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चीनी युवाओं की भारत यात्रा
2010-12-01 14:38:04

 

15 से 25 नवंबर तक चीनी युवा प्रतिनिधिमंडल के सौ सदस्यों के साथ मैंने भी भारत की यात्रा की। इस मौके पर चीनी युवाओं ने दिल्ली, आगरा, रांची और कोलकाता का दौरा किया। भारत की यात्रा के दौरान युवाओं ने नज़दीक से भारत के विकास, भारतीय संस्कृति, भारतीय रीजि रिवाज़ को महसूस किया। साथ ही उन्होंने भारतीय युवाओं के साथ व्यापक तौर पर बातचीत की और आपसी समझ कायम हुयी।

भारत की यात्रा करने वाले मौजूदा चीनी प्रतिनिधि मंडल के सदस्य चीन के विभिन्न प्रांतों, स्वायत्त प्रदेशों व केंद्र शासित शहरों से आए युवा कर्मचारी, उद्यमी, विद्वान, मीडिया कर्मचारी और कॉलेज के विद्यार्थी थे। दस दिन की यात्रा में उन्होंने दिल्ली, आगरा, रांची और कोलकाता आदि शहरों में भारतीय समाज को करीब से जाना। विभिन्न विश्वविद्यालयों में भारतीय छात्र-छात्राओं के साथ विचार-विमर्श किया। कृषि नार्मल केंद्र जाकर भारत की प्रगतिशील कृषि तकनीक सीखी। कई सांस्कृतिक धरोहरों में भारतीय संस्कृति की विविधता को महसूस किया और भारतीय कलाकारों के साथ एक दूसरे देश की रंगबिरंगी संस्कृति पेश की।

चीनी प्रतिनिधि मंडल के अध्यक्ष, ऑल चायना युवा संघ के उप महासचिव वान श्वेचुन ने कहा कि मौजूदा यात्रा के जरिए चीनी व भारतीय युवाओं ने आपस में वैचारिक व तकनीकी आदान प्रदान किया, पारस्परिक समझ बढ़ायी। यह बहुत ही सफल यात्रा रही। उनका कहना है:

"चीन में एक कहावत है कि दस हज़ार पुस्तक पढ़ने के साथ-साथ दस हज़ार मील का सफर करना चाहिए। आज तक ज्यादातर चीनी लोग न्यूज़ पेपर, टीवी और इंटरनेट के जरिए भारत के बारे में जानकारी हासिल करते हैं। इस तरह भारत के प्रति हमारी समझ सिर्फ़ पुस्तकों वाली जानकारी है। दस दिन की यात्रा में हमने एक वास्तविक भारत को देखा और भारतीय युवाओं के साथ पारस्परिक समझ व मैत्री को मज़बूत किया। कहा जा सकता है कि मौजूदा यात्रा बहुत सफल ही नहीं, अर्थपूर्ण भी रही।"

भारत ने चीनी युवाओं पर गहरी छाप छोडी। सुन्दर प्राकृतिक दृश्य, रंगबिरंगी सांस्कृतिक विरासत, मनोहर भारतीय नाचगान, भाइचारे भारतीय युवा और स्नेहपूर्ण विचारों का आदान प्रदान……ये सब चीनी युवाओं के दिल में हमेशा अंकित रहेंगे। चीनी युवा प्रतिनिधि मंडल की सदस्य, चीनी युवा अनुसंधान केंद्र की अनुसंधानकर्ता सुश्री ल्यू लीयान ने कहा:

"भारतीय जनता बहुत मैत्रीपूर्ण है। यहां की यात्रा के दौरान मुझे अहसास हुआ कि भारतीय लोग मेल मिलाप से जीवन बिताते हैं। समाज बहुत सामंजस्यपूर्ण है, इसमें न केवल लोगों के बीच, बल्कि मनुष्य और जानवरों के बीच भी मैत्रीपूर्ण रिश्ता है।"

लेकिन भारतीय युवाओं के साथ बातचीत में चीनी युवा प्रतिनिधियों को अहसास हुआ कि ज्यादातर आम भारतीय लोगों को चीन के प्रति कम जानकारी है। चीनी व भारतीय युवाओं के बीच अपरिचितता फिर भी मौजूद है, एक दूसरे के बारे में समझ भी सीमित है। भारतीय युवती आकांक्षा झारखंड की राजधानी रांची स्थित बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेकनॉलजी की छात्रा हैं। उन्होंने कहा कि वह सिर्फ़ किताबों से चीन के बारे में जानकारी हासिल करती हैं, चीन की ठोस स्थिति के बारे में कुछ नहीं जानती।

आकांक्षा की तरह चीन के बारे में अधिकतर भारतीय युवाओं की समझ भी किताबों व मीडिया तक ही सीमित है। यहां तक कि कई भारतीय युवाओं की प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों के साथ बातचीत पहली बार किसी चीनी व्याक्ति के साथ बातचीत रही । ऐसी स्थिति से चीनी युवाओं ने चीन व भारत के बीच युवाओं की आवाजाही की मज़बूती की आवश्यकता को महसूस किया। आंकड़ों के अनुसार, इधर के वर्षों में चीन और भारत के बीच प्रति वर्ष सिर्फ़ पांच लाख व्यक्तियों की आवाजाही हो रही है। यह संख्या विश्व में सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले दोनों देशों के लिए बहुत कम है। दक्षिण चीन के क्वांगचो शहर से आए चीनी युवा प्रतिनिधि, चीनी युवा वैज्ञानिक व तकनीकी कर्मचारी संघ के सदस्य फङ लिह्वा ने कहा कि चीनी व भारतीय युवाओं को और ज्यादा आदान-प्रदान करना चाहिए। उनका कहना है:

"हमने भारतीय युवाओं के साथ बातचीत की , जिससे उनकी वास्तविक स्थिति को जाना, उनके स्कूली जीवन, उनके विचार और चीन के प्रति उनकी समझ का स्तर इत्यादि। हमें लगता है कि चीनी और भारतीय युवाओं को आपस में और ज्यादा आवाजाही करनी चाहिए।

वास्तव में भारतीय युवा चीन की ज्यादा जानकारी लेने और चीनी दोस्तों के साथ संपर्क करने के इच्छुक हैं। मेरी मुलाकात भारतीय युवा मृणाल पाठक से हुई। वर्ष 2006 में उन्होंने पहली खेप वाले भारतीय युवा प्रतिनिधि मंडल के सदस्य के रूप में चीन की यात्रा की थी। अब चार साल बीत चुके हैं। चीन की यात्रा उनके दिमाग में अब भी ताज़ा है। उन्होंने कहा कि पहले चीन के प्रति उनकी जानकारी सिर्फ़ समाचार आदि के माध्यम से थी। लेकिन खुद चीन की यात्रा करने के बाद उन्हें चीन के विकास व समृद्ध तथा चीनी जनता की मैत्री महसूस हुयी। लगता है कि अपने आप व चीन के बीच दूरी कम हुई। 

दस दिन की भारत यात्रा ने चीनी युवाओं के मन में सुन्दर व गहरी छाप छोड़ी। क्वांगशी च्यांव स्वायत्त प्रदेश के युवा प्रतिनिधि थांग पो का कहना है कि भारत जैसे सुन्दर देश में उन्होंने सपने जैसे दस दिन गुज़ारे । थांग पो ने कहा:

"दस दिवसीय भारत यात्रा से मुझे लगता है कि भारत एक बहुत सुन्दर व मनोहर देश है। भारतीय युवाओं के साथ विचारों के आदान प्रदान से मैं ने बहुत कुछ सीखा और भिन्न देश के युवाओं की संस्कृति को महसूस किया। मुझे लगता है कि चीन और भारत को विभिन्न क्षेत्रों में आदान प्रदान मज़बूत करना चाहिए। आशा है कि ज्यादा से ज्यादा भारतीय युवा चीन की यात्रा पर आएंगे, हम एक दूसरे से सीखेंगे और संपर्क मज़बूत करेंगे।" 

गौरतलब है कि नवम्बर 2006 में चीनी राष्ट्राध्यक्ष हू चिनथाओ की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के नेताओं ने पांच वर्षों में एक दूसरे के पांच सौ युवाओं का निमंत्रण कर एक दूसरे देश की यात्रा करने का फैसला किया था। इससे दोनों देशों के युवाओं की एक दूसरे की यात्रा में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल हुईं। इस तरह चीन और भारत सरकार ने प्रारंभिक तौर पर इस प्रकार की व्यवस्था को जारी रखने का फैसला किया, ताकि ज्यादा से ज्यादा चीनी व भारतीय युवा एक दूसरे की और समझ ले सकें और मैत्री को मज़बूत कर सके।

भारत स्थित चीनी राजदूत चांग यान ने कहा कि युवा चीन भारत मैत्री का भविष्य हैं। युवाओं के एक दूसरे देशों की यात्रा वाली व्यवस्था पारस्परिक आदान प्रदान, एक दूसरे से सीखने, मैत्री की गहराई तथा सहयोग की मज़बूती का महत्वपूर्ण मंच है। उन्होंने कहा:

"इधर के वर्षों में चीनी और भारतीय युवाओं ने एक दूसरे देशों की यात्रा की थी, जिससे सकारात्मक उपलब्धियां हासिल हुईं। उनके बीच एक दूसरे की समझ व मैत्री बढी है। इसने द्विपक्षीय संबंधों के विकास में भारी योगदान दिया। हमें उम्मीद है कि दोनों देशों के युवाओं का आदान प्रदान द्विपक्षीय संबंध के दीर्घकालिक विकास की महत्वपूर्ण नींव बन सकेगा।"

राजदूत चांग यान ने आशा जताते हुए कहा कि भारत की यात्रा के दौरान चीनी युवाओं ने भारत में जो देखा, सुना, महसूस किया और सोच विचार, उन्हें स्वदेश लौटकर दूसरों को बताएंगे। भविष्य में चीन भारत मैत्री को आगे बढ़ाने के गैर सरकारी दूत बनेंगे और चीन भारत संबंधों के विकास को आगे बढ़ाने के लिए अपना योगदान करेंगे। (श्याओ थांग)

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