजित हुआ। सुनिए इस के संदर्भ में चंद्रिमा की आवाज़ में एक रिपोर्ट।

प्रिय दोस्तो, वर्ष 2005 में चीनी प्रधान मंत्री वनच्यापाओ की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के नेताओं ने पारस्परिक समझ को आगे बढ़ाने के लिए हर वर्ष अपने देश के सौ युवाओं के दूसरे देश की यात्रा के लिए भेजने का फैसला किया। पिछले पांच वर्षों में इस कार्यक्रम के जरिए ज्यादा से ज्यादा चीनी व भारतीय युवाओं ने यात्रा से एक दूसरे देश के बारे में अपनी समझ बढ़ाई, और वे द्विपक्षीय मैत्री की मज़बूती के लिए योगदान कर रहे हैं। वर्ष 2010 के नवम्बर में मुझे चीनी सौ युवा प्रतिनिधि मंडल की एक सदस्य के रूप में भारत की यात्रा की, जिस से भारत से मेरा प्यार और सुदृढ़ हुआ। लेकिन यात्रा के दौरान मुझे भी ऐसा लगा कि दोनों देशों के युवाओं के बीच पारस्परिक समझ कम है, इसे और बढ़ाने की आवश्यकता है। सुनिए इस रिपोर्ट का मुख्य अंश

चीन व भारत के बीच कूटनीतिक संबंध स्थापना की 60वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में वर्ष 2010 में सबसे महत्वपूर्ण बात चीनी प्रधान मंत्री वन च्यापाओ की भारत यात्रा ही है। उन्होंने भारतीय प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह और राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के साथ भेंटवार्ता की और दोनों देशों के बीच सिलसिलवार समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। सुनिए प्रधान मंत्री वन च्यापाओ की भारत

यात्रा के बारे में हमारी रिपोर्ट

दोस्तो, वर्ष 2010 चीन व भारत दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण है। इसी वर्ष में हम दोनों देशों के बीच पारस्परिक समझ को आगे बढ़ाने के लिए दोनों देशों की सरकारों व गैर सरकारी संगठनों ने श्रृंखलाबद्ध गतिविधियां चलायीं। चीन स्थित भारतीय राजदूत एस.जयशंकर ने कहा:

दोस्तो, चीनी प्रधानमंत्री वन च्यापाओ की भारत यात्रा के दौरान, दोनों देशों के प्रधान मंत्रियों ने वर्ष 2011 को"चीन भारत आदान प्रदान वर्ष"घोषित किया। हमें पक्का विश्वास है कि वर्ष 2011 में हमारे दोनों देशों की जनता के बीच आपसी समझ और बढ़ेगी और चीन भारत मैत्री और मज़बूत होगी। अच्छा दोस्तो, आज का यह कार्यक्रम यही समाप्त हुआ है। नया साल आने वाला है, एक बार फिर आपको शुभकामनाएं देती हूँ।

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