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10-11-04
2010-11-04 14:43:35

यह चाइना रेडियो इंटरनेशनल है। श्रोता दोस्तो, न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम में, मैं हेमा कृपलानी आप सब का हार्दिक स्वागत करती हूँ। त्योहारों के दिन हैं और आप सब ढेर सारी तैयारियाँ करने में व्यस्त होंगी। पिछले सप्ताह करवा चौथ का त्योहार था जिसे यहाँ भी भारतीय महिलाओं ने पूरी श्रद्धा, जोश और उत्साह के साथ मनाया। चाँद का सब बेस्रबी से इंतजा़र कर रहे थे और बाहर इतनी ठंड के बावजूद सब ने पूजा-अर्चना की। सुंदर-सुंदर साड़ियों में सजी-धजी महिलाओं को सब एकटक निहार रहे थे। हाथों में मेंहदी सजाए, रंग-बिरंगे गहने पहन सब बेहद खूबसूरत लग रही थीं। मेंहदी से याद आया, कि हाथों में रची मेंहदी के रंग को गहरा करने के लिए हम सब तेल, राई और आग में हाथ सेंकने से लेकर न जाने कितने नुस्खे अपनाते हैं। आज मैं भी आपको एक अनोखा नुस्खा बताती हूँ, मेंहदी के रंग को गहरा करने के लिए, जब मेंहदी सूख जाए और हाथों से झड़ने लगे तब उस पर विक्स लगाकर कुछ समय तक ऐसे ही रहने दीजिए। मेंहदी का रंग खूब निखरेगा और गहरा होगा। तो अगली बार जब आप मेंहदी लगाए तो यह नुस्खा ट्राई कीजिएगा और हमें बताना न भूलिएगा कि यह नुस्खा आपको कैसा लगा। अब दिवाली का त्योहार आने वाला है आप सब तैयारियों में व्यस्त होंगे। वैसे भी त्योहारों पर बहुत से काम करने पड़ते हैं। घर की सफाई, कई तरह के पकवान-मिठाइयाँ बनाने से लेकर खरीददारी करना, दोस्तों-रिश्तेदारों के लिए उपहार खरीदना और न जाने क्या-क्या। अब जब हम बात कर रहें हैं, दिवाली के अवसर पर की जाने वाली घर की सफाई के बारे में तो साल के इस समय ही घर के कोने-कोने की अच्छी तरह सफाई की जाती है और तब जो छुपा-दबा हुआ सामान निकलता है वह हमें एक बार फिर याद दिलाता है कि हम कितनी खरीददारी करते हैं और उनमें से कितनी चीज़ों का तो हम ने कितने समय से प्रयोग भी नहीं किया। कुछ चीज़ों के साथ हम भावनात्मक कारणों से भी जुड़े रहते हैं जिन पर साल भर धूल जमती रहती है और दिवाली के मौके पर उन्हें बाहर निकाल साफ करने के बाद वापिस वैसे ही सहेज कर रख दिया जाता है और फिर उन चीज़ों के दर्शन अगले साल ही होते हैं। आप सोच रहें कि ये सब तो हम जानते हैं तो उन बातों को मैं दोहरा क्यों रही हूँ। जी, तो मैं आपको बता दूँ कि इन बातों को दोहराने का मेरा मकसद यह है कि इस साल दिवाली के अवसर पर की जाने वाली घर की सफाई में थोड़ा ट्विस्ट लाइए। सफाई शुरू करने से पहले मन में तय कर लिजिए की सफाई केवल धूल-मिट्टी हटाने तक सीमित नहीं रहेगी। घर में जमे क्लटर के लिए अब कोई जगह नहीं। अपनी ही पसंद से खरीदे सामान को हम क्लटर का नाम कैसे दे सकते हैं। पर ऐसी चीजें जिन्हें पिछले छह-सात महीने या उससे भी ज्यादा समय से प्रयोग न किया गया हो। वह क्लटर है। सामान जो साफ-सुथरे न हों, देखने में अच्छे न लगें या पुराने हो चुके हों। वह क्लटर ही है। कम जगह में ज़रूरत से अधिक और बड़ा सामान। मकान बनाते हुए या रेनोवेशन के समय बचे हुए सामान, जैसे पॉलिश, लकड़ी के टुकडे। जो यह सोच कर रखे जाते हैं कि ये कभी-न-कभी काम आँएगे और अधिकतर ज़रूरत के समय हमें ये याद भी नहीं आते। आप में से ज़रूर कुछ लोग मुझसे सहमत होंगे कि यह क्लटर ही है। तो अब बात करते हैं क्लटर-फ्री रहने के कुछ आसान तरीकों के बारे में जो सुनने में आसान लगते हैं पर उन पर अमल करना तेज़ धार की तलवार पर चलने के समान है क्योंकि मोह नामक एक चुंबक हमें उनसे दूर होने ही नहीं देता। तो अपनी अलमारी में झांकें। कितने कपड़े पहने बगैर पडे़ हैं। महीनों तक नहीं पहने गए तो आगे भी नहीं पहने जाएंगे। ऐसे कपडे़ नए हों तो भी जरूरतमंद को देने या किसी संस्था को डोनेट करने से न हिचकिचाएं। कुछ पुरानी कढ़ाई वाली साड़ियों से कुशन कवर बनाए, टेबल मेट्स-रनर, टीशू-बाक्स कवर बनाए। कागजों का ढेर.. लिखने-पढ़ने वालों का बड़ा सरदर्द है। संग्रह की जाने लायक किताबों के अलावा बाकी किताबों-मैगजीन से निजात पाएं। व्यर्थ पेपर या न्यूज कटिंग के ढेर का कोई लाभ नहीं। अब इंटरनेट पर आपको हर विषय पर संदर्भ सामग्री आसानी से मिल सकती है। मोटे-मोटे एलबमों से भी बचने के लिए पुराने फोटोओं को स्केन करके रखा जा सकता है। शू रैक का भार बेवजह न बढाएं। चप्पलों-सैंडिलों में कितनी वाकई उपयोगी हैं और कितनी सिर्फ रैक की शोभा बढ़ा रही हैं, देख लें।भावनाएँ क्लटर-फ्री करने में बहुत आडे़ आती हैं। यह साड़ी मां ने किसी खास मौके पर दी थी (भले ही कभी न पहनी गई हो), यह घड़ी मेरे नाना जी की थी, इन चिट्ठियों-ग्रीटिंग का‌र्ड्स में दोस्तों का दिल धड़कता है.. भावनाएँ जायज हैं, लेकिन फ्लैटों का साइज इतना बड़ा नहीं होता कि सारे इमोशंस सहेज लें। जरूरत और इच्छा का फर्क जानना बहुत जरूरी है, क्योंकि इससे आधी समस्या हल हो जाएगी। बाजार जाने से पहले सामानों की लिस्ट बनाएं। सेल और डिस्काउंट के चक्कर में गैरजरूरी चीजें खरीदने से बचें। इसके साथ-साथ हम आपको आज कुछ टिप्स भी देते हैं जो घर की सफाई में आपकी मदद कर सकते हैं। वे भी कैमिक्ल फ्री जो सफाई तो बेहतर तरीके से करते ही हैं और हैं भी कैमिक्ल रहित। उनमें ऐसे कोई पदार्थ नहीं जो हमारे लिए नुकसानदायक हैं। तो पहला है घर का बना हाऊसहोल्ड क्लीनर यानि दाग-धब्बे हटाने वाला।

1. दो लीटर पानी में 1/2 कप सिरका और 1/4 कप बैकिंग सोडा मिलाकर प्रयोग कीजिए। यह बन गया बढ़िया ऑल-अराउंड क्लीनर।

2. जिन चीज़ों को रगड़ कर साफ करने की ज़रूरत हो उस के लिए बैकिंग सोडा में नींबू डाल कर पेस्ट बना लें या इसमें नमक भी डाल सकते हैं। यह भी बढ़िया साफ-सफाई करता है, बिना कैमिक्ल के।

3. अब बात करते हैं, खिड़कियों की साफ-सफाई के बारे में। तो घर में बनाइए विंडो क्लीनर, एक लीटर गुनगुने पानी में दो चम्मच सिरका डाल कर एक बोतल में रख लिजिए और स्प्रे बोतल की मदद से खिड़कियाँ साफ करें।

4. यदि आपके पर्दे के छल्लों में जंग लग गई हो तो उनको गरम सिरके में कुछ घंटे भिगो कर रखिए। तत्पश्चात ठंडे पानी से धो डालिए। छल्ले एकदम नए लगने लगेंगे।

5. बर्तनों पर सिरका लगाकर धूप में सुखाइए। इससे बर्तन पर दाग व धब्बे नहीं पड़ते।

तो देखा आपने कितना गुणकारी है सिरका, हमारे घर में ही मौजूद है कैमिक्ल रहित क्लीनर। सुरक्षित, प्राकृतिक क्लीनर हम अपने घर में ही बना सकते हैं। जो हमारी जेब पर भी भारी नहीं पड़ता और न ही हमारी सेहत पर। तो श्रोताओ, उम्मीद करती हूँ आपको ये सेक्शन अच्छा लगा होगा।

दीवाली के अवसर पर भारत में हर जगह जोश, उत्साह-उल्लास, खुशियों का माहौल है। तो हम आपको यह भी बताना चाहेंगे कि यहाँ भी उसकी झलक देखने को मिलती है। यहाँ पर रहने वाले भारतीय अपने चीनी मित्रों, पड़ोसियों के साथ मिलकर इस त्योहार पर बहुत मज़े-मस्ती करते हैं। वे अपने घर उन्हें आमंत्रित कर भारतीय भोजन खिलाते हैं। इस प्रकार एक-दूसरे की संस्कृति, रीति-रिवाज देखने, जानने को मिलता है। उसके साथ-साथ यहाँ रहने वाले भारतीय लोग भी मिलकर एक परिवार की तरह दीवाली मनाते हैं। दूतावास में भी रंगा-रंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। वहाँ एक साथ इतने भारतीय लोगों को देख ऐसा लगता है कि हम भारत में ही हैं। उसके बाद वहाँ पटाखे जलाएं जाते हैं।

आजकल दीवाली के मौके पर यहाँ कई होटल, रेस्तरां अपने मेहमानों के लिए दीवाली ऑफर या पैकेज का प्रबंध करते हैं। यदि ज्वैलरी की दुकान पर जाएँगे तो वहाँ भी दुकानदार कहते हैं कि हमें मालूम है कि आपका त्योहार है। दीवाली के त्योहार पर काम आने वाली सभी ज़रूरत की चीज़ें अब यहाँ आसानी से मिल जाती हैं।अपने परिवार से दूर दीवाली पर अपनों की कमी तो बहुत खलती है पर जो अपने न होकर हमें दिल से अपना कर हमें अपना बना लेते हैं और हमारी खुशियों में शामिल हो जाते हैं वह एहसास, वह खुशी अनमोल है। तो आप सब को चाइना रेडियो इंटरनेशनल की ओर से दीपों के त्योहार दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ। शुभ दीपावली, हैप्पी दीवाली।

श्रोताओं, आपको हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम का यह इकतीसवा क्रम कैसा लगा। हम आशा करते हैं कि आपको पसंद आया होगा। आप अपनी राय व सुझाव हमें ज़रूर लिख कर भेजें, ताकि हमें इस कार्यक्रम को और भी बेहतर बनाने में मदद मिल सकें। क्योंकि हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम आप से है, आप के लिए है, आप पर है। बड़ों का सम्मान करना ही सबसे बड़ी पूजा है।। इसी विचार के साथ हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम यहीं समाप्त होता है। आप नोट करें हमारा ई-मेल पताः hindi@cri.com.cn । आप हमें इस पते पर पत्र भी लिख कर भेज सकते हैं। हमारा पता हैः हिन्दी विभाग, चाइना रेडियो इंटरनेशनल, पी .ओ. बॉक्स 4216, सी .आर .आई.—7, पेइचिंग, चीन , पिन कोड 100040 । हमारा नई दिल्ली का पता हैः सी .आर .आई ब्यूरो, फस्ट फ्लॉर, A—6/4 वसंत विहार, नई दिल्ली, 110057 । श्रोताओं, हमें ज़रूर लिखयेगा। अच्छा, इसी के साथ मैं हेमा कृपलानी आप से विदा लेती हूँ इस वादे के साथ कि अगले हफ्ते फिर मिलेंगे।

तब तक प्रसन्न रहें, स्वस्थ रहें। नमस्कार

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