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10-12-16
2010-12-16 10:39:19

यह चाइना रेडियो इंटरनेशनल है। श्रोता दोस्तो, न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम में, मैं हेमा कृपलानी आप सब का हार्दिक स्वागत करती हूँ। आजकल यहाँ बहुत ठंड पड़ रही है, ठंडी-ठंडी हवाएँ चल रही हैं, उनके रहते घर से बाहर जाने का कहीं मन ही नहीं करता। लेकिन सारा-सारा दिन घर बैठे रहने का भी मन नहीं करता। घर से बाहर निकलने से पहले ढेर सारे गरम कपडे़ पहनने पड़ते हैं। टोपी, ग्ल्वस, मोटे-मोटे जूते, लंबे-लंबे भारी जैकेट्स फिर घर से बाहर निकला जाता है।लेकिन इन सब का भी अपना मज़ा है, खुद को पैक करके बाहर घूमने का। चलिए, इस अपडेट के साथ आज का कार्यक्रम शुरु करते हैं।

दोस्तों, कुछ दिन पहले एक चीनी पत्रिका में मैंने यह पढ़ा........

जिन माताओं के बचपन का अनुभव अच्छा नहीं था वे अपने बच्चों पर अधिक हाथ उठाती हैं। वे माताएँ जिन्हें अपने बचपन में शारीरिक या अन्य हिंसक अनुभव या दुख भरे अनुभवों का सामना करना पड़ा अपने शिशुओं पर उन माताओं की तुलना में अधिक हाथ उठाती हैं या मारती हैं जिन्हें अपने बचपन में इन प्रतिकूल अनुभवों का सामना नहीं करना पड़ा। एक अध्ययन के नए परिणामों से यह पता चला है। फिलेडेल्फिया के डॉ. जेफरसन जो बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम से जुड़े हैं ने बताया, इस अध्ययन से अधिक सबूत मिलते हैं कि माँ के अतीत के अनुभव, उसके अपने बचपन के अनुभवों का उसके बच्चों पर बहुत प्रभाव पड़ता है। यह उसके दृष्टिकोण को दर्शाता है कि वह अपने बच्चों के साथ कैसा व्यवहार करेंगी। 11 महीने के शिशुओं की लगभग 1265 माताओं के साथ किए अध्ययन से पता चला जिनमें अधिकतर कम आय वाली और एकल माताएँ थीं। उनमें से 19 प्रतिशत माताओं ने माना कि वे अपने बच्चों के लिए शारीरिक दंड महत्वपूर्ण मानती हैं और उनमें से 14 प्रतिशत माताएँ अपने शिशुओं को चाटा या थप्पड़ जड़ देती हैं तब भी जब इसकी कोई आवश्यकता नहीं होती। उन्हें इसमें कोई बुराई नहीं दिखती। तो, आज की माताएँ अपनी बेटियों का ध्यान रखें, उन्हें खुशहाल बचपन दें ताकि जब वे आने वाले समय में माँ बनेंगी तो वे भी अपने बच्चों को एक खुशहाल व स्वस्थ बचपन दें सकें। तभी तो कहते हैं, महिलाओं से है ये जहां, जहाँ महिलाएं सुखी व स्वस्थ वह जहां सुखी व स्वस्थ।

अब समय है, स्वास्थ्य से जुड़ी खबरों के बारे में बात करने का। खबर यह है कि........................

चीनी के साथ कॉफी पीने से बढ़ती है मेमरी और एकाग्रता

अगर आप अपने दिन की शुरुआत एक कप कॉफी से करते हैं तो यह आपके दिमाग पर पड़ने वाले खराब प्रभावों को कम कर सकता है, बशर्ते आप इस कॉफी में चीनी भी लें।

स्पेन के बार्सिलोना यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने पाया कि कैफीन और चीनी को साथ लेने से दिमाग की क्षमता बढ़ जाती है।

डेली मेल के अनुसार, वैज्ञानिकों का मानना है कि दोनों चीजें एक दूसरे की पूरक हैं और मेमरी और एकाग्रता में बढ़ोतरी करती हैं। यह स्टडी 40 लोगों पर की गई और इसके आधार पर यह नतीजे निकाले गए।

किसी से नाराज़गी या शिकायत को लंबे समय तक अपने दिल में रखना हानिकारक है।

बेल्जियम और जर्मनी के शोधकर्ताओं के एक अध्ययन के अनुसार, किसी से बदला लेने की भावना मीठी हो सकती है, लेकिन यह आपके स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचा सकती है और दूसरे के मुकाबले आपको अधिक नाखुश और उदासीन भी बना सकती है।

Maastricht और बॉन विश्वविद्यालयों ने 20,000 लोगों पर किए गए एक अध्ययन से यह पता लगाया कि जो लोग खुद के साथ हुए अन्याय का बदला लेना चाहते हैं, उनके दोस्त भी बहुत कम होते हैं और वे अपने जीवन से बेहद असंतुष्ट भी होते हैं। शोधकर्ता यह भी जानना चाहते थे कि किसी व्यक्ति के चरित्र लक्षण पर किस तरह या किस का प्रभाव पड़ता है। जैसे कि, "सफलता" या "जीवन में संतोष" पर एक व्यक्ति के सकारात्मक और नकारात्मक विचार।

सर्वेक्षण में शामिल लोगों से यह भी पूछा गया कि वे किस हद तक जाकर अपने ऊपर की गई दया या करुणा का एहसान चुकाएँगे या इसके विपरीत अपमान का बदला किस हद तक जाकर लेंगे।

अध्ययन में यह भी पता चलता है कि सकारात्मक लोग अपनी इच्छा से अधिक घंटे काम करने के लिए तैयार हैं,बशर्ते उन्हें मज़दूरी उनके अनुभव के अनुसार मिले। हममममम....तो नतीजा यही निकला की हमें जीवन में हर रोज़ अलग-अलग स्वभाव के लोग मिलेंगे, कोई हमें अच्छा लगेगा तो कोई नहीं, किसी से हमारी पक्की दोस्ती हो जाएगी तो किसी से हम बात तक करना पसंद नहीं करेंगे। किसी की बातें हमें बहुत प्यारी लगेंगी तो किसी की आवाज़ कानों को चुभेगी। सब कुछ हमारी पसंद का नहीं हो सकता क्योंकि जब हम किसी के लिए नहीं बदल सकते तो कोई क्यों हमारे लिए बदलेगा। इसलिए किसी के साथ नाराज़ न हो, यदि किसी की बात बुरी लग भी जाए तो उसे दिल से ना लगाए और जैसे धूल को कपड़ों से झटक कर साफ कर देते हैं वैसे ही अपने मन से बुरे विचार और ख्यालों को झटक कर खुद से दूर करने का प्रयास करें। आप सोच रहे होगे कि कहना और सुनना बहुत आसान है, लेकिन करना तपती धूप में नंगे पैरों से चलने के समान है। कोशिश तो कीजिए, जहाँ चाह वहाँ राह। हाँ, आपके साथ बात करते-करते मुझे एक कहानी याद आ रही है, जिसे मैं आपको सुनाती हूँ।

एक बार डेल कार्नेगी रेडियो पर लिंकन के विषय में बोलते हुए उनकी जन्मतिथि गलत बता गए।अगले दिन अनेक श्रोताओं के गुस्से से भरे खत उनके पास पहुंचे। एक खत में तो उनके लिए अनेक अपशब्द लिखे थे।

नाराज होकर कार्नेगी ने भी उस श्रोता को काफी कड़ा पत्र लिख डाला, लेकिन रात होने के कारण वह खत भेज नहीं पाए।सुबह उन्हें लगा कि खत में बहुत अधिक अपशब्द लिख दिए गए हैं। उन्होंने फिर से खत लिखना शुरू किया।पढ़ने पर उन्होंने पाया कि उस खत में लिखे गए शब्द पहले वाले खत से विनम्र थे। उन्होंने सोचा कि क्यों न एक दिन और रुक जाऊं।

अगले दिन उन्होंने सोचा कि उस श्रोता ने जवाब मांगा ही नहीं है तो फिर वह उसे बेवजह नाराजगी भरा खत लिख रहे हैं। उन्होंने खत को रद्दी की टोकरी में डाल दिया। दो-तीन बाद उन्हें ख्याल आया कि वह उस श्रोता को अपना मित्र बना सकते हैं। उन्होंने श्रोता को अपनी ओर से दोस्ती भरा पत्र लिखा। जवाब में उस श्रोता ने अपने पहले खत के लिए क्षमा मांगी और कहा कि गलती किसी से भी हो सकती है। इस पर डेल कार्नेगी ने लिखा, समय बीत जाने पर हमारा उबाल कम हो जाता है। इसलिए हमें तत्काल प्रतिक्रिया देने से बचना चाहिए। इससे अनेक अप्रिय स्थितियों और टकरावों को रोका सकता है। यदि मैंने उसी दिन उस पत्र का जवाब दे दिया होता तो मैं एक व्यक्ति को अपना दुश्मन बना बैठता, जबकि आज वह मेरा मित्र है।'हमममम....... श्रोताओ, आप हमसे कभी नाराज़ न होना, अपने प्यार भरे खत यू ही हमेशा भेजते रहना ताकि हमें आपका प्यार बिना रुकावट के मिलता रहे और हम आपके लिए बेहतर से बेहतर कार्यक्रम पेश करते रहें।

श्रोताओ, आपको हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम का यह सैंतीसवा क्रम कैसा लगा। हम आशा करते हैं कि आपको पसंद आया होगा। आप अपनी राय व सुझाव हमें ज़रूर लिख कर भेजें,या फोन पर बताएँ ताकि हमें इस कार्यक्रम को और भी बेहतर बनाने में मदद मिल सकें। क्योंकि हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम आप से है, आप के लिए है, आप पर है। जीवन में केवल लेना नहीं, देना भी सीखना चाहिए। कभी दूसरों के लिए भी कुछ करके देखें अच्छा लगेगा। इसी विचार के साथ हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम यहीं समाप्त होता है। आप नोट करें हमारा ई-मेल पताः hindi@cri.com.cn । आप हमें इस पते पर पत्र भी लिख कर भेज सकते हैं। हमारा पता हैः हिन्दी विभाग, चाइना रेडियो इंटरनेशनल, पी .ओ. बॉक्स 4216, सी .आर .आई.—7, पेइचिंग, चीन,पिन कोड 100040 । हमारा नई दिल्ली का पता हैः सी .आर .आई ब्यूरो, फस्ट फ्लॉर, A—6/4 वसंत विहार, नई दिल्ली, 110057 । श्रोताओं, हमें ज़रूर लिखयेगा। अच्छा, इसी के साथ मैं हेमा कृपलानी आप से विदा लेती हूँ इस वादे के साथ कि अगले हफ्ते फिर मिलेंगे।

तब तक प्रसन्न रहें, स्वस्थ रहें। नमस्कार

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