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मेरी भारत यात्रा
2010-12-09 15:13:53

थांग:यह चाइना रेडियो इन्टरनेशनल है। श्रोताओं को श्याओ थांग का प्यार भरा नमस्कार।

अनिल:श्रोताओं को अनिल का भी नमस्कार। आपका पत्र मिला कार्यक्रम में आप का स्वागत है। आज के इस कार्यक्रम में पहले आप सुनेंगे कई श्रोताओं के पत्रों का उल्लेख, इसके बाद श्याओ थांग की भारत यात्रा के बारे में एक कार्यक्रम।

थांग:दोस्तो, इधर के वर्षों में दुनिया भर में इन्टरनेट का तेज़ विकास हो रहा है। आप हमारे कार्यक्रम न सिर्फ़ रेडियो पर सुन सकते हैं, बल्कि हमारी वेबसाइट के जरिए चीन की जानकारी ले सकते हैं। हमारी वेबसाइट का कई श्रोता समर्थन करते हैं। वे कभी कभार वेब पर मैसेज के जरिए अपने विचार व राय रखते हैं। मुझे याद है कि इस कार्यक्रम में श्रोताओं के पत्रों का उल्लेख और कुछ श्रोताओं के ईमेल पढ़े गए थे, लेकिन वेबसाइट पर श्रोताओं के मैसेज के बारे में नहीं बताए गया। तो आज के इस कार्यक्रम में हम विशेष तौर पर कुछ श्रोताओं के मैसेज पेश करेंगे, आशा है कि ज्यादा से ज्यादा श्रोता हमारी वेबसाइट पर और ध्यान देंगे।

अनिल:इन्टरनेशन्ल फ़्रेन्ड्स क्लब, इलाहाबाद के श्रोता भाई रवि श्रीवास्तव ने मेल भेजकर 16वें क्वांगचो एशियाड के बारे में चर्चा की। वे कहते हैं कि क्वांग चो एशियाड खेलों के समारोह आश्चर्य चकित करने वाले थे। वर्ष 1990 के बाद यह चीन में होने वाला यह दूसरा एशियाई खेल समारोह है जिसमें पूरे विश्व में चीन की एकता और भाईचारे की भावना को नये रूप रंग में प्रचारित किया गया। एशियाड में करीब दस हजार खिलाड़ियों को एक खेल भावना के साथ मैदान में उतरते हुए देखना एक सुखद अनुभव था। सिर्फ़ चारों तरफ़ प्यार और स्नेह का साक्षी बना चीन। उद्घाटन समारोह के शानदार सांस्कृतिक कार्यक्रम और रात में क्वांग चो के सुंदर दृश्यों ने न केवल खिलाड़ियों का बल्कि दूर बैठे श्रोताओं का भी मन मोह लिया और इसके लिए सीआरआई धन्यवाद का और बधाई का पात्र है।

थांग: देहरादून उत्तराखंड के श्रोता मोहमद आसिफ़ ने हमारी हिन्दी वेब साइट पर मैसेज भेजा और कहा कि मैं आप लोगों को कई पत्र लिख चुका हूँ। मगर आपने आज तक किसी का भीजवाब पत्र नहीं दिया। मुझे आपका कार्यक्रम बहुत पसंद है, लेकिन मैं उनको केवल रेडियो पर सुनता हूँ। मुझे नेट पर रेडियो सुनना अच्छा नहीं लगता है। उन्होंने कार्यक्रमों की समय-सारणी मांगी है। आसिफ़ जी हम अगले वर्ष से नयी समय-सारणी बनाएंगे, आप कुछ समय तक इंतज़ार कीजिए। हालांकि आसिफ़ ने छोटा मैसेज भेजा है मगर हमें इसे पढ़कर काफी खुशी हुई। भविष्य में हमारे कार्यक्रमों में न सिर्फ़ श्रोताओं के पत्रों का उल्लेख व ईमेल , बल्कि वेबसाइट पर लिखे शॉर्ट मैसेज भी पेश किए जाएंगे। आशा है कि ज्यादा से ज्यादा श्रोता हमारे कार्यक्रम सुनने और वेबसाइट देखने के बाद हमें पत्र, ईमेल व शॉर्ट मैसेज भी भेजेंगे।

अनिल:उधर बदरपुर दिल्ली के श्रोता भाई राम कुमार नीरज ने वेबसाइट पर लिखे संदेश में कहा कि मुझे इस बात की बहुत खुशी है कि चाइना रेडियो इन्टरनेशनल विश्व में सबसे लोकप्रिय रेडियो स्टेशन है। मैं बचपन से आपके कार्यक्रम सुनता आ रहा हूं। आपके ही कार्यक्रमों से पता लगा कि वर्ष 2000 के बाद से अब तक चीन व भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार तीस गुना बढ़ गया है। 

थांग:अब मेरे पास है बिलासपुर छत्तीसगढ़ के चुन्नीलाल कैवर्त का मैसेज। चुन्नीलाल काफ़ी सक्रिय श्रोता हैं। वे कभी-कभी हमें पत्र लिखते हैं, ईमेल भेजते हैं और वेबसाइट पर मैसेज भी लिखते हैं, हमारे कार्यक्रमों के समर्थन और प्यार के लिए आपका धन्यवाद। हालांकि मेरे पास उनके कई मैसेज हैं, लेकिन यहां मैं उनमें से एक पढूंगी। अपने इस मैसेज में चुन्नीलाल ने पिछले माह आपका पत्र मिला कार्यक्रम में दीवाली के बारे में पेश विशेष कार्यक्रम की चर्चा करते हुए कहा कि मुझे और क्लब सदस्यों को यह बहुत ही मनोरंजक और शिक्षाप्रद लगा। सी.आर.आई. हिन्दी विभाग और भारतीय दूतावास के कर्मचारी भाई बहनों ने त्यौहार मिलजुल कर मनाया और आनंद लिया-यह जानकर हमें भी बड़ी खुशी हुई। आपके साथ साथ राकेश जी,अनिल जी और हेमा जी की दीवाली के अनुभव सुनकर बहुत अच्छा लगा। उम्मीद है कि आप लोग आगे भी इसी तरह नव वर्ष,बसंत त्यौहार व होली भी मिलजुल कर मनाएंगे। और इन सबके बारे में विशेष कार्यक्रम जरूर प्रसारित कीजिएगा। चुन्नीलाल भाई, दीवाली पर विशेष कार्यक्रम पेश करना मुझे भी काफी अच्छा लगा। भविष्य में अगर मौका मिला तो हम चीन व भारत के प्रमुख त्यौहार वसंतोत्सव और होली पर भी इस तरह के कार्यक्रम बनाएंगे, ताकि आप लोगों को चीन में रहने वाले भारतीयों व चीनियों के त्यौहार मनाने के तौर-तरीकों की जानकारी मिल सके।

अनिल:अच्छा दोस्तो, आज के इस कार्यक्रम के पहले भाग के अंत में हम पेश करेंगे श्रीपाल गर्ग का मैसेज। उन्होंने कहा कि मैं आपका नियमित श्रोता हूँ और मुझे आज का तिब्बत कार्यक्रम बहुत पसंद है। आजकल इस कार्यक्रम में तिब्बती लोक कथा प्रस्तुत की जाती है, जो कि बहुत दिलचस्प लगी। इसके साथ ही मेरे दो सुझाव हैं कि आप तिब्बती लोगों के वर्तमान जीवन के बारे में ज्यादा कहानियां सुनाएं और आज का तिब्बत से संबंधित ज्ञान प्रतियोगिता आयोजित करें, ताकि हमारे श्रोता तिब्बत के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी हासिल कर सकें। श्रीपालजी , अगले साल तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की शांतिपूर्ण मुक्ति की 60वीं वर्षगांठ मनायी जाएगी, इस मौके पर हम तिब्बत के विकास और तिब्बती जनता के वर्तमान जीवन के बारे में रिपोर्ट पेश करेंगे और इसके बारे एक ज्ञान प्रतियोगिता भी आयोजित करेंगे। आशा है कि आप इसमें हिस्सा लेंगे।

थांग:श्रोता दोस्तो, पिछले दिनों 15 से 25 नवंबर तक मैंने चीनी युवा प्रतिनिधिमंडल की एक सदस्य के रूप में भारत की दस दिवसीय यात्रा की। पिछले हफ्ते हमने एक विशेष कार्यक्रम पेश किया था। इसके बाद कई श्रोताओं ने हमें ईमेल भेजकर अपनी पसंद बतायी। आज़मगढ़ उत्तर प्रदेश के श्रोता भाई मोहमद अस्लाम ने ईमेल भेजकर कहा कि पहली दिसम्बर को आपका पत्र मिला कार्यक्रम में चीन के सौ युवाओं की भारत यात्रा के बारे में विशेष कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। श्याओ थांग यानी सपना की रिपोर्ट और इन्टरव्यू से पूरी जानकारी मिली। प्रोग्राम पसंद आया। अस्लाम भाई, इधर के दिनों में आप कभी-कभी हमें ईमेल भेजकर हमारे कार्यक्रम के प्रति अपनी प्रतिक्रिया बताते हैं। हम आपका धन्यवाद देते हैं। 

अनिल: वहीं चुन्नीलाल कैवर्त ने भी ईमेल भेजकर चीनी युवा प्रतिनिधि मंडल की भारत यात्रा के बारे में कुछ लिखा है। पिछले महीने चीन के युवाओं ने भारत का दौरा किया और इस दौरान उन्होंने दिल्ली,आगरा,रांची और कोलकाता जाकर भारत की सभ्यता ,संस्कृति,शिक्षा, कला, समाज, रहन-सहन और पर्यटन स्थलों की झलक देखी। सबसे बड़ी बात,इन चीनी युवा दोस्तों को भारतीय युवाओं के साथ मिलने जुलने,एक दूसरे को जानने-समझने और परस्पर विचारों का आदान-प्रदान करने का बहुत ही अच्छा सुनहरा मौक़ा मिला। एक दूसरे के देशों को समझने के लिए सिर्फ किताबें और मीडिया ही पर्याप्त नहीं होते। हमें अपनी आँखों से चीन व भारत को देखना चाहिए और दोनों देशों की जनता के दिलों में एक दूसरे के प्रति कितना प्रेम और सम्मान की भावना है-उसे महसूस भी करना चाहिए। चीनी युवा प्रतिनिधि मंडल के कुछ सदस्यों की बातचीत सुनकर लगा कि उनकी यह यात्रा पूरी तरह सफल रही और भारत की विशेषता और भारतीयों के प्यार को यहाँ आकर महसूस भी किया। निश्चित रूप से चीनी और भारतीय युवाओं के एक दूसरे के यहाँ आवाजाही से आपसी समझ,मैत्री,प्रेम और सहयोग की भावना बढ़ेगी। खेद की बात है कि आज भी भारतीय युवाओं को चीन के बारे में कम जानकारी है और जो भी उनको जानकारी मिलती है तो सिर्फ किताबों और पश्चिमी मीडिया से,जो कभी कभी भ्रामक और चीन विरोधी होती हैं। चीन और भारत के लोग अन्य देशों की तुलना में चीन व भारत की यात्रा कम करते हैं। इसका एक बड़ा कारण भाषा की समस्या भी है। मेरे विचार से दोनों देशों के युवाओं को परस्पर चीनी और हिन्दी भाषा का अधिक से अधिक ज्ञान होना चाहिए। अधिक से अधिक विश्वविद्यालयों में दोनों भाषाओं की शिक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए। इस दिशा में सी.आर.आई. का योगदान प्रशंसनीय और अनुकरणीय है।

थांग:चुन्नीलाल ने अपने इस ईमेल के अंत में कहा कि रांची शहर बिलासपुर से काफी नजदीक है, श्याओथांग जी, आपको बिलासपुर अवश्य आना चाहिए था। आपसे मिलकर मुझे बेहद खुशी होती। चुन्नीलाल भाई और हमारे सभी श्रोता दोस्तो, वास्तव में कहा जाए, तो रांची पहुंचने के तुरंत बाद मुझे रांची के हमारे श्रोता की याद आयी थी, लेकिन खेद की बाद है कि समय की कमी के कारण मैं उनसे नहीं मिल सकी। मौजूदा रांची की यात्रा के दौरान मैंने अपने अनुभव की लाइव रिपोर्टिंग की। अब आप सुनिए रांची पहुंचने के बाद मेरी रिपोर्ट।

थांग:दोस्तो, मौजूदा भारत यात्रा के दौरान चीनी युवाओं ने आगरा का ताज महल देखा, शाहजहां और मुमताज की प्रेम कहानी ने कई चीनी युवाओं को प्रभावित किया। सुनिए चीनी युवा प्रतिनिधि ने क्या कहा। 

रांची में चीनी युवाओं ने ने कोयला संग्रहालय का दौरा किया, बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और बिरसा कृषि विश्वविद्यालय की यात्रा भी की। इसके बारे में हमारे चीनी युवा प्रतिनिधि का अनुभव कैसा रहा। सुनिए, उनके अनुभव

दोस्तो, रांची से रवाना होते समय मेरी मुलाकात एक स्थानीय अधिकारी के हुई। सुनिए बातचीत।

कोलकाता में चीनी युवा प्रतिनिधि मंडल ने रानी विक्टोरिया स्मृति भवन का दौरा किया। भारत में इस दूसरे बड़े शहर के बारे में कई चीनी युवा प्रतिनिधियों का ये कहना है।

थांग:अच्छा दोस्तो, आज का यह कार्यक्रम यही समाप्त होता है। आशा है कि आपको पसंद आया होगा। शायद हमारे कई श्रोता पत्र भेजकर शिकायत करेंगे कि हमारे कार्यक्रम में बार-बार कभी-कभार कई श्रोताओं के पत्र व ईमेल प्रस्तुत किए जाते हैं। सही बात यह है कि चुन्नीलाल जैसे श्रोता हमारे बहुत सक्रिय श्रोता हैं। वे कार्यक्रम सुनने के बाद शीघ्र ही अपनी प्रतिक्रिया पत्र व ईमेल तथा वैब मैसेज के जरिए बताते हैं। इस तरह के श्रोताओं के हम बहुत आभारी हैं। आशा है कि हमारे दूसरे श्रोता भी ज्यादा सक्रिय रूप से हमारे साथ संपर्क करेंगे, और भविष्य में हम जरूर आप के ज्यादा पत्र हमारे कार्यक्रम में शामिल करेंगे। अच्छा, अब श्याओ थांग को आज्ञा दें, नमस्कार।

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