इतिहास में क्वांग तो तीन राजवंशों की राजधानी था। वह समुद्री रेशम मार्ग का आरंभिक स्थल भी है।
प्राचीन समय में समुद्री रेशम मार्ग चीन और विदेशों के बीच व्यापारिक व सांस्कृतिक आवा जाही का महत्वपूर्ण माध्यम रहा है। उस का आरंभिक स्थल दक्षिण चीन का क्वांग चो और छुए चो है। दो हजार वर्ष पहले क्वांग चो वासियों ने समद्री तट व प्रगतिशील-जहाज-निर्माण तकनीक का साभ उठाते हुए दक्षिण चीनी सागर और दक्षिण व पूर्व एशिया और दक्षिण एशिया के विभिन्न देशों के साथ वैदेशिक व्यापार का रास्ता खोला। इतिहासविद ह्वांग हाइ येन ने बताया, दक्षिण युए शाही भवन की पुरातत्व खुदाई में एक हायीदांत मुहर पायी गयी। उस का आकार किसी व्यक्ति के सिर की तरह है। वह अरबी लगती है और स्थानीय नहीं है। इस से जाहिर है कि दो हजार वर्ष पहले क्वांग चो का विदेशों के साथ संपर्क होता है था।
इस के अलावा क्वांग चो के दक्षिण युए राजा के मकबरे की खुदाई में पांच अफ्रीकी हस्तिदंत और पुराने फारसी राजवंश का चांदी का एक बक्स पाया गया , जो चीन में अब तक पाये गयीं सब से पुराने विदेशी वस्तुएं हैं। यह भी जाहिर है कि क्वांग चो ने सब से पहले चीनी संस्कृति और बाहरी विश्व की संस्कृति को जोडा औऱ समुद्री रेशम मार्ग का प्रस्थान स्थल बना।
समुद्री रेशल मार्ग धीरे-धीरे बना है। 7वीं व 8वीं सदी के थांग राजवंश में चीन और दक्षिण पूर्वी एशिया, फारसी खाडी व पूर्वी अफ्रीका के बीच 6 नियम्त समुद्री मार्ग लइनें थीं, जिन में से सब से मशहूर लाइन क्वांग चो से दक्षिण पूर्वी चाइना समुद्र, फारस की खाडी व पूर्वी अफ्रीकी समद्र तक थी, जो 90 से अधि्क देशों व क्षेत्रों से गुज़रती थी और तत्कालीन विश्व में सब से लंबी अंतरराष्ट्रीय व चाय विदेशों में पहुंचाते थे, जबकि सोना, रजत, हाथीदांत व अन्य वस्तुएं चीन में लाते थे। उस समय क्वांग चो ने सिर्फ चीन की मुख्य बंदरगाह था, ताकि विश्व में भी मशहूर बंदरगाह के रुप में जाना जाता था।
13 वीं सदी के युए राजवंश में क्वांग चो ने विश्व के 140 से अधिक देशों के साथ व्यापार संबंध बानाए हुए थे। पंद्रहवीं व सोलहवीं सदी के मिंग राजवंश में क्वांग चो में हर साल दो बडे व्यापार मेले लगते थे, जो अलग तौर पर वसंत के एक महीने और गर्मी के एक महीने में होता था। व्यापार मेले के दौरान विदेशी जहाद विशेष व मूल्यवान वस्तुएं लाकर निर्धारित जल क्षेत्र में व्यापार कर सकते थे।
वर्तामान क्वांग चो में समुद्री रेशण मार्ग से जुडे बीसेक खंडहर हैं।
ब्रिटेन, अमरीका,फ्रांस व हालैंड जैसे देशों के संग्रहालय में क्वांग चो से निर्यातित प्राचीन चीनी वस्तुएं देखने को मिलती हैं।