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10-12-02
2010-12-02 10:52:13

यह चाइना रेडियो इंटरनेशनल है। श्रोता दोस्तो, न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम में, मैं हेमा कृपलानी आप सब का हार्दिक स्वागत करती हूँ। आज के कार्यक्रम में हम बात करने वाले हैं कैसे रखें इडियट बाक्स को कंट्रोल में। चलिए, आज का कार्यक्रम शुरू करते हैं।

अगर देखी छोटे बच्चों ने अधिक टी.वी तो बाद में होगी स्कूल में परेशानी कनाडा और अमेरिका के शोधकर्ताओं ने सूचना दी है कि जो छोटे बच्चे बहुत ज्यादा टी.वी देखते हैं उन्हें बाद में स्कूल में संघर्ष करना पड़ सकता है। हो सकता है कि गणित में कुछ हद तक कम स्कोर करें और अन्य बच्चों द्वारा स्कूल में वे अधिक तंग किए जाएँ।

आश्चर्य की बात है, जिन बच्चों ने 2 साल की उम्र में ज्यादा समय तक टी.वी देखी उनका वजन भी 10 साल की उम्र तक सामान्य से ज़्यादा बढ़ गया था और वे अधिक स्नैक्स खाते हैं और सॉफ्ट ड्रिंक्स पीते हैं, बाल चिकित्सा शोधकर्ताओं और किशोरों में चिकित्सा के अभिलेखागार ने सूचना दी।

परिणाम यह निकलता है कि बचपन में अधिक टेलीविजन देखने से ध्यान और एकाग्रता की कमी हो जाती है, ऐसे बच्चों में।

उन्होंने यह भी कहा कि जो बच्चे अधिक समय टी.वी के आगे बिताते हैं और दूसरे बच्चों के साथ कम समय खेलने में बिताते हैं वे मूल्यवान सामाजिक कौशल सीखने के अवसरों को खो सकते हैं।

शोधकर्ताओं ने 2,000 से अधिक बच्चों के साथ एक बड़ा अध्ययन शुरू किया। उनके माता पिता ने सूचित किया कि बच्चों ने 2-1/2 साल से 41/2 साल की उम्र में कितना टी.वी देखा। बच्चों के शिक्षकों और डॉक्टरों के साथ भी जाँच की जब वे 10 साल के हुए।

शोधकर्ताओं ने पाया ,29 महीने में हर सप्ताह एक अतिरिक्त घंटा टी.वी देखने से कक्षा में ध्यान में 7 प्रतिशत की गिरावट और गणित कौशल में 6 प्रतिशत ड्रॉप देखा गया।

एक छोटे बच्चे का एक सप्ताह में एक घंटे टी.वी अधिक देखने का मतलब है उसे अन्य बच्चे तंग कर सकते हैं । ऐसे बच्चों का व्यायाम करने की संभावना 13 प्रतिशत कम है और 5 प्रतिशत वजन बढ़ने की संभावना है और 10 प्रतिशत अधिक स्नैक्स खाएंगे ऐसी संभावना है।

हालांकि, बाल चिकित्सकों(पैडियाट्रिक्स) ने साफ हिदायत दी है कि बचपन के दौरान शिशुओं को किसी भी स्क्रीन मीडिया के जोखिम से दूर रखा जाए और 2 साल की उम्र के बाद तक प्रति दिन दो घंटे से कम टी.वी देखी जाए। चिकित्सकों की आयु विशेष सिफारिशों के बावजूद माता पिता तथ्यात्मक ज्ञान से अनजान है और इस तरह मौजूदा दिशा निर्देशों के बारे में अधिक जागरूकता दिखाने की आवश्कता है। हमममम............ बच्चों को आजकल टी.वी. से दूर रखना क्या सच में इतना आसान है ? बड़ों के लिए भी टी.वी. से दूर रहना नामुमकिन हो गया है। पर अगर हम बड़े अपने बचपन के दिन याद करते हैं तो उस समय न टी.वी. पर इतने चैनल थे, न इतने कार्यक्रम प्रसारित किए जाते थे और मोबाइल का तो नामोनिशान तक नहीं था शायद इस कारण हमने अपने बचपन को भरपूर जिया, खूब खेलें अपने भाई-बहनों और पास-पड़ोस के बच्चों के साथ। लेकिन आज के बच्चे खाना टी.वी देखते हुए खाते हैं, कहीं-कहीं तो बच्चों के पसंदीदा कार्टून अगर नहीं चलाए तो समझो उस दिन उनकी भूख हड़ताल, रो-रो कर सारा घर सिर पर उठा लेंगे। मोबाइल फोन तो छोटे बच्चों के पसंदीदा खिलौने बन गए हैं, गए दिन गुड्डे-गुड़ियों से खेलने के। कई-कई बार उन्हें खाना खिलाने या ऐसी कोई चीज़ जो नापसंद करते हो खिलाने के लिए माता-पिता को रिश्वत देनी पड़ती है कि नए कार्टून सी.डी देखो और खाओ, मोबाइल के साथ खेलते-खेलते खाओ, दूध पीयो क्योंकि इस समय उद्देश्य केवल खाना-पिलाना रहता है। वे आपके काम में बाधा न डालें उसके लिए भी टी.वी का सहारा लेना पड़ता है। भाई-बहन आपस में झगड़े ना, घर में उधम न मचे उसके लिए भी टी.वी का सहारा लेना पड़ता है। आजकल घरों में आम सुनने को मिलता है कि एक शिशु को भी रिमोट चलाना आसानी से आता है, उन्हें मालूम होता है कि आवाज़ कहाँ से कम करनी है, बढ़ानी है, चैनल कैसे बदलना है। मोबाइल की घंटी बजते ही कौन-सा बटन दबाकर बात करनी है, आदि-आदि। भई, आजकल के बच्चे तो बहुत होशियार है, हमारे समय में कहाँ यह सब हुआ करता था। तो बच्चों की ये होशियारी बरकरार रहें, इडियट बाक्स के नाम से पुकारे जाने वाला टी.वी बच्चों पर हावी न हो, उसके लिए माता-पिता को पहले ही सजग होना पड़ेगा और बाल्यकाल से ही वे टी.वी के आगे कम बैठे इसका ध्यान 6 महीने से 1 साल की उम्र से ही रखना शुरु कर देना चाहिए। आपके बच्चे की उम्र 2 साल से कम है तो आप ध्यान रखें कि वह टी.वी के आगे 15 मिनट से ज्यादा समय न बिताएँ क्योंकि उससे ज्यादा समय यदि वह टी.वी देखता है तो उसका दिमाग तेज़ी से बदलती तस्वीरों को समझने में सक्षम नहीं और वह कन्फ्यूस हो जाता है, जिससे आप अनजान रहते हैं। 2 साल की उम्र में भी प्रतिदिन 1 घंटा टी.वी देखना बहुत अधिक समय में गिना जाता है। इस बात का तो एकदम ध्यान रखें कि खाना खाते समय बच्चा बिल्कुल टी.वी न देखे। यदि आपने यह अच्छी आदत बचपन में डाल दी तो आगे जाकर यह बहुत फायदेमंद साबित होगी। हालांकि, इसके लिए आपको बहुत कुरबानियाँ देनी पड़ेगी, अपने पसंदीदा सिरियलस की बलि चढ़ानी पड़ेगी। पर बच्चों के सुनहरे भविष्य के लिए यह कुरबानी तो कुछ भी नहीं है। आपका बच्चा टी.वी पर कौन से कार्यक्रम देख रहा है, उनसे क्या सीख रहा है, इस बात का भी ध्यान रखें क्योंकि ज्यादा एक्शन वाली या जल्दी-जल्दी बदलने वाले चित्रों को देख आँखें चौंधिया जाती हैं और वह कन्फ्यूस हो जाता है। धीरे-धीरे बदलने वाले या स्लो पेसड कार्यक्रमों और सी.डी को देखना बेहतर है क्योंकि इससे बच्चे समझ सकते हैं और सीखते भी हैं। इसके लिए आपको उचित कार्यक्रमों और सी.डी का चयन करना चाहिए। एक अध्ययन के दौरान यह पाया गया कि जो छोटे बच्चे अपने माता-पिता के साथ बैठ संतुलित समय तक टी.वी देखते हैं, वे पढ़ाई में बेहतर करते हैं। बच्चे को सिर्फ यह कह देना या उसके लिए अच्छे सी.डी खरीद कर देना, कि तुम जो भी करते हो वह हमारे लिए महत्वपूर्ण है, काफी नहीं। क्योंकि, कई माता-पिता टी.वी पर अच्छे कार्यक्रमों में बच्चों को व्यस्त कर अपने काम पूरे करने में लग जाते हैं, या ये कह कर कि तुम यह देखो तब तक हम यह काम कर लेते हैं इत्यादि। ऐसा कर आप उन्हें सिग्नल देते हैं कि वे लंबे समय तक टी.वी देख सकते हैं आपकी परवाह किए बगैर और आप भी अनजान रहते हैं कि वे क्या देख रहे हैं। इसके लिए अगर आप भी उनके साथ बैठकर अपना काम करते हुए जैसे कि कपड़े प्रेस करना या सब्ज़ी काटते हुए टी.वी देखे तो यह एक तरह की साथ-साथ एकटीविटी होगी बच्चे के साथ जिसे आप दोनों मिलकर इंजोए कर सकते हैं। आप बच्चे से या वह आपसे कार्यक्रम संबंधित सवाल पूछ सकते हैं, आप समझा सकते हैं कि कार्यक्रम या कार्टून में क्या हो रहा है, क्यों हो रहा है। यदि आपके बच्चे ने गिनती, रंग या वर्णमाला सीखाने वाली सी.डी देखी है तो आप खाने में उस रंग की सब्जी या फल खिलाएँ, टेबल पर जो अंक सीखा है उतने चम्मच या प्लेटें रखवाएँ, उनसे संबंधित किताबें या चित्र दिखाएँ, पढ़ने की उम्र वाले हो तो संबंधित किताबें पढ़वाए। आपके बच्चे को जो बोलना, गाना, नाचना या अलग-अलग आवाज़ें निकालना सीखाने वाले कार्यक्रम ही बेस्ट रहेंगे। आपके लिए यह भी ज़रुरी है कि आप अपने बच्चे के साथ टी.वी के बजाए कार्यक्रम देखें, हैं....................अब इसका क्या मतलब हुआ, इसका मतलब है कि एक निश्चित, फिक्स समय तक टी.वी पर कार्यक्रम या सी.डी, डी.वी.डी देखें और समय पूरा होने के 5 मिनट पहले प्री-वारनिंग या संकेत दें कि इस के बाद उन्हें क्या करना है क्योंकि टी.वी के आराम करने का समय हो रहा है। अगर बच्चा किसी कार्यक्रम या सी.डी, डी.वी.डी का आदी हो गया है और आपके मना करने के बाद भी सारा दिन उसे देखने की जिद करता है या रोता-बिलखता है, उसे देखे बिना खाता-पीता नहीं, सोता नहीं तो यह तो आप जानते ही हैं कि बच्चे कच्ची मिट्टी के समान होते हैं, उन्हें जैसा ढाला जाए वे ढल जाएँगे और एक बात हमेशा याद रखें कि बच्चों के लिए किसी भी आदत को भूला देना बेहद आसान होता है बस यहाँ ज़रुरत है धीरज की और कुछ स्मार्ट ट्रिक्स की। आप को अपने बच्चे का ध्यान किसी और तरफ आकर्षित करना होगा जो उसे टी.वी से ज्यादा अट्रेकटिव लगे और वह उसकी तरफ या उसे करने में ज्यादा रुचि दिखाए। यह भी आपको बहुत स्मार्टली करना होगा ताकि उसे यह समझ न आए कि ऐसा क्यों किया जा रहा है। अगर यह तरीका काम न करें और लगातार जिद करें या रोए तो आपको अपने चेहरे पर बिना किसी गुस्से के मुस्कुराहट बनाए रखते हुए अपनी बात पर अटल रहना चाहिए और टी.वी खोलकर देने की जिद को पूरा नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे उन्हें समझना होगा कि वे घर के बॉस नहीं।हमममममम....... आपमें से जिनके छोटे बच्चे होगे वे जानते ही हैं कि आजकल माता-पिता की भूमिका निभाना कुछ ज़्यादा ही मुश्किल हो गया है और कुछ दिन पहले एक शिशु की माँ ने मुझसे कहा कि पेरेंनटस का दूसरा नाम चौकीदार भी है। जब बच्चा गोद का हो तब भी, थोड़ा बड़ा हो तब भी और टिनेज हो तब भी। तो श्रोताओ, क्या आप भी इस बात से सहमत है, आपको हमारा यह सेक्शन कैसा लगा यह हमें बताना न भूलें। आप अपने विचार हमें लिख सकते हैं, फोन पर भी बता सकते हैं।

श्रोताओं, आपको हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम का यह पैंतीसवा क्रम कैसा लगा। हम आशा करते हैं कि आपको पसंद आया होगा। आप अपनी राय व सुझाव हमें ज़रूर लिख कर भेजें, ताकि हमें इस कार्यक्रम को और भी बेहतर बनाने में मदद मिल सकें। क्योंकि हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम आप से है, आप के लिए है, आप पर है। जीवन में सफल होने के लिए हमें मोटी-मोटी किताबों की ही ज़रुरत नहीं बल्कि एक छोटी-सी चींटी से भी बहुत कुछ सीख सकते हैं। इसी विचार के साथ हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम यहीं समाप्त होता है। आप नोट करें हमारा ई-मेल पताः hindi@cri.com.cn । आप हमें इस पते पर पत्र भी लिख कर भेज सकते हैं। हमारा पता हैः हिन्दी विभाग, चाइना रेडियो इंटरनेशनल, पी .ओ. बॉक्स 4216, सी .आर .आई.—7, पेइचिंग, चीन , पिन कोड 100040 । हमारा नई दिल्ली का पता हैः सी .आर .आई ब्यूरो, फस्ट फ्लॉर, A—6/4 वसंत विहार, नई दिल्ली, 110057 । श्रोताओं, हमें ज़रूर लिखयेगा। अच्छा, इसी के साथ मैं हेमा कृपलानी आप से विदा लेती हूँ इस वादे के साथ कि अगले हफ्ते फिर मिलेंगे।

तब तक प्रसन्न रहें, स्वस्थ रहें। नमस्कार

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