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10-10-14
2010-10-19 15:48:18

यह चाइना रेडियो इंटरनेशनल है।श्रोता दोस्तो, न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम में मैं हेमा कृपलानी आप सब का हार्दिक स्वागत करती हूँ। एक सप्ताह की लंबी छुट्टियों के बाद हम सब फिर से नए उत्साह, ताज़गी और पूरे जोश के साथ अपने काम में लग गए हैं। काम से कुछ दिन का अवकाश हमें दुबारा रिफ्रेश कर देता है और आजकल यहाँ बीजींग का मौसम भी बहुत सुहावना है। न ज़्यादा गर्मी, न ज़्यादा सर्दी। बाहर घूमने-फिरने के लिए यह साल का सबसे बढ़िया समय है। साथ में छुट्टियाँ भी मिल जाएँ तो सोने पे सुहागा। इस समय यहाँ लोग अपने परिवार के साथ छुट्टियाँ मनाने चीन के दूसरे शहरों में जाते हैं या फिर यहीं बीजींग में घूमते-फिरते हैं। इस समय पर्यटक स्थलों पर इतनी भीड़ रहती है कि जहाँ भी जाएँ केवल लोग ही लोग दिखते हैं। हर जगह मस्ती-मौज का समा बंधा रहता है। हमने भी छुट्टियों का पूरा फायदा लिया और बीजींग शहर में घूमे-फिरे और जाना यहाँ देखने और करने को इतना कुछ है कि आप थक जाएँगे पर जगहें खत्म नहीं होगी। चलिए, जब हम घूमने-फिरने की बात कर रहे हैं तो आज मैं आपको यहाँ के प्रसिद्ध तिब्बती बौद्ध मंदिर के बारे में बताऊँगी। योंग हेए गोंग या लामा मन्दिर बीजींग के उत्तर पूर्वी भाग में स्थित है। योंग हेए गोंग दुनिया में सबसे बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण तिब्बती बौद्ध मठों में से एक है। इस मंदिर के निर्माण में हान चीनी और तिब्बती शैली के साथ-साथ कुछ मंगोलियन शैली भी दिखती है। इस मंदिर का निर्माण 1694 में चिंग राजवंशकाल के दौरान शुरू हुआ था। जिसे बाद में कांग शी राजा के पुत्र योंग झंग राजकुमार के महल में तबदील कर दिया गया। 1722 में उसके राजा बनने के बाद इमारत के आधे हिस्से को तिब्बती बौद्ध धर्म के भिक्षुओं के लिए एक मठ में परिवर्तित कर दिया गया जबकि अन्य आधा शाही महल बना रहा। 1744 तक तिब्बती बौद्ध मठ को तिब्बत और मंगोलिया से आने वाले बड़ी संख्या में तिब्बती बौद्ध भिक्षुओं के आवास में तबदील हो गया। योंग हेए गोंग मठ लामा के प्रशासन का राष्ट्रीय केन्द्र बन गया। सन् 1981 से इसे आम जनता के लिए खोल दिया गया था। योंग हेए गोंग या लामा मन्दिर में पाँच मुख्य हॉल हैं जिनके बीच में आँगन है जिसे वे बँटे हुए हैं। हॉल के नाम कुछ इस प्रकार हैं – हॉल ऑफ हेवन्ली किंग्स(देवराज हॉल), सद्भाव और शांति का हॉल(योंग हेए गोंग), चिरस्थाई संरक्षण हॉल (योंग यू दिएन), कानून चक्र हॉल(फालून दिएन) और दस हज़ार खुशियों का मंडप(वान फू ग)।

हॉल ऑफ हेवन्ली किंग्स(देवराज हॉल) के मध्य में चंदन के पगोडा के साथ मैत्रय बुद्ध की मुस्कुराती हुई प्रतिमा है। प्रत्येक पगोडा पर बुद्ध की छोटी प्रतिमाँए हैं जो लंबी उम्र का प्रतीक हैं। दीवारों के साथ हेवन्ली किंग्स के साथ-साथ स्वर्गीय रखवालों की कुछ डरावनी मूर्तियाँ भी इस हॉल में हैं। मैत्रय की प्रतिमा के पीछे वे तूओ की प्रतिमा भी विराजमान है। इस हॉल के बाहर अगरबत्ती जलाकर रखने के लिए एक संगमरमर का 4.2 मीटर ऊँचा बर्नर है। जहाँ लोग प्रार्थना करके अगरबत्तियाँ जलाकर रखते हैं। धूप बर्नर के बाद मिंग राजवंश के एक पर्वत सुमेरू जो दुनिया के केन्द्र का प्रतीक है की कांस्य मूर्ति है। उसके शीर्ष पर स्वर्ग जहाँ साक्यमुनी और ईमानदार पुरूष जो मृत्यु के बाद जीवित रहते हैं, बीच में मानव जीवन और सबसे नीचे नर्क जहाँ शैतान रहते हैं।

सद्भाव और शांति का हॉल, महावीर हॉल योंग हेए गोंग का मुख्य हॉल है। महावीर, साक्यमुनी का सम्मानीय शीर्षक है। यहाँ तीन युगों के बुद्धों की तीन कांस्य मूर्तियाँ हैं। बीच में गौतम बुद्ध(वर्तमान के बुद्ध जिन्हें साक्यमुनी) भी कहते हैं। उनके दाएँ तरफ है कस्यपा मतंगा( भूतकाल के बुद्ध) और उनके बाएं तरफ मैत्रय बुद्ध( भविष्य के बुद्ध)। हॉल के दोनों तरफ 18 अरहत की मूर्तियां रखी गईं हैं। कहा जाता है ये 18 अरहत साक्यमुनी के चेले थे जो बौद्ध धर्म फैलाने में मदद करते थे। हॉल की पश्चिमी दीवार पर बौद्धिसत्व का चित्र है। हॉल में एक भित्ति बौद्धिसत्व अवलोकितेस्वरा दिखाती है।

चिरस्थाई संरक्षण हॉल (योंग यू दिएन) योंग हेए गोंग में राजकुमार के राजा बनने से पहले आवास था। जहाँ उनकी मृत्यु के बाद उनका ताबूद रखा गया था। अब इस हॉल में भईसजया गुरू(चिकित्सक बुद्ध) की प्रतिमा रखी गई है।

कानून चक्र हॉल(फालून दिएन) में 5 सोने का पानी चढ़े पगोडा जो हॉल में शास्त्र पढ़ने, धार्मिक अनुष्ठानों में संचालन के लिए जगह के लिए प्रयोग में साया जाता है। यहाँ कमल के फूल में करीब 6 मीटर ऊँचा तसोंग खापा जो गेलुक- बौद्ध धर्म के स्कूल के संस्थापक थे की सोने का पानी चढ़ी कांस्य प्रतिमा शामिल है। हॉल में पाँच सौ अरहत पर्वत की लाल चंदन की बनी नक्काशी के साथ पाँच विभिन्न धातुओं – सोना, चाँदी, लोहा, तांबा और टिन से बनी अरहत की मूर्तियाँ भी शामिल हैं।

योंग हेए गोंग के दस हज़ार खुशियों का मंडप(वान फू ग) में सफेद चंदन की लकड़ी के एक टुकड़े से बनी 18 मीटर लंबी एक आश्चर्यजनक मैत्रेय बुद्ध की मूर्ति है। यह मूर्ति मंदिर की उन तीन मूर्तियों में से एक हैं जिन्हें 1993 में गीनीस बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्डस में शामिल किया गया है। सुबह नौ बजे से शाम 4.30 बजे तक खुले इस मंदिर में श्रद्धालुओं के साथ-साथ पर्यटकों का तांता लगा रहता है। यहाँ लोग अपने हाथों में लंबी-लंबी अगरबत्तियाँ लिए, बुद्ध की मूर्ति के सामने घुटनों के बल बैठकर प्रार्थना करते हुए नज़र आते हैं। मंदिर का वातावरण बहुत शांत और मन को सुकुन पहुँचाने वाला है। मंदिर के बाहर करीब 100 मीटर तक पूजा-अर्चना का सामान बेचने वाली दुकानों की लंबी कतार है। जहाँ अगरबत्तियाँ, बुद्ध की कई प्रकार तथा आकार की मूर्तियाँ हैं और इन्हें खरीदने के लिए दुकानों में लोगों की भीड़ लगी हुई है। श्रोताओं, लोग कहीं के भी हो, ईश्वर के प्रति सबकी श्रद्धा एक समान ही होती है। तो कैसा लगा आपको चीन के प्रसिद्ध योंग हेए गोंग या लामा मन्दिर की सैर करना।

दोस्तो सैर-सपाटे के बाद पेट पूजा हो जाए तो कैसा रहेगा। तो चलिए आज हम आपको चाइनीज व्यंजन पकाने की रेसीपी बताते हैं।

आज हम बनाना सीखते हैं।

चाइनीज रोल

सामग्री:

1 गाजर बारीक लंबी कटी हुई

आधी पत्ता गोभी बारीक कटी हुई

2 प्याज,बारीक कटा हुआ

10-12 फ्रेंचबीन पतले लंबे कटे हुए

100 ग्राम उबले नूडल्स

1 चम्मच सोया सॉस

थोड़ी-सी चिली सॉस

1/4 चम्मच अजीनोमोटो पाउडर

नमक स्वादानुसार, काली मिर्च स्वादानुसार

तेल

रोल के लिए: 100 ग्राम मैदा, 1 चुटकी नमक, तलने के लिए तेल, पानी अंदाज से, आधा कप दूध।

विधि:

1 बर्तन में तेल डालकर गर्म करें। प्याज डालकर भूनें। फिर फ्रेंचबीन, गाजर, गोभी डालकर भूनें। उबले नूडल्स डालकर कुछ देर भूनें। नमक, काली मिर्च, सोया सॉस व अजीनोमोटो डालकर चलाएं। अब 1 बर्तन में मैदा लेकर पानी, नमक, दूध से गूंथ लें, लोई बना कर बेल कर उसमें मसाला भरकर रोल कर लें। दोनों साइड पानी से गीला कर चिपका लें और बर्तन में तेल डालकर गर्म करें। और रोल्स को हलका सुनहरा करें। बाहर निकालने के बाद डेढ इंच के टुकडे में तिरछा काट लें। 1 प्लेट में रोल रखकर सॉस के साथ गरमागरम सर्व करें।

श्रोताओं, आपको हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम का यह अट्ठाइसवा क्रम कैसा लगा। हम आशा करते हैं कि आपको पसंद आया होगा। आप अपनी राय व सुझाव हमें ज़रूर लिख कर भेजें, ताकि हमें इस कार्यक्रम को और भी बेहतर बनाने में मदद मिल सकें। क्योंकि हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम आप से है, आप के लिए है, आप पर है। जिस परिवार की महिला शिक्षित उस परिवार का भविष्य उज्जवल। इसी संदेश के साथ हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम यहीं समाप्त होता है। आप नोट करें हमारा ई-मेल पताः hindi@cri.com.cn । आप हमें इस पते पर पत्र भी लिख कर भेज सकते हैं। हमारा पता हैः हिन्दी विभाग, चाइना रेडियो इंटरनेशनल, पी .ओ. बॉक्स 4216, सी .आर .आई.—7, पेइचिंग, चीन , पिन कोड 100040 । हमारा नई दिल्ली का पता हैः सी .आर .आई ब्यूरो, फस्ट फ्लॉर, A—6/4 वसंत विहार, नई दिल्ली, 110057 । श्रोताओं, हमें ज़रूर लिखयेगा। अच्छा, इसी के साथ मैं हेमा कृपलानी आप से विदा लेती हूँ इस वादे के साथ कि अगले हफ्ते फिर मिलेंगे।

तब तक प्रसन्न रहें, स्वस्थ रहें। नमस्कार

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